दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज
आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, "पहला सुर" में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि, पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह.
शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे".
तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें.
इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें-
The team of "ye zaroori nahi" from "pahla sur" is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shivani Singh's lyrical expressions give it a romantic feel, so friends, just enjoy this beautiful ghazal here and let us know what you feel about it, feel free to give your valuable suggestions as your comments.
To listen to this brand new ghazal, click on the player below-
ग़ज़ल के बोल -
चले जाना कि रात अभी बाकी है,
ठहर जाना हर बात अभी बाकी है.
जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
मगर पल दो पल का, साथ अभी बाकी है.
ठहर जाना....
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
मेरे ख्यालों में तुम रोज आते हो,
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,
तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...
ठहर जाना....
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
SONG # 08, SEASON # 02, "CHALE JAANA", OPENED ON 22/08/2008, AWAAZ HIND YUGM.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.
आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, "पहला सुर" में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि, पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह.
शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे".
तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें.
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The team of "ye zaroori nahi" from "pahla sur" is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shivani Singh's lyrical expressions give it a romantic feel, so friends, just enjoy this beautiful ghazal here and let us know what you feel about it, feel free to give your valuable suggestions as your comments.
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ग़ज़ल के बोल -
चले जाना कि रात अभी बाकी है,
ठहर जाना हर बात अभी बाकी है.
जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
जिंदगी मेरी जो बीती तो युहीं बीत गयी,
मगर पल दो पल का, साथ अभी बाकी है.
ठहर जाना....
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
मेरे ख्यालों में तुम रोज आते हो,
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,
तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...
ठहर जाना....
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP3 | 64Kbps MP3 | Ogg Vorbis |
SONG # 08, SEASON # 02, "CHALE JAANA", OPENED ON 22/08/2008, AWAAZ HIND YUGM.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.
Comments
Aur Rupesh rishi ji ki gayaki ne use aur bhi sunder roop de diya hai..
Shiwani singh ji aue Rupesh rishi ji ko bahut bahut dhanyawaad.
Regards
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
why dont u try to bollywood
u have a gr8 sense of simplicity
plz keep it up
jindagi jo meri beeti to ju hi beet gai
Manvinder
बहुत मजा आया रूपेश जी और शिवानी जी की ये गज़ल सुन कर...
हेडसेट से कानोँ मेँ फूटते हुये मधुर स्वर और रूमानी अन्दाज के भावपूर्ण शब्द रूपेश जी और शिवानी जी की यह अभिनव प्रस्तुति ..... कुछ पलोँ को जीवंत करने मेँ सम्पूर्ण सक्षम है. शुभकामना
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
In lines ko maine kai baar suna. vastav meek-ek shabad. sahej kar rakhne layak hai.
Vijay Sharma
Chennai-09281302261
BADHAI IS SUNDAR GAZAL KE LIE!
bahut sukun milta hai sun kar,itni madhur dhun hai,achhi gazal ban pari hai.sarahneey!
prayas jari rakhen taki aur bhi behtar kaam hota rahe.
shubh kamnayen!
dhanyawaad!
इस ग़ज़ल के बोल और आवाज़ दोनों ही श्रोता को दिल तक छुते है
शिवानीजी तथा रुपेश जी को बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई
gazal ki ye line bahut he pasand aai
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
bahut khub...
DEEPTI
dil ke karib h aur awaz bhi adiya h
in all a gud attempt
no v gud
सर्वप्रथम तो आप लोगों से इतनी देरी से जुङने के लिये
क्षमाप्रार्थी हूँ| आप लोगों ने जिस ह्रदय के साथ इस प्रयास
को सराहा है,मेरे पास आपका आभार व्यक्त करने के लिये
शब्द नहीं हैं|हाँ,अगर आपको ये प्रयास पसन्द आया है तो
ये शिवानी जी के शब्दों का जादू है, जहाँ तक मेरी बात है
तो मै इतना ही कह सकता हूँ कि....
गर श्रोताओं के दिल मे प्यार ना होता
तो दुनियाँ मे कोई भी कलाकार ना होता
आपकी शुभकामनाओं से मेरा बहुत उत्साहवर्धन हुआ है,
प्रयास करूँगा कि भविष्य मे और भी श्रेष्ठ संगीत दे सकूँ|
आपका अपना
रूपेश ऋषि..+91 9811688685
how can u write and sing so much great.
are yaar tumne to kamal kar diya.
aap dono ki jugalbandi kafi achi thee.
ye tumahri fav. gazal me se thee jo aapne behtreen tareeke se gayee.
maine aapko pahli baar suna, bahut acha laga.
Best of luck for next gazals
your son & frnd
Amit Sharma
कैसे भुलाऊं मैं उन चंद बातों को,
बेताब दिन वो मेरे बैचैन रातों को....उन चंद बातों को...
बीते दिनों की, याद बहुत आती है.
ठहर जाना...
In lines ko maine kai baar suna. vastav meek-ek shabad. sahej kar rakhne layak hai.
Vijay Sharma
Chennai-09281302261
sunilkumarsonus@yahoo.com
मगर पल दो पल का, साथ अभी बाकी है.
ठहर जाना
बहोत खूब। शिवानी सिंह का यह गीत और रूपेशकुमार की आवाज़ दोनों ने यह गीत को चार चाँद लगा दीये। अभिनंदन।
Keep it up!
ki do teen se saath le doobe... aapke shabd sunke humare dil se ek hi awaz aayi -----
" chooo kar mere mann ko kiya tune kiya ishara..." ....
gr8 job
keep it up....
It was a really nice experience to hear this Ghazal! Bahut hi khubsoorat lyrics hain...and it is well composed (music & voice).
Keep it up and look forward to the next one!
With lots of love,
-Pranjal
keep up d gud work...
ankur dhaliwal
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,
तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...
Bahot umda... dil ke massom ahsaso ko lafjo me pirone ka Shivaniji ka hoonar sach me kabil e tarif hai.
Ajit Pandey
पलकों से मेरी क्यों नींदें चुराते हो,
तुम्हे भी मेरी याद कभी आती है...
Bahot umda... dil ke massom ahsaso ko lafjo me pirone ka Shivaniji ka hoonar sach me kabil e tarif hai.
Ajit Pandey