वर्ष २०१२ में श्रोताओं ने क्या क्या सुना, किसे पसंद किया और किसे सिरे से नकार दिया, किन गीतों ने हमारी धडकनों को धड़कने के सबब दिया, किन शब्दों ने हमारे ह्रदय को झकझोरा, और किन किन फनकारों की सदाएं हमारी रूह में उतर कर अपनी जगह बनने में कामियाब रहीं, आईये इस पोडकास्ट में सुनें पूरे वर्ष के संगीत का एक मुक्कमल लेखा जोखा. साथ ही किन संगीत योद्धाओं को हमारे श्रोताओं ने दिया वर्ष-सर्वश्रेष्ठ का खिताब, ये भी जाने. कुछ कदम थिरकाने वाले गीतों के संग आईये अलविदा कहें वर्ष २०१२ को और स्वागत करें २०१३ का. नववर्ष आप सबके लिए मंगलमय हो. इसी कामना के साथ प्रस्तुत है रेडियो प्लेबैक का ये पोडकास्ट.
सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली
सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे
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ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...