Skip to main content

हमेशा लगता है, कि यह गीत और बेहतर हो सकता था....

दोस्तो,
आवाज़ पर इस हफ्ते के "फीचर्ड कलाकार" है, युग्म के संगीत खजाने को पाँच गीतों से सजाने वाले ऋषि एस. संगीतकार ए आर रहमान के मुरीद, ऋषि हमेशा ये कोशिश करते हैं कि वो हर बार पहले से कुछ अलग करें. उनके हर गीत को अब तक युग्म के श्रोताओं ने सर आँखों पे बिठाया है, कभी मात्र शौकिया तौर पर वोइलिन बजाने वाले ऋषि, अब बतौर संगीतकार भी ख़ुद को महत्त्व देने लगे हैं, युग्म ने की ऋषि एस से एक ख़ास बातचीत.


(ऋषि मूल रूप से हिन्दी भाषी नही हैं, पर उन्होंने हिन्दी में अपने जवाब लिखने की कोशिश की है, तो हमने उनकी भाषा में बहुत अधिक संशोधन न करते हुए, यहाँ रखा है, ऋषि हिन्दी को शिखर पर देखने की, हिंद युग्म की मुहीम के पुरजोर समर्थक है, और युग्म के लिए वार्षिक अंशदान भी देते हैं)


हिंद युग्म - स्वागत है ऋषि, "मैं नदी..." आपका ५ वां गीत है, कैसे रहा अब तक का सफर युग्म के संगीत के साथ ?

ऋषि -सबसे पहले मैं हिंद युग्म को शुक्रिया अदा करना चाहूँगा, मेरे जैसे "amateur" संगीतकारों को अपना "talent" प्रदर्शन करने का मौका दिया है. हर गाने का "feedback" पढ़कर न सिर्फ़ प्रोत्साहन मिलता है बल्कि यह भी पता चलता है की गाने मे क्या कमियां है. इन गानों का एल्बम बनाकर उसे एक "larger audience" तक पहुंचने का कष्ट जो हिंद युग्म उठता है, मैं इसके लिये बहुत शुक्रगुजार हूँ. इस अवसर पर मे सजीव जी और अलोक जी और मेरे सभी सिंगेर्स, सुबोध साठे, मानसी पिम्पले और जयेश शिम्पी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ. "They have added soul to my songs".

हिंद युग्म -कुछ अपने बारे में बताईये, हमारे श्रोता आपके बारे में बहुत कम जानते हैं ?

ऋषि द्वारा कम्पोज्ड गीत
मैं नदी
बढ़े चलो
सुबह की ताज़गी (पहला सुर)
वो नर्म सी (पहला सुर)
झलक (पहला सुर)
ऋषि - मै हैदराबाद से हूं और "by profession software engineer" का काम करता हूँ.संगीत रात मे और weekends पे इस दुनिया से कुछ समय दूर रहने के लिये compose करता हूँ. मैने वोइलिन पे कार्नाटिक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया है. western हार्मोनी, orchestration/अर्रंजेमेंट , audio mixing की शिक्षा मैने " self study" करके सिखा हैं.अभी सीखना जारी है. मुझे नही लगता कभी ख़तम होगी ये प्रक्रिया. Music compose करते समय थोड़ा सा कीबोर्ड बजा लेता हूँ.Guitar सीखने के कोशिश किया था एक समय, लेकिन software profession के कारण continue नही कर पाया.

हिंद युग्म - संगीत किस तरह का पसंद है आपको सुनना, अगर आप अपनी एल्बम प्लान करेंगे तो वो किस तरह की होगी ?

ऋषि -मै अपने mood और महौल के हिसाब से अलग अलग style का संगीत सुनना पसंद करता हूँ. खासकर इन्डियन classical, western classical, इंडियन film music, कुछ तरह के fusion, world music, सुनना पसंद करता हूँ.कभी कभी पॉप, रॉक, R&बी, रैप, Jazz जैसे western फोरम्स भी सुन लेता हूँ.
मेरे एल्बम का संगीत के बारे में कुछ नही जानता, क्यों की मै प्लान कर compose नही करता. I compose what ever comes to me from my heart. लेकिन एक सपना है ज़रूर है कि कुछ ऐसा एल्बम बनाऊं जिसमे सिर्फ़ संगीत का मज़ा ही नही बल्कि समाज के लिए कोई स्ट्रोंग मेसेज हो.फिलहाल ऐसे कोई थीम की खोज में हूँ.

हिंद युग्म - आप एक बड़ी कंपनी में कार्यरत हैं, कैसे समय निकाल पाते हैं अपने संगीत कार्यों के लिए ?


ऋषि -If someone asks you how you make time for having breakfast, lunch, dinner, sleep everyday when you have to work for a company, what would you say? I don't make any special efforts to make time for music. I compose only when it comes naturally to me.It has become a daily habit now.

हिंद युग्म - अब तक आपके रचे गए गीतों में आपका सबसे पसंदीदा गीत कौन सा है ?

ऋषि - अब तक के मेरे compose किये हुए गीतों से मैं संतुष्ट नही हूँ. मै गाना पुरा ख़तम कर जब प्रोजेक्ट बंद कर देता हूँ तो उसके बाद् उस गाने को बहुत कम सुनता हूँ. इसका कारण यह है की मुझे उस गाने की कमियां नज़र आती हैं और गाने का मज़ा नही ले पाता. यही लगता है कि यह गाना इससे भी अच्छा हो सकता है. लेकिन समय की पाबन्दी और गाने को ज्यादा manipulate करने से उसकी natural flow ख़राब होने के डर से अगले गाने में कुछ बेहतर करने का उम्मीद लेकर आगे बढता हूँ.

हिंद युग्म - "बढ़े चलो..." में आपको सबसे अधिक समय लगा, उस गीत के बारे में कुछ बताईये ?

ऋषि -"बढ़े चलो..." ख़तम करने में हमे करीब ५ मैने लग गये. कोम्पोसिशन में मुझे ज्यादा वक्त नही लगा लेकिन delay के कई कारण थे. जब इस गाने का concept सजीव जी ने मुझे बताया था तब मै official काम पर विदेश में था. गाना record कर mix करने के लिये मुझे India वापिस आने तक इंतज़ार करना पड़ा. India आकर मुझे अपने होम स्टूडियो मै कुछ changes करने थे. इसमे कुछ वक्त निकल गया. गाने में तीन आवाजों की जरुरत थी. हमे गायकों को खोज कर उनके availability के हिसाब से record करने में और वक्त लग गया. हमे दूसरा मेल गायक नही मिल रहा था, गाना का काफ़ी delay हो जाने के कारण मुझे ख़ुद आवाज़ देनी पड़ी.

हिंद युग्म - अक्सर पहले गीत लिखा जाता है या फ़िर धुन पर बोल पिरोये जाते हैं, आप को कौन सी प्रक्रिया बेहतर लगती है ?


ऋषि - मै गाना बनाना या तो धुन से शुरू कर सकता हूँ या फिर कविता से. मै यह मानता हूँ कि दोनों तरीकों में अपनी अपनी pros and cons है. मेरे "सुबह की ताजगी", "झलक" और "बढ़े चलो" गाने पहले लिखे गये. उनका धुन बाद मे बनाया गया. "मैं नदी .." और "वो नर्म सी मदहोशी" गानों का धुन पहले बनाए थे. It is challenging for the poet to write meaningfully to the tune.


हिंद युग्म - इस इन्टरनेट jamming के माध्यम से संगीत रचना कठिन काम है, मगर आप इस आईडिया के मूल बीज कहे जा सकते हैं युग्म के लिए, इस पर कुछ कहें ?

ऋषि- IT industry मे होने के कारण मुझे internet के द्वारा गाने बनाने मे ऐसा नही लगा की कुछ नई चीज़ कर रहा हूँ. हम दफ्तर मे दुनिया के opposite कोने के लोगों के साथ रोज़ काम करते हैं. गायकों के साथ आमने सामने बात नही होने के कारण गाने के vocals पे बहुत असर पड़ा है. मेरे गानों मे vocals हमेशा ही weak रहे हैं और इसका कारण गायक और संगीतकार remote है.मुझे इस बात का अफ़सोस है और आशा करता हूँ की मुझे गायकों को face-to-face record करने का मौका मिले और उनके singing abilities का फ़ायदा उठा सकूं .

हिंद युग्म - साल में लगभग ४-५ महीने आप विदेश यात्रा पर होते हैं, उस दौरान क्या आप संगीत से अलगाव महसूस करते हैं ? इस वक्त भी आप शिकागो में हैं.


ऋषि -I make use of of my time outside India to listen to new music and to learn about the new developments in music technology. In India, the resources are less on one hand and I m too busy composing so I don't find time to sit and read books. I also record tunes when I get the inspiration. I work on some song concepts as well.

हिंद युग्म - शुक्रिया ऋषि आप जल्दी से स्वदेश वापस आयें और नए गीतों पर काम शुरू करें, युग्म के श्रोता आपके अगले गीत का बेसब्री से इन्तेज़ार करेंगे.

ऋषि - Thanks once again to Hind Yugm for giving me the opportunity to compose for it. I look forward to do better music for yugm audience.

दोस्तों एक बार फ़िर ढेर सारी शुभकामनायें देते हुए, बतौर संगीतकार उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए, सुनते हैं, ऋषि एस का स्वरबद्ध किया, ये ताज़ा और मधुर गीत.


Comments

keep it up rishi, whenever i worked with u i feel good that i am part of a new kind of song, when u give this tune of main nadi, i was not sure whether i will be able to write over it, cos the tune has a lot of variation both in stanza 1 and stanza 2, now that people liked it i feel satisfied a lot, thanks again, keep rocking
ऋषि,

आप अपनी कम्पोज्ड धुनों से संतुष्ट हों ना हों, लेकिन मैं ज़रूर हूँ, क्योंकि वे भले ही प्रोफैशनल कम हों, मगर उनमें मौलिकता साफ झलकती है। श्रोता को ऊबाऊ नहीं लगतीं। आपकी धुनों को सुनकर लगता है कि आपको संगीत की समझ है। आपको हिन्द-युग्म के बहुत से शब्दों को जीवंत किया है। आप न होते तो शायद यह आवाज़ पन्ना और हमारा पहला एल्बम भी नहीं होता। मैं आपका शुक्रगुजार हूँ।
shivani said…
ऋषि जी का साक्षात्कार पढ़ा,ख़ुशी हुई की शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ संगीत की दुनिया के जादूगर बनते जा रहे हैं आप !आपकी ये सोच कि हमेशा लगता है कि यह गीत और बेहतर हो सकता था ,आपकी संगीत के लिए समर्पण की भावना ही तो व्यक्त करती है !और यही वजह है कि आपके हर गीत में नया संगीत देखने को मिलता है !सुबह कि ताजगी में भी गज़ब का संगीत है !आपके संगीत कि विविधता ही आपकी पहचान है !आपका भविष्य उज्व्वल नज़र आता है !हमारी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं!

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट