स्वरगोष्ठी - विशेष अंक में आज
उत्तर प्रदेश की बाल, किशोर और युवा संगीत प्रतिभाएँ- देवांशु, पूजा, अपूर्वा और भैरवी
उत्तर प्रदेश की बाल, किशोर और युवा संगीत प्रतिभाएँ- देवांशु, पूजा, अपूर्वा और भैरवी
‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’
देवांशु घोष को पुरस्कृत करते हुए
महामहिम राज्यपाल
|
देवांशु घोष |
‘उत्तर प्रदेश की आवाज़’ : देवांशु घोष : वाराणसी : राग शंकरा
पूजा तिवारी |
बाल वर्ग में प्रथम : पूजा तिवारी : लखनऊ : राग मधुवन्ती
अपूर्वा तिवारी |
किशोर वर्ग में प्रथम : अपूर्वा तिवारी : वाराणसी : राग चन्द्रकौंस
बी. भैरवी |
प्रदेश स्तर पर आयोजित इस संगीत-प्रतिभा-प्रतियोगिता के युवा
वर्ग में २० से २४ वर्ष आयु के संगीत-प्रतिभाओं ने हिस्सा लिया। इस वर्ग
में अन्तिम चरण के लिए लखनऊ से दो, देविका रॉय और शैलेन्द्र यादव, कानपुर
से भी दो, अपर्णा द्विवेदी और सीता यादव, बरेली से जयश्री मुखर्जी, वाराणसी
से बी. भैरवी, आगरा से शीतल चौहान, इलाहाबाद से विनीता श्रीवास्तव का चयन
किया गया था। इन प्रतियोगियों के बीच काँटे की टक्कर रही। अन्ततः इस वर्ग
में प्रथम स्थान की हकदार वाराणसी की बी. भैरवी बनीं। द्वितीय स्थान आगरा
की शीतल चौहान को और तृतीय स्थान लखनऊ की देविका रॉय ने प्राप्त किया।
प्रथम पुरस्कार पाने वाली बी. भैरवी ने अन्तिम चरण की प्रतियोगिता में राग पूरिया धनाश्री
में दो चटकदार खयाल प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया था। इस प्रस्तुति में विलम्बित खयाल के बोल थे- ‘बलि बलि जाऊँ...’ और द्रुत तीनताल की अत्यन्त लोकप्रिय
बन्दिश ‘पायलिया झनकार मोरी...’ थी। बी. भैरवी की गायी राग पूरिया धनाश्री की इन दोनों रचनाओं का रसास्वादन आप भी कीजिए।
युवा वर्ग में प्रथम : बी. भैरवी : वाराणसी : राग पूरिया धनाश्री
महामहिम राज्यपाल के साथ विजेता बच्चे |
इन
विजयी संगीत-प्रतिभाओं के अलावा प्रथम चरण की प्रतियोगिता प्रदेश के जिन
अलग-अलग केन्द्रों पर आयोजित हुई थी, उन केन्द्रों पर सर्वोच्च अंक प्राप्त
करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया। नगर की श्रेष्ठ प्रतिभा
के रूप में पुरस्कृत इन प्रतिभाओं ने पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर
प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बी.एल. जोशी के सम्मुख अलग-अलग रागों की
बन्दिशों से पिरोयी एक आकर्षक रागमाला प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इस
प्रस्तुति के प्रतिभागी थे, शीतल चौहान (आगरा), पूजा तिवारी (लखनऊ),
अपूर्वा तिवारी (वाराणसी), आरुल सेठ (गाजियाबाद), सीता यादव (कानपुर),
विनीत श्रीवास्तव (इलाहाबाद), जयश्री मुखर्जी (बरेली) तथा कृतिका
(गोरखपुर)। महामहिम राज्यपाल ने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए इस तथ्य पर
आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकांश प्रतिभाएँ पारम्परिक संगीत परिवार के नहीं
हैं। उन्होने संस्था के कार्यकर्त्ताओं की भरपूर सराहना भी की।
संगीत प्रतिभाओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का उपहार
‘संगीत
मिलन’ द्वारा आयोजित संगीत प्रतियोगिता के बाल, किशोर और युवा वर्ग के सभी
विजेताओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से बहुत-बहुत बधाई और
शुभकामनाएँ। आप सबको हम अपने साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ की सहर्ष
सदस्यता प्रदान करते हैं। आप सब निरन्तर हमारे सम्पर्क में रहें और समय-समय
पर अपनी प्रगति से हमें अवगत कराते रहें। आप अपने कार्यक्रमों के चित्र,
आडियो, वीडियो आदि हमे भेजिए, विशेष अवसरों पर हम उनका उपयोग करेंगे। आपकी
सांगीतिक गतिविधियाँ ‘स्वरगोष्ठी’ अथवा हमारे अन्य नियमित स्तम्भ में शामिल
कर हमें खुशी होगी। नीचे दिये गए ई-मेल पर आप बेहिचक हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ का आज का यह अंक
विशेष अंक है, जिसके माध्यम से हमने संगीत के कुछ नवोदित हस्ताक्षरों को
प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। इसलिए इस अंक में हम पहेली नहीं दे
रहे हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के आगामी अंक से पहेलियों का सिलसिला पूर्ववत जारी
रहेगा। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि
आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम
आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों,
‘स्वरगोष्ठी’ पर इन दिनों लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती
पारम्परिक ठुमरी’ जारी है। इस अंक में हमने आपसे कुछ नवोदित प्रतिभाओं
परिचय कराया है। इसके लिए हमने जारी श्रृंखला को एक सप्ताह का विराम दिया
है। ‘स्वरगोष्ठी’ के अगले अंक में अपनी जारी श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में
ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के अन्तर्गत हम प्रस्तुत करेंगे, एक बेहद
लोकप्रिय ठुमरी भैरवी- ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय...’। यह ठुमरी आप पण्डित
भीमसेन जोशी, विदुषी गिरिजा देवी, पण्डित राजन-साजन मिश्र और फिल्म
‘स्ट्रीट सिंगर’ में चर्चित गायक-अभिनेता कुन्दनलाल सहगल के स्वरों में
सुनेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के अगले अंक में रविवार, प्रातः ९-३० बजे हम इसी मंच
पर पुनः मिलेंगे। अब हमें आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति
दीजिए।
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments
बहुत शुक्रिया आपका इस परिचय के लिए ।
कितना मीठा गाते हैं ये बच्चे ... देवांशु घोष, वी. भेरवी, अपूर्वा तिवारी और पूजा तिवारी ! शास्त्रीय संगीत की एक उज्जवल व सुखद भोर का सा अनुभव हुआ, इन्हें सुन कर ! इनके पास शास्त्रीय संगीत का वह 'तंतू' है जिससे एक दीर्घकालीन संधान हो पाए इस अमूर्त धारा से। ख़याल गायकी के विशाल फलक को ये बच्चे और विस्तार देंगे ... शास्त्रीय संगीत की साधना चल रही है वे भी इतनी तन्मयता व आत्मीयता से दूर-सुदूर के कमरों में, बैठकों में ...महसूस करने में ही कितना आनंद होता है ...संगीत तो जीवन को आनंदमय गति दे, जीवन को भव्यता और वैभव दे।
इन सभी छोटे पर अपनी साधना में बड़े दोस्तों को दिल से शुभकामनाएं ...