Skip to main content

चुनिए अपनी पसंद के २० सर्वश्रेष्ठ गीत वर्ष २०१२ के

रेडियो प्लेबैक वार्षिक संगीतमाला २०१२


दोस्तों, वर्ष २००८ से रेडियो प्लेबैक (पहले आवाज़ पर) साल के अंतिम माह में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गीतों की हिट परेड का आयोजन करता आया है. वर्ष २०१२ में इस सालाना उत्सव के ५वें वर्ष में हम इसके प्रारूप में थोडा सा बदलाव करने जा रहे हैं. इस बार से इन श्रेष्ठ गीतों का चुनाव पूरी तरह आप श्रोताओं के हाथों में होगा. हमारी एक विशेष टीम ने मिलकर काफी माथा पच्ची के बाद ५० शानदार गीतों का चयन किया है. याद रहे ये गीत लोकप्रियता के पैमाने पर नहीं चुने गए हैं, बल्कि हमारी टीम ने पूरे साल जिस पैमाने पर गीतों की समीक्षा की है ये सूची उस आधार पर बनायीं गयी है. वर्ष के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों को हम अलग से सुनवायेंगें आपको. प्रस्तुत सूची है उन गीतों की जो रेडियो प्लेबैक की राय में इस साल के सबसे बेहतरीन गीत रहे हैं. प्रस्तुत ५० गीतों में से आपको चुनने हैं साल के २० सर्वश्रेष्ठ गीत. 

१. आप एक साथ अपनी पसंद के २० गीतों को चुन सकते हैं.
२. एक आई पी से एक दिन में एक ही बार वोट कर सकते हैं. 
३. वोटिंग लाईन १६ दिसंबर २०१२ शाम २३.५९ तक खुली रहेगी. यदि आपको लगे कि आपकी पसंद का गीत पिछड़ रहा है तो उसे सबसे ऊंची पायदान पर देखने के लिए उस गीत के लिए आप आज से (१० दिसंबर २०१२ से) दिए गयी अवधि तक रोज वोट कर सकते हैं.
४. आप इस पूल को Share भी कर सकते हैं, ताकि आपके मित्र भी अपनी पसंद व्यक्त कर सकते हैं. 
५. यदि आपकी पसंद का कोई खास गीत इस सूची में शामिल नहीं है तो आप उसे नीचे दिए गए अतिरिक्त बॉक्स में जोड़ सकते हैं.    
तो चलिए हैप्पी वोटिंग

Comments

Popular posts from this blog

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

खमाज थाट के राग : SWARGOSHTHI – 216 : KHAMAJ THAAT

स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट   ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...