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संतूर को हम, बनारस घराने के पंडित बड़े रामदास जी की खोज कह सकते हैं, जिनके शिष्य रहे जम्मू कश्मीर के शास्त्रीय गायक पंडित उमा दत्त शर्मा को इस वाध्य में आपर संभावनाएं नज़र आयी. इससे पहले संतूर शत तंत्री वीणा यानी सौ तारों वाली वीणा के नाम से जाना जाता था, जिसके इस्तेमाल सूफियाना संगीत में अधिक होता था. उमा दत्त जी ने इस वाध्य पर
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पंडित जी ने बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर जोड़ी बनाई और हिन्दी फिल्मों को भी अपने संगीत से संवारकर एक नयी मिसाल कायम की, यशराज फिल्म्स की कुछ बेहतरीन फिल्में जैसे, सिलसिला (१९८१), चांदनी (१९८९), लम्हें (१९९१) और डर (१९९३) का संगीत आज भी हर संगीत प्रेमी के जेहन में ताज़ा है.
पेश है दोस्तों, पदम् विभूषण ( २००१ ) पंडित शिव कुमार शर्मा, संतूर पर बरसते बादलों का जादू बिखेरते हुए, आनंद लें इस विडियो का. १४ अगस्त २००८, को बंगलोर में हुए बरखा ऋतू संगीत समारोह से लिया गया है ये विडियो, जो हमें प्राप्त हुआ है अभिक मजुमदार की बदौलत जिन्हें इस समारोह को प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य मिला. यहाँ पंडित जी राग मेघ बजा रहे हैं, तबले पर संगत कर रहे हैं योगेश सामसी. विडियो ७ हिस्सों में हैं ( ३-३ मिनट की क्लिप ), कृपया एक के बाद एक देखें.
भाग-1
भाग-2
भाग-3
भाग-4
भाग-5
भाग-6
भाग-7
विडियो साभार- अभिक मजूमदार
सोत्र - इन्टरनेट
लेख संकलन - सजीव सारथी.
Comments
आप सारे के सारे पोस्ट फेवरेट में जोड़ने वाले बना रहे हैं। संगीत के प्रचार-प्रसार का आपका काम अनूठा है।
Waise video ko audio file mein convert ke lagayein to dial up connnection walon ko suvidha hogi.