तारे वो ही हैं, चाँद वही है, हाये मगर वो रात नहीं है....दर्द जुदाई का और लता की आवाज़, और क्या चाहिए रोने को
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 485/2010/185
लता मंगेशकर के गाए कुछ बेहद दुर्लभ और भूले बिसरे सुमधुर गीतों से इन दिनों महक रहा है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का बग़ीचा। ये फ़िल्म संगीत के धरोहर के वो अनमोल रतन हैं जिन्हें दुनिया भुला चुकी है। ये गानें आज मौजूद हैं केवल उन लोगों के पास जिन्हें मालूम है इन दुर्लभ गीतों की कीमत। कहते हैं सुन्हार ही सोने को पहचानता है, तो यहाँ भी वही बात लागू होती है। और ऐसे ही एक सुन्हार हैं नागपुर के श्री अजय देशपाण्डेय, जो लता जी के पुराने गीतों के इस क़दर दीवाने हैं कि एक लम्बे समय से उनके रेयर गीतों को संग्रहित करते चले आए हैं और हाल ही में उन्होंने इस क्षेत्र में अपने काम को आगे बढ़ाते हुए www.rarelatasongs.com नाम की वेबसाइट भी लौंच की है। इस वेबसाइट में आपको क्या मिलेगा, यह आप इस वेबसाइट के नाम से ही अंदाज़ा लगा सकते हैं। तो आज की कड़ी के लिए अजय जी ने चुना है सन् १९५० की फ़िल्म 'अनमोल रतन' का एक अनमोल रतन। जी हाँ, लता जी के गाए गुज़रे ज़माने का यह अनमोल नग़मा है "तारे वो ही हैं, चाँद वही है, हाये मगर वो रात नहीं है"। एक विदाई गीत और उसके बाद तीन चुलबुले गीतों के बाद आज बारी इस ग़मज़दे नग़मे की। 'अनमोल रतन' के संगीतकार थे मास्टर विनोद। इस साल इस फ़िल्म के अलावा विनोद ने बुलो सी. रानी के साथ फ़िल्म 'वफ़ा' में भी संगीत दिया था। डी. एन. मधोक ने 'अनमोल रतन' के गानें लिखे और इस फ़िल्म के निर्देशक थे एम. सादिक़। इसे इत्तेफ़ाक़ ही कहिए या सोचा समझा प्लैन कि १९४४ की फ़िल्म 'रतन' में एम. सादिक़ ही निर्देशक थे, डी. एन. मधोक गीतकार और करण दीवान नायक, और १९५० की फ़िल्म 'अनमोल रतन' में भी ये तीन फिर एक बार साथ में आए और फ़िल्म के शीर्षक भी 'रतन' और 'अनमोल रतन'। शायद 'रतन' की सफलता से प्रेरीत होकर इस फ़िल्म का नाम 'अनमोल रतन' रखा गया होगा, लेकिन अफ़सोस कि 'अनमोल रतन' वो कमाल नहीं दिखा सकी जो कमाल 'रतन' ने दिखाया था। 'रतन' की नायिका थीं स्वर्णलता, और 'अनमोल रतन' के लिए चुना गया मीना कुमारी को। ट्रैजेडी क्वीन मीना कुमारी पर ही फ़िल्माया गया है आज का प्रस्तुत ट्रैजिक गीत।
'अनमोल रतन' के गीतों में आज के इस गीत के अलावा शामिल है लता का ही एकल गीत "मोरे द्वार खुले हैं आने वाले" जो प्रेरीत था "सुहानी रात ढल चुकी" गीत से। दो लता-तलत डुएट्स भी हैं इस ऐल्बम में - "याद आने वाले फिर याद आ रहे हैं" जो फ़िल्म का सब से लोकप्रिय गीत रहा जो कहरवा ताल में स्वरबद्ध किया गया है और बांसुरी का भी सुंदर प्रयोग है, और दूसरा डुएट "शिकवा तेरा मैं गाऊँ दिल में समाने वाले, भूले से याद कर ले ओ भूल जाने वाले" भी लता-तलत के गाए युगल गीतों में ख़ास मुकाम रखता है। इस फ़िल्म में लता मंगेशकर ने निर्मला देवी के साथ मिल कर एक और अनमोल गीत गाया था "साजन आए आधी रात"। और तलत महमूद साहब की आवाज़ में "जब किसी के रुख़ पे ज़ुल्फ़ें आके लहराने लगी, हसरतें उठ उठ के अरमानों से टकराने लगी" में तो डी. एन. मधोक साहब रूमानीयत के सर्वोत्तम शिखर पर जैसे विराजमान हों। निर्मला देवी की गाई ठुमरी "लाखों में एक हमारे सैंया" भैरवी में गाई गई थी, जब कि एक और गीत था लता की आवाज़ में "दर्द मिला है तेरे प्यार की निशानी" जो मल्लिका पुखराज की गाई हुई किसी ग़ज़ल से प्रेरीत होकर कॊम्पोज़ की गई थी। अभी उपर हमने फ़िल्म 'वफ़ा' का भी उल्लेख किया था जिसमें इसी साल विनोद ने संगीत दिया था। इस फ़िल्म का लता का गाया "कागा रे जा रे" मास्टर विनोद की श्रेष्ठ रचनाओं में से एक था। क़िस्मत के खेल निराले होते हैं, तभी तो इतनी प्रतिभा के होते हुए भी विनोद को कभी प्रथम श्रेणी के संगीतकारों में शुमार पाने का अवसर नहीं मिल सका, और बहुत कम उम्र में उनकी मृत्यु भी हो गई थी। लीजिए दोस्तों, मास्टर विनोद की याद में आज सुना जाए मधोक साहब का लिखा फ़िल्म 'अनमोल रतन' का यह अनमोल गाना। और इसी अनमोल गीत के साथ 'लता के दुर्लभ दस' शृंखला के पहले हिस्से का समापन हो रहा है। रविवार की शाम से इस शृखला को हम आगे बढ़ाएँगे, और शनिवार की शाम को भी 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के शनिवार विशेषांक में पधारना न भूलिएगा। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि 'अनमोल रतन' में लता के गाए "दर्द मिला है" गीत को कुछ बदलाव करके फ़िल्म 'शर्त' में हेमन्त कुमार ने "मोहब्बत में मेरी तरह जो मिटा हो" तथा एन. दत्ता ने फ़िल्म 'धूल का फूल' में "तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ" में इस्तेमाल किया था।
विशेष सूचना:
लता जी के जनमदिन के उपलक्ष्य पर इस शृंखला के अलावा २५ सितंबर शनिवार को 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें' में होगा लता मंगेशकर विशेष। इस लता विशेषांक में आप लता जी को दे सकते हैं जनमदिन की शुभकामनाएँ बस एक ईमेल के बहाने। लता जी के प्रति अपने उदगार, या उनके गाए आपके पसंदीदा १० गीत, या फिर उनके गाए किसी गीत से जुड़ी आपकी कोई ख़ास याद, या उनके लिए आपकी शुभकामनाएँ, इनमें से जो भी आप चाहें एक ईमेल में लिख कर हमें २० सितंबर से पहले oig@hindyugm.com के पते पर भेज दें। हमें आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
अजय देशपांडे जी ने लता जी के दुर्लभ गीतों को संगृहीत करने के उद्देश्य से एक वेब साईट का निर्माण किया है, जरूर देखिये यहाँ.
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. कल जो गीत बजेगा उसके बनने का साल आप जानते होंगे अगर आपने पिछली दो कड़ियों का आलेख ध्यान से पढ़ा होगा। तो बताइए इस साल की उस फ़िल्म का नाम जिसका यह गीत है और जिसके नायक नायिका हैं राज कपूर और निम्मी। २ अंक।
२. गीतकार बताएँ। ४ अंक।
३. इस गीत के संगीतकार वो हैं जिनका सब से उल्लेखनीय फ़िल्म १९४८-४९ में आयी थी जिसका आशा भोसले और मुकेश का गाया एक युगल गीत हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर बजा चुके हैं। संगीतकार का नाम बताइए। ३ अंक।
४. गीत के मुखड़े में आता है "हम हार गए"। गीत के मुखड़े के पहले चंद शब्द बताइए। १ अंक।
पिछली पहेली का परिणाम -
पवन जी जबरदस्त चल रहे हैं, अवध जी लक्ष्य के कुछ और करीब हुए है. प्रतिभा जी और किशोर जी को बधाई, शेयाला जी की टिपण्णी हमें सबसे अच्छी लगी, जानकारी बांटने के लिए धन्येवाद.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
लता मंगेशकर के गाए कुछ बेहद दुर्लभ और भूले बिसरे सुमधुर गीतों से इन दिनों महक रहा है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का बग़ीचा। ये फ़िल्म संगीत के धरोहर के वो अनमोल रतन हैं जिन्हें दुनिया भुला चुकी है। ये गानें आज मौजूद हैं केवल उन लोगों के पास जिन्हें मालूम है इन दुर्लभ गीतों की कीमत। कहते हैं सुन्हार ही सोने को पहचानता है, तो यहाँ भी वही बात लागू होती है। और ऐसे ही एक सुन्हार हैं नागपुर के श्री अजय देशपाण्डेय, जो लता जी के पुराने गीतों के इस क़दर दीवाने हैं कि एक लम्बे समय से उनके रेयर गीतों को संग्रहित करते चले आए हैं और हाल ही में उन्होंने इस क्षेत्र में अपने काम को आगे बढ़ाते हुए www.rarelatasongs.com नाम की वेबसाइट भी लौंच की है। इस वेबसाइट में आपको क्या मिलेगा, यह आप इस वेबसाइट के नाम से ही अंदाज़ा लगा सकते हैं। तो आज की कड़ी के लिए अजय जी ने चुना है सन् १९५० की फ़िल्म 'अनमोल रतन' का एक अनमोल रतन। जी हाँ, लता जी के गाए गुज़रे ज़माने का यह अनमोल नग़मा है "तारे वो ही हैं, चाँद वही है, हाये मगर वो रात नहीं है"। एक विदाई गीत और उसके बाद तीन चुलबुले गीतों के बाद आज बारी इस ग़मज़दे नग़मे की। 'अनमोल रतन' के संगीतकार थे मास्टर विनोद। इस साल इस फ़िल्म के अलावा विनोद ने बुलो सी. रानी के साथ फ़िल्म 'वफ़ा' में भी संगीत दिया था। डी. एन. मधोक ने 'अनमोल रतन' के गानें लिखे और इस फ़िल्म के निर्देशक थे एम. सादिक़। इसे इत्तेफ़ाक़ ही कहिए या सोचा समझा प्लैन कि १९४४ की फ़िल्म 'रतन' में एम. सादिक़ ही निर्देशक थे, डी. एन. मधोक गीतकार और करण दीवान नायक, और १९५० की फ़िल्म 'अनमोल रतन' में भी ये तीन फिर एक बार साथ में आए और फ़िल्म के शीर्षक भी 'रतन' और 'अनमोल रतन'। शायद 'रतन' की सफलता से प्रेरीत होकर इस फ़िल्म का नाम 'अनमोल रतन' रखा गया होगा, लेकिन अफ़सोस कि 'अनमोल रतन' वो कमाल नहीं दिखा सकी जो कमाल 'रतन' ने दिखाया था। 'रतन' की नायिका थीं स्वर्णलता, और 'अनमोल रतन' के लिए चुना गया मीना कुमारी को। ट्रैजेडी क्वीन मीना कुमारी पर ही फ़िल्माया गया है आज का प्रस्तुत ट्रैजिक गीत।
'अनमोल रतन' के गीतों में आज के इस गीत के अलावा शामिल है लता का ही एकल गीत "मोरे द्वार खुले हैं आने वाले" जो प्रेरीत था "सुहानी रात ढल चुकी" गीत से। दो लता-तलत डुएट्स भी हैं इस ऐल्बम में - "याद आने वाले फिर याद आ रहे हैं" जो फ़िल्म का सब से लोकप्रिय गीत रहा जो कहरवा ताल में स्वरबद्ध किया गया है और बांसुरी का भी सुंदर प्रयोग है, और दूसरा डुएट "शिकवा तेरा मैं गाऊँ दिल में समाने वाले, भूले से याद कर ले ओ भूल जाने वाले" भी लता-तलत के गाए युगल गीतों में ख़ास मुकाम रखता है। इस फ़िल्म में लता मंगेशकर ने निर्मला देवी के साथ मिल कर एक और अनमोल गीत गाया था "साजन आए आधी रात"। और तलत महमूद साहब की आवाज़ में "जब किसी के रुख़ पे ज़ुल्फ़ें आके लहराने लगी, हसरतें उठ उठ के अरमानों से टकराने लगी" में तो डी. एन. मधोक साहब रूमानीयत के सर्वोत्तम शिखर पर जैसे विराजमान हों। निर्मला देवी की गाई ठुमरी "लाखों में एक हमारे सैंया" भैरवी में गाई गई थी, जब कि एक और गीत था लता की आवाज़ में "दर्द मिला है तेरे प्यार की निशानी" जो मल्लिका पुखराज की गाई हुई किसी ग़ज़ल से प्रेरीत होकर कॊम्पोज़ की गई थी। अभी उपर हमने फ़िल्म 'वफ़ा' का भी उल्लेख किया था जिसमें इसी साल विनोद ने संगीत दिया था। इस फ़िल्म का लता का गाया "कागा रे जा रे" मास्टर विनोद की श्रेष्ठ रचनाओं में से एक था। क़िस्मत के खेल निराले होते हैं, तभी तो इतनी प्रतिभा के होते हुए भी विनोद को कभी प्रथम श्रेणी के संगीतकारों में शुमार पाने का अवसर नहीं मिल सका, और बहुत कम उम्र में उनकी मृत्यु भी हो गई थी। लीजिए दोस्तों, मास्टर विनोद की याद में आज सुना जाए मधोक साहब का लिखा फ़िल्म 'अनमोल रतन' का यह अनमोल गाना। और इसी अनमोल गीत के साथ 'लता के दुर्लभ दस' शृंखला के पहले हिस्से का समापन हो रहा है। रविवार की शाम से इस शृखला को हम आगे बढ़ाएँगे, और शनिवार की शाम को भी 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के शनिवार विशेषांक में पधारना न भूलिएगा। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि 'अनमोल रतन' में लता के गाए "दर्द मिला है" गीत को कुछ बदलाव करके फ़िल्म 'शर्त' में हेमन्त कुमार ने "मोहब्बत में मेरी तरह जो मिटा हो" तथा एन. दत्ता ने फ़िल्म 'धूल का फूल' में "तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ" में इस्तेमाल किया था।
विशेष सूचना:
लता जी के जनमदिन के उपलक्ष्य पर इस शृंखला के अलावा २५ सितंबर शनिवार को 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें' में होगा लता मंगेशकर विशेष। इस लता विशेषांक में आप लता जी को दे सकते हैं जनमदिन की शुभकामनाएँ बस एक ईमेल के बहाने। लता जी के प्रति अपने उदगार, या उनके गाए आपके पसंदीदा १० गीत, या फिर उनके गाए किसी गीत से जुड़ी आपकी कोई ख़ास याद, या उनके लिए आपकी शुभकामनाएँ, इनमें से जो भी आप चाहें एक ईमेल में लिख कर हमें २० सितंबर से पहले oig@hindyugm.com के पते पर भेज दें। हमें आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
अजय देशपांडे जी ने लता जी के दुर्लभ गीतों को संगृहीत करने के उद्देश्य से एक वेब साईट का निर्माण किया है, जरूर देखिये यहाँ.
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. कल जो गीत बजेगा उसके बनने का साल आप जानते होंगे अगर आपने पिछली दो कड़ियों का आलेख ध्यान से पढ़ा होगा। तो बताइए इस साल की उस फ़िल्म का नाम जिसका यह गीत है और जिसके नायक नायिका हैं राज कपूर और निम्मी। २ अंक।
२. गीतकार बताएँ। ४ अंक।
३. इस गीत के संगीतकार वो हैं जिनका सब से उल्लेखनीय फ़िल्म १९४८-४९ में आयी थी जिसका आशा भोसले और मुकेश का गाया एक युगल गीत हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर बजा चुके हैं। संगीतकार का नाम बताइए। ३ अंक।
४. गीत के मुखड़े में आता है "हम हार गए"। गीत के मुखड़े के पहले चंद शब्द बताइए। १ अंक।
पिछली पहेली का परिणाम -
पवन जी जबरदस्त चल रहे हैं, अवध जी लक्ष्य के कुछ और करीब हुए है. प्रतिभा जी और किशोर जी को बधाई, शेयाला जी की टिपण्णी हमें सबसे अच्छी लगी, जानकारी बांटने के लिए धन्येवाद.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
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PAWAN KUMAR
Pratibha K-S
Ottawa, Canada
अधिकांश सफल व्यक्ति जिन्हें मैं जानता हूं वे ऐसे व्यक्ति हैं जो बोलते कम और सुनते ज्यादा हैं.
-बर्नार्ड एम. बारूच
उल्लेखनीय फ़िल्म - Lekh
आशा भोसले और मुकेश का गाया एक युगल गीत - Yeh Kaafila Hai Pyar Ka
क्या वोह संगीतकार उषा खन्ना के पिता थे?
अवध लाल
अवध लाल
इस गीत के संगीतकार वो हैं जिनका सब से उल्लेखनीय फ़िल्म १९४८-४९ में आयी थी जिसका आशा भोसले और मुकेश का गाया एक युगल गीत हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर बजा चुके हैं। संगीतकार का नाम बताइए। - Krishna Dayal
Pratibha K-S
Ottawa, Canada
अधिकांश सफल व्यक्ति जिन्हें मैं जानता हूं वे ऐसे व्यक्ति हैं जो बोलते कम और सुनते ज्यादा हैं.
-बर्नार्ड एम. बारूच