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नवोदित संगीत प्रतिभाओ के ताज़गी भरे स्वर


स्वरगोष्ठी - विशेष अंक में आज 

उत्तर प्रदेश की बाल, किशोर और युवा संगीत प्रतिभाएँ- देवांशु, पूजा, अपूर्वा और भैरवी


‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’ 
देवांशु घोष को पुरस्कृत करते हुए 
महामहिम राज्यपाल
अन्य कला-विधाओं की भाँति पारम्परिक संगीत का विस्तार भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होता रहा है। संगीत की नवोदित प्रतिभाओं को खोजने, प्रोत्साहित करने और उनकी प्रतिभा को सही दिशा देने में कुछ संस्थाएँ संलग्न हैं। इनमें एक नाम जुड़ता है, लखनऊ की संस्था ‘संगीत मिलन’ का। संगीत की शिक्षा, शोध और प्रचार-प्रसार में यह संस्था विगत ढाई दशक से संलग्न है। पिछले दिनों संस्था ने पूरे उत्तर प्रदेश में बाल, किशोर और युवा वर्ग की संगीत प्रतिभाओं को खोजने का अभियान चलाया, जिसका समापन गत रविवार को प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बी.एल. जोशी के हाथों विजेता बच्चों को पुरस्कृत करा कर हुआ। ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के विशेष अंक में हम इस प्रतिभा-खोज प्रतियोगिता में चुनी गईं संगीत प्रतिभाओं की गायकी से आपका परिचय कराएँगे।


न्नीसवीं शताब्दी के उत्तर प्रदेश में संगीत-शिक्षा के अनेक केन्द्र थे। वर्तमान समय में भी यह प्रदेश संगीत-शिक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस विस्तृत प्रदेश में समय-समय पर नवोदित संगीत प्रतिभाओं को खोजने का अभियान सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर चलता ही रहता है। गैर-सरकारी स्तर पर पिछले दिनों संगीत-संस्था 'संगीत मिलन' ने प्रतिभ खोज का यह अभियान सफलतापूर्वक सम्पादित किया। पूरे उत्तर प्रदेश से तीन आयु-वर्ग में संगीत प्रतिभाओं को खोजना, सरल नहीं था, किन्तु संस्था के कर्मठ कार्यकर्ताओं- मिलन देवनाथ, अरुंधति चौधरी, प्रदीप नारायण, मंजुला रॉय, मनीषा सक्सेना, अंजना मिश्रा, तरुण तपन भट्टाचार्य आदि ने लगभग चार मास के अथक श्रम से इस अभियान को सफल बनाया।

देवांशु घोष 
यह प्रतियोगिता तीन चरणों में सम्पन्न हुई। प्रथम चरण में प्रदेश के नौ केन्द्रों- गाजियाबाद, मथुरा, आगरा, बरेली, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी और गोरखपुर में प्रतिभाओं का चयन किया गया। प्रथम चरण की प्रतियोगिता में पूरे प्रदेश से लगभग ४०० बाल, किशोर और युवा संगीत-विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इनमें से ७८ का चयन दूसरे चरण की प्रतियोगिता के लिए किया गया। दूसरे चरण की प्रतियोगिता का आयोजन २८ अक्तूबर से २ नवम्बर के बीच लखनऊ में हुआ, जिसमें अन्तिम चरण के लिए २४ प्रतिभागियों को कुना गया। ३ नवम्बर को आयोजित अन्तिम चरण की प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियो का उत्साह चरम पर था। उन्होने अपनी प्रतिभा का बढ़-चढ़ कर प्रदर्शन किया। वरिष्ठ शिक्षकों और संगीतज्ञों के एक दल ने मूल्यांकन कर विभिन्न पुरस्कारों के लिए इनका योग्यता के अनुसार निर्धारण किया। तीनों वर्गों में सर्वाधिक अंक अर्जित कर वाराणसी के देवांशु घोष ने ‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’ (Classical Voice of Uttar Pradesh) का खिताब जीता। १० से १४ वर्ष आयु के बाल वर्ग के अन्तर्गत आने वाले देवांशु ने प्रतियोगिता के अन्तिम चरण में राग शंकरा का विलम्बित खयाल ‘हर हर महादेव...’ और द्रुत खयाल ‘तान तलवार ले...’ का गायन प्रस्तुत कर निर्णायकों समेत सभी दर्शकों को चकित कर दिया। देवांशु द्वारा राग शंकरा की प्रस्तुति का आप भी आनन्द लीजिए-

‘उत्तर प्रदेश की आवाज़’ : देवांशु घोष : वाराणसी : राग शंकरा



पूजा तिवारी 
बाल वर्ग में अन्तिम चरण की प्रतियोगिता के लिए कुल नौ बच्चों- आयुष श्रीवास्तव, शशांक दीक्षित, शाश्वत विश्वकर्मा और ऐश्वर्या गोपन (सभी कानपुर), भरत अंकित और देवांशु घोष (दोनों वाराणसी), चाहत मल्होत्रा और पूजा तिवारी (दोनों लखनऊ) तथा आरुल सेठ (गाजियाबाद) का चयन हुआ था। इनमें तीनों वर्गों में सर्वोच्च अंक पाकर देवांशु घोष तो ‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’ बन ही चुके थे, इसके उपरान्त अधिकतम अंक अर्जित कर लखनऊ की पूजा तिवारी ने बालवर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी क्रम में वाराणसी के भरत अंकित को दूसरा और लखनऊ की चाहत मल्होत्रा को बाल वर्ग में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। आइए, बाल वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त पूजा तिवारी से राग मधुवन्ती सुनते हैं, जिसे उन्होने अन्तिम चयन के दौरान प्रस्तुत किया था। पूजा ने राग मधुवन्ती में दो खयाल प्रस्तुत किये। विलम्बित रचना के बोल थे- ‘लाल के नैना अंजन सोहे...’ और द्रुत खयाल के बोल थे- ‘पवन पुरवाई...’। बाल वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली इस बालिका की प्रस्तुति में स्पष्ट शब्दोच्चार का गुण भी आपको परिलक्षित होगा।


बाल वर्ग में प्रथम : पूजा तिवारी : लखनऊ : राग मधुवन्ती



अपूर्वा तिवारी
१५ से १९ वर्ष आयु अर्थात किशोर वर्ग में अन्तिम प्रतियोगिता के लिए सात प्रतियोगियों का चयन हुआ, जिनमें वाराणसी से चार- अपूर्वा तिवारी, चारुलता मुखर्जी, पूर्णेश भागवत और विलीना पात्रा, लखनऊ से दो- महिमा तिवारी और सृष्टि पाण्डेय तथा कानपुर से एकमात्र अपूर्वा भट्टाचार्य ने अन्तिम चरण में अपनी-अपनी प्रतिभा का श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह भी एक संयोग ही था कि किशोर वर्ग में प्रथम, द्वितीय और तृतीय, तीनों स्थानों पर वाराणसी के प्रतियोगियों का आधिपत्य रहा। यही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश से अन्तिम प्रतियोगिता के लिए चुने गए २४ प्रतियोगियों में वाराणसी और कानपुर से सात-सात तथा लखनऊ से छः प्रतिभागी थे। इस तथ्य से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रदेश के इन तीन नगरों में संगीत-शिक्षण की व्यवस्था सन्तोषजनक है। किशोर वर्ग की अन्तिम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अपूर्वा तिवारी को, द्वितीय स्थान पूर्णेश भागवत को और तृतीय स्थान विलीना पात्रा को मिला। प्रथम स्थान प्राप्त अपूर्वा ने अन्तिम चरण में राग चन्द्रकौंस के दो खयाल क्रमशः ‘आवत ब्रज की नार...’ और ‘गोकुल गाँव के छोरा...’ का जैसा मोहक गायन प्रस्तुत किया था, उन्हें अब आप भी सुनिए। 

किशोर वर्ग में प्रथम : अपूर्वा तिवारी : वाराणसी : राग चन्द्रकौंस


बी. भैरवी

प्रदेश स्तर पर आयोजित इस संगीत-प्रतिभा-प्रतियोगिता के युवा वर्ग में २० से २४ वर्ष आयु के संगीत-प्रतिभाओं ने हिस्सा लिया। इस वर्ग में अन्तिम चरण के लिए लखनऊ से दो, देविका रॉय और शैलेन्द्र यादव, कानपुर से भी दो, अपर्णा द्विवेदी और सीता यादव, बरेली से जयश्री मुखर्जी, वाराणसी से बी. भैरवी, आगरा से शीतल चौहान, इलाहाबाद से विनीता श्रीवास्तव का चयन किया गया था। इन प्रतियोगियों के बीच काँटे की टक्कर रही। अन्ततः इस वर्ग में प्रथम स्थान की हकदार वाराणसी की बी. भैरवी बनीं। द्वितीय स्थान आगरा की शीतल चौहान को और तृतीय स्थान लखनऊ की देविका रॉय ने प्राप्त किया। प्रथम पुरस्कार पाने वाली बी. भैरवी ने अन्तिम चरण की प्रतियोगिता में राग पूरिया धनाश्री में दो चटकदार खयाल प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया था। इस प्रस्तुति में विलम्बित खयाल के बोल थे- ‘बलि बलि जाऊँ...’ और द्रुत तीनताल की अत्यन्त लोकप्रिय बन्दिश ‘पायलिया झनकार मोरी...’ थी। बी. भैरवी की गायी राग पूरिया धनाश्री की इन दोनों रचनाओं का रसास्वादन आप भी कीजिए। 


युवा वर्ग में प्रथम : बी. भैरवी : वाराणसी : राग पूरिया धनाश्री 


महामहिम राज्यपाल के साथ विजेता बच्चे
इन विजयी संगीत-प्रतिभाओं के अलावा प्रथम चरण की प्रतियोगिता प्रदेश के जिन अलग-अलग केन्द्रों पर आयोजित हुई थी, उन केन्द्रों पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया। नगर की श्रेष्ठ प्रतिभा के रूप में पुरस्कृत इन प्रतिभाओं ने पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बी.एल. जोशी के सम्मुख अलग-अलग रागों की बन्दिशों से पिरोयी एक आकर्षक रागमाला प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इस प्रस्तुति के प्रतिभागी थे, शीतल चौहान (आगरा), पूजा तिवारी (लखनऊ), अपूर्वा तिवारी (वाराणसी), आरुल सेठ (गाजियाबाद), सीता यादव (कानपुर), विनीत श्रीवास्तव (इलाहाबाद), जयश्री मुखर्जी (बरेली) तथा कृतिका (गोरखपुर)। महामहिम राज्यपाल ने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकांश प्रतिभाएँ पारम्परिक संगीत परिवार के नहीं हैं। उन्होने संस्था के कार्यकर्त्ताओं की भरपूर सराहना भी की।

संगीत प्रतिभाओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का उपहार 

‘संगीत मिलन’ द्वारा आयोजित संगीत प्रतियोगिता के बाल, किशोर और युवा वर्ग के सभी विजेताओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ। आप सबको हम अपने साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ की सहर्ष सदस्यता प्रदान करते हैं। आप सब निरन्तर हमारे सम्पर्क में रहें और समय-समय पर अपनी प्रगति से हमें अवगत कराते रहें। आप अपने कार्यक्रमों के चित्र, आडियो, वीडियो आदि हमे भेजिए, विशेष अवसरों पर हम उनका उपयोग करेंगे। आपकी सांगीतिक गतिविधियाँ ‘स्वरगोष्ठी’ अथवा हमारे अन्य नियमित स्तम्भ में शामिल कर हमें खुशी होगी। नीचे दिये गए ई-मेल पर आप बेहिचक हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।  


आज की पहेली

‘स्वरगोष्ठी’ का आज का यह अंक विशेष अंक है, जिसके माध्यम से हमने संगीत के कुछ नवोदित हस्ताक्षरों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। इसलिए इस अंक में हम पहेली नहीं दे रहे हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के आगामी अंक से पहेलियों का सिलसिला पूर्ववत जारी रहेगा। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा swargoshthi@gmail.com  या  radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।


झरोखा अगले अंक का

मित्रों, ‘स्वरगोष्ठी’ पर इन दिनों लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ जारी है। इस अंक में हमने आपसे कुछ नवोदित प्रतिभाओं परिचय कराया है। इसके लिए हमने जारी श्रृंखला को एक सप्ताह का विराम दिया है। ‘स्वरगोष्ठी’ के अगले अंक में अपनी जारी श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के अन्तर्गत हम प्रस्तुत करेंगे, एक बेहद लोकप्रिय ठुमरी भैरवी- ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय...’। यह ठुमरी आप पण्डित भीमसेन जोशी, विदुषी गिरिजा देवी, पण्डित राजन-साजन मिश्र और फिल्म ‘स्ट्रीट सिंगर’ में चर्चित गायक-अभिनेता कुन्दनलाल सहगल के स्वरों में सुनेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के अगले अंक में रविवार, प्रातः ९-३० बजे हम इसी मंच पर पुनः मिलेंगे। अब हमें आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।


आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र


Comments

Sajeev said…
bahut hi badhiya prastuti
Sujoy Chatterjee said…
bahut hi achchha lagaa Krishnamohan ji. Radio Playback India ke liye bhi yeh ek uplabdhi hai.
Pankaj Mukesh said…
bahut hi harsh ki baat hai ki radioplaybackindia par is tarah ki nayi prastuti se awgat hona!!!sath hi mere matri-bhoomi varanasi ke itne utkrishth nav kalakaron ke kala se parichit hona mere liye ek garv ki baat hai!!dhanyawaad shri krishnamohan ji!!!
GGShaikh said…
सजीव सार्थी जी,
बहुत शुक्रिया आपका इस परिचय के लिए ।
कितना मीठा गाते हैं ये बच्चे ... देवांशु घोष, वी. भेरवी, अपूर्वा तिवारी और पूजा तिवारी ! शास्त्रीय संगीत की एक उज्जवल व सुखद भोर का सा अनुभव हुआ, इन्हें सुन कर ! इनके पास शास्त्रीय संगीत का वह 'तंतू' है जिससे एक दीर्घकालीन संधान हो पाए इस अमूर्त धारा से। ख़याल गायकी के विशाल फलक को ये बच्चे और विस्तार देंगे ... शास्त्रीय संगीत की साधना चल रही है वे भी इतनी तन्मयता व आत्मीयता से दूर-सुदूर के कमरों में, बैठकों में ...महसूस करने में ही कितना आनंद होता है ...संगीत तो जीवन को आनंदमय गति दे, जीवन को भव्यता और वैभव दे।

इन सभी छोटे पर अपनी साधना में बड़े दोस्तों को दिल से शुभकामनाएं ...

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