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झुलना झुलाए आओ री...महान सहगल को समर्पित इस नयी शृंखला की शुरूआत आर सी बोराल के इस गैर फ़िल्मी गीत से

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 621/2010/321

'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी श्रोता-पाठकों को हमारा नमस्कार और स्वागत है इस नए सप्ताह में। हिंदी फ़िल्म-संगीत की नीव रखने वाले कलाकारों में एक नाम ऐसा है जिनकी आवाज़ की चमक ३० के दशक से लेकर आज तक वैसा ही कायम है, जो आज भी सुननेवाले को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस बेमिसाल फ़नकार का जन्म आज से १०७ साल पहले हुआ और जिनके गुज़रे आज छह दशक बीत चुके हैं। केवल पंद्रह साल लम्बी अपने सांगीतिक जीवन में इस अज़ीम फ़नकार ने अपनी कला की ऐसी सुगंधी बिखेरी है कि आज भी वह महक बरक़रार है दुनिया की फ़िज़ाओं में। और ये अज़ीम फ़नकार और कोई नहीं, ये हैं फ़िल्म जगत के प्रथम 'सिंगिंग् सुपरस्टार' कुंदन लाल सहगल। आगामी ४ अप्रैल को सहगल साहब की १०८-वीं जयंती है; इसी अवसर को केन्द्र में रखते हुए प्रस्तुत है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की नई लघु शृंखला 'मधुकर श्याम हमारे चोर'। सहगल साहब की आवाज़ और गायन शैली का लोगों पर ऐसा असर हुआ कि पूरा देश उनके दीवाने हो गए, और वो एक प्रेरणा स्तंभ बन गए अन्य उभरते गायकों के लिए। सज्जाद, रोशन और ओ.पी. नय्यर जैसे संगीतकार और तलत महमूद, मुकेश, किशोर कुमार और यहाँ तक कि लता मंगेशकर के एकमात्र प्रेरणास्रोत बन गए सहगल साहब। १९३१ में पहली बोलती फ़िल्म बनी 'आलम आरा', और सहगल साहब का आगमन हुआ उसके दूसरे ही साल १९३२ में, जब उन्होंने न्यु थिएटर्स की फ़िल्म 'मोहब्बत के आँसू' में एक छोटा सा रोल अदा किया।

के.एल. सहगल का जन्म पिता अमीरचंद और माँ केसर कौर के घर ४ अप्रैल १९०४ को जम्मु में हुआ था। बचपन से ही अपनी भोली सूरत की वजह से राम लीला में वे सीता की भूमिका निभाया करते थे। उनकी प्रतिभा को देख कर उनकी माँ उन्हें प्रोत्साहित करती थीं। उन्होंने सूफ़ी संत सलमान यूसुफ़ से सूफ़ियाना रियाज़ सीखा। १२ वर्ष की आयु में उन्होंने महाराजा प्रताप सिंह के दरबार में एक मीरा भजन गा कर बहुत सारी तारीफ़ें बटोरी और महाराजा ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा था कि वो एक बहुत नामी गायक बनेंगे। पिता की मृत्यु के बाद उन पर घर की ज़िम्मेदारी आ गई और वे जलंधर, मुरादाबाद और लखनऊ होते हुए कलकत्ता आ पहुँचे। इसी दौरान उन्होंने कभी सेल्समैन का काम किया, कभी टाइप-राइटर का, तो कभी रेल्वे में टाइम कीपर का। कलकत्ते में ही उनकी मुलाक़ात हो गई अपने जलंधर परिचित संगीतकार हरीशचंद्र बाली से, जो उन्हें न्यु थिएटर्स ले गए और शुरु हो गई उनके जीवन की अगली पारी। १९३२ में 'मोहब्बत के आँसू' में काम करने के बाद १९३३ में उनका पहला ग़ैर-फ़िल्मी रेकॊर्ड जारी हुआ। तो दोस्तों, क्यों न इस शृंखला की शुरुआत हम उसी ग़ैर फ़िल्मी रचना से करें! संगीतकार हैं आर.सी. बोराल। सहगल साहब को लोकप्रियता की चोटी तक पहुँचाने में यदि किसी संगीतकार का नाम लिया जाएगा, तो बोराल साहब का नाम सब से उपर आयेगा।



क्या आप जानते हैं...
कि हरीशचंद्र बाली के सुझाव पर आर.सी. बोराल ने जब सहगल को न्यु थिएटर्स में रख लिया, तब उनकी पारिश्रमिक २०० रुपय प्रति माह तय हुई थी।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली 2/शृंखला 13
गीत का ये हिस्सा सुनें-


अतिरिक्त सूत्र - गायक कुंदन लाल सहगल का एक और लोकप्रिय भजन.

सवाल १ - किस फिल्म का है ये गीत - १ अंक
सवाल २ - कौन थे इस फिल्म के नायक जो खुद भी एक जाने माने गायक थे - ३ अंक
सवाल ३ - ये किस निर्देशक की पहली हिंदी फिल्म थी - २ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
अमित जी ने शानदार शुरूआत की है, साथ में प्रतीक जी और शरद जी ने भी अपना खाता खोला है, अमित जी हमने अपने सूत्रों से दुबारा कन्फर्म किया है और पंकज राग के तथ्यों पर विश्वास करना ही सही लग रहा है.इन चारों बहनों ने एक ही गीत में अपना स्वर मिलाया था उस गीत में....

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी



इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

Anjaana said…
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Prateek Aggarwal said…
C M Rafiq
Anjaana said…
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Anjaana said…
K C Dey
Hindustani said…
Director: P. Atorthy
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विजय said…
Movie: Karwane Hayat
Siddharth Kumar said…
Actor: Choudhury Mohammed Rafiq
Hidustani said…
Movie: Puran Bhagat

Please discard my first answer
Siddharth Kumar said…
Is film ke nayak the Choudhury Mohammed Rafiq.
K.C. Dey ne supporting actor ka kaam kara tha. saath main Saigal bhi supporting actor the.

http://74.208.147.65/movies/bollywood/Puran%20Bhagat%20-%201933/5916

Sawal sahi nahi hai
Anjaana said…
Today's Questions are really very confusing.. Its true that Hero of this movie was C M Rafiq but I doubt if he was a well know singer.. KC Dey and Sehgal were well known singer but they were not in leading role in this Movie - Debaki Bose was the director of this movie but this was not his first movie as the director .. Now let's see whose getting what.. I am not expecting anything from this question today.. You can see everybody has deleted their answer ( I've myself had deleted 2 ans (both 'hero' and 'director' Qs )...
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सहगल चाचा जी को शत शत नमन
पुराना गीत सहगल चाचा जी के सुन दबी राख में चिंगारी शोला जैसी
जनवरी और अप्रैल माह सहगल चाचा जी के ही गीत सुनती हूँ १९४४ में मिनटों पार्क लाहोर में दर्शन किये थे
धन्यवाद

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