शब्दों की चाक पर - एपिसोड 03
शब्दों की चाक पर निरंतर सज रही हैं कवितायेँ...इस बार हमने थीम दिया था अपने कवियों को "मानसून की आहटें", इससे पहले कि आप ग्रीष्म ऋतु में मानसून की आहटों पर कान धरे हमारे कवियों के मनो भाव सुनें आईये एक बार फिर समझ लें इस कार्यक्रम की रूप रेखा -
(नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)
या फिर यहाँ से डाउनलोड कर सुने
शब्दों की चाक पर निरंतर सज रही हैं कवितायेँ...इस बार हमने थीम दिया था अपने कवियों को "मानसून की आहटें", इससे पहले कि आप ग्रीष्म ऋतु में मानसून की आहटों पर कान धरे हमारे कवियों के मनो भाव सुनें आईये एक बार फिर समझ लें इस कार्यक्रम की रूप रेखा -
1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल यहाँ है.
2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश करेगें.
3. हर मंगलवार सुबह ९ से १० के बीच हम इसे अपलोड करेंगें आपके इस प्रिय जाल स्थल पर. अब शुरू होता है कार्यक्रम का दूसरा चरण. मंगलवार को इस पोडकास्ट के प्रसारण के तुरंत बाद से हमारे प्रिय श्रोता सुनी हुई कविताओं में से अपनी पसंद की कविता को वोट दे सकेंगें. सिर्फ कवियों का नाम न लिखें बल्कि ये भी बताएं कि अमुख कविता आपको क्यों सबसे बेहतर लगी. आपके वोट और हमारी टीम का निर्णय मिलकर फैसला करेंगें इस बात का कि कौन है हमारे सप्ताह का सरताज कवि.
चलिए अब लौटे हैं अनुराग शर्मा और अभिषेक ओझा की तरफ और आनंद लें मानसून की ठंडी ठंडी फुहारों का , और साथ में जानिये कि कौन है इस सप्ताह का सरताज कवि. सुनिए सुनाईये और छा जाईये...
(नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)
या फिर यहाँ से डाउनलोड कर सुने
Comments
मॉनसून की कविताओं से मन मयूर नाच उठा .... !!
डॉ सरस्वती माथुर
शीतल फुहार की तरह लगी आप की आवाज में प्रस्तुति अभिषेक जी + अनुराग जी ...आभार! एक चित्र खींच दिया आपने ! आपने मेरी कच्ची मिटटी सी कविताओं को आपने अपनी आवाजों के चाक से निखार दिया !डॉ सरस्वती माथुर
शिखाजी को बहुत बधाई !