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हुए हैं मजबूर होके अपनों से दूर....लता के दस दुर्लभ गीतों की लड़ी का अंतिम नजराना

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 490/2010/190

'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस सप्ताह की यह आख़िरी नियमित महफ़िल है और आज समापन भी है इन दिनों चल रही लघु शृंखला 'लता के दुर्लभ दस' का। इस शृंखला में पिछले नौ दिनों से आपने कुल नौ बेहद दुर्लभ गानें सुनें लता जी के गायन करीयर के शुरुआती सालों के। हमने सफ़र शुरु किया था १९४८ के फ़िल्म के गीत से और आज हब यह शृंखला ख़त्म हो रही है तो हम केवल १९५१ तक ही पहुँच सके हैं। इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि लता जी के गाए असंख्य लोकप्रिय गीतों के अलावा भी न जाने कितने ऐसे भूले बिसरे गानें हैं जिनका भी कोई अंत नहीं। शायद इस तरह की कई शृंखलाएँ हमें आगे भी चलानी पड़ेगी, तब भी शायद उतने ही गानें शेष बचे रहेंगे। आज इस शृंखला का समापन हम करने जा रहे हैं १९५१ की फ़िल्म 'प्यार की बातें' के गीत से जिसके बोल हैं "हुए हैं मजबूर होके अपनों से दूर"। तड़पती हुई नरगिस अपने नायक के लिए गाती हैं यह बेमिसाल गीत। आपको बता दें कि 'नरगिस आर्ट कंसर्न' के बैनर तले बनी इस फ़िल्म के निर्देशक थे अख़्तर हुसैन और फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे त्रिलोक कपूर, नरगिस, मारुती, ख़ुर्शीद, कुक्कू, नीलम, नासिर, रशीद और नज़ीर। फ़िल्म में संगीत दिया बुलो सी. रानी ने, लेकिन उपलब्ध जानकारी के अनुसार चोला शामजी का भी नाम है बुलो सी. रानी के साथ में। 'प्यार की बातें' का सिर्फ़ यही गीत नहीं, बल्कि इस फ़िल्म के सभी गीत बेहद अनमोल हैं। आशा भोसले, जी. एम. दुर्रानी, चुन्नीलाल परदेसी, गीता रॊय, मुकेश, और शम्शाद बेग़म जैसी आवाज़ें भी शामिल हैं इस फ़िल्म के साउण्डट्रैक में, और इस फ़िल्म के तमाम गीतों को लिखा है ख़वर जमा, मुनव्वर खन्ना, बेहज़ाद लख़नवी, और मजरूह सुल्तानपुरी ने। आज का प्रस्तुत गीत ख़वर जमा का लिखा हुआ है।

दोस्तों, क्या आपने इससे पहले कभी गीतकार ख़वर जमा का नाम सुना है? ये एक बेहद कमचर्चित गीतकार रहे हैं जिन्हें छोटी बजट की फ़िल्मों में ही गीत लिखने के मौक़े नसीब हुए। उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिन फ़िल्मों में इन्होंने गीत लिखे, उनमें शामिल हैं 'प्यार की बातें', 'ख़ूनी ख़ज़ाना', 'फ़रमाइश', '10'O Clock', 'दरोगा जी', 'मेहरबानी', 'पठान' आदि। ख़वर जमा ने कई ग़ैर फ़िल्मी रचनाएँ भी लिखी। बुलो सी. रानी के अलावा जिस संगीतकार के साथ उनकी अच्छी ट्युनिंग् जमी थी, कम वक़्त के लिए ही सही, वो थे हाफ़िज़ ख़ान, यानी कि ख़ान मस्ताना। हाफ़िज़ ख़ान ने शेवन रिज़्वी, ख़ुमार बाराबंकवी, अंजुम पीलीभीती, शेवन दमन के साथ साथ ख़वर जमा के साथ भी अच्छा काम किया। 'फ़रमाइश' में इन्होंने पंडित हुस्नलाल भगतराम के साथ काम किया। फ़िल्म 'पठान' में जिम्मी का संगीत था जिसमें तलत महमूद साहब के गाए गानें मशहूर हुए थे। तो दोस्तों, आइए सुना जाए आज का गीत। और इसी के साथ 'लता के दुर्लभ दस' शृंखला समाप्त होती है। और इस शृंखला को समाप्त करते हुए हम कृतज्ञता ज्ञापन करते हैं श्री अजय देशपाण्डेय का जिन्होंने अपने ख़ज़ाने से इन दस मोतियों को चुन कर हमें भेजा जिससे हम इस ख़ास पेशकश की योजना बना सके। आपको यह शृंखला कैसी लगी हमें ज़रूर लिखिएगा और भविष्य में भी क्या आप इस तरह के दुर्लभ गानें सुनना पसंद करेंगे, इस बारे में भी अपने विचार और सुझाव हमें लिखिएगा। शनिवार 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें' के साथ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल में फ़िल्म हाज़िर होंगे। तो पधारिएगा ज़रूर शनिवार की शाम भारतीय समयानुसार ठीक ६:३० बजे। तब तक के लिए दीजिए इजाज़त। टिप्पणी और ईमेल पते oig@hindyugm.com के माध्यम से अपने विचार हम तक युंही पहूँचाते रहिएगा। नमस्कार!



क्या आप जानते हैं...
कि बुलो सी. रानी ने २४ मई १९९३ को आत्महत्या के द्वारा अपनी जीवल लीला समाप्त कर दी थी।

विशेष सूचना:

लता जी के जनमदिन के उपलक्ष्य पर इस शृंखला के अलावा २५ सितंबर शनिवार को 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें' में होगा लता मंगेशकर विशेष। इस लता विशेषांक में आप लता जी को दे सकते हैं जनमदिन की शुभकामनाएँ बस एक ईमेल के बहाने। लता जी के प्रति अपने उदगार, या उनके गाए आपके पसंदीदा १० गीत, या फिर उनके गाए किसी गीत से जुड़ी आपकी कोई ख़ास याद, या उनके लिए आपकी शुभकामनाएँ, इनमें से जो भी आप चाहें एक ईमेल में लिख कर हमें २० सितंबर से पहले oig@hindyugm.com के पते पर भेज दें। हमें आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।


अजय देशपांडे जी ने लता जी के दुर्लभ गीतों को संगृहीत करने के उद्देश्य से एक वेब साईट का निर्माण किया है, जरूर देखिये यहाँ.

पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)

१. शृंगार रस से लवरेज़ इस गीत में प्यार से शृंगार करने की बात कही गई है। फ़िल्म का नाम बताएँ। २ अंक।
२. मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा गीत है, संगीतकार बताएँ। ३ अंक।
३. गायिका वोही हैं जिनकी आवाज़ एक आदर्श भारतीय नारी की आवाज़ है और ऐसे में शृंगार रस के गानें भला और किनकी आवाज़ में इससे बेहतर लग सकते हैं? गायिका बताएँ। १ अंक।
४. फ़िल्म का शीर्षक वही है जिस नाम से बाद में भी एक फ़िल्म बनीं है और उस फ़िल्म में कुमार सानू की आवाज़ में एक गीत था जिसके मुखड़े में "ज़िंदगी" और "मौत" शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। आपको बताना है शृंगार रस वाले गीत के बोल। २ अंक।

पिछली पहेली का परिणाम -
अवध जी मात्र एक अंक दूर हैं अब आप. प्रतिभा जी, किशोर जी और नवीन जी बधाई

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

singhSDM said…
naushad
******
PAWAN KUMAR
singhSDM said…
music- naushad
AVADH said…
फिल्म: साथी
अवध लाल
AVADH said…
पता नहीं क्या कारण है यह दुर्लभ गीत सुनने का आनंद मैं नहीं उठा पा रहा हूँ. प्रारंभ के साज़ की ध्वनि के बाद तुरंत ही आवाज़ खत्म हो जा रही है. क्या यह केवल मेरे ही साथ हो रहा है मेरे लैपटॉप की किसी तकनीकी खराबी की वजह से या किसी अन्य मित्र को भी ऐसी ही असुविधा का सामना करना पड़ रहा है?
अवध लाल
AVADH said…
आशा है अब तो शरद जी का वनवास समाप्त हो गया होगा. उनकी कमी सबको खटक रही थी शायद. पधारिये महागुरु, स्वागत है आपका.
:-)) , ;-))
अवध लाल
फ़िल्म का शीर्षक वही है जिस नाम से बाद में भी एक फ़िल्म बनीं है और उस फ़िल्म में कुमार सानू की आवाज़ में एक गीत था जिसके मुखड़े में "ज़िंदगी" और "मौत" शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। आपको बताना है शृंगार रस वाले गीत के बोल। -main to pyaar se tere piya maang sajaaoongi tere angna mein saari umariya bitaoongi

Pratibha K-S.
Ottawa, Canada
"सभी से प्रेम करें, कुछ पर विश्वास करें और किसी के साथ भी गलत न करें."
-विलियम शेक्सपियर
गायिका वोही हैं जिनकी आवाज़ एक आदर्श भारतीय नारी की आवाज़ है और ऐसे में शृंगार रस के गानें भला और किनकी आवाज़ में इससे बेहतर लग सक
ते हैं? गायिका बताएँ। - Lata Mangeshkar

"Chef" Naveen Prasad
Uttranchal
(now working in Canada)

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