दोस्तों,
१९७० -१९८० के दशक में किशोर कुमार को एक लेख में पेश करना बहुत मुश्किल है | इस महान शख्सियत की कुछ यादें -
किशोर का हॉलीवुड प्रेम -
कोई भी सच्चा कलाकार भाषा या देश की सीमा में नही बंधता है और अपने को मुक्त रखते हुए आगे चलता रहता है | किशोर इसका एक अच्छा नमूना पेश कर गए | किशोर कुमार अपने बेटे अमित कुमार के साथ हॉलीवुड की फिल्मे देखना पसंद किया करते थे | कुछ विशेष फिल्मों और कलाकारों के प्रति उनका काफी रुझान रहा | जैसे गोड फादर (God Father) फ़िल्म को उन्होंने १७-१८ बार देखा | हॉलीवुड अभिनेता जॉन वायने ( John Wayne) और मार्लोन (Marlon) उन्हें बेहद पसंद थे | उनकी फिल्में देखने के बाद किशोर उन कालाकारों के अभिनय के विषय में वे अमित से चर्चा करते | यह सब बातें उनके भीतर अभिनय की समझ को दर्शाता है | हॉलीवुड फिल्मो से प्रभावित होकर उन्होंने १९७१ में एक यादगार फ़िल्म भी बनायी - "दूर का राही " |
कलाकार पिता और कलाकार पुत्र -
यदि ऐसा कहे कि किशोर कुमार ने ही अमित कुमार के भीतर के कलाकार को संवारा और प्रोत्साहित कर प्रस्तुत किया, तो कोई गलत नही होगा | अमित शुरू के बरसों में अपनी माँ के साथ पश्चिम बंगाल में रहते थे और छुट्टियों में मुम्बई आते रहते थे | अपने पिता की गायकी उनकी प्रेरणा रही | किशोर कुमार को जब पता चला कि अमित को गाने में रूचि है तो उसे मुम्बई ले आए | १९ बरस के उम्र में अब पिता के साथ रहना अमित को खूब भाया | १९७१ में दूर का रही फ़िल्म में अमित कुमार से अभिनय करवा कर पिता ने अमित को कला के मैदान में उतार दिया | किशोर के साथ अमित भी स्टेज शो में जाते रहे और सीखते रहे | एक समय आया, जब लोगों ने स्टेज शो में दोनों को एक साथ गाते देखा और सूना | नौजवान अमित कुमार ने फिल्मों में गाने गाये और अभिनय भी किया |आज भी जब कभी भी हो, अमित कुमार अपने प्रेरक पिता को याद कर लोगों से उनके बातों को बड़े आदर से बाँटते हैं |
इस दशक में किशोर कुमार और आर.डी.बर्मन याने सबके चाहिते पंचम दा की युगल जोड़ी कामयाब रही |
१९७१ में आयी राजेश खन्ना के अभिनय से अलंकृत फ़िल्म "अमर प्रेम" इसका बेहतरीन नमूना है |
उसी दशक एक नौजवान कलाकार उभर रहा था,कभी बढ़ता तो कभी गिरता | उस नए कलाकार के लिए पहला हिट गाना पंचम दा ने किशोर कुमार से ही गवाया | यह फ़िल्म थी- "Bombay to Goa" और गीत था "देखा ना हाय रे सोचा ना ..." | उस नए तरुण अभिनेता याने अमिताभ बच्चन के शुरुवाती दिनों में उनके गाये गीत हिट हुए और अमिताभजी को लोकप्रिय बनाने में बड़े मददगार साबित हुए |
कुछ सुपर सुपर हिट फिल्मे जिनमे किशोर कुमार ने आज के बिग बी के लिए गाने गाये थे -
१९७३ - अभिमान,
१९७५ - शोले , मिली ,
१९७७ - अमर अकबर अन्थोनी ,
१९७८ - डॉन, मुकद्दर का सिकंदर,
१९७९ - मिस्टर नटवरलाल आदि ...
हमेशा की तरह राजेश खाना के लिए किशोर कुमार की आवाज़ इस दशक भी पहचान रही |कटी पतंग, अमर प्रेम, अनुरोध, महबूबा जैसी फिल्मों में गाये गाने आज भी पसंद किए जाते हैं |महबूबा फ़िल्म का एक गीत है - "मेरे नैना सावन भादो ..." इस गीत से किशोर कुमार की शैली और हुनर दोनों को परखा जा सकता है | धूम धडाके और मस्ती से गाने वाले किशोर कुमार के इतने भावुक होकर गाये गीतों से उनके बहु आयामी होने का पता चलता है |
मोहम्मद रफी और मुकेश जैसे मंझे हुए गायकों की मौजूदगी में भी किशोर कुमार ने अपनी जगह बना ली थी | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी जैसे संगीतकारों के लिए किशोर कुमार का नाम एक पसंद बन गया था |
गुरु का साथ छूटा -
१९७५ में हृषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म "मिली",सचिन देव बर्मन और किशोर की अन्तिम फ़िल्म बनी | बीमारी में होते हुए भी बर्मन दा जाते जाते इतिहास रच गए | "आए तुम याद मुझे" और "बड़ी सूनी सूनी है" ये दो गीत इतने लोकप्रिय हुए की आज भी हिट हैं | किशोर कुमार ने बिछड़ते अपने गुरु के लिए अपनी भावनाओं में डूबे ये दो गीत गाकर अपनी श्रद्धांजली दी | एस. डी. बर्मन के साथ उन्होंने २७ फिल्मों में १०० से ज्यादा गीत गायें | हिन्दी फ़िल्म इतिहास में यह जोड़ी हमेशा याद की जाती रहेगी |
पुरस्कार -
१९७६ - अमानुष के गीत "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोडा" और १९७९ - डॉन फ़िल्म के हिट गाने "खैके पान बनारस वाला" के लिए उनको फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिले |
किशोर की तीसरी शादी अभिनेत्री योगिता बाली से हुयी | १९७६ से १९७८ तक यह कामयाब नही हो सका | १९७९ में किशोर कुमार ने अपने इस उम्र में शादी के विषय से मिलती जुलती एक फ़िल्म बनाई - " शाब्बास डैडी " (Shabas Dady) | इसमे किशोर कुमार, अमित कुमार , योगिता बाली और महमूद ने अभिनय किया | संगीत और आवाज़ किशोर कुमार की रही |
मजाकिया किशोर कुमार के किस्से बड़े मशहूर थे | स्टूडियो में धूम मचाना, किसी पर अचानक कुछ कह हँसी करना, ख़ुद पर ही चुटकले करना, तरह तरह के रूप बनाकर रहना, लोगों को उनके ओर आकर्षित करता रहा | यदि उनके उस अनोखे शख्सियत की बातें करूँ तो सारा लेख सिर्फ़ उसी पर होगा |
कहने को बहुत कुछ है , लेकिन ठहरना तो होगा ही | इस बार के लिए किशोर के लिए मेरे चंद लफ्ज़ -
तुम्हारी धुन आज भी बजती है,
तुम्हारे सुर आज भी सजते हैं,
कभी आकर कोई नग़मा सुना जाओ...दुबारा |
इसी दौर के मशहूर,किशोर दा कुछ बेमिसाल गीत भी सुन लेते हैं -
-- अवनीश तिवारी
१९७० -१९८० के दशक में किशोर कुमार को एक लेख में पेश करना बहुत मुश्किल है | इस महान शख्सियत की कुछ यादें -
किशोर का हॉलीवुड प्रेम -
कोई भी सच्चा कलाकार भाषा या देश की सीमा में नही बंधता है और अपने को मुक्त रखते हुए आगे चलता रहता है | किशोर इसका एक अच्छा नमूना पेश कर गए | किशोर कुमार अपने बेटे अमित कुमार के साथ हॉलीवुड की फिल्मे देखना पसंद किया करते थे | कुछ विशेष फिल्मों और कलाकारों के प्रति उनका काफी रुझान रहा | जैसे गोड फादर (God Father) फ़िल्म को उन्होंने १७-१८ बार देखा | हॉलीवुड अभिनेता जॉन वायने ( John Wayne) और मार्लोन (Marlon) उन्हें बेहद पसंद थे | उनकी फिल्में देखने के बाद किशोर उन कालाकारों के अभिनय के विषय में वे अमित से चर्चा करते | यह सब बातें उनके भीतर अभिनय की समझ को दर्शाता है | हॉलीवुड फिल्मो से प्रभावित होकर उन्होंने १९७१ में एक यादगार फ़िल्म भी बनायी - "दूर का राही " |
कलाकार पिता और कलाकार पुत्र -
यदि ऐसा कहे कि किशोर कुमार ने ही अमित कुमार के भीतर के कलाकार को संवारा और प्रोत्साहित कर प्रस्तुत किया, तो कोई गलत नही होगा | अमित शुरू के बरसों में अपनी माँ के साथ पश्चिम बंगाल में रहते थे और छुट्टियों में मुम्बई आते रहते थे | अपने पिता की गायकी उनकी प्रेरणा रही | किशोर कुमार को जब पता चला कि अमित को गाने में रूचि है तो उसे मुम्बई ले आए | १९ बरस के उम्र में अब पिता के साथ रहना अमित को खूब भाया | १९७१ में दूर का रही फ़िल्म में अमित कुमार से अभिनय करवा कर पिता ने अमित को कला के मैदान में उतार दिया | किशोर के साथ अमित भी स्टेज शो में जाते रहे और सीखते रहे | एक समय आया, जब लोगों ने स्टेज शो में दोनों को एक साथ गाते देखा और सूना | नौजवान अमित कुमार ने फिल्मों में गाने गाये और अभिनय भी किया |आज भी जब कभी भी हो, अमित कुमार अपने प्रेरक पिता को याद कर लोगों से उनके बातों को बड़े आदर से बाँटते हैं |
इस दशक में किशोर कुमार और आर.डी.बर्मन याने सबके चाहिते पंचम दा की युगल जोड़ी कामयाब रही |
१९७१ में आयी राजेश खन्ना के अभिनय से अलंकृत फ़िल्म "अमर प्रेम" इसका बेहतरीन नमूना है |
उसी दशक एक नौजवान कलाकार उभर रहा था,कभी बढ़ता तो कभी गिरता | उस नए कलाकार के लिए पहला हिट गाना पंचम दा ने किशोर कुमार से ही गवाया | यह फ़िल्म थी- "Bombay to Goa" और गीत था "देखा ना हाय रे सोचा ना ..." | उस नए तरुण अभिनेता याने अमिताभ बच्चन के शुरुवाती दिनों में उनके गाये गीत हिट हुए और अमिताभजी को लोकप्रिय बनाने में बड़े मददगार साबित हुए |
कुछ सुपर सुपर हिट फिल्मे जिनमे किशोर कुमार ने आज के बिग बी के लिए गाने गाये थे -
१९७३ - अभिमान,
१९७५ - शोले , मिली ,
१९७७ - अमर अकबर अन्थोनी ,
१९७८ - डॉन, मुकद्दर का सिकंदर,
१९७९ - मिस्टर नटवरलाल आदि ...
हमेशा की तरह राजेश खाना के लिए किशोर कुमार की आवाज़ इस दशक भी पहचान रही |कटी पतंग, अमर प्रेम, अनुरोध, महबूबा जैसी फिल्मों में गाये गाने आज भी पसंद किए जाते हैं |महबूबा फ़िल्म का एक गीत है - "मेरे नैना सावन भादो ..." इस गीत से किशोर कुमार की शैली और हुनर दोनों को परखा जा सकता है | धूम धडाके और मस्ती से गाने वाले किशोर कुमार के इतने भावुक होकर गाये गीतों से उनके बहु आयामी होने का पता चलता है |
मोहम्मद रफी और मुकेश जैसे मंझे हुए गायकों की मौजूदगी में भी किशोर कुमार ने अपनी जगह बना ली थी | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी जैसे संगीतकारों के लिए किशोर कुमार का नाम एक पसंद बन गया था |
गुरु का साथ छूटा -
१९७५ में हृषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म "मिली",सचिन देव बर्मन और किशोर की अन्तिम फ़िल्म बनी | बीमारी में होते हुए भी बर्मन दा जाते जाते इतिहास रच गए | "आए तुम याद मुझे" और "बड़ी सूनी सूनी है" ये दो गीत इतने लोकप्रिय हुए की आज भी हिट हैं | किशोर कुमार ने बिछड़ते अपने गुरु के लिए अपनी भावनाओं में डूबे ये दो गीत गाकर अपनी श्रद्धांजली दी | एस. डी. बर्मन के साथ उन्होंने २७ फिल्मों में १०० से ज्यादा गीत गायें | हिन्दी फ़िल्म इतिहास में यह जोड़ी हमेशा याद की जाती रहेगी |
पुरस्कार -
१९७६ - अमानुष के गीत "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोडा" और १९७९ - डॉन फ़िल्म के हिट गाने "खैके पान बनारस वाला" के लिए उनको फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिले |
किशोर की तीसरी शादी अभिनेत्री योगिता बाली से हुयी | १९७६ से १९७८ तक यह कामयाब नही हो सका | १९७९ में किशोर कुमार ने अपने इस उम्र में शादी के विषय से मिलती जुलती एक फ़िल्म बनाई - " शाब्बास डैडी " (Shabas Dady) | इसमे किशोर कुमार, अमित कुमार , योगिता बाली और महमूद ने अभिनय किया | संगीत और आवाज़ किशोर कुमार की रही |
मजाकिया किशोर कुमार के किस्से बड़े मशहूर थे | स्टूडियो में धूम मचाना, किसी पर अचानक कुछ कह हँसी करना, ख़ुद पर ही चुटकले करना, तरह तरह के रूप बनाकर रहना, लोगों को उनके ओर आकर्षित करता रहा | यदि उनके उस अनोखे शख्सियत की बातें करूँ तो सारा लेख सिर्फ़ उसी पर होगा |
कहने को बहुत कुछ है , लेकिन ठहरना तो होगा ही | इस बार के लिए किशोर के लिए मेरे चंद लफ्ज़ -
तुम्हारी धुन आज भी बजती है,
तुम्हारे सुर आज भी सजते हैं,
कभी आकर कोई नग़मा सुना जाओ...दुबारा |
इसी दौर के मशहूर,किशोर दा कुछ बेमिसाल गीत भी सुन लेते हैं -
-- अवनीश तिवारी
Comments
हाँ तो लिखो न भाई एक लेख ऐसा भी.....इंतज़ार रहेगा.....बहुत बढ़िया प्रस्तुति है इस बार की