Skip to main content

चले जाना कि रात अभी बाकी है...

दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज

आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, "पहला सुर" में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि, पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह.

शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे".

तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें.

इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें-




The team of "ye zaroori nahi" from "pahla sur" is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shivani Singh's lyrical expressions give it a romantic feel, so friends, just enjoy this beautiful ghazal here and let us know what you feel about it, feel free to give your valuable suggestions as your comments.

To listen to this brand new ghazal, click on the player below-



ग़ज़ल के बोल -


चले जाना कि रात अभी बाकी है,
ठहर जाना हर बात अभी बाकी है.

जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,

जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
मगर पल दो पल का, साथ अभी बाकी है.
ठहर जाना....

कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...

बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...

मेरे ख्यालों में तुम रोज आते हो,
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,

तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...
ठहर जाना....


यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)




VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis


SONG # 08, SEASON # 02, "CHALE JAANA", OPENED ON 22/08/2008, AWAAZ HIND YUGM.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.

Comments

Neelu said…
Shiwani singh ji ki gazal wakaie haqiqat bayan karti hai.......
Aur Rupesh rishi ji ki gayaki ne use aur bhi sunder roop de diya hai..
Shiwani singh ji aue Rupesh rishi ji ko bahut bahut dhanyawaad.
Biswajeet said…
itni sunder gaayaki aur shibani ji ki itni pyaari gazal. aap sabhi ko bahut bahut badhai.
seema gupta said…
wah, bhut sunder lyrics, or karnpriye sangeet, bhut accha lga sun kr.

Regards
Anonymous said…
very nice gazal
शिवानी जी और रूपेश जी की जोड़ी ने कमाल हीं कर दिया है। जीतने मीठे बोल हैं, उतना हीं मीठे एवं भावपूर्ण संगीत एवं स्वर हैं।

बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’
बहुत सुंदर जी ..
Anonymous said…
Bahut Bahut Sundar aap dono ko bhadhaai-Anu
Kamal N FRENDZ said…
thanxxxxx shiavni ji 4 this amazing ghazal
why dont u try to bollywood
u have a gr8 sense of simplicity
plz keep it up
Nugget said…
shivani ji aap ki ghazal sun kar man ko sakoon mila.Aisa laga mano yeh bol aap kay dil ki gehraiyon say niklay hain.humein aap ki aisi hi utkrisht rachnaoan ka intazar rahega.aap ki is kamyabi per bahut badhai ho-aarti sindhu
Manvinder said…
bahad madhur or meethe awaaj hai
jindagi jo meri beeti to ju hi beet gai
Manvinder
Manish Kumar said…
ग़ज़ल के हिसाब से संगीत और गायिकी दोनों पसंद आए। शुक्तिया इस प्रस्तुति के लिए
ये ज़रूरी नहीं कि हर बात ज़ुबां से कह दें....:)
बहुत मजा आया रूपेश जी और शिवानी जी की ये गज़ल सुन कर...
रुपेश जी कि आवाज़ में वाकई जादू है, ग़ज़ल गायकी के लिए परफेक्ट, शिवानी जी आपकी ग़ज़ल बहुत ही प्यारी है, सीधे दिल से निकली हुई लगती है, सरल शब्द और मधुर संगीत का मिश्रण है ये ग़ज़ल, इस शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाईयाँ
ठ्हर जाना कि ......

हेडसेट से कानोँ मेँ फूटते हुये मधुर स्वर और रूमानी अन्दाज के भावपूर्ण शब्द रूपेश जी और शिवानी जी की यह अभिनव प्रस्तुति ..... कुछ पलोँ को जीवंत करने मेँ सम्पूर्ण सक्षम है. शुभकामना
DHWANI said…
shivani ji aaj ke jamane mein aisi sunder v madhur rachna bahot kam milti hai. aap ki is ghazal ko sunkar mann ki saari pareshaniya mano mit si gayi aur mere mann ko bahot sukoon mila. aap ko bahot badhai ho . main aap se aage bhi aesi hi rachnaon ki ummeed karti hoon.
ilesh said…
Shivani ji dghalti raat me jab ise suna ham hamari purani yadon me kho gaya behatarin lafjo ka istmaal aur rupeh ji ki aawaz ne use aur bhi behtarin bana diya wah....

कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...

बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
neelam said…
kis khoobsoorati aur paakijagi ke saath gaaya hai aap ne, aapke ujjwal bhabisya ki kaamnaao ke saath
Pratap Kumar said…
Shivaniji, ek dil ko chhoo lene wali ghazal hai aapki. Jitni baar bhi suni jaaye ek nayapan isme jhalkta hai.
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...

बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
In lines ko maine kai baar suna. vastav meek-ek shabad. sahej kar rakhne layak hai.
Vijay Sharma
Chennai-09281302261
Gaurav said…
kya bol hai ..... mazaa aa gaya ..... kitne meethe bol hai shivani ji aur rupesh ji ki aawaz bhi bahut acchi hai ..... issi tarah aap likhti rahe .....
juhi said…
shivani ji awesome !! kitna madhur sangeet hai . rupesh ji ki aawaaz ne to jaadu kar diya . sunkar mann ko sukoon mila aur baar baar sunne ko jee kara .gazal ke words bahut achche hai bahut bahut shubh kamnaye. hum asha karte hai ki aap aise hi likhte rahe.this is my .favourite gazal.wish u all the best.
srishti said…
shivani ji u r great. mazaa aa gaya.sach mein dil ko choone wali gazal hai.amazing!!
shivani ji jo kamal aawaj me h wo hi kamal likhne wale k hatho ka hai.dono ne kamal kar diya hai ...............dil ko chhu gayi ye gazal
Anonymous said…
shivani ji bahut bahut badhai aise udgaar hain aapke maine socha nahin tha.bahut achche se vyakt kiya hai.en udgaaroo ko padhkar mann kho jaata hai aur tan doobh jaata hain, badhai ho us aawaaz ko jisne itni gehrai di .sunkar mann doobhta hi chala gaya aur mein kahin vicharoon mein kho gai.i wish u all the best keep it on......seema kataria
Janmejay said…
NAMASKAAR!
BADHAI IS SUNDAR GAZAL KE LIE!
bahut sukun milta hai sun kar,itni madhur dhun hai,achhi gazal ban pari hai.sarahneey!

prayas jari rakhen taki aur bhi behtar kaam hota rahe.
shubh kamnayen!

dhanyawaad!
बहुत दिनों के बाद एक बहुत अच्छी ग़ज़ल सुनने को मिली है.
इस ग़ज़ल के बोल और आवाज़ दोनों ही श्रोता को दिल तक छुते है
शिवानीजी तथा रुपेश जी को बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई
Ashutosh Pandey said…
bahut he khoobsurat lyrics mam... aur rupesh ji ki awaz ne ise aur khubsurat bana diya hai...
gazal ki ye line bahut he pasand aai
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...

बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
bahut khub...
अति सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद! Keep it up!
anitakumar said…
very soothinh voice and music, overall very nice song
आपकी यह गज़ल बहुत अच्छी, सुन कर प्रसन्न हो गया है।
Nugget said…
This post has been removed by the author.
sandy said…
Avaz aur lavz kiski hai ye maya....,main to bas bandhta hi chala gaya. shivani ji aisi hi kuch aur rachnaen plz hamare saath share kare aur aapke is fan ko ummeed hai ke aap ke khazane mein aise hi bahot saare ratn chupe hai jinhe, mujhe wishwas hai ki aap aage bhi hamein aise hi soch aur khwab ka pegham deti rahengi. aap ka ek fan-sagitarian.
bhanu said…
कवी के दिल और कविता में वो रिश्ता होता है जो एक सचे भक्त और भगवान् का होता है ,मुझे आपकी इस ग़ज़ल में आपके दिल के भावों का स्पष्टीकरण नज़र आया है . आपकी इस ग़ज़ल में रुपेश जी की आवाज़ बहुत अच्छी लगी है तथा आपके शब्दों के इस्तेमाल से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ . मैं आशा करता हूँ की आप अपनी ग़ज़ल के माध्यम से हमें अपनी दिल की बात बताने में आगे भी सफल होगी .
Anonymous said…
Wah!!Shivaniji kya gazal likhi hai aapne.. Rupesh ji ne bhi apni gaayki mein kamaal kar dikhaya hai... Sangeet bahaut hee soothing hai..Aapse aage bhi aisi hee gazal ki apeksha rakhti hoon.. Meri taraf se aapko bahaut bahaut shubhkaamnayein.. Aaj se apki fan list mein mera naam bhi darz kar leejiye..
DEEPTI
Anonymous said…
ache lyrics h
dil ke karib h aur awaz bhi adiya h
in all a gud attempt
no v gud
Anonymous said…
प्रिय मित्रों,
सर्वप्रथम तो आप लोगों से इतनी देरी से जुङने के लिये
क्षमाप्रार्थी हूँ| आप लोगों ने जिस ह्रदय के साथ इस प्रयास
को सराहा है,मेरे पास आपका आभार व्यक्त करने के लिये
शब्द नहीं हैं|हाँ,अगर आपको ये प्रयास पसन्द आया है तो
ये शिवानी जी के शब्दों का जादू है, जहाँ तक मेरी बात है
तो मै इतना ही कह सकता हूँ कि....

गर श्रोताओं के दिल मे प्यार ना होता
तो दुनियाँ मे कोई भी कलाकार ना होता

आपकी शुभकामनाओं से मेरा बहुत उत्साहवर्धन हुआ है,
प्रयास करूँगा कि भविष्य मे और भी श्रेष्ठ संगीत दे सकूँ|
आपका अपना
रूपेश ऋषि..+91 9811688685
Amit said…
marvellous madam
how can u write and sing so much great.
are yaar tumne to kamal kar diya.
aap dono ki jugalbandi kafi achi thee.
ye tumahri fav. gazal me se thee jo aapne behtreen tareeke se gayee.
maine aapko pahli baar suna, bahut acha laga.
Best of luck for next gazals

your son & frnd
Amit Sharma
Mantra-Guru said…
Shivaniji, ek dil ko chhoo lene wali ghazal hai aapki. Jitni baar bhi suni jaaye ek nayapan isme jhalkta hai.
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...

बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
In lines ko maine kai baar suna. vastav meek-ek shabad. sahej kar rakhne layak hai.
Vijay Sharma
Chennai-09281302261
shivani said…
नमस्कार ,मैं सोच नही पा रही हूँ की आप सब का किन शब्दों में धनयवाद करूँ !मुझे बहुत खुशी है की आप सभी संगीत चप्रेमियों को मेरी ग़ज़ल पसंद आई !सच मानिए ,मैं इस ग़ज़ल के रिलीज़ होने से पहले बहुत ही नर्वस थी !अब आप सब का प्यार ,सहयोग और शुभकामनायें मुझे प्रेरित करने के लिए काफ़ी हैं....मैं एक गृहणी हूँ जो कभी कभी कागज़ पर लिख लेती हूँ और संगीत की मुझको बिल्कुल जानकारी नही है !हाँ बस ये कुछ शब्द हैं जो कभी कभी मेरे ज़हन में आते हैं और मैं उनको कागज़ पर उतार देती हूँ !आप सबने मुझे इतना सम्मान दिया ,मैं उसके लिए बहुत बहुत आभारी हूँ !कोई भी काम बिना टीम वर्क के अधूरा होता है !मेरे शब्द तो एक बीज के समान थे उनको रुपेश जी ने हवा और पानी के रूप में अपनी आवाज़ और संगीत दे कर एक सुंदर फूल खिलाया और सजीव जी न एक कुशल माली की तरह उसको एक आवाज़ की दुनिया में आपके सामने सजाया ,और इस फूल की सुगंध को दूर दूर तक महकाया !ये रुपेश जी और सजीव जी की महनत का फल है जो आज आपके सामने है !मैं तहे दिल से रुपेश जी ,सजीव जी और आवाज़ की पूरी टीम के साथ साथ आप सब का धन्यवाद करती हूँ और आशा करती हूँ की भविष्य में भी आपकी कसौटी पर खरी उतरूंगी !इतना आदर ,स्नेह ,प्यार और सहयोग के लिए में आप सबकी शुक्र guzaar हूँ !धन्यवाद
आवाज़ की अब तक की सबसे बेहतरीन प्रस्तुति
Anonymous said…
chale jana ghajal bahut hi achchhi lagi.hindyugm ke sare member ko salam karta hun jinke prayas se hindi ka unnati ho rahi he .THANKS A LOT

