ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 655/2011/95
'गान और मुस्कान' शृंखला में इन दिनों आप सुन रहे हैं कुछ ऐसी फ़िल्मी रचनाएँ जिनमें गायक की हँसी सुनाई पड़ती है। गायिका आशा भोसले के गायकी के कई आयाम हैं, हर तरह के गीत गाने में वो सक्षम हैं, गायन की कोई ऐसी विधि नहीं जिसको उन्होंने आज़माया न हो। शास्त्रीय, पाश्चात्य, भजन, ग़ज़ल, क़व्वाली, देशभक्ति, मुजरा, शरारती, सेन्सुअस, लोक-संगीत आधारित, हर वर्ग में उन्होंने शीर्ष पर अपने आप को पहुँचाया है। उनकी आवाज़ में जो लोच है, जो खनक है, जो शोख़ी है, वही उनको दूसरी गायिकाओं से अलग करती हैं। गायन तो गायन, उनकी हँसी भी कातिलाना है। आशा जी नें भी बहुत से गीतों में अपनी हँसी बिखेरी है, जिनमें से कुछ गीत छेड़-छाड़ वाले हैं, तो कुछ हल्के फुल्के रोमांटिक कॉमेडी वाले, कुछ सेन्सुअस या मादक, और कुछ गीत ऐसे भी हैं जिनमें वो खुले दिल से हँसती हैं, और ऐसी हँसी हैं कि सुनने वाला भी कुछ देर के लिए अपने सारे ग़म भूल जाये! ऐसा ही एक गीत है १९७२ की फ़िल्म 'एक बार मुस्कुरा दो' का, जिसमें उनसे अनुरोध तो किया जा रहा है मुस्कुराने की, पर वो हँसती हैं, पूरे खुले दिल से हँसती हैं। मुकेश के साथ गाया यह युगल गीत इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है। "चेहरे से ज़रा आंचल जब आपने सरकाया, दुनिया ये पुकार उठी लो चांद निकल आया"; नायक का नायिका की ख़ूबसूरती की तारीफ़ फ़िल्मी गीतों की एक प्रचलित शैली रही है और यह गीत भी उन्हीं में से एक है।
'एक बार मुस्कुरा दो' फ़िल्म के संगीतकार थे ओ. पी. नय्यर। ओ. पी. नय्यर की पहली पसंद हमेशा मोहम्मद रफ़ी ही रहे हैं, लेकिन जब दोनों में कुछ अन-बन हो गई थी, तब मजबूरन नय्यर साहब को अन्य गायकों की तरफ़ झुकना ही पड़ा। १९६९ की उनकी फ़िल्म 'संघर्ष' में उन्होंने हेमन्त कुमार, महेन्द्र कपूर और मुकेश से गीत गवाये। मुकेश की आवाज़ में इस फ़िल्म का "चल अकेला, तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला" सब से लोकप्रिय गीत साबित हुआ और इस गीत की लोकप्रियता को देख कर नय्यर साहब ख़ुद भी चौंक गये थे। नय्यर साहब, जो मुकेश की आवाज़ से हमेशा परहेज़ ही करते आये हैं, जब उन्होंने देखा कि मुकेश का यह गीत 'बिनाका गीत माला' में लगातार १९ हफ़्तों से शीर्ष पायदान पर विराजमान है, तब जाकर उन्हें मुकेश की लोकप्रियता और महत्व का अहसास हुआ। इसके तीन साल बाद जब 'एक बार मुस्कुरा दो' की प्लान बनी तो गायक के लिए मुकेश और किशोर कुमार के नाम चुने गये। भले ही नय्यर साहब नें इन दो गायकों की कभी तारीफ़ नहीं की और इस फ़िल्म के गीतों के रेकॉर्डिंग् के बाद यह भी कहा कि किशोर नें गीत को ठीक तरह से नहीं गाया है, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि फ़िल्म के फ़्लॉप होने के बावजूद इसके गानें ख़ूब चले थे। "ये दिल लेके नज़राना", "तू और की क्यों हो गई", "सवेरे का सूरज तुम्हारे लिये है", "एक बार मुस्कुरा दो", "रूप तेरा ऐसा दर्पण मे न समाये" और आज का प्रस्तुत गीत "चेहरे से ज़रा आंचल", ये सभी गीत उस ज़माने में ख़ूब चले थे, जब नय्यर साहब के सितारे गरदीश पर जाते दिखाई दे रहे थे। इस फ़िल्म के बाद बस एक फ़िल्म और आई 'प्राण जाये पर वचन न जाये' जिसमें आशा भोसले नें नय्यर साहब के लिए आख़िरी बार गीत गाया। और इस तरह से इस महान संगीतकार की कामयाबी का दौर भी सम्पन्न हुआ। लेकिन दोस्तों, आज हम अपना दिल उदास नहीं करेंगे, बल्कि आशा जी की हँसी के साथ इस गीत का आनंद लेंगे। इस गीत को लिखा है शमसुल हुदा बिहारी, यानी एस. एच. बिहारी नें। वैसे उनके अलावा इस फ़िल्म में इंदीवर और शेवन रिज़्वी नें भी गीत लिखे हैं।
क्या आप जानते हैं...
कि आशा भोसले के साथ संबंध समाप्त होने के बाद ओ. पी. नय्यर नें जिन गायिकाओं से अपने गीत गवाये उनमें शामिल थे कृष्णा कल्ले, वाणी जयराम, पुष्पा पागधरे, दिलराज कौर, कविता कृष्णमूर्ती।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 06/शृंखला 16
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - बेहद आसान.
सवाल १ - किस गायिका की हँसी है इस युगल गीत में - २ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - ३ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
एक बार फिर वही टीम है बधाई सभी को
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'गान और मुस्कान' शृंखला में इन दिनों आप सुन रहे हैं कुछ ऐसी फ़िल्मी रचनाएँ जिनमें गायक की हँसी सुनाई पड़ती है। गायिका आशा भोसले के गायकी के कई आयाम हैं, हर तरह के गीत गाने में वो सक्षम हैं, गायन की कोई ऐसी विधि नहीं जिसको उन्होंने आज़माया न हो। शास्त्रीय, पाश्चात्य, भजन, ग़ज़ल, क़व्वाली, देशभक्ति, मुजरा, शरारती, सेन्सुअस, लोक-संगीत आधारित, हर वर्ग में उन्होंने शीर्ष पर अपने आप को पहुँचाया है। उनकी आवाज़ में जो लोच है, जो खनक है, जो शोख़ी है, वही उनको दूसरी गायिकाओं से अलग करती हैं। गायन तो गायन, उनकी हँसी भी कातिलाना है। आशा जी नें भी बहुत से गीतों में अपनी हँसी बिखेरी है, जिनमें से कुछ गीत छेड़-छाड़ वाले हैं, तो कुछ हल्के फुल्के रोमांटिक कॉमेडी वाले, कुछ सेन्सुअस या मादक, और कुछ गीत ऐसे भी हैं जिनमें वो खुले दिल से हँसती हैं, और ऐसी हँसी हैं कि सुनने वाला भी कुछ देर के लिए अपने सारे ग़म भूल जाये! ऐसा ही एक गीत है १९७२ की फ़िल्म 'एक बार मुस्कुरा दो' का, जिसमें उनसे अनुरोध तो किया जा रहा है मुस्कुराने की, पर वो हँसती हैं, पूरे खुले दिल से हँसती हैं। मुकेश के साथ गाया यह युगल गीत इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है। "चेहरे से ज़रा आंचल जब आपने सरकाया, दुनिया ये पुकार उठी लो चांद निकल आया"; नायक का नायिका की ख़ूबसूरती की तारीफ़ फ़िल्मी गीतों की एक प्रचलित शैली रही है और यह गीत भी उन्हीं में से एक है।
