ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 758/2011/198
‘आवाज’ के सभी पाठकों और श्रोताओं को अमित तिवारी का नमस्कार. लता जी का कायल हर संगीतकार था. मदन मोहन ने एक बार कहा था कि मैं इतनी मुश्किल धुनें बनाता हूँ कि लता के सिवा कोई और इन्हें नहीं गा सकता.
एक बार फिल्म उद्योग के साजिंदों की हड़ताल हुई थी तब संगीतकारों की मीटिंग में सचिन देव बर्मन कई बार पूछ चुके थे कि "भाई लोता गायेगा न?" साथी संगीतकार कहते "हाँ दादा", तो दादा यह कह कर फिर चुप हो जाते, "तो फिर हम ‘सेफ’ हैं."
लता जी की एक सबसे बड़ी खासियत है उनका दृढ निश्चय. कुछ लोग उन्हें इसके लिए अक्खड़ मानते हैं. उनके सिद्धांतों से उन्हें कोई नहीं डिगा सकता. उन्होंने पहले से ही तय कर रखा था कि फूहड़ व अश्लील शब्दों के प्रयोग वाले गीत वे नहीं गाएंगी.
राजकपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘संगम’ का गीत ‘मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया’, जैसे गाने को वे आज भी अपनी भारी भूल मानती हैं. उन्होंने अपने कॅरियर में केवल तीन कैबरे गीत गाए. ये तीन कैबरे गीत थे ‘मेरा नाम रीटा क्रिस्टीना’ (फिल्म-अप्रैल फूल, 1964), ‘मेरा नाम है जमीला’-( फिल्म-नाइट इन लंदन, 1967) एवं ‘आ जाने जां’-(फिल्म-इंतकाम, 1969).
वैसे यह लता जी की ही आवाज का कमाल था कि उनके गाये गानों की वजह से कई दूसरे दर्जे की फिल्में भी चल गयीं.
लता जी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी उतरीं. उन्होंने एक मराठी फिल्म बादल (1953), और तीन हिंदी फिल्मों, झांझर (1953, सहनिर्माता सी. रामचन्द्र), कंचन (1955), लेकिन (1989) का निर्माण किया.
सन १९६० एक फिल्म आयी थी ‘परख’. इस फिल्म का निर्देशन किया था बिमल रॉय ने. इसमें गाँव की गोरी की भूमिका में नायिका साधना के ऊपर फिल्माया गया एक आकर्षक धुन में पिरोया हुआ लता जी का गाया गीत. शैलेन्द्र की लेखनी से ये गीत निकला है और धुन बनाने के जिम्मेदार व्यक्ति हैं-सलिल चौधरी. इसमें कड़वे नीम का नाम इतनी मीठी चतुराई से लिए गया है कि वो भी मीठा सुनाई पढने लगता है. उसके अलावा गीत में आपको बकरियां अठखेलियाँ करती मिल जाएँगी. ब्लैक एंड वाईट युग की बकरियां आज की नयी फिल्मों की बालाओं से अच्छा नृत्य किया करती थी.
इस गाने के दो वर्जन आये थे. एक हिंदी में और दूसरा बांग्ला में. शैलेन्द्र द्वारा लिखे इस गाने को संगीत दिया था सलिल चौधरी ने.
बांग्ला में इसे गाया है सलिल चौधरी की पत्नी सबिता चौधरी ने. पहले इसे सुनिए -
हिंदी में इस गाने के बोल हैं:
मिला है किसी का झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
ओ सच्चे मोती वाला झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
सुनो क्या कहता है झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम टेल
मिला है किसी का झुमका
प्यार का हिंडोला यहाँ झूल गए नैना
सपने जो देखे मुझे भूल गए नैना
प्यार का हिंडोला यहाँ झूल गए नैना
सपने जो देखे मुझे भूल गए नैना
हाय रे बेचारा झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम टेल
हो मिला है किसी का झुमका
जीवन भर का नाता परदेसिया से जोड़ा
आप गाई पिया संग मुझे यहाँ छोड़ा
जीवन भर का नाता परदेसिया से जोड़ा
आप गई पीया संग मुझे यहाँ छोड़ा
पडा है अकेला झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
हो, मिला है किसी का झुमका
हाय री ये प्रीत की है रीत जाने कैसी
तन-मन हार जाने में है जीत जाने कैसी
हाय री ये प्रीत की है रीत जाने कैसी
तन-मन हार जाने में है जीत जाने कैसी
जाने ना बेचारा झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
हो, मिला है किसी का झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
मिला है किसी का झुमका
हिंदी वर्जन को गाया था लता जी ने. गाना कुछ इस तरह से है....
इन ३ सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. एल पी संगीत है गीत में.
२. लता की महकती आवाज़.
३. मुखड़े में "कोयल" का जिक्र है और फिल्म की शीर्षक भूमिका में है नायक जैकी श्रोफ़.
अब बताएं -
फिल्म का नाम बताएं - ३ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म की नायिका कौन हैं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम-
क्या बात है इतने आसान से गीत को भी लोह नहीं पहचान पाए :)
खोज व आलेख- अमित तिवारी
विशेष आभार - वाणी प्रकाशन
‘आवाज’ के सभी पाठकों और श्रोताओं को अमित तिवारी का नमस्कार. लता जी का कायल हर संगीतकार था. मदन मोहन ने एक बार कहा था कि मैं इतनी मुश्किल धुनें बनाता हूँ कि लता के सिवा कोई और इन्हें नहीं गा सकता.
एक बार फिल्म उद्योग के साजिंदों की हड़ताल हुई थी तब संगीतकारों की मीटिंग में सचिन देव बर्मन कई बार पूछ चुके थे कि "भाई लोता गायेगा न?" साथी संगीतकार कहते "हाँ दादा", तो दादा यह कह कर फिर चुप हो जाते, "तो फिर हम ‘सेफ’ हैं."
लता जी की एक सबसे बड़ी खासियत है उनका दृढ निश्चय. कुछ लोग उन्हें इसके लिए अक्खड़ मानते हैं. उनके सिद्धांतों से उन्हें कोई नहीं डिगा सकता. उन्होंने पहले से ही तय कर रखा था कि फूहड़ व अश्लील शब्दों के प्रयोग वाले गीत वे नहीं गाएंगी.
राजकपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘संगम’ का गीत ‘मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया’, जैसे गाने को वे आज भी अपनी भारी भूल मानती हैं. उन्होंने अपने कॅरियर में केवल तीन कैबरे गीत गाए. ये तीन कैबरे गीत थे ‘मेरा नाम रीटा क्रिस्टीना’ (फिल्म-अप्रैल फूल, 1964), ‘मेरा नाम है जमीला’-( फिल्म-नाइट इन लंदन, 1967) एवं ‘आ जाने जां’-(फिल्म-इंतकाम, 1969).
वैसे यह लता जी की ही आवाज का कमाल था कि उनके गाये गानों की वजह से कई दूसरे दर्जे की फिल्में भी चल गयीं.
लता जी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी उतरीं. उन्होंने एक मराठी फिल्म बादल (1953), और तीन हिंदी फिल्मों, झांझर (1953, सहनिर्माता सी. रामचन्द्र), कंचन (1955), लेकिन (1989) का निर्माण किया.
सन १९६० एक फिल्म आयी थी ‘परख’. इस फिल्म का निर्देशन किया था बिमल रॉय ने. इसमें गाँव की गोरी की भूमिका में नायिका साधना के ऊपर फिल्माया गया एक आकर्षक धुन में पिरोया हुआ लता जी का गाया गीत. शैलेन्द्र की लेखनी से ये गीत निकला है और धुन बनाने के जिम्मेदार व्यक्ति हैं-सलिल चौधरी. इसमें कड़वे नीम का नाम इतनी मीठी चतुराई से लिए गया है कि वो भी मीठा सुनाई पढने लगता है. उसके अलावा गीत में आपको बकरियां अठखेलियाँ करती मिल जाएँगी. ब्लैक एंड वाईट युग की बकरियां आज की नयी फिल्मों की बालाओं से अच्छा नृत्य किया करती थी.
इस गाने के दो वर्जन आये थे. एक हिंदी में और दूसरा बांग्ला में. शैलेन्द्र द्वारा लिखे इस गाने को संगीत दिया था सलिल चौधरी ने.
बांग्ला में इसे गाया है सलिल चौधरी की पत्नी सबिता चौधरी ने. पहले इसे सुनिए -
हिंदी में इस गाने के बोल हैं:
मिला है किसी का झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
ओ सच्चे मोती वाला झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
सुनो क्या कहता है झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम टेल
मिला है किसी का झुमका
प्यार का हिंडोला यहाँ झूल गए नैना
सपने जो देखे मुझे भूल गए नैना
प्यार का हिंडोला यहाँ झूल गए नैना
सपने जो देखे मुझे भूल गए नैना
हाय रे बेचारा झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम टेल
हो मिला है किसी का झुमका
जीवन भर का नाता परदेसिया से जोड़ा
आप गाई पिया संग मुझे यहाँ छोड़ा
जीवन भर का नाता परदेसिया से जोड़ा
आप गई पीया संग मुझे यहाँ छोड़ा
पडा है अकेला झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
हो, मिला है किसी का झुमका
हाय री ये प्रीत की है रीत जाने कैसी
तन-मन हार जाने में है जीत जाने कैसी
हाय री ये प्रीत की है रीत जाने कैसी
तन-मन हार जाने में है जीत जाने कैसी
जाने ना बेचारा झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
हो, मिला है किसी का झुमका
ठन्डे ठन्डे हरे हरे नीम तले
मिला है किसी का झुमका
हिंदी वर्जन को गाया था लता जी ने. गाना कुछ इस तरह से है....
इन ३ सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. एल पी संगीत है गीत में.
२. लता की महकती आवाज़.
३. मुखड़े में "कोयल" का जिक्र है और फिल्म की शीर्षक भूमिका में है नायक जैकी श्रोफ़.
अब बताएं -
फिल्म का नाम बताएं - ३ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म की नायिका कौन हैं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम-
क्या बात है इतने आसान से गीत को भी लोह नहीं पहचान पाए :)
खोज व आलेख- अमित तिवारी
विशेष आभार - वाणी प्रकाशन
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
क्या करू?ऐसिच हूँ मैं तो
मुझे मालुम था अमित जी कमाल का धमाल करेंगे.रात तीन बजे तक उनके आर्टिकल्स पद्धति रही और गाने सुनती रही.आवाज़ यूँ ही मेरा प्रिय ब्लॉग नही बन गया है!
'अजनबी से बनके करो न किनारा,खुदारा इधर भी देखो इधर भी खुदारा' सुनना चाहती हूँ.हा हा हा
अमित जी कमाल करते हो ! क्या लिखू?क्या कहूँ?
..............
ब्लैक एंड वाईट युग की बकरियां आज की नयी फिल्मों की बालाओं से अच्छा नृत्य किया करती थी.'
हा हा हा