sunilkumarsonus@yahoo.com
kunal said…
wahh!!!shivani ji kya gazal pesh ki hai...maine pehli baar sachhe dil se koi gazal suni hai aur sach mano CHALE JAANE ko ji nahi kar raha hai...apke har shabd apki tarah hi, bade hi saaf aur khoobsurat hai..aur jis sundarta se rupesh ji ne gazal gayi hai uski jitni tareef ki jaaye utni kam hai...koi ho ya na ho i'm really inspired shivani ji....bas apse yahi asha hai ki aur bhi achi gazal sunne ko mile...meri taraf se apko aur Pahla Sur ko shubkamnaye....
alka said…
Shivani...congrats!!superb gazal!1apke bol aur rupesh ji ki avaaz bahut sunder hai..lyrical expression kamaal ke hai.. mere paas tareef karne ke liye shabdo ki kami rahti hai coz main apki tarah likhna nahi jaanti ..par aapki gazal ko bahut deeply suna hai......i really appreciate ur efforts & expression f ur feelings...keep it up!!!i'm sure u will reach 2 greater hites in the world of music.......
vinod said…
shivani ji,JAI SHREE RAM !!!!! itni pyari gazal likhi hai ...raat abhi baaki hai.. apne dil se shabd likhe hai..abhi to ye shuruat hai shivani ji!!apke bol aur soch itni madhur avaaz ke saath bahut uchhai tak jayegi..hum umeed karte hai ki aap sangeet ki duniya mainahivani ka naam roshan kare...jai shree ram!!
Razia mirza said…
जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
मगर पल दो पल का, साथ अभी बाकी है.
ठहर जाना
बहोत खूब। शिवानी सिंह का यह गीत और रूपेशकुमार की आवाज़ दोनों ने यह गीत को चार चाँद लगा दीये। अभिनंदन।
surinder said…
BAHUT BADIYA GHAZAL HAI
Excellent production. Congratulations to all involved people.
Keep it up!
Vikas,Vikkie,Yash,Urja,Renu mami,Manju Aunty,Anu said…
Bahut Khub Shivani ji... Dil ki gehraiyon se nikle hue aapke udgaar hamare dil-o-mastishk pe chha gaye hain... bhavaano ke sagar mei hum kho hi nai --- kataiyee doob gaye... aur aise doobe
ki do teen se saath le doobe... aapke shabd sunke humare dil se ek hi awaz aayi -----
" chooo kar mere mann ko kiya tune kiya ishara..." ....


gr8 job
keep it up....
Anonymous said…
Hi Shivani-ji,
It was a really nice experience to hear this Ghazal! Bahut hi khubsoorat lyrics hain...and it is well composed (music & voice).

Keep it up and look forward to the next one!
With lots of love,
-Pranjal
satyender said…
shivani ji itni khoobhsoorti se gazal gai hai ki baar baar sunne ko mann karta hai . bahut madhur sangeet aur avaaz , jise sunn kar manne kho gaya . keep it up..............satyender
nandita said…
namaste shivaniji!!! maine apki gazal suni..bohot he achi lagi...saara sach apne meethe shabdo mein bayan kar di...
keep up d gud work...
Ankur Dhaliwal said…
hi shivani ji... u r doing a good work, hope to see u in the list of top most lyricist one day..

ankur dhaliwal
"VISHAL" said…
sundar,karnapriy,
pooja said…
बेहद खुबसूरत ग़ज़ल , प्यारी और मधुर, और वैसे ही मधुर स्वर में गाई भी गयी है, शिवानी जी ,रुपेश ऋषि जी और हिंद युग्म को बहुत बहुत बधाई .
Artist Ajit said…
मेरे ख्यालों में तुम रोज आते हो,
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,

तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...


Bahot umda... dil ke massom ahsaso ko lafjo me pirone ka Shivaniji ka hoonar sach me kabil e tarif hai.

Ajit Pandey
Artist Ajit said…
मेरे ख्यालों में तुम रोज आते हो,
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,

तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...


Bahot umda... dil ke massom ahsaso ko lafjo me pirone ka Shivaniji ka hoonar sach me kabil e tarif hai.

Ajit Pandey

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट