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गीत में तुमने सजाया रूप मेरा

मिलिए संगीत का नया सितारा 'कुमार आदित्य' से

हिन्द-युग्म ने 'आवाज़' का बीज इंटरनेट रूपी जमीन में पिछले वर्ष इसलिए बोया ताकि इससे उपजने वाले वटवृक्ष की छाया तले नई प्रतिभाएँ सुस्ताएँ, कुछ आराम महसूस करें, इसकी घनी छायातले सुर-साधना कर सकें। २७ अक्टूबर को आवाज़ ने अपनी पहली वर्षगाँठ भी मनाई। और पिछले एक साल में जिस तरह इस वृक्ष को खाद-पानी मिलता रहा उससे यह लगने लगा कि इसकी जड़ें बहुत गहरी जायेंगी और छाया भी घनी से अत्यधिक घनी होती जायेगी।

कुमार आदित्य
आज हम आपको एक और नये कलाकार से मिलवाने जा रहे हैं। इस सत्र में आप हमारे अब तक रीलिज्ज़ १७ गीतों के संगीतकारों के अतिरिक्त ग़ज़ल-नज़्म गायक-संगीतकार रफ़ीक़ शेख़, शिशिर पारखी से मिल चुके हैं। आज सुगम संगीत गायक कुमार आदित्य से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं। आदित्य कुमार हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि डॉ॰ महेन्द्र भटनागर के सुपुत्र हैं। संगीत एवं कला की नगरी ग्वालियर के एक सुप्रसिद्ध सुगम संगीत गायक हैं। इनकी ईश्वरीय प्रदत्त मधुर आवाज़ के कारण श्रोताओं और चाहने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अपनी मधुर आवाज़ में गज़ल गायक के रूप में इन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। संगीत के प्रति समर्पित आदित्य जी को नवीन युगीन आर्केस्ट्रा का जन्मदाता और निर्देशक कहा जाता है। स्वाधीनता प्राप्ति के अर्धशताब्दी समारोह में राजमाता विजया राजे सिंधिया जी ने इन्हें इनके विशिष्ट गायन के लिए सम्मानित एवं पुरुस्कृत किया था। ग्वालियर में ख्याति प्राप्त संस्थाओं द्वारा आयोजित संगीत के कार्यक्रमों में गज़ल गायक के रूप में लोकप्रिय रहे हैं। वर्तमान में आपकी मधुर आवाज़ संगीत के ऐतिहासिक नगर ग्वालियर से निकलकर मुम्बई में अपना ज़ादू बिखेर रही है।

आज इन्हीं की आवाज़ और संगीत निर्देशन में कवि डॉ॰ महेन्द्र भटनागर का एक गीत सुनते हैं 'गीत में तुमने सजाया रूप मेरा'



गीत के बोल

गीत में तुमने सजाया रूप मेरा
मैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊँ

रंग कोमल भावनाओं का भरा
है लहरती देखकर धानी धरा
नेह दो इतना नहीं, सँभलो ज़रा
गीत में तुमने बसाया है मुझे जब
मैं सदा को ध्यान में तुमको बसाऊँ !

बेसहारे प्राण को निज बाँह दी
तप्त तन को वारिदों -सी छाँह दी
और जीने की नयी भर चाह दी
गीत में तुमने जतायी प्रीत अपनी
मैं तुम्हें अपना हृदय गा-गा बताऊँ !


कुमार आदित्य

जन्मतिथि- ४ नवम्बर १९६९
शिक्षा-
परास्तानक ( संगीत/ शास्त्रीय गायन)-इंदिरा कला-संगीत विश्वविद्यालय, खैरगढ़ (म॰प्र॰)
स्नातक (B.Sc.) (गणित)- जिवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म॰ प्र॰)
स्नातक (B.A.) (शास्त्रीय गायन)- जिवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म॰ प्र॰)
संगीत भूषण (तबला)
संगीत विशारद (शास्त्रीय गायन)

कार्य और उपलब्धियाँ-
प्रमाणित गायक (सुगम संगीत/गीत और भजन)- आकाशवाणी केन्द्र, ग्वालियर (१९९४ से)
प्रमाणित संश्लेषक वादक (सिन्थेसाइज़र प्लेयर)- आकाशवाणी केन्द्र, ग्वालियर (१९९८ से)
ग़ज़ल-गायक- ऊषा-किरण पैलेस; ग्वालियर आईटीसी होटेल लिमिटेड और ताज़ होटेल, वेलकम-ग्रुप, ग्वालियर (१९९९ से)
संगीत-निर्देशक- रेडिएण्ट स्कूल, ग्वालियर
संगीत-निर्देशक- न्यू एरा आर्क्रेस्ट्रा, ग्वालियर

संपर्क-
मोबाइल : मुम्बई : 98 198 70192 / 98 928 95148
फोनः ग्वालियर ; 0751-4092908
ईमेल : adityakumar53@gmail.com
विस्तृत परिचय- http://adityakumar53.blogspot.com/

Comments

शोभा said…
आदित्य जी,
बहुत सुंदर गीत प्रस्तुत किया है. गीत के बोल जितने अच्छे हैं आपकी आवाज भी उतनी ही मधुर है. सुर और संगीत का यह सम्मिलन बहुत सुंदर लगा
Anonymous said…
shudh bhasha men aise geeton ko swarbadh karna asaan nahi hai iske liye aditya vishesh badhaai ke haqdaar hain, asha hai jaldi hi hamare friday release section men hame aapka koi naya get sunne ko milega
- sajeev sarathie
rachana said…
बहुत मोहक प्रस्तुति .सुंदर बोलों पे सुंदर ध्वनी सुंदर आवाज
सादर
रचना
आदित्य जी आवाज़ बेशक मधुर है और संगीत संयोजन भी सुंदर है लेकिन मिक्सिंग प्रॉपर नहीं है। कई जगह यदि बहुत गौर से भी सुना जाये तो बोल समझ में नहीं आ रहे। कोई गीत के बोल सामने रखकर नहीं सुनेगा गीत। इसलिए मिक्सिंग का अच्छा होना बेहद ज़रूरी है। मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में आवाज़ पर आपकी और भी खूबसूरत प्रस्तुतियाँ आयेंगी।
आदित्य जी,,
मधुर स्वर और धुन भी सुंदर है पर शैलेश जी की बात सच है....
आवाज़ थोडी और स्पष्ट होनी चाहिए थी.
Rama said…
स्वर, संगीत और प्रस्तुति का समन्वय सराहनीय है...भविष्य में हम और बेहतर सुन पाएंगे आदित्य जी से इसी आकांक्षा के साथ उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।

डा. रमा द्विवेदी

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