रेडियो प्लेबैक इंडिया के इस वार्षिक आयोजन में आप सबका स्वागत है. इस बार वर्ष के टॉप २० गीत चुनने में अहम भूमिका निभाई हमारे श्रोताओं ने भी. हमने आपके सामने रखे थे हमारी टीम द्वारा चुने गए ५० गीत . और आप सबकी वोटिंग के आधार पर हमें मिले उन ५० श्रेष्ठ गीतों में से छन कर आये २० सर्वश्रेष्ठ गीत. वो गीत जो हैं आप यानी हमारे श्रोताओं की राय में वर्ष के सबसे यादगार गीत. याद रहे हमने ५० गीत जो चुने थे वो लोकप्रियता के आधार पर नहीं, वरन वो थे जो हमारी आतंरिक समीक्षा के मापदंडों पर खरे उतरे थे. तो लीजिए आनंद लीजिए साल २०१२ के २० सर्वश्रेष्ठ गीतों का जिन्हें चुना है रेडियो प्लेबैक की टीम और उसके श्रोताओं ने.
स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...
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सभी संगीत प्रेमियों की तरफ से शुक्रिया |
सादर