ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 660/2011/100
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! गायक गायिकाओं की हँसी का मज़ा लेते हुए 'गान और मुस्कान' लघु शृंखला की अंतिम कड़ी में आज हम आ पहुँचे हैं। इस आख़िरी कड़ी के लिए हमने वह गीत चुना है जिसमें लता जी सब से ज़्यादा हँसती हुई सुनाई देती हैं, यानी कि सबसे ज़्यादा अवधि के लिए उनकी हँसी सुनाई दी है इस गीत में। सुरेश वाडकर के साथ उनका गाया यह है १९८२ की फ़िल्म 'प्रेम-रोग' का गीत "भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर"। फ़िल्म में सिचुएशन कुछ ऐसा था कि नायिका (पद्मिनी कोल्हापुरी) विवाह की पहली ही रात में विधवा हो जाती है और कुछ ही दिनों में ससुराल को छोड़ कर मायके वापस आने के लिए मजबूर हो जाती है। मायके में भी उसका आदर-सम्मान नहीं होता और एक दुखभरी जीवन गुज़ारने लगती है। ऐसे में उसके चेहरे पर मुस्कान वापस लाता है उसका बचपन का साथी (ऋषी कपूर)। किसी बहाने से जब पद्मिनी ऋषी के साथ घर से बाहर निकलती है, एक अरसे के बाद जब खुली हवा में सांस लेती है, हरे लहलहाते खेतों में दौड़ती-भागती है, ऐसे में किसका मन ख़ुशी के मारे मुस्कुराएगा नहीं। जो एक खुले दिल से हँसने वाली बात होती है, उस हँसी की ज़रूरत थी इस गीत में, और लता जी नें उसे पूरा पूरा निभाया है इस गीत में। गीत तो आपने कई कई बार सुना होगा, आज इस शृंखला में एक बार फिर से इस गीत को सुन कर देखिए, मज़ा कुछ बढ़के ही आयेगा।
राज कपूर की फ़िल्म 'प्रेम रोग' में संगीत था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का। प्रस्तुत गीत के गीतकार हैं पंडित नरेंद्र शर्मा। जो सिचुएशन अभी उपर हमनें उपर बताया, उस पर कितना सुंदर गीत पंडित जी नें लिखा है। मुखड़ा तो है ही कमाल का, अंतरों में भी कितना सुंदर वर्णन है। इस तरह की अभिव्यक्ति को हिंदी व्याकारण में अन्योक्ति अलंकार कहते हैं। यानी कि शब्द कुछ कहे जा रहे हैं, लेकिन इशारा किसी और बात पर है। हिंदी के शुद्ध शब्दों के प्रयोग से गीत में और भी मधुरता आ गई है। और बाकी की मधुरता लता और सुरेश की आवाज़ों नें ला दी है। कुल मिलाकर एक सदाबहार गीत है "भँवरे ने खिलाया फूल"। पंडित जी की सुपुत्री लावण्या शाह इंटरनेट पर सक्रीय हैं। उनका साक्षात्कार आप 'हिंद-युग्म' पर पहले भी पढ़ चुके हैं, और बहुत जल्द 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में भी एक अलग अंदाज़ में पढ़ने वाले हैं। लेकिन आज यहाँ पर हम पंडित जी का वह इंट्रोडक्शन पढ़ेंगे जो इंट्रो विविध भारती नें पंडित जी द्वारा प्रस्तुत 'जयमाला' कार्यक्रम की शुरुआत में दिया था - "आज की 'जयमाला गोल्ड' में हम आपको उस शख़्स की रेकॉर्डिंग् सुनवा रहे हैं जिन्हें श्रेय है भारत के सब से लोकप्रिय रेडियो चैनल विविध भारती को शुरु करने का। इस सेवा को 'विविध भारती' नाम इन्होंने ही दिया था। इनको हम सब जानते हैं पंडित नरेन्द्र शर्मा के नाम से। २ अक्तुबर १९५७ को जब विविध भारती के प्रसारण की शुरुआत हुई तो पंडित नरेन्द्र शर्मा नियुक्त हुए विविध भारती के चीफ़ प्रोड्युसर। १९१३ में २८ फ़रवरी को उत्तर प्रदेश के एक गाँव जहांगीरपुर में जन्मे नरेन्द्र शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे - कविता, फ़िल्मी गीत लेखन, दर्शन, आयुर्वेद, ज्योतिष, सब में उनकी गहन रुचि थी। पंडित नरेन्द्र शर्मा हिंदी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेज़ी के विद्वान थे। सन् १९३३ मे साहित्यकार भगवती चरण वर्मा पंडित नरेन्द्र शर्मा को अपने साथ मुंबई लवा लाये। मुंबई में ही पंडित शर्मा जुड़े फ़िल्मों से एक गीतकार के रूप में। गीतकार के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी बॉम्बे टॉकीज़ की 'हमारी बात'। आपनें फ़िल्म 'मालती माधव' की पटकथा भी लिखी थी। 'ज्वार भाटा', 'सती अहल्या', 'अन्याय', 'श्री कृष्ण दर्शन', 'वीणा', 'बनवासी', 'सजनी', 'चार आँखें', 'भाभी की चूड़ियाँ', 'अदालत', 'प्रेम रोग' और 'सत्यम शिवम सुंदरम' आदि फ़िल्मों में उन्होंने गीत लिखे।" दोस्तों, यह तो था एक छोटा सा परिचय पंडित जी का। जैसा कि हमनें बताया, बहुत जल्द उन पर एक विस्तारित साक्षात्कार हम आप तक पहुँचाएंगे, इसी वादे के साथ आप आज का यह गीत सुनिये और मुझे अनुमति दीजिए 'गान और मुस्कान' शृंखला को समाप्त करने की। शनिवार की शाम विशेषांक के साथ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के महफ़िल की शमा जलाने हाज़िर हो जाउँगा, पधारिएगा ज़रूर, नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि राज कपूर और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जो नाता 'बॉबी' से शुरु हुआ था, वह 'प्रेम रोग' पर आकर टूट गया।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 1/शृंखला 17
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक मशहूर गीतकार के आरंभिक गीतों (संभवतः पहला गीत) में से एक.
सवाल १ - किस गायिका की आवाज़ में है ये - ३ अंक
सवाल २ - फिल्म की नायिका कौन है - २ अंक
सवाल ३ - संगीतकार बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
बहुत दिनों बाद किसी शृंखला में टाई हुआ है, वैसे अनजाना जी जीत सकते थे आसानी से, पर खैर हम अमित जी और अनजाना जी को सयुंक्त रूप से बधाई देते हुए अगली शृंखला के लिए शुभकामनाएँ भी दिए देते हैं
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार! गायक गायिकाओं की हँसी का मज़ा लेते हुए 'गान और मुस्कान' लघु शृंखला की अंतिम कड़ी में आज हम आ पहुँचे हैं। इस आख़िरी कड़ी के लिए हमने वह गीत चुना है जिसमें लता जी सब से ज़्यादा हँसती हुई सुनाई देती हैं, यानी कि सबसे ज़्यादा अवधि के लिए उनकी हँसी सुनाई दी है इस गीत में। सुरेश वाडकर के साथ उनका गाया यह है १९८२ की फ़िल्म 'प्रेम-रोग' का गीत "भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर"। फ़िल्म में सिचुएशन कुछ ऐसा था कि नायिका (पद्मिनी कोल्हापुरी) विवाह की पहली ही रात में विधवा हो जाती है और कुछ ही दिनों में ससुराल को छोड़ कर मायके वापस आने के लिए मजबूर हो जाती है। मायके में भी उसका आदर-सम्मान नहीं होता और एक दुखभरी जीवन गुज़ारने लगती है। ऐसे में उसके चेहरे पर मुस्कान वापस लाता है उसका बचपन का साथी (ऋषी कपूर)। किसी बहाने से जब पद्मिनी ऋषी के साथ घर से बाहर निकलती है, एक अरसे के बाद जब खुली हवा में सांस लेती है, हरे लहलहाते खेतों में दौड़ती-भागती है, ऐसे में किसका मन ख़ुशी के मारे मुस्कुराएगा नहीं। जो एक खुले दिल से हँसने वाली बात होती है, उस हँसी की ज़रूरत थी इस गीत में, और लता जी नें उसे पूरा पूरा निभाया है इस गीत में। गीत तो आपने कई कई बार सुना होगा, आज इस शृंखला में एक बार फिर से इस गीत को सुन कर देखिए, मज़ा कुछ बढ़के ही आयेगा।
राज कपूर की फ़िल्म 'प्रेम रोग' में संगीत था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का। प्रस्तुत गीत के गीतकार हैं पंडित नरेंद्र शर्मा। जो सिचुएशन अभी उपर हमनें उपर बताया, उस पर कितना सुंदर गीत पंडित जी नें लिखा है। मुखड़ा तो है ही कमाल का, अंतरों में भी कितना सुंदर वर्णन है। इस तरह की अभिव्यक्ति को हिंदी व्याकारण में अन्योक्ति अलंकार कहते हैं। यानी कि शब्द कुछ कहे जा रहे हैं, लेकिन इशारा किसी और बात पर है। हिंदी के शुद्ध शब्दों के प्रयोग से गीत में और भी मधुरता आ गई है। और बाकी की मधुरता लता और सुरेश की आवाज़ों नें ला दी है। कुल मिलाकर एक सदाबहार गीत है "भँवरे ने खिलाया फूल"। पंडित जी की सुपुत्री लावण्या शाह इंटरनेट पर सक्रीय हैं। उनका साक्षात्कार आप 'हिंद-युग्म' पर पहले भी पढ़ चुके हैं, और बहुत जल्द 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में भी एक अलग अंदाज़ में पढ़ने वाले हैं। लेकिन आज यहाँ पर हम पंडित जी का वह इंट्रोडक्शन पढ़ेंगे जो इंट्रो विविध भारती नें पंडित जी द्वारा प्रस्तुत 'जयमाला' कार्यक्रम की शुरुआत में दिया था - "आज की 'जयमाला गोल्ड' में हम आपको उस शख़्स की रेकॉर्डिंग् सुनवा रहे हैं जिन्हें श्रेय है भारत के सब से लोकप्रिय रेडियो चैनल विविध भारती को शुरु करने का। इस सेवा को 'विविध भारती' नाम इन्होंने ही दिया था। इनको हम सब जानते हैं पंडित नरेन्द्र शर्मा के नाम से। २ अक्तुबर १९५७ को जब विविध भारती के प्रसारण की शुरुआत हुई तो पंडित नरेन्द्र शर्मा नियुक्त हुए विविध भारती के चीफ़ प्रोड्युसर। १९१३ में २८ फ़रवरी को उत्तर प्रदेश के एक गाँव जहांगीरपुर में जन्मे नरेन्द्र शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे - कविता, फ़िल्मी गीत लेखन, दर्शन, आयुर्वेद, ज्योतिष, सब में उनकी गहन रुचि थी। पंडित नरेन्द्र शर्मा हिंदी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेज़ी के विद्वान थे। सन् १९३३ मे साहित्यकार भगवती चरण वर्मा पंडित नरेन्द्र शर्मा को अपने साथ मुंबई लवा लाये। मुंबई में ही पंडित शर्मा जुड़े फ़िल्मों से एक गीतकार के रूप में। गीतकार के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी बॉम्बे टॉकीज़ की 'हमारी बात'। आपनें फ़िल्म 'मालती माधव' की पटकथा भी लिखी थी। 'ज्वार भाटा', 'सती अहल्या', 'अन्याय', 'श्री कृष्ण दर्शन', 'वीणा', 'बनवासी', 'सजनी', 'चार आँखें', 'भाभी की चूड़ियाँ', 'अदालत', 'प्रेम रोग' और 'सत्यम शिवम सुंदरम' आदि फ़िल्मों में उन्होंने गीत लिखे।" दोस्तों, यह तो था एक छोटा सा परिचय पंडित जी का। जैसा कि हमनें बताया, बहुत जल्द उन पर एक विस्तारित साक्षात्कार हम आप तक पहुँचाएंगे, इसी वादे के साथ आप आज का यह गीत सुनिये और मुझे अनुमति दीजिए 'गान और मुस्कान' शृंखला को समाप्त करने की। शनिवार की शाम विशेषांक के साथ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के महफ़िल की शमा जलाने हाज़िर हो जाउँगा, पधारिएगा ज़रूर, नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि राज कपूर और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जो नाता 'बॉबी' से शुरु हुआ था, वह 'प्रेम रोग' पर आकर टूट गया।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 1/शृंखला 17
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक मशहूर गीतकार के आरंभिक गीतों (संभवतः पहला गीत) में से एक.
सवाल १ - किस गायिका की आवाज़ में है ये - ३ अंक
सवाल २ - फिल्म की नायिका कौन है - २ अंक
सवाल ३ - संगीतकार बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
बहुत दिनों बाद किसी शृंखला में टाई हुआ है, वैसे अनजाना जी जीत सकते थे आसानी से, पर खैर हम अमित जी और अनजाना जी को सयुंक्त रूप से बधाई देते हुए अगली शृंखला के लिए शुभकामनाएँ भी दिए देते हैं
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
It's high time, and we ( I and Amit) should give the chance to others as well.
What say Amit ? Shall we take a one week break and see, who tops the chart this time :)
सभी लोगों को शुभकामनाएँ.