'एक बार मुस्कुरा दो' फ़िल्म के संगीतकार थे ओ. पी. नय्यर। ओ. पी. नय्यर की पहली पसंद हमेशा मोहम्मद रफ़ी ही रहे हैं, लेकिन जब दोनों में कुछ अन-बन हो गई थी, तब मजबूरन नय्यर साहब को अन्य गायकों की तरफ़ झुकना ही पड़ा। १९६९ की उनकी फ़िल्म 'संघर्ष' में उन्होंने हेमन्त कुमार, महेन्द्र कपूर और मुकेश से गीत गवाये। मुकेश की आवाज़ में इस फ़िल्म का "चल अकेला, तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला" सब से लोकप्रिय गीत साबित हुआ और इस गीत की लोकप्रियता को देख कर नय्यर साहब ख़ुद भी चौंक गये थे। नय्यर साहब, जो मुकेश की आवाज़ से हमेशा परहेज़ ही करते आये हैं, जब उन्होंने देखा कि मुकेश का यह गीत 'बिनाका गीत माला' में लगातार १९ हफ़्तों से शीर्ष पायदान पर विराजमान है, तब जाकर उन्हें मुकेश की लोकप्रियता और महत्व का अहसास हुआ। इसके तीन साल बाद जब 'एक बार मुस्कुरा दो' की प्लान बनी तो गायक के लिए मुकेश और किशोर कुमार के नाम चुने गये। भले ही नय्यर साहब नें इन दो गायकों की कभी तारीफ़ नहीं की और इस फ़िल्म के गीतों के रेकॉर्डिंग् के बाद यह भी कहा कि किशोर नें गीत को ठीक तरह से नहीं गाया है, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि फ़िल्म के फ़्लॉप होने के बावजूद इसके गानें ख़ूब चले थे। "ये दिल लेके नज़राना", "तू और की क्यों हो गई", "सवेरे का सूरज तुम्हारे लिये है", "एक बार मुस्कुरा दो", "रूप तेरा ऐसा दर्पण मे न समाये" और आज का प्रस्तुत गीत "चेहरे से ज़रा आंचल", ये सभी गीत उस ज़माने में ख़ूब चले थे, जब नय्यर साहब के सितारे गरदीश पर जाते दिखाई दे रहे थे। इस फ़िल्म के बाद बस एक फ़िल्म और आई 'प्राण जाये पर वचन न जाये' जिसमें आशा भोसले नें नय्यर साहब के लिए आख़िरी बार गीत गाया। और इस तरह से इस महान संगीतकार की कामयाबी का दौर भी सम्पन्न हुआ। लेकिन दोस्तों, आज हम अपना दिल उदास नहीं करेंगे, बल्कि आशा जी की हँसी के साथ इस गीत का आनंद लेंगे। इस गीत को लिखा है शमसुल हुदा बिहारी, यानी एस. एच. बिहारी नें। वैसे उनके अलावा इस फ़िल्म में इंदीवर और शेवन रिज़्वी नें भी गीत लिखे हैं।
क्या आप जानते हैं...
कि आशा भोसले के साथ संबंध समाप्त होने के बाद ओ. पी. नय्यर नें जिन गायिकाओं से अपने गीत गवाये उनमें शामिल थे कृष्णा कल्ले, वाणी जयराम, पुष्पा पागधरे, दिलराज कौर, कविता कृष्णमूर्ती।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 06/शृंखला 16
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - बेहद आसान.
सवाल १ - किस गायिका की हँसी है इस युगल गीत में - २ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - ३ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
एक बार फिर वही टीम है बधाई सभी को
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
क्षमा करें एक भूल की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा.
१९६९ की फिल्म जिसमें नय्यर साहेब का संगीत था उसका नाम था 'सम्बन्ध' जो शायद 'संघर्ष' लिख दिया गया है.
६० के दशक की एच एस रवैल निर्देशित और दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला,संजीव कुमार की फिल्म 'संघर्ष' में तो शायद नौशाद साहेब का संगीत था.
अवध लाल