हिन्द-युग्म के आवाज़-मंच के कर्ता-धर्ता सजीव सारथी का अभी-अभी AIR FM Gold पर इंटरव्यू प्रसारित हुआ। AIR FM Gold समाचारों को केन्द्रित अपने कार्यक्रम 'आज सवेरे' में हर वृहस्पतिवार को 'सक्सेस स्टोरी' प्रसारित करता है, जिसमें किसी एक ऐसे व्यक्ति या समूह की चर्चा होती है, जिसने भीड़ से अलग कर दिखाया हो। 'आज सवेरे' कार्यक्रम AIR FM Gold पर हर सुबह 7ः30 बजे प्रसारित होता है, जो FM, SW, DTH और AIR की वेबसाइट के माध्यम से पूरी दुनिया मे सुना जाता है। आज सुनिए एक ब्लॉगर, गीतकार, कवि और हिन्दीप्रेमी सजीव सारथी की सक्सेस स्टोरी.
प्लेयर से न सुन पा रहे हों तो यहाँ से डाउनलोड कर लें।
आज का दिन सजीव भाई के नाम...क्योंकि इस सफलता में कोई भागीदार नहीं बन सकता...हां जरिया या पड़ाव जरूर हो सकता है...अच्छा लगता है खुद को इन सब चीजों से जुड़ा पाकर...मुझे भी बधाई दें, क्योंकि मैं भी उनसे जुड़ा हूं!!!!
गुड्डोदादी said…
सजीव सुपुत्र चिरंजीव भवः कुछ काम कुछ काम करो सुनी .दिन दो तीन बार हिन्दयुग्म में खोजती हूँ ओल्ड इज गोल्ड
बहुत अच्छा लगी बहुत बहुत बधाई आपकी गुड्डो दादी चिकागो से
DEAR SAJEEVJI, We very happy to inform you that we have heard the program of AIR(Delhi) in the SABERE session. The announcers presented the item very interestingly and your reply was also sweet. The announcers told also about your parents(parivars). Really at a moment they had given a very great message to the society about the love and attention given to you by your great father and mother.THIS IS A GIFT TO THEM.We praise THE GOD. GO AHEAD WITH YOUR CONTRIBUTIONS TO THE MANKIND. Thank you Sajeev Sarthie John Peter KOCHI, kerala
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स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’ और बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...
स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...
स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...
Comments
- Kuhoo
मदद ए खुदा.
सजीव जी आपको और आपके समस्त साथियों को बधाई.
चिरंजीव भवः
कुछ काम कुछ काम करो
सुनी .दिन दो तीन बार हिन्दयुग्म में खोजती हूँ ओल्ड इज गोल्ड
बहुत अच्छा लगी
बहुत बहुत बधाई
आपकी
गुड्डो दादी चिकागो से
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GO AHEAD WITH YOUR CONTRIBUTIONS TO THE MANKIND.
Thank you Sajeev Sarthie
John Peter
KOCHI, kerala
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GO AHEAD WITH YOUR CONTRIBUTIONS TO THE MANKIND.
Thank you Sajeev Sarthie
John Peter
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We very happy to inform you that we have heard the program of AIR(Delhi) in the SABERE session.
The announcers presented the item very interestingly and your reply was also sweet. The announcers told also about your parents(parivars). Really at a moment they had given a very great message to the society about the love and attention given to you by your great father and mother.THIS IS A GIFT TO THEM.We praise THE GOD.
GO AHEAD WITH YOUR CONTRIBUTIONS TO THE MANKIND.
Thank you Sajeev Sarthie
John Peter
KOCHI, kerala