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प्लेबैक वाणी - संगीत समीक्षा - जब तक है जान

प्लेबैक वाणी - संगीत समीक्षा - जब तक है जान 

“तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ, तेरी हँसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ, तेरी जुल्फों की लहराती अंगडाईयाँ, नहीं भूलूँगा मैं...जब तक है जान...”, दोस्तों सिने प्रेमी भी यश चोपड़ा और उनकी यादगार फिल्मों को वाकई नहीं भूलेंगें...जब तक है जान...यश जी की हर फिल्म उसके बेहतरीन संगीत के लिए भी दर्शकों और श्रोताओं के दिलो जेहन में हमेशा बसी रहेगीं.

उन्होंने फिल्म और कहानी की जरुरत के मुताबिक अपने गीतकार संगीतकार चुने, मसलन आनंद बख्शी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जबरदस्त सफलता के दौर में उन्होंने एल पी के साथ साहिर की जोड़ी बनायीं “दाग” के लिए और परिणाम जाहिर है उत्कृष्ट ही रहा. वहीँ उन्होंने आनंद बख्शी को मिलाया शिव हरी से और अद्भुत गीत निकलवाये. स्क्रिप्ट लेखक जावेद अख्तर को गीतकार बनाया. खय्याम को “कभी कभी” और उत्तम सिंह को “दिल तो पागल है” के रूप में वो व्यावसयिक कामयाबी दिलवाई जिसके के वो निश्चित ही हकदार थे. मदन मोहन की बरसों पुरानी धुनों को नयी सदी में फिर से जिंदा कर मदन जी को आज के श्रोताओं से रूबरू करवाया.

ये सब सिर्फ और सिर्फ यशी जी ही कर सकते थे. वो कभी पंचम और गुलज़ार के साथ संयुक्त रूप से काम नहीं कर पाए मगर अपनी अंतिम फिल्म में उन्होंने गुलज़ार को टीम-अप किया आज के पंचम यानी ए आर रहमान के साथ. रहमान और गुलज़ार यूँ तो पहले भी मिले हैं और “दिल से”, “साथिया” और “गुरु” जैसी बेमिसाल सौगातें दे चुके हैं, मगर जब साथ हो यश जी का तो उम्मीदें और भी कई गुना बढ़ जाती हैं, आईये देखें कैसा है यश जी की अंतिम फिल्म “जब तक है जान” का संगीत. 

अल्बम रब्बी शेरगिल की रूहानी आवाज़ से खुलता है. वो जब “छल्ला गली गली रुल्दा फिरे...” गाते हैं तो सीधे दिल में उतर जाते हैं. “बुल्ला की जाणा मैं कौन...” गाकर धडकनों में गहरे समाये पंजाबी सूफी गायक रब्बी शेरगिल से बेहतर शायद ही कोई इस गीत के साथ न्याय कर पाता. गिटार की स्वरलहरियों पर थिरकते गुलज़ार के शब्द श्रोताओं को एक अलग ही यात्रा में ले चलते हैं. रहमान की धुन और संगीत संयोजन भी कमाल का है. सुन सुनकर भी मन न भरने वाला है ‘छल्ला’ गीत.

गुलज़ार लिखते हैं “रात तेरी बाहों में कटे तो सुबहें हल्की हल्की लगती है, आँख में रहने लगे हो क्या तुम, क्यों छलकी छलकी लगती हैं...” श्रेया और मोहित की मधुरतम आवाजों में अगला गीत “साँस” वाकई साँसों में बसने वाला है. यश जी रोमांस के बादशाह माने जाते हैं और उनकी फिल्मों ने हमें कई यादगार रोमांटिक गीत दिए हैं, जिनकी धुनें और संयोजन में श्रोताओं की प्रेम के महक गुंथी मिलती है अपनी मिटटी की खुश्बू में, निश्चित ही ‘साँस’ उसी श्रृंखला में एक और खूबसूरत इजाफा करती है.

अगला गीत “इश्क शावा” एक कदम थिरकाने वाला स्ट्रीट डांस सरीखा गीत है. धुवें से भरी मेंडोलिन की सुरंगिनियों को ताल देते राघव माथुर और शिल्पा राव की युगल आवाजें. गीत का अरेबिक फ्लेवर झुमाने वाला है. वैसे तो ऐसे गीत अपने नृत्य संयोजन के कारण अधिक लोकप्रिय होते हैं पर ‘इश्क शावा’ केवल सुनने के लिहाज से भी बेहतरीन है.

अगला गीत मेरा सबसे पसंदीदा है. यूँ भी हर्षदीप कौर की आवाज़ गजब की है उस पर धुन में मिठास के साथ साथ गहरा दर्द भी है जो गुलज़ार के शब्दों में और भी मुखर होकर बिखरता है. गीत के आरंभ में हर्षदीप का आलाप गीत पर यश जी की मोहर साफ़ दर्शाती है. रहमान –गुलज़ार की जोड़ी का एक और यादगार नगमा.

एक नयी उर्जा का संचार है अगले गीत में जिसे गाया है नीति मोहन ने. “जिया रे” खुद से प्यार करने को मजबूर कर देगा आपको. स्वार्थी होने में कोई बुराई बिल्कुल नहीं है, दरअसल जो खुद से प्यार नहीं कर सकता और किसी और और से भी भला कैसे प्यार कर सकता है. गीत के इसी भाव को बहुत खूब शब्द दिए हैं गुलज़ार ने, गीत मधुर है और दिलचस्प भी.

जावेद अली का गाया शीर्षक गीत शुरू में सुनने में कुछ अजीब लगता है पर यकीन मानिये एक दो बार सुनने के बाद ये आपकी जुबाँ पे अवश्य चढ जायेगा. दरअसल ये फिल्म की शीर्षक कविता का ही संगीतमय रूप है. मूल कविता को आवाज़ दी है शाहरुख खान ने. कविता बेहद सुन्दर है पर चूँकि कवि कोई और नहीं गुलज़ार हैं तो थोड़ी सी उम्मीदें और बढ़ जाती है. शाहरुख का अंदाज़ बेमिसाल है और परदे पर इसे देखने के बाद श्रोताओं के ये और अधिक पसंद आएगा यक़ीनन.

‘जब तक है जान’ इस साल की बहतरीन एल्बमों में से एक है. हर गीत एक लाजवाब नगीने जैसा. रेडियो प्लेबैक दे रहा है इस अल्बम को ४.८ की रेटिंग. दिवाली की रोशनियों को जगमगायिये, सुनिए सुनाईये रेडियो प्लेबैक इंडिया. दीपावली मुबारक       




Comments

Sujoy Chatterjee said…
jo bhi hai, Lata ji ke bina Yash ji ke film ka music adhura hai. kam se kam "saans" geet ke liye to Lata aur Udit ko liya ja sakta tha. agar Mohit Chauhan aur Rabbi Shergil ki aawaaz SRK par fit baith sakti hai to Lataji ki aawaaz Katrina ya Anushka ke liye lee ja sakti thi
Sajeev said…
par sujoy mujhe lagta nahin ab lata ji waisa gaa paayengin, haan waise saans is like a tailor made song for her no doubt

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