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साजन की हो गयी गोरी...सुन्दर बाउल संगीत पर आधारित देवदास की अमर गाथा से ये गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 767/2011/207

'पुरवाई' शृंखला में इन दिनों आप आनन्द ले रहे हैं पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत के लोक संगीत पर आधारित हिन्दी फ़िल्मी गीतों का अपने दोस्त सुजॉय चटर्जी और साथी सजीव सारथी के साथ। आज हम जिस लोक-शैली की चर्चा करने जा रहे हैं उसे बंगाल में बाउल के नाम से जाना जाता है। बाउल एक धार्मिक गोष्ठी भी है और संगीत की एक शैली भी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बाउल में वैष्णव हिन्दू भी आते हैं और सूफ़ी मुसलमान भी। इस तरह से यह साम्प्रदायिक सदभाव का भी प्रतीक है। हालाँकि बाउल बंगाल की जनसंख्य का एक बहुत छोटा सा अंश है, पर बंगाल की संस्कृति में बाउल का महत्वपूर्ण योगदान है। सन् २००५ में बाउल शैली को UNESCO के 'Masterpieces of the Oral and Intangible Heritage of Humanity' की फ़ेहरिस्त में शामिल किया गया है। बाउल की शुरुआत कहाँ से और कब से हुई इसका सटीक पता नहीं चल पाया है, पर 'बाउल' शब्द बंगाली साहित्य में १५-वीं शताब्दी से ही पाया जाता है। बाउल संगीत एक प्रकार का लोक गीत है जिसमें हिन्दू भक्ति धारा और सूफ़ी संगीत, दोनों का प्रभाव है। बाउल गीतों में प्रयोग होने वाला मुख्य साज़ है इकतारा। इकतारे के बिना बाउल गीत सम्भव नहीं। इसके अलावा दोतारा, डुग्गी, ढोल, खोल, खरताल और मंजिरा और बांसुरी का भी प्रयोग होता है बाउल गीतों में।

बाउल लोक-गीतों की अपनी अलग पहचान होती है, इसे हम शब्दों में तो नहीं समझा सकते लेकिन यू-ट्युब में आप बंगला बाउल गीतों को सुन कर इस शैली का एक अन्दाज़ा लगा सकते हैं। हिन्दी फ़िल्मों में भी बाउल संगीत शैली का इस्तेमाल हुआ है जब जब बंगाल की पृष्ठभूमि पर फ़िल्में बनी हैं। बिमल राय की १९५५ की फ़िल्म 'देवदास' के लिए उन्होंने सलिल चौधरी की जगह सचिन देब बर्मन को बतौर संगीतकार चुना। इस फ़िल्म में दो गीत ऐसे थे जो बाउल संगीत शैली के थे। दोनों ही गीत मन्ना डे और गीता दत्त की आवाज़ों में था, इनमें से एक गीत "आन मिलो आन मिलो श्याम सांवरे" तो हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर सुनवा ही चुके हैं, दूसरा गीत है "साजन की हो गई गोरी"। क्यों न आज इसी गीत को सुना जाए! दिलीप कुमार, वैजयन्तीमाला और सुचित्रा सेन अभिनीत इस फ़िल्म की तमाम जानकारियाँ तो हम "आन मिलो श्याम सांवरे" गीत की कड़ी में ही दे दिया था; आज के प्रस्तुत गीत का फ़िल्मांकन कुछ इस तरह से किया गया है कि पारो (सुचित्रा सेन) आंगन में गुमसुम बैठी है, और एक बाउल जोड़ी उसकी तरफ़ इशारा करते हुए गाते हैं "साजन की हो गई गोरी, अब घर का आंगन बिदेस लागे रे"। साहिर लुधियानवी नें कितने सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है इस गीत में और बंगाल का वह बाउल परिवेश को कितनी सुन्दरता से उभारा गया है इस गीत में। २००२ के 'देवदास' में इस तरह का तो कोई गीत नहीं था, पर जसपिन्दर नरूला और श्रेया घोषाल के गाये "मोरे पिया" गीत के भाव से इस गीत का भाव थोड़ा बहुत मिलता जुलता है। तो आइए आनन्द लिया जाये "साजन की हो गई गोरी" का।



चलिए आज से खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
प्रेम धवन की कलम से निकले इस गीत के मुखड़े में शब्द है -"दीवाने"

पिछले अंक में
वाह अमित जी वाह, वैसे इस शब्द से शुरू होने वाले साहिर के और गीतों को खोजिये अच्छी रिसर्च हो जायेगी
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

दीवाने तुम , फिल्म बेजुबान
Naina deewane ek nahin maane
Film : Afsar (1950)
dhitang Dhitang Bole, Dil Tere Liye Dole

Movie : Awaaz
भई बहुत सारे गाने मिल रहे हैं इस शब्द से. कोई एक और हिंट भी तो दिया करिये.
Deewane Aa Zara Nazren Mila
Film: Bada Admi
indu puri said…
'Diwane tum' Film: Bezubaan[1962] Music:Chitragupt Lyrics:Prem ...
indu puri said…
kuchh meree najar madhosh hai, kuchh teree najar mastanee
milate hee yeh nigahe, mai toh hone lagee 'deevane'

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