Season 3 of new Music, Song # 03
फिर एक नया शुक्रवार आया और लाया हिंद युग्म के तीसरे संगीत सत्र का तीसरा गीत. दोस्तों कुहू गुप्ता से आप हमारी पिछली पेशकश में रूबरू हो चुके हैं, कुहू की तरह ही काव्यानद के माध्यम से आवाज़ से जुड़े एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार जिन्होंने लगातार ३ बार काव्यनाद प्रतियोगिता में विजय पताका फहराई, और उनका गीत "जो तुम आ जाते एक बार" तो जैसे सबकी जुबाँ पर चढ गया, प्रदीप सोमसुन्दरन और निखिल आनंद के साथ उन्होंने "कलम आज उनकी जय बोल" से भी खूब वाह वाही लूटी. जी हाँ हम बात कर रहे हैं श्रीनिवास पंडा की. संगीत महोत्सव के इस तीसरे संस्करण में आज पहली बार श्रीनिवास पंडा एक बार फिर एक नए अंदाज़ में आपके सामने आ रहे हैं, साथ हैं युग्म के वरिष्ठ गीतकारों में से एक सजीव सारथी. इन दोनों के संगम से बना एक आत्मीय भजन जिसे दो संस्करणों में प्रस्तुत किया गया है. एक में आवाज़ है कुहू की तो दूसरा संस्करण खुद श्रीनिवास ने गाया है. तो दोस्तों आज आम प्रेम गीतों से कुछ अलग, भक्ति रस में डूब कर सुना जाए ये भजन, अपने व्यस्त और उलझे बिगड़े इस जीवन में जब दो पल फुर्सत के निकलते हैं तब "उसकी" शरण में कुछ ऐसे ही भाव लेकर हम पहुँचते हैं. सुनिए और अपने स्नेह सुझावों से इन कलाकारों का मार्गदर्शन करें.
गीत के बोल -
(Female)
प्रभु जी,
प्रभु जी , ये दिल मेरा टूटा तारा,
आँखों में नम है खारा खारा,
प्रभु जी,
प्रभु जी, जीवन मेरा दुःख से हारा,
आँखों में नम है खारा खारा….
प्रभु जी….
तुम्हीं दो उजाले,
घना है अँधेरा,
भंवर में है नैय्या,
दिखा दो किनारा,
मुझे पार उतारो, आओ ना,
सुधि न बिसारो, आओ ना,
प्रभु जी,
प्रभु जी, सहारा हो तुम्हीं मेरा,
तुम बिन न कोई आसरा मेरा,
प्रभु जी, संवारो जीवन भी मेरा,
तुम बिन न कोई आसरा मेरा,
प्रभु जी……
भुला दो न मेरे,
अव गुण सारे,
पथ है कठिन ये,
सुनो अब सखा रे
कोई छाँव दे दो आओ ना,
बिगड़ी बना दो आओ ना,
प्रभु जी,
प्रभु जी, मेरी है आस बस तुमसे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी,
प्रभु जी, हाथ अपना रख दो सर पे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी……
(Male)
प्रभु जी,
प्रभु जी, ये दिल मेरा टूटा तारा,
आँखों में नम है खारा खारा,
प्रभु जी,
प्रभु जी, जीवन मेरा दुःख से हारा,
आँखों में नम है खारा खरा,
प्रभु जी…….
कहीं तोड़ दे न,
मुझे ये निराशा,
जला कोई दीपक,
जगा दो न आशा,
अँधेरे बुझा दो आओ न,
कोई राह सुझा दो आओ न,
प्रभु जी,
प्रभु जी, करो न अनसुनी मेरी,
विनती सुनो न अब करो देरी,
प्रभु जी,
प्रभु जी, यही है प्रार्थना मेरी,
विनती सुनो न अब करो देरी,
प्रभु जी……
कड़े रास्तों पे,
मेरे पग न डोले,
घनी धूप है तुम,
र खना संभाले,
विपदा छुड़ाने आओ न,
दुविधा मिटाने आओ न….
प्रभु जी,
प्रभु जी, तुम्हीं हो संबल मेरा,
मांगें सहारा निर्बल तेरा,
प्रभु जी, तेरी शरण मेरा डेरा,
मांगें सहारा निर्बल तेरा….
प्रभु जी ….
प्रभु जी……
यह गीत अब आर्टिस्ट एलोड़ पर बिक्री के लिए उपलब्ध है...जिसकी शर्तों के चलते इस पृष्ठ से निकाल दिया गया है, कृपया सुनने और खरीदने के लिए यहाँ जाएँ.
मेकिंग ऑफ़ "प्रभु जी" - गीत की टीम द्वारा
श्रीनिवास पंडा- इस गीत ने लगभग ६ साल का सफर पूरा किया है. मई २००४ जब इंजीनियरिंग के फाईनल वर्ष में था, तब रोज शाम को मेडिटेशन करने लिए होस्टल की छत पर अकेला जाया करता था. ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, तभी जाने कहाँ से ये धुन जेहन में आ गयी, मेडिटेशन पूरा करने के बाद पाया कि धुन अपना आकार ले चुकी थी, लगा जैसे खुद प्रभु ने ये धुन भेजी है मेरे लिए, वापस कमरे में आकर उस धुन पर दो पंक्तियाँ ओडिया में लिख डाली और एक छोटे से रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया, कुछ दोस्तों को सुनाया, सब ने खूब तारीफ़ की, पर फिर वो मुखडा उसी टेप में ही धरा रह गया. समय गुजरता चला गया, इतना व्यस्त हो चुका था कि मेडिटेशन तो छूट ही गया, बस सुबह ५ मिनट भागवत गीता के २ श्लोक अवश्य पढ़ लेता हूँ. एक शाम थोडा उदास था, सोचा एक भजन क्यों न किया जाए प्रभु जी से प्रार्थना करके मन भी थोडा हल्का हो जायेगा...तब से वही धुन कई बार गुनगुनाता रहा, फिर की बोर्ड लेकर बैठा और अंतरा को भी रिकॉर्ड कर लिया कंप्यूटर में. उसी दिन शाम को सजीव जी को फोन किया, और उनके कहने पर जितना भी रिकॉर्डएड था भेज दिया. इस बीच बाकी संयोजन में जुट गया. होली के अगले दिन सजीव ने शब्द भेज दिए थे. बात बनती हुई लगी तो गीत को थोडा और बढ़ा दिया, फिर लगा कि एक फीमेल संस्करण भी होना चाहिए सेम फीलिंग का, तय हुआ कि दोनों में मुखडा एक सा रखेंगें और अंतरे में जेंडर के अनुरूप बदलाव होंगें. एक हफ्ते में दोनों संस्करण तैयार हुए....मैंने पहली बार कोई गाना गाया है, सजीव जी ने बहुत जगह मेरी मदद की शब्दों को सही करने में, और कुहू ने तो अपने अंदाज़ में इसे एक अलग ही मुकाम दे दिया है...अंतिम परिणाम आपके सामने हैं.
कुहू गुप्ता- श्रीनिवास बहुत ही प्रतिभापूर्ण संगीतकार और सोफ्ट स्पोकेन इंसान हैं. उनके साथ मैं कुछ और गाने भी कर चुकी हूँ. जब उन्होंने ये भजन मुझे भेजा तो मैंने ये मौक़ा मैंने दोनों हाथों से लपक लिया. इसकी रचना बहुत ही सुन्दर है और शब्द भी बहुत ही संवेदनशील जो सजीव ने बखूबी लिखे हैं. इस भजन का पुरुष संस्करण खुद श्रीनिवास ने गाया है. बहुत अच्छे संगीतकार होने के साथ साथ ये बहुत अच्छे गायक भी हैं. मैंने आज तक कोई भी भजन नहीं रिकॉर्ड किया था और मुझे लगा मेरी क्षमता को विस्तारने के लिए ये भजन बिलकुल सही रहेगा. मैं कुछ और कामों में व्यस्त थी तो थोड़ा समय लगा इसे रिकॉर्ड करने में मगर एक दिन लग कर बैठी और भेज दिया श्रीनिवास को मिक्सिंग के लिए. उन्होंने कुछ सुझाव दिए और मैंने एक रीटेक और करके उन्हें फिर भेज दिया. और अगले ही दिन श्रीनिवास ने मिक्सिंग करके फ़टाफ़ट भजन मुझे मेल कर दिया ! मैं तो स्तब्ध ही रह गयी. इस भजन में एक लड़की अपने जीवन का सबके खराब हिस्सा व्यतीत कर रही है और प्रभुजी से उसे बचाने की प्रार्थना कर रही है. आशा करती हूँ आप सभी इस अभिव्यक्ति को मेरी गायकी के द्वारा महसूस कर पायेंगे!
सजीव सारथी-काव्यानाद में श्रीनी और कुहू का काम देखकर बहुत दिनों से मन में इच्छा थी इन दोनों से साथ मिलकर कुछ करने का. एक गीत मैंने खास कुहू के लिए लिखा और श्रीनी को भेजा पर पता नहीं क्यों उस गीत में भी और उसके बाद भी एक आध गीतों में भी कोशिश तो हुई पर बात बन नहीं पायी. फिर २३ तारीख़ शाम को मुझे श्रीनी का फोन आया और कहा कि एक भजन लिखना है, २४ तारीख़ को मेरा जन्मदिन था, और हर जन्मदिन पर कुछ अवश्य लिखता हूँ मैं, मुझे लगा इस बार मुझे सौभाग्य मिला है एक भजन लिखने का, "प्रभु जी" शब्द श्रीनी का ही था, मुझे भी उसे बदलना सही नहीं लगा, धुन सुनने में बहुत सरल लगती थी, पर मीटर बड़ा ही मुश्किल था, शायद "प्रभु जी" ने ही मदद की और अंतिम परिणाम बेहद संतोषजनक रहा. श्रीनी की आवाज़ बहुत अस्वाभाविक है, और उनके गायन में मिटटी की सी खुशबू है कुछ शब्द उनके मुंह से बहुत बढ़िया लगते है जैसे- अनसुनी, बिपदा, दुविधा आदि. और कुहू के लिए क्या कहूँ. मैं उनकी आवाज़ का एक बहुत बड़ा फैन हूँ, उनकी आवाज़ पाकर गीत और भी सुरीला हो जाता है. उनके बाकी सब गीतों से अलग इस गीत में उन्होंने जो स्ट्रेन दिया है, जो कंपन लिया है आवाज़ में वो गजब का है और दर्द के भाव अंतिम पंक्तियों में बहुत उभर कर सामने आते हैं, शुक्रिया श्रीनी इस जन्मदिन के तोहफे के लिए और शुक्रिया कुहू, इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
श्रीनिवास पांडा
मूलरूप से तेलगू और उड़िया गीतों में संगीत देने वाले श्रीनिवास पांडा का एक उड़िया एल्बम 'नुआ पीढ़ी' रीलिज हो चुका है। इन दिनों हैदराबाद में हैं और अमेरिकन बैंक में कार्यरत हैं। गीतकास्ट में लगातार चार बार विजेता रह चुके हैं। 'काव्यनाद' एल्बम में इनके 3 गीत संकलित हैं। पेशे से तकनीककर्मी श्रीनिवास हर गीत को एक नया ट्रीटमेंट देने के लिए जाने जाते हैं
कुहू गुप्ता
पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 6 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं। वैसे ये अपनी संतुष्टि के लिए गाना ही अधिक पसंद करती हैं। इंटरनेट पर नये संगीत में रुचि रखने वाले श्रोताओं के बीच कुहू काफी चर्चित हैं। कुहू ने हिन्द-युग्म ताजातरीन एल्बम 'काव्यनाद' में महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को गाया है, जो इस एल्बम का सबसे अधिक सराहा गया गीत है।
सजीव सारथी
हिन्द-युग्म के 'आवाज़' मंच के प्रधान संपादक सजीव सारथी हिन्द-युग्म के वरिष्ठतम गीतकार हैं। हिन्द-युग्म पर इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीतबद्ध गीत निर्माण का बीज सजीव ने ही डाला है, जो इन्हीं के बागवानी में लगातार फल-फूल रहा है। कविहृदयी सजीव की कविताएँ हिन्द-युग्म के बहुचर्चित कविता-संग्रह 'सम्भावना डॉट कॉम' में संकलित है। सजीव के निर्देशन में ही हिन्द-युग्म ने 3 फरवरी 2008 को अपना पहला संगीतमय एल्बम 'पहला सुर' ज़ारी किया जिसमें 6 गीत सजीव सारथी द्वारा लिखित थे। पूरी प्रोफाइल यहाँ देखें।
Song - Prabhu ji
Voices - Kuhoo Gupta, Srinivas Panda
Music - Srinivas Panda
Lyrics - Sajeev Sarathie
Graphics - Samarth Garg
Song # 02, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm
इस गीत का प्लेयर फेसबुक/ऑरकुट/ब्लॉग/वेबसाइट पर लगाइए
फिर एक नया शुक्रवार आया और लाया हिंद युग्म के तीसरे संगीत सत्र का तीसरा गीत. दोस्तों कुहू गुप्ता से आप हमारी पिछली पेशकश में रूबरू हो चुके हैं, कुहू की तरह ही काव्यानद के माध्यम से आवाज़ से जुड़े एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार जिन्होंने लगातार ३ बार काव्यनाद प्रतियोगिता में विजय पताका फहराई, और उनका गीत "जो तुम आ जाते एक बार" तो जैसे सबकी जुबाँ पर चढ गया, प्रदीप सोमसुन्दरन और निखिल आनंद के साथ उन्होंने "कलम आज उनकी जय बोल" से भी खूब वाह वाही लूटी. जी हाँ हम बात कर रहे हैं श्रीनिवास पंडा की. संगीत महोत्सव के इस तीसरे संस्करण में आज पहली बार श्रीनिवास पंडा एक बार फिर एक नए अंदाज़ में आपके सामने आ रहे हैं, साथ हैं युग्म के वरिष्ठ गीतकारों में से एक सजीव सारथी. इन दोनों के संगम से बना एक आत्मीय भजन जिसे दो संस्करणों में प्रस्तुत किया गया है. एक में आवाज़ है कुहू की तो दूसरा संस्करण खुद श्रीनिवास ने गाया है. तो दोस्तों आज आम प्रेम गीतों से कुछ अलग, भक्ति रस में डूब कर सुना जाए ये भजन, अपने व्यस्त और उलझे बिगड़े इस जीवन में जब दो पल फुर्सत के निकलते हैं तब "उसकी" शरण में कुछ ऐसे ही भाव लेकर हम पहुँचते हैं. सुनिए और अपने स्नेह सुझावों से इन कलाकारों का मार्गदर्शन करें.
गीत के बोल -
(Female)
प्रभु जी,
प्रभु जी , ये दिल मेरा टूटा तारा,
आँखों में नम है खारा खारा,
प्रभु जी,
प्रभु जी, जीवन मेरा दुःख से हारा,
आँखों में नम है खारा खारा….
प्रभु जी….
तुम्हीं दो उजाले,
घना है अँधेरा,
भंवर में है नैय्या,
दिखा दो किनारा,
मुझे पार उतारो, आओ ना,
सुधि न बिसारो, आओ ना,
प्रभु जी,
प्रभु जी, सहारा हो तुम्हीं मेरा,
तुम बिन न कोई आसरा मेरा,
प्रभु जी, संवारो जीवन भी मेरा,
तुम बिन न कोई आसरा मेरा,
प्रभु जी……
भुला दो न मेरे,
अव गुण सारे,
पथ है कठिन ये,
सुनो अब सखा रे
कोई छाँव दे दो आओ ना,
बिगड़ी बना दो आओ ना,
प्रभु जी,
प्रभु जी, मेरी है आस बस तुमसे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी,
प्रभु जी, हाथ अपना रख दो सर पे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी……
(Male)
प्रभु जी,
प्रभु जी, ये दिल मेरा टूटा तारा,
आँखों में नम है खारा खारा,
प्रभु जी,
प्रभु जी, जीवन मेरा दुःख से हारा,
आँखों में नम है खारा खरा,
प्रभु जी…….
कहीं तोड़ दे न,
मुझे ये निराशा,
जला कोई दीपक,
जगा दो न आशा,
अँधेरे बुझा दो आओ न,
कोई राह सुझा दो आओ न,
प्रभु जी,
प्रभु जी, करो न अनसुनी मेरी,
विनती सुनो न अब करो देरी,
प्रभु जी,
प्रभु जी, यही है प्रार्थना मेरी,
विनती सुनो न अब करो देरी,
प्रभु जी……
कड़े रास्तों पे,
मेरे पग न डोले,
घनी धूप है तुम,
र खना संभाले,
विपदा छुड़ाने आओ न,
दुविधा मिटाने आओ न….
प्रभु जी,
प्रभु जी, तुम्हीं हो संबल मेरा,
मांगें सहारा निर्बल तेरा,
प्रभु जी, तेरी शरण मेरा डेरा,
मांगें सहारा निर्बल तेरा….
प्रभु जी ….
प्रभु जी……
यह गीत अब आर्टिस्ट एलोड़ पर बिक्री के लिए उपलब्ध है...जिसकी शर्तों के चलते इस पृष्ठ से निकाल दिया गया है, कृपया सुनने और खरीदने के लिए यहाँ जाएँ.
मेकिंग ऑफ़ "प्रभु जी" - गीत की टीम द्वारा
श्रीनिवास पंडा- इस गीत ने लगभग ६ साल का सफर पूरा किया है. मई २००४ जब इंजीनियरिंग के फाईनल वर्ष में था, तब रोज शाम को मेडिटेशन करने लिए होस्टल की छत पर अकेला जाया करता था. ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, तभी जाने कहाँ से ये धुन जेहन में आ गयी, मेडिटेशन पूरा करने के बाद पाया कि धुन अपना आकार ले चुकी थी, लगा जैसे खुद प्रभु ने ये धुन भेजी है मेरे लिए, वापस कमरे में आकर उस धुन पर दो पंक्तियाँ ओडिया में लिख डाली और एक छोटे से रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया, कुछ दोस्तों को सुनाया, सब ने खूब तारीफ़ की, पर फिर वो मुखडा उसी टेप में ही धरा रह गया. समय गुजरता चला गया, इतना व्यस्त हो चुका था कि मेडिटेशन तो छूट ही गया, बस सुबह ५ मिनट भागवत गीता के २ श्लोक अवश्य पढ़ लेता हूँ. एक शाम थोडा उदास था, सोचा एक भजन क्यों न किया जाए प्रभु जी से प्रार्थना करके मन भी थोडा हल्का हो जायेगा...तब से वही धुन कई बार गुनगुनाता रहा, फिर की बोर्ड लेकर बैठा और अंतरा को भी रिकॉर्ड कर लिया कंप्यूटर में. उसी दिन शाम को सजीव जी को फोन किया, और उनके कहने पर जितना भी रिकॉर्डएड था भेज दिया. इस बीच बाकी संयोजन में जुट गया. होली के अगले दिन सजीव ने शब्द भेज दिए थे. बात बनती हुई लगी तो गीत को थोडा और बढ़ा दिया, फिर लगा कि एक फीमेल संस्करण भी होना चाहिए सेम फीलिंग का, तय हुआ कि दोनों में मुखडा एक सा रखेंगें और अंतरे में जेंडर के अनुरूप बदलाव होंगें. एक हफ्ते में दोनों संस्करण तैयार हुए....मैंने पहली बार कोई गाना गाया है, सजीव जी ने बहुत जगह मेरी मदद की शब्दों को सही करने में, और कुहू ने तो अपने अंदाज़ में इसे एक अलग ही मुकाम दे दिया है...अंतिम परिणाम आपके सामने हैं.
कुहू गुप्ता- श्रीनिवास बहुत ही प्रतिभापूर्ण संगीतकार और सोफ्ट स्पोकेन इंसान हैं. उनके साथ मैं कुछ और गाने भी कर चुकी हूँ. जब उन्होंने ये भजन मुझे भेजा तो मैंने ये मौक़ा मैंने दोनों हाथों से लपक लिया. इसकी रचना बहुत ही सुन्दर है और शब्द भी बहुत ही संवेदनशील जो सजीव ने बखूबी लिखे हैं. इस भजन का पुरुष संस्करण खुद श्रीनिवास ने गाया है. बहुत अच्छे संगीतकार होने के साथ साथ ये बहुत अच्छे गायक भी हैं. मैंने आज तक कोई भी भजन नहीं रिकॉर्ड किया था और मुझे लगा मेरी क्षमता को विस्तारने के लिए ये भजन बिलकुल सही रहेगा. मैं कुछ और कामों में व्यस्त थी तो थोड़ा समय लगा इसे रिकॉर्ड करने में मगर एक दिन लग कर बैठी और भेज दिया श्रीनिवास को मिक्सिंग के लिए. उन्होंने कुछ सुझाव दिए और मैंने एक रीटेक और करके उन्हें फिर भेज दिया. और अगले ही दिन श्रीनिवास ने मिक्सिंग करके फ़टाफ़ट भजन मुझे मेल कर दिया ! मैं तो स्तब्ध ही रह गयी. इस भजन में एक लड़की अपने जीवन का सबके खराब हिस्सा व्यतीत कर रही है और प्रभुजी से उसे बचाने की प्रार्थना कर रही है. आशा करती हूँ आप सभी इस अभिव्यक्ति को मेरी गायकी के द्वारा महसूस कर पायेंगे!
सजीव सारथी-काव्यानाद में श्रीनी और कुहू का काम देखकर बहुत दिनों से मन में इच्छा थी इन दोनों से साथ मिलकर कुछ करने का. एक गीत मैंने खास कुहू के लिए लिखा और श्रीनी को भेजा पर पता नहीं क्यों उस गीत में भी और उसके बाद भी एक आध गीतों में भी कोशिश तो हुई पर बात बन नहीं पायी. फिर २३ तारीख़ शाम को मुझे श्रीनी का फोन आया और कहा कि एक भजन लिखना है, २४ तारीख़ को मेरा जन्मदिन था, और हर जन्मदिन पर कुछ अवश्य लिखता हूँ मैं, मुझे लगा इस बार मुझे सौभाग्य मिला है एक भजन लिखने का, "प्रभु जी" शब्द श्रीनी का ही था, मुझे भी उसे बदलना सही नहीं लगा, धुन सुनने में बहुत सरल लगती थी, पर मीटर बड़ा ही मुश्किल था, शायद "प्रभु जी" ने ही मदद की और अंतिम परिणाम बेहद संतोषजनक रहा. श्रीनी की आवाज़ बहुत अस्वाभाविक है, और उनके गायन में मिटटी की सी खुशबू है कुछ शब्द उनके मुंह से बहुत बढ़िया लगते है जैसे- अनसुनी, बिपदा, दुविधा आदि. और कुहू के लिए क्या कहूँ. मैं उनकी आवाज़ का एक बहुत बड़ा फैन हूँ, उनकी आवाज़ पाकर गीत और भी सुरीला हो जाता है. उनके बाकी सब गीतों से अलग इस गीत में उन्होंने जो स्ट्रेन दिया है, जो कंपन लिया है आवाज़ में वो गजब का है और दर्द के भाव अंतिम पंक्तियों में बहुत उभर कर सामने आते हैं, शुक्रिया श्रीनी इस जन्मदिन के तोहफे के लिए और शुक्रिया कुहू, इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
श्रीनिवास पांडा
मूलरूप से तेलगू और उड़िया गीतों में संगीत देने वाले श्रीनिवास पांडा का एक उड़िया एल्बम 'नुआ पीढ़ी' रीलिज हो चुका है। इन दिनों हैदराबाद में हैं और अमेरिकन बैंक में कार्यरत हैं। गीतकास्ट में लगातार चार बार विजेता रह चुके हैं। 'काव्यनाद' एल्बम में इनके 3 गीत संकलित हैं। पेशे से तकनीककर्मी श्रीनिवास हर गीत को एक नया ट्रीटमेंट देने के लिए जाने जाते हैं
कुहू गुप्ता
पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 6 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं। वैसे ये अपनी संतुष्टि के लिए गाना ही अधिक पसंद करती हैं। इंटरनेट पर नये संगीत में रुचि रखने वाले श्रोताओं के बीच कुहू काफी चर्चित हैं। कुहू ने हिन्द-युग्म ताजातरीन एल्बम 'काव्यनाद' में महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को गाया है, जो इस एल्बम का सबसे अधिक सराहा गया गीत है।
सजीव सारथी
हिन्द-युग्म के 'आवाज़' मंच के प्रधान संपादक सजीव सारथी हिन्द-युग्म के वरिष्ठतम गीतकार हैं। हिन्द-युग्म पर इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीतबद्ध गीत निर्माण का बीज सजीव ने ही डाला है, जो इन्हीं के बागवानी में लगातार फल-फूल रहा है। कविहृदयी सजीव की कविताएँ हिन्द-युग्म के बहुचर्चित कविता-संग्रह 'सम्भावना डॉट कॉम' में संकलित है। सजीव के निर्देशन में ही हिन्द-युग्म ने 3 फरवरी 2008 को अपना पहला संगीतमय एल्बम 'पहला सुर' ज़ारी किया जिसमें 6 गीत सजीव सारथी द्वारा लिखित थे। पूरी प्रोफाइल यहाँ देखें।
Song - Prabhu ji
Voices - Kuhoo Gupta, Srinivas Panda
Music - Srinivas Panda
Lyrics - Sajeev Sarathie
Graphics - Samarth Garg
Song # 02, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm
इस गीत का प्लेयर फेसबुक/ऑरकुट/ब्लॉग/वेबसाइट पर लगाइए
Comments
Thanks !
Gyani Raja Manandhar
प्रभु जी, संवारो जीवन भी मेरा,
तुम बिन न कोई आसरा मेरा,
प्रभु जी……
भुला दो न मेरे,
अव गुण सारे,
पथ है कठिन ये,
सुनो अब सखा रे
कोई छाँव दे दो आओ ना,
बिगड़ी बना दो आओ ना,
प्रभु जी,
प्रभु जी, मेरी है आस बस तुमसे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी,
प्रभु जी, हाथ अपना रख दो सर पे,
शंका मिटा दो सारी दिल से,
प्रभु जी……
बहुत सुंदर रचना,भक्त हृदय के अंतर्मन से उठा नाद -अंतर्नाद-छूता है श्रोता को भी. कहते हैं जब दिल से कोई बात कही जाती है या गाया जाता है वो सीधा दिल तक पहुँचता है.
आम तौर पर भजन के नाम पर जो सुनने को मिल रहा वो मुझे बिलकुल पसंद नही.
'मैं निकला गडी लेके' की धुन पर कोई भजन कैसे मन को छू सकता है.
आपके भजन मुझे अहमद हुसैन मोहोम्मद हुसैन के गाये भजनों जैसे लगे .
भजन गायकी मैं इन दोनों भाइयों का कोई मुकाबला.यूँ कही कई पोपुलर गायकों से ज्यादा बेहतरीन भजन है दोनों के,कभी सुनियेगा.
कुहू और श्री निवास जी की गायकी और संगीत की मधुरता........
बहुत ही प्यारी,दिल को छूने वाली.
मैं स्वयम कई बार सूर ,रसखान,मीरा के भजन गाती हूँ और आश्चर्य बड़ी खूबसूरत धुन बन जाती है स्वत. सजीव आप तीनो के इस् प्रयास को मेरा प्यार.आप लोगों को ???? चलो कर ही लेती हूँ.'
हग' करते हुए प्यार .
जियो,ईश्वर की समीपता का अहसास कराते है ऐसे भजन. आप तीनों को मालूम?
- कुहू
भजन लिखने की प्रेरणा ,
ईश्वरीय प्रेरणा होती है
अत: आप सभी के सामूहिक प्रयास को
ईश्वरीय प्रसाद ही कहूंगी
- बहुत बधाई
भावपूर्ण शब्द और मन से गाया
यह भाव भजन बहुत शांति दे गया
- लावण्या