ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 653/2011/93
गायक गायिकाओं की हँसी इन दिनों आप सुन रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला 'गान और मुस्कान' के अंतर्गत। आज बारी लता मंगेशकर की हँसी सुनने की। कल का जो गीत था उसमें चुपके से सपने में आने की बात कही गई थी और आज जो गीत लेकर हम आये हैं, उसका भी भाव कुछ कुछ इसी तरह का है। नायिका शिकायत कर रही है कि नायक उनके सपनों में आते हैं जिस वजह से कभी वो नींद में उठकर चलती है तो कभी सोफ़े से गिर पड़ती है, तो कभी नायक का हाथ समझ कर सोफ़े का पाया ही पकड़ लेती है। जी हाँ, फ़िल्म 'गोलमाल' का यह गीत है "एक बात कहूँ गर मानो तुम, सपनों में न आना जानो तुम, मैं नींद में उठके चलती हूँ, जब देखती हूँ सच मानो तुम"। गुलज़ार और पंचम की जोड़ी का कमाल। वैसे इस गीत की तरफ़ लोगों का ध्यान ज़रा कम कम ही रहा है। 'गोलमाल' के नाम से लोग ज़्यादा "आने वाला पल जाने वाला है" को ही याद करते हैं। लेकिन गुणवत्ता में यह गीत भी कुछ कम नहीं है। इसमें गुलज़ार साहब नें बड़े ही सीधे बोलचाल जैसी भाषा का इस्तमाल करते हुए हास्य रस में डूबो डूबो कर गीत पेश किया है। जैसे कि एक अंतरे में नायिका गाती हैं "कल भी हुआ कि तुम गुज़रे थे पास से, थोड़े से अनमने, थोड़े उदास से, भागी थी मनाने नींद में लेकिन सोफ़े से गिर पड़ी..."। जिस गीत में भी कल्पना की बात आती है, ऐसे गीतों में गुलज़ार साहब को पूरी छूट मिल जाती है और वो पता नहीं अपनी सृजनशीलता को किस हद तक लेकर चले जाते हैं। रोमांटिक कॉमेडी का अनोखा उदाहरण है बिंदिया गोस्वामी पर फ़िल्माया यह गीत। इस गीत का सिचुएशन है कि अमोल पालेकर बिंदिया को गीत सिखाने आये हैं, और बिंदिया उन्हें यह गीत गा कर सुना रही है, और इस गीत में वो अपने पहले पहले प्यार के गुदगुदाने वाले अनुभवों का वर्णन भी कर रही है।
'गोलमाल' फ़िल्म तो पूर्णत: उत्पल दत्त, अमोल पालेकर और दीना पाठक की फ़िल्म थी, लेकिन नायिका के रूप में बिंदिया गोस्वामी नें भी अच्छी अदाकारी प्रस्तुत की थी। बिंदिया गोस्वामी का किरदार था उर्मिला का, जो एक मॉडर्ण लड़की है और जिसके पिता एक पुराने आदर्शों वाले इंसान भवानीशंकर (उत्पल दत्त) हैं। इस फ़िल्म के बारे में कुछ बताने की तो ज़रूरत ही नहीं, हिंदी सिनेमा के इस स्तंभ हास्य फ़िल्म को आप सभी नें देखा ही होगा, और एक बार नहीं बल्कि कई कई बार देखा होगा, और हर बार हँस हँस कर लोट पोट भी हो गये होंगे। आज के प्रस्तुत गीत को सुनते हुए भले ही आप हँस हँस कर लोट-पोट न हों, लेकिन लता जी की हँसी ही इस गीत का X-factor है जिसनें गीत को चार चांद लगा दी है। ऐसा हमने पहले भी कहा था, आज दोहरा रहे हैं कि लता जी की गाती हुई या बोलती हुई आवाज़ जितनी सुरीली है, उतना ही मनमोहक है उनकी हँसी। और उनकी इस ख़ासीयत को भी संगीतकारों नें एक्स्प्लॉएट करना नहीं भूले। कई गीतों में उनकी हँसी, उनकी मुस्कुराहट सुनाई दी है, और आज के गीत के अलावा भी आगे चलकर इसी शृंखला में लता जी की हँसी आप दो और गीतों में सुन सकते हैं। अभी हाल ही में एक फ़िल्म बनी है 'सतरंगी पैराशूट', जिसकी समीक्षा हम 'ताज़ा सुर ताल' में प्रस्तुत कर चुके हैं, इस फ़िल्म में लता जी नें न केवल आठ वर्षीय बच्चे का पार्श्वगायन किया है "तेरे हँसने से" गीत में, बल्कि इस गीत में जब वो "हँसने" शब्द को गाती हैं, तो उसमें उनकी हँसी भी सुनाई देती है। लता जी की इसी मधुर हँसी पर तो जैसे मर मिटने को जी चाहता है, और ईश्वर से यही प्रार्थना है कि लता जी के होठों पर मुस्कुराहट और हँसी सदा कायम रहे। आइए सुनें आज का यह गीत।
क्या आप जानते हैं...
कि बिंदिया गोस्वामी को सब से पहले हेमा मालिनी की माँ नें एक पार्टी में खोज निकाला था। उन्हें लगा कि बिंदिया की शक्ल हेमा से मिलती जुलती है और वो भी फ़िल्म जगत में नाम कमा सकती है। बिंदिया की पहली फ़िल्म थी 'जीवन ज्योति', जिसमें उनके नायक थे विजय अरोड़ा।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 03/शृंखला 16
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - प्रेम धवन का लिखा है ये गीत.
सवाल १ - संगीतकार बताएं - ३ अंक
सवाल २ - किस अभिनेता पर है ये गीत - २ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अमित अनजाना प्रतीक शरद (जी सबमें कोमन मानिये) सभी को बधाई. कोई चुपके से आके गीत को लेकर अमित जी ने कुछ संशय व्यक्त किये हैं, हम पता लगा रहे हैं पक्के सूत्रों से थोडा सा इन्तेज़ार
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
गायक गायिकाओं की हँसी इन दिनों आप सुन रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला 'गान और मुस्कान' के अंतर्गत। आज बारी लता मंगेशकर की हँसी सुनने की। कल का जो गीत था उसमें चुपके से सपने में आने की बात कही गई थी और आज जो गीत लेकर हम आये हैं, उसका भी भाव कुछ कुछ इसी तरह का है। नायिका शिकायत कर रही है कि नायक उनके सपनों में आते हैं जिस वजह से कभी वो नींद में उठकर चलती है तो कभी सोफ़े से गिर पड़ती है, तो कभी नायक का हाथ समझ कर सोफ़े का पाया ही पकड़ लेती है। जी हाँ, फ़िल्म 'गोलमाल' का यह गीत है "एक बात कहूँ गर मानो तुम, सपनों में न आना जानो तुम, मैं नींद में उठके चलती हूँ, जब देखती हूँ सच मानो तुम"। गुलज़ार और पंचम की जोड़ी का कमाल। वैसे इस गीत की तरफ़ लोगों का ध्यान ज़रा कम कम ही रहा है। 'गोलमाल' के नाम से लोग ज़्यादा "आने वाला पल जाने वाला है" को ही याद करते हैं। लेकिन गुणवत्ता में यह गीत भी कुछ कम नहीं है। इसमें गुलज़ार साहब नें बड़े ही सीधे बोलचाल जैसी भाषा का इस्तमाल करते हुए हास्य रस में डूबो डूबो कर गीत पेश किया है। जैसे कि एक अंतरे में नायिका गाती हैं "कल भी हुआ कि तुम गुज़रे थे पास से, थोड़े से अनमने, थोड़े उदास से, भागी थी मनाने नींद में लेकिन सोफ़े से गिर पड़ी..."। जिस गीत में भी कल्पना की बात आती है, ऐसे गीतों में गुलज़ार साहब को पूरी छूट मिल जाती है और वो पता नहीं अपनी सृजनशीलता को किस हद तक लेकर चले जाते हैं। रोमांटिक कॉमेडी का अनोखा उदाहरण है बिंदिया गोस्वामी पर फ़िल्माया यह गीत। इस गीत का सिचुएशन है कि अमोल पालेकर बिंदिया को गीत सिखाने आये हैं, और बिंदिया उन्हें यह गीत गा कर सुना रही है, और इस गीत में वो अपने पहले पहले प्यार के गुदगुदाने वाले अनुभवों का वर्णन भी कर रही है।
'गोलमाल' फ़िल्म तो पूर्णत: उत्पल दत्त, अमोल पालेकर और दीना पाठक की फ़िल्म थी, लेकिन नायिका के रूप में बिंदिया गोस्वामी नें भी अच्छी अदाकारी प्रस्तुत की थी। बिंदिया गोस्वामी का किरदार था उर्मिला का, जो एक मॉडर्ण लड़की है और जिसके पिता एक पुराने आदर्शों वाले इंसान भवानीशंकर (उत्पल दत्त) हैं। इस फ़िल्म के बारे में कुछ बताने की तो ज़रूरत ही नहीं, हिंदी सिनेमा के इस स्तंभ हास्य फ़िल्म को आप सभी नें देखा ही होगा, और एक बार नहीं बल्कि कई कई बार देखा होगा, और हर बार हँस हँस कर लोट पोट भी हो गये होंगे। आज के प्रस्तुत गीत को सुनते हुए भले ही आप हँस हँस कर लोट-पोट न हों, लेकिन लता जी की हँसी ही इस गीत का X-factor है जिसनें गीत को चार चांद लगा दी है। ऐसा हमने पहले भी कहा था, आज दोहरा रहे हैं कि लता जी की गाती हुई या बोलती हुई आवाज़ जितनी सुरीली है, उतना ही मनमोहक है उनकी हँसी। और उनकी इस ख़ासीयत को भी संगीतकारों नें एक्स्प्लॉएट करना नहीं भूले। कई गीतों में उनकी हँसी, उनकी मुस्कुराहट सुनाई दी है, और आज के गीत के अलावा भी आगे चलकर इसी शृंखला में लता जी की हँसी आप दो और गीतों में सुन सकते हैं। अभी हाल ही में एक फ़िल्म बनी है 'सतरंगी पैराशूट', जिसकी समीक्षा हम 'ताज़ा सुर ताल' में प्रस्तुत कर चुके हैं, इस फ़िल्म में लता जी नें न केवल आठ वर्षीय बच्चे का पार्श्वगायन किया है "तेरे हँसने से" गीत में, बल्कि इस गीत में जब वो "हँसने" शब्द को गाती हैं, तो उसमें उनकी हँसी भी सुनाई देती है। लता जी की इसी मधुर हँसी पर तो जैसे मर मिटने को जी चाहता है, और ईश्वर से यही प्रार्थना है कि लता जी के होठों पर मुस्कुराहट और हँसी सदा कायम रहे। आइए सुनें आज का यह गीत।
क्या आप जानते हैं...
कि बिंदिया गोस्वामी को सब से पहले हेमा मालिनी की माँ नें एक पार्टी में खोज निकाला था। उन्हें लगा कि बिंदिया की शक्ल हेमा से मिलती जुलती है और वो भी फ़िल्म जगत में नाम कमा सकती है। बिंदिया की पहली फ़िल्म थी 'जीवन ज्योति', जिसमें उनके नायक थे विजय अरोड़ा।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 03/शृंखला 16
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - प्रेम धवन का लिखा है ये गीत.
सवाल १ - संगीतकार बताएं - ३ अंक
सवाल २ - किस अभिनेता पर है ये गीत - २ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अमित अनजाना प्रतीक शरद (जी सबमें कोमन मानिये) सभी को बधाई. कोई चुपके से आके गीत को लेकर अमित जी ने कुछ संशय व्यक्त किये हैं, हम पता लगा रहे हैं पक्के सूत्रों से थोडा सा इन्तेज़ार
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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