प्लेबैक वाणी -26 -संगीत समीक्षा - खिलाड़ी 786
साल खत्म होने को है ओर सभी प्रमुख सितारे इस साल को एक यादगार मोड पर छोड़कर आगे बढ़ने के उद्देश्य से इन त्योहारों के मौसम में अपनी सबसे खास फिल्म को लेकर मैदान में उतरते हैं. शाहरुख, अजय देवगन, ओर आमिर के बाद अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित खिलाडी ७८६ भी प्रदर्शन को तैयार है. १९९२ में प्रदर्शित अब्बास मस्तान की ‘खिलाडी’ अक्षय कुमार के लिए वरदान साबित हुई थी. जिसके पश्चात अक्षय खिलाडी श्रृंखला में ढेरों फ़िल्में कर चुके हैं, इनमें से अधिकतर कामियाब रहीं है. खिलाडी ७८६ के संगीतकार हैं हिमेश रेशमिया. गीतकार हैं शब्बीर अहमद, समीर ओर खुद हिमेश. आईये जांचें कैसा संगीत हैं फिल्म खिलाडी ७८६ का संगीत.
यो यो हनी सिंह के रैप से शुरू होता है पहला गीत ‘लोनली’, जिसके बाद हिमेश मायिक सँभालते हैं ओर उनका साथ देती है हम्सिका अय्यर. गीत में हनी सिंह का रैप हिस्सा ही प्रभावित करता है, वैसे हिमेश ने गीत को सँभालने के लिए अपने पुराने हिट गीत की एक पंक्ति को भी उठा लिया है (तेरी याद साथ है). शब्द साधारण है.
‘बलमा’ गीत कहने को विरह का गीत है जिसमें पंचम की झलक साफ़ सुनी ओर महसूस की जा सकती है (महबूबा महबूबा). श्रेया ने हालाँकि गीत में काफी उर्जा भरी है जिनके सामने श्रीराम फीके लगे हैं. पर ये गीत भी दिल में नहीं उतर पाता अफ़सोस.
‘लॉन्ग ड्राईव’ अल्बम के लिए फिर से कुछ उम्मीद जगाता है. गायक के रूप में मिका का चुनाव बहतरीन है जिनकी गायकी ने इस गीत में जबरदस्त उठान दिया है. धुन भी बढ़िया है. रिदम हल्का और मधुर है, और शब्द ठीक ठाक है. अब देखना ये है कि गीत अक्षय पर जचता है या नहीं क्योंकि सुनने में ये रणबीर या शाहिद जैसे किसी स्टार के लिए बना लगता है.
‘सारी सारी रात’ यक़ीनन हिमेश सरीखा गीत है, वोयलीन के पीस से दर्द को उभारा गया है. नयेपन के अभाव में भी ये गीत अल्बम के अन्य गीतों से कुछ बेहतर अवश्य है.
खुद हिमेश अगले गीत में अपने दो पसंदीदा शिष्यों विनीत और अमन थिरका के साथ पार्टी मूड में उतरते हैं जिसको नाम दिया गया है ‘हुक्का बार’. अब किसी का प्यार हुक्का बार कैसे बन जाता है ये अपनी समझ से तो बाहर है. न शब्द न धुन न गायिकी कुछ भी दिल के करीब से भी होकर नहीं गुजरती.
दबंग और सिंघम में जैसे नायक के किरदार को स्थापित किया गया था शीर्षक गीतों से, ठीक वैसे ही यहाँ के शीर्षक गीत में ‘खिलाडी भैया’ को स्थापित किया गया है. पिछले सभी गीतों में इस खिलाडी को जिस रूप में दर्शाया गया था, यहाँ उसका विष्लेषण बिल्कुल उल्टा है. बेस गिटार रह रह कर ‘हुड हुड दबंग’ की याद दिलाता रहता है. यहाँ गीत के शब्दों में कुछ मूड रचने की कोशिश अवश्य की गयी है.
‘तू हूर परी’ में बहतरीन गायक, गायिकाओं की फ़ौज है जो इस साधारण से गीत को सुनने लायक बना ही देते हैं. अल्बम के सभी गीतों का निर्माण स्तर बेहतरीन है पर काश कि यही बात गीतों के स्तर के बारे में भी कही जा सकती. मेरी राय में हिमेश आज के दौर के बेहतरीन संगीतकारों में से एक हैं, मगर उनसे अच्छा काम निकलवाने के लिए निर्माता निर्देशक को सूझ बूझ दिखानी पड़ती है. अब इस फिल्म में तो कहानी भी उनकी है और निर्माता भी वो खुद है. यानी रोक टोक की गुन्जायिश एकदम बारीक. हो सकता है कि उनके जबरदस्त चाहने वालों को मेरी बात बुरी लगे, पर मुझे तो खिलाडी ७८६ के संगीत ने बेहद निराश किया है. रेडियो प्लेबैक दे रहा है इस अल्बम को १.९ की रेटिंग.
यो यो हनी सिंह के रैप से शुरू होता है पहला गीत ‘लोनली’, जिसके बाद हिमेश मायिक सँभालते हैं ओर उनका साथ देती है हम्सिका अय्यर. गीत में हनी सिंह का रैप हिस्सा ही प्रभावित करता है, वैसे हिