अब के बिछडे तो शायद ख्वाबों में मिले,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले.
और वो शायर हमसे हमेशा के लिए बिछड़ गया, और अपने पीछे छोड़ गया एक ऐसा खालीपन जिसे भर पाना शायद कभी भी मुमकिन न हो. इस्मत चुगताई ने एक बार मोस्को में, उनसे मुलाकात के बाद कहा था - "अहमद फ़राज़ आम शायरों की तरह नही दिखता है, वह आधुनिक परिधान में रहता है, और उसे पार्टियों में महिलाओं संग नाचने से भी गुरेज नही है."
अहमद फ़राज़ ऐसे शायर थे, जिनका हर शेर आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत सरलता से छू जाता था. वह शायर सरहदों से परे था, और मोहब्बत को खुदा का दर्जा देता था. बीते सोमवार को ७७ साल की उम्र में उन्होंने अपने चाहने वालों से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उनके अन्तिम ३७ दिनों की यह दास्ताँ आवाज़ पर आप के लिए लाये हैं, जगदीप सिंह. सुनते हैं ये विशेष पॉडकास्ट, और उर्दू अदब के उस खुर्शीद को सलाम करें एक बार फ़िर, जिसकी रोशनायी की रोशनी कभी बुझ नही सकती .
अहमद फ़राज़ साहब को आवाज़ के समस्त टीम की भावभीनी श्रदांजली
हिन्द-युग्म पर प्रेमचंद ने भी उन्हें याद किया। पढ़ें।
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले.
और वो शायर हमसे हमेशा के लिए बिछड़ गया, और अपने पीछे छोड़ गया एक ऐसा खालीपन जिसे भर पाना शायद कभी भी मुमकिन न हो. इस्मत चुगताई ने एक बार मोस्को में, उनसे मुलाकात के बाद कहा था - "अहमद फ़राज़ आम शायरों की तरह नही दिखता है, वह आधुनिक परिधान में रहता है, और उसे पार्टियों में महिलाओं संग नाचने से भी गुरेज नही है."
अहमद फ़राज़ ऐसे शायर थे, जिनका हर शेर आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत सरलता से छू जाता था. वह शायर सरहदों से परे था, और मोहब्बत को खुदा का दर्जा देता था. बीते सोमवार को ७७ साल की उम्र में उन्होंने अपने चाहने वालों से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उनके अन्तिम ३७ दिनों की यह दास्ताँ आवाज़ पर आप के लिए लाये हैं, जगदीप सिंह. सुनते हैं ये विशेष पॉडकास्ट, और उर्दू अदब के उस खुर्शीद को सलाम करें एक बार फ़िर, जिसकी रोशनायी की रोशनी कभी बुझ नही सकती .
अहमद फ़राज़ साहब को आवाज़ के समस्त टीम की भावभीनी श्रदांजली
हिन्द-युग्म पर प्रेमचंद ने भी उन्हें याद किया। पढ़ें।
Comments
आप फ्लो में बोलते तो श्रोता भावों से और अच्छे तरह से जुड़ सकता था। लेकिन आपकी इस भावना को सलाम कि आप फ़राज़ को इस नायाब तरीके से श्रद्धाँजलि दे रहे हैं। हम श्रोता-पाठक को फ़राज़ के अंतिम दिनों की जानकारी मिली।
इसी तरह महान आत्माओं को सलाम करते रहें।
itne achhe matter ko itni ajeeb lahze main sunna bura laga
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले.