स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा
के सौ साल – 27
मैंने देखी पहली फ़िल्म
मैंने देखी पहली फ़िल्म
भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित
विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का
हार्दिक स्वागत है। गत जून मास के दूसरे गुरुवार से हमने आपके संस्मरणों पर
आधारित प्रतियोगिता ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ का आयोजन किया है। इस स्तम्भ
में हमने आपके प्रतियोगी संस्मरण और रेडियो प्लेबैक इण्डिया के संचालक
मण्डल के सदस्यों के गैर-प्रतियोगी संस्मरण प्रस्तुत किये हैं। आज के अंक
में हम उत्तर प्रदेश राज्य के सेवानिवृत्त सूचना अधिकारी सतीश पाण्डेय जी
का प्रतियोगी संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं। सतीश जी ने अपनी पहली देखी
फिल्म ‘हक़ीक़त’ की चर्चा की है। यह भारत की पहली युद्ध विषयक फिल्म मानी
जाती है।
पहली फिल्म देखने के दौरान जब प्रिंसिपल ने हॉल पर छापा मारा : सतीश पाण्डेय
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सतीश जी की देखी पहली और यादगार फिल्म ‘हक़ीक़त’ के बारे में अभी आपने उनका संस्मरण पढ़ा। अब हम आपको इस फिल्म के दो गीत सुनवाते हैं, जो सतीश जी को ही नहीं हम सबको बेहद प्रिय है। 1964 में प्रदर्शित फिल्म ‘हक़ीक़त’ के संगीतकार थे मदनमोहन और गीत लिखे थे कैफी आज़मी ने। दूसरा गीत- ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...’ आज भी प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व पर हम अवश्य सुनते हैं।
फिल्म – हक़ीक़त : ‘हो के मजबूर मुझे...’ : मोहम्मद रफी, तलत महमूद, भूपेन्द्र सिंह और मन्ना डे
आपको सतीश जी का यह संस्मरण कैसा लगा, हमें अवश्य लिखिएगा। आप अपनी प्रतिक्रिया radioplaybackindia@live.com
पर भेज सकते हैं। ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ प्रतियोगिता का यह समापन
संस्मरण था। इस प्रतियोगिता का परिणाम और विजेताओं के नाम इस मास के अन्तिम
गुरुवार अर्थात 27 दिसम्बर को घोषित करेंगे। नए वर्ष से हम इसके स्थान पर
एक नई श्रृंखला आरम्भ करेंगे। आप अपने सुझाव और फरमाइश अवश्य
भेजें।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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