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अंजाना अंजानी की कहानी सुनाकर फिर से हैरत में डाला है विशाल-शेखर ने.. साथ है गीतकारों की लंबी फ़ौज़

ताज़ा सुर ताल ३४/२०१०

विश्व दीपक - 'ताज़ा सुर ताल' में आज उस फ़िल्म की बारी जिसकी इन दिनों लोग, ख़ास कर युवा वर्ग, बड़ी बेसबरी से इंतज़ार कर रहे हैं। रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फ़िल्म 'अंजाना अंजानी', जिसमें विशाल शेखर के संगीत से लोग बहुत कुछ उम्मीदें रखे हुए हैं।

सुजॊय - और अक्सर ये देखा गया है कि जब इस तरह के यूथ अपील वाले रोमांटिक फ़िल्मों की बारी आती है, तो विशाल शेखर अपना कमाल दिखा ही जाते हैं। और इस फ़िल्म के निर्देशक सिद्धार्थ आनंद हैं जिनकी पिछली तीन फ़िल्मों - सलाम नमस्ते, ता रा रम पम, बचना ऐ हसीनों - में विशाल शेखर का ही संगीत था, और इन तीनों फ़िल्मों के गानें हिट हुए थे।

विश्व दीपक - ये तीनों फ़िल्में, जिनका ज़िक्र आपने किया, ये यश राज बैनर की फ़िल्में थीं, लेकिन 'अंजाना अंजानी' के द्वारा सिद्धार्थ क़दम रख रहे हैं यश राज के बैनर के बाहर। यह नडियाडवाला की फ़िल्म है, और इस बैनर ने भी 'हाउसफ़ुल', 'हे बेबी', 'कमबख़्त इश्क़' और 'मुझसे शादी करोगी' जैसी कामयाब म्युज़िकल फ़िल्में दी हैं। इसलिए 'अंजाना अंजानी' से लोगों की बहुत उम्मीदें हैं।

सुजॊय - विशाल शेखर की पिछली फ़िल्म थी 'आइ हेट लव स्टोरीज़'। फ़िल्म तो ख़ास नहीं चली, लेकिन फ़िल्म के गानें पसंद किए गए और उन्हें हिट का दर्जा दिया जा चुका है। देखते हैं 'अंजाना अंजानी' उससे भी आगे निकल पाते हैं या नहीं। 'अंजाना अंजानी' की बातें आगे बढ़ाने से पहले आइए सुनते हैं इस फ़िल्म का पहला गीत - "अंजाना अंजानी की कहानी"।

गीत - अंजाना अंजानी की कहानी


विश्व दीपक - निखिल डी'सूज़ा और मोनाली ठाकुर की आवाज़ों में यह गाना था। इस गीत के बारे में कम से कम शब्दों में अगर कुछ कहा जाए तो वो है 'पार्टी मटिरीयल'। गीटार, ड्रम्स, ब्रास, रीदम, और गायन शैली, सब कुछ मिलाकर ७० के दशक के "पंचम" क़िस्म का एक डान्स नंबर है यह, जो आपकी क़दमों को थिरकाने वाला है अगले कुछ दिनों तक। हिंग्लिश में लिखा हुआ यह गीत नीलेश मिश्रा के कलम से निकला हुआ है। निखिल और मोनाली, दोनों ही नए दौर के गायक हैं। मोनाली ने इससे पहले फ़िल्म 'रेस' में "ज़रा ज़रा टच मी" और 'बिल्लू' में "ख़ुदाया ख़ैर" जैसे हिट गीत गा चुकी हैं। आज कल वो 'ज़ी बांगला' के 'स रे गा मा पा लिट्ल चैम्प्स' शो की जज हैं।

सुजॊय - और इस गीत में विशाल शेखर की शैली गीत के हर मोड़ पे साफ़ झलकती है। और अब 'अंजाना अंजानी' के टीम मेम्बर्स के नाम। साजिद नडियाडवाला निर्मित और सिद्धार्थ राज आनंद निर्देशित इस फ़िल्म में रणबीर और प्रियंका के अलावा ज़ायेद ख़ान ने भी भूमिका अदा की है। संगीतकार तो बता ही चुके है, गानें लिखे हैं नीलेश मिश्रा, विशाल दादलानी, शेखर, अमिताभ भट्टाचार्य, अन्विता दत्तगुप्तन, कुमार , इरशाद कामिल और कौसर मुनीर। और गीतकारों की तरह गायकों की भी एक पूरी फ़ौज है इस फ़िल्म के साउण्डट्रैक में - निखिल डी'सूज़ा, मोनाली ठाकुर, लकी अली, शेखर, कारालिसा मोण्टेरो, मोहित चौहान, श्रुति पाठक, विशाल दादलानी और शिल्पा राव।

विश्व दीपक - आइए अब फ़िल्म का दूसरा गीत सुना जाए लकी अली की आवाज़ में।

गीत - हैरत


सुजॊय - पहले गीत ने जिस तरह से हम सब के दिल-ओ-दिमाग़ के तारों को थिरका दिया था, "हैरत" की शुरुआत तो कुछ धीमी लय में होती है, लेकिन एक दम से अचानक इलेक्ट्रॊनिक गीटार की धुनें एक रॊक क़िस्म का आधार बन कर सामने आती है। लकी अली की आवाज़ बहुत दिनों के बाद सुनने को मिली, और कहना पड़ेगा कि ५१ वर्ष की आयु में भी उनकी आवाज़ में उतना ही दम अब भी मौजूद है। 'सुर' और 'कहो ना प्यार है' में उनके गाए गानें सब से ज़्यादा मशहूर हुए थे, हालाँकि उन्होंने कई और फ़िल्मों में भी गानें गाए हैं।

विश्व दीपक - इस गीत को लिखा था ख़ुद विशाल दादलानी ने, और अच्छा लिखा है। इससे पहले भी वे कई गानें लिख चुके हैं। विशाल के बोल और लकी अली की आवाज़ के कॊम्बिनेशन का यह पहला गाना है, शायद इसी वजह से इस गीत में एक ताज़गी है। इस गीत के प्रोमो आजकल टीवी पर चल रहे हैं और इस गीत के फ़िल्मांकन को देख कर ऐसा लग रहा है कि इस गीत की तरह फ़िल्म भी दमदार होगी।

सुजॊय - तो कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि लकी अली और विशाल-शेखर की "हैरत" ने हमें "हैरत" में डाल दिया है। और इस गीत से जो नशा चढ़ा है, उसे बनाए रखते हुए अब सुनते हैं तीसरा गीत राहत फ़तेह अली ख़ान की आवाज़ में। एक और बेहतरीन गायक, एक और बेहतरीन गीत।

गीत - तू ना जाने आस-पास है ख़ुदा


विश्व दीपक - आजकल राहत साहब एक के बाद एक फ़िल्मी गीत गाते चले जा रहे हैं और कामयाबी की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते जा रहे हैं। उनका गाया हर गीत सुनने में अच्छा लगता है। अभी पिछले ही दिनों फ़िल्म 'दबंग' में उनका गाया "तेरे मस्त मस्त दो नैन" आपको सुनवाया था, और आज ये गीत आप सुन रहे हैं। लेकिन एक बात ज़रूर खटकती है कि राहत साहब से हर संगीतकार एक ही तरह के गीत गवा रहे हैं। ऐसे तो भई राहत साहब बहुत जल्दी ही टाइपकास्ट हो जाएँगे!

सुजॊय - हाँ, और हमारे यहाँ लोग आजकल की फ़ास्ट ज़िंदगी में किसी एक चीज़ को बहुत ज़्यादा दिनों तक पसंद नहीं करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि राहत फ़तेह अली ख़ान अपनी मौलिकता को बनाए रखते हुए अलग अलग तरह के गीत गाएँ, तभी वो एक लम्बी पारी फ़िल्म संगीत में खेल पाएँगे। इस गीत के बारे में यही कहेंगे कि एक टिपिकल "राहत" या "कैलाश खेर" टाइप का गाना है।

विश्व दीपक - सूफ़ी आध्यात्मिकता लिए हुए इस गीत को लिखा है विशाल दादलानी और शेखर रविजानी ने। इसी गाने का एक 'अनप्लग्ड' वर्ज़न भी है जिसमें श्रुति पाठक की आवाज़ भी मौजूद है। बहरहाल आइए सुनते हैं 'अंजाना अंजानी' का अगला गीत शेखर और कारालिसा मोण्टेरो की आवाज़ों में।

गीत - तुमसे ही तुमसे


सुजॊय- विशाल दादलानी और शेखर, दोनों अच्छे गायक भी हैं। जहाँ एक तरफ़ विशाल की आवाज़ में बहुत दम है, रॊक क़िस्म के गानें उनकी आवाज़ में ख़ूब जँचते हैं, उधर दूसरी तरफ़ शेखर की आवाज़ में है नर्मी। बहुत ही प्यारी आवाज़ है शेखर की और ये जो गीत अभी आपने सुना, उसमें भी उनका वही नरम अंदाज़ सुनने को मिलता है। कारालिसा ने अंग्रेज़ी के बोल गाए हैं और गीत की आख़िर में उनकी गायकी गीत में अच्छा इम्पैक्ट लाने में सफल रही है। कुल मिलाकर यह गीत एक कर्णप्रिय गीत है और मुझे तो बहुत अच्छा लगा।

विश्व दीपक - हाँ, और इस गीत में भी एक ताज़गी है और एक अलग ही मूड बना देता है। बस अपनी आँखें मूंद लीजिए और अपने किसी ख़ास दोस्त को याद करते हुए इस गीत का आनंद लीजिए। इस गीत के अंग्रेज़ी के बोल कारालिसा ने ख़ुद ही लिखे है। हिन्दी के बोल अन्विता दत्त गुप्तन और अमिताभ भट्टाचार्य की कलमों से निकले हैं। अब अगले गीत की तरफ़ बढ़ते हैं। श्रुति पाठक और मोहित चौहान की आवाज़ों में यह एक और ख़ूबसूरत गीत है इस फ़िल्म का - "तुझे भुला दिया फिर", आइए सुनते हैं।

गीत - तुझे भुला दिया फिर


विश्व दीपक - एक हौंटिंग प्रील्युड के साथ गीत शुरु हुआ और श्रुति के गाए पंजाबी शब्द सुनने वाले के कान खड़े कर देते हैं। और ऐसे में मोहित की अनोखी आवाज़ (कुछ कुछ लकी अली के अंदाज़ की) आकर गीत को हिंदी में आगे बढ़ाती है। बिना रीदम के मुखड़े के तुरंत बाद ही ढोलक के ठोकों का सुंदर रीदम और कोरस के गाए अंतरे "तेरी यादों में लिखे जो...", इस गीत की चंद ख़ासियत हैं। यह तरह का एक्स्पेरीमेण्ट ही कह सकते हैं कि एक ही गीत में इतने सारे अलग अलग प्रयोग। कुल मिलाकर एक सुंदर गीत।

सुजॊय - जी हाँ, ख़ास कर धीमी लय वाले मुखड़े के बाद इंटरल्युड में क़व्वाली शैली के ठेके और कोरस का गायन एक तरह का फ़्युज़न है क़व्वाली और आधुनिक गीत का। आपको बता दें कि इस गीत को विशाल दादलानी ने लिखा है, लेकिन क़व्वाली वाला हिस्सा लिखा है गीतकार कुमार ने। यह गीत सुन कर एक "फ़ील गुड" का भाव मन में जागृत होता है।

विश्व दीपक - "फ़ील गूड" की बात है, तो अब जो अगला गाना है उसके बोल ही हैं "आइ फ़ील गुड"। एक रॊक अंदाज़ का गाना है विशाल दादलानी और शिल्पा राव की आवाज़ों में, आइए इसे सुनते हैं।

गीत - आइ फ़ील गुड


सुजॊय - विशाल और शिल्पा के रॊक अंदाज़ से हम सभी वाकिफ़ हैं। वैसे शिल्पा से अब तक संगीतकार दबे हुए गीत ही गवाते आ रहे हैं, सिर्फ़ "वो अजनबी" ही एक ऐसा गीत था जिसमें उनकी दमदार आवाज़ सामने आई थी। "आइ फ़ील गुड" में भी उनकी आवाज़ खुल के बाहर आई है। और इसके बाद शायद अनुष्का मनचंदा की तरह उन्हें भी इस तरह के और गानें गाने के अवसर मिलेंगे।

विश्व दीपक - इस गीत को भी विशाल ने ही लिखा है, लेकिन अगर फ़ील गुड की बात करें तो पिछला गाना इससे कई गुना ज़्यादा बहतर था। ख़ैर, अब हम आ पहुँचे हैं आज के अंतिम गीत पर। और इसे भी विशाल और शिल्पा ने ही गाया है। "अंजाना अंजानी" फ़िल्म का एक और शीर्षक गीत, इस बार सॊफ़्ट रॊक शैली में, जिसे लिखा है कौसर मुनीर ने। वैसे इस गीत का मुखड़ा इरशाद कामिल ने लिखा है। सिद्धार्थ आनंद की हर फ़िल्म में इस क़िस्म का एक ना एक रोमांटिक युगल गीत ज़रूर होता है, जैसे 'सलाम नमस्ते' का "माइ दिल गोज़ म्म्म्म", 'ता रा रम पम' का "हे शोना", या फिर "ख़ुदा जाने" 'बचना ऐ हसीनों' का।

सुजॊय - भई मुझे तो इस गीत में "सदका किया" की छाप मिलती है। चलिए, जो भी है, गाना अच्छा है, अपने श्रोताओं को भी सुनवा देते हैं।

गीत - अंजाना अंजानी


सुजॊय - इन तमाम गीतों को सुनने के बाद फिर एक बार वही बात दोहराउँगा कि ये गानें कुछ ऐसे बनें हैं कि अगर फ़िल्म चल पड़ी तो ये गानें भी चलेंगे। और फ़िल्म पिट गई तो चंद रोज़ में ही ये भी गुमनामी में खो जाएँगे। 'बचना ऐ हसीनों' फ़िल्म नहीं चली थी, लेकिन "ख़ुदा जाने" गीत बेहद मक़बूल हुआ और आज भी सुना जाता है। लेकिन "ख़ुदा जाने" वाली बात मुझे इस फ़िल्म के किसी भी गाने में नज़र नहीं आई, लेकिन सभी गाने अपनी अपनी जगह पे अच्छे हैं। मुझे जो दो गीत सब से ज़्यादा पसंद आए, वो हैं "तुमसे ही तुमसे" और "तुझे भुला दिया फिर"। मेरी तरफ़ से इस ऐल्बम को ३ की रेटिंग, और 'अंजाना अंजानी' की पूरी टीम को इस फ़िल्म की कामयाबी के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।

विश्व दीपक - सुजॉय जी, मैं आपकी बातों से सहमत भी हूँ और असहमत भी। सहमत इसलिए कि मुझे भी वही दो गाने सबसे ज्यादा पसंद आए जो आपको आए हैं और असहमत इसलिए कि मुझे बाकी गाने भी अच्छे लगे इसलिए मेरे हिसाब से इस फिल्म के गाने इतनी आसानी से गुमनामी के गर्त में धंसेंगे नहीं। इस फिल्म के सभी गानों में विशाल-शेखर की गहरी छाप है, हर गाने में उनकी मेहनत झलकती है। इसलिए मैं अपनी तरफ़ से विशाल-शेखर को "डबल थंब्स अप" देते हुए आपके दिए हुए रेटिंग्स में आधी रेटिंग जोड़कर इसे साढे तीन बनाने की गुस्ताखी करने जा रहा हूँ। संगीतकार के बाद गीतकार की बात करते हैं। सच कहूँ तो मैंने और किसी फिल्म में गीतकारों की इतनी बड़ी फौज़ नहीं देखी थी। ७ गानों के लिए नौ गीतकार.. जबकि विशाल चार गीतों में खुद मौजूद हैं गीतकार की हैसियत से। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि एक गीत तीन गीतकार मिलकर कैसे लिख सकते हैं। "तुमसे हीं तुमसे" के अंग्रेजी बोलों के लिए कारालिसा की जरूरत पड़ी, यह बात तो पल्ले पड़ती है, लेकिन यह बात मुझे अचंभित कर रही है कि बाकी बचे हिन्दी के कुछ लफ़्ज़ों के लिए अन्विता दत्त गुप्तन और अमिताभ भट्टाचार्य जैसे दिग्गज मैदान में उतर गए। "तुझे भुला दिया फिर" और "अंजाना अंजानी हैं मगर" ये दो ऐसे गीत हैं, जिनका मुखरा एक गीतकार ने लिखा है और अंतरे दूसरे ने.. ये क्या हो रहा है भाई? जहाँ कभी पूरी फिल्म के गाने एक हीं गीतकार लिखा करते थे, वहीं एक गीत में हीं दो-दो, तीन-तीन गीतकार .. तब तो कुछ दिनों में ऐसा भी हो सकता है कि एक-एक पंक्ति एक-एक गीतकार की हो.. एक गीतकार के लिए उससे बुरा क्षण क्या हो सकता है! अगर ऐसा हुआ तो हम जैसे भावी गीतकारों का भविष्य अधर में हीं समझिए :) खैर, कितने गीतकार रखने हैं और कितने संगीतकार- यह निर्णय तो निर्माता-निर्देशक का होता है.. हम कुछ भी नहीं कर सकते.. बस यही कर सकते हैं कि जितना संभव हो सके, अच्छे गाने चुनते और सुनते जाएँ। तो चलिए इन्हीं बातों के साथ हम आज की समीक्षा को विराम देते हैं। अगली बार हम एक लीक से हटकर एलबम के साथ हाज़िर होंगे.. नाम जानने के लिए आप अगली कड़ी का इंतज़ार करें।

आवाज़ रेटिंग्स: अंजाना अंजानी: ***१/२

और अब आज के ३ सवाल

TST ट्रिविया # १००- कौसर मुनीर का लिखा वह कौन सा युगल गीत है जिस फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान थे और जिस गीत में एक आवाज़ महालक्ष्मी की है?

TST ट्रिविया # १०१- राहत फ़तेह अली ख़ान ने हिंदी फ़िल्म जगत में सन्‍ २००४ में क़दम रखा था और उस साल फ़िल्म 'पाप' में "लागी तुमसे मन की लगन" गीत मक़बूल हुआ था। इसी साल एक और फ़िल्म में भी उन्होंने गीत गाया था, बताइए उस फ़िल्म का नाम।

TST ट्रिविया # १०२- विशाल-शेखर के शेखर ने इससे पहले भी एक गीत गाया था जो परेश रावल पर फ़िल्माया गया था। क्या आप बता सकते हैं वह गीत कौन सा था?


TST ट्रिविया में अब तक -
पिछले हफ़्ते के सवालों के जवाब:

१. "कुछ मेरे दिल ने कहा" (तेरे मेरे सपने)
२. मधुश्री
३. 'पद्म शेशाद्री हायर सेकण्डरी स्कूल'।

एक बार फिर सीमा जी ने तीनों सवालों के सही जवाब दिए। बधाई स्वीकारें!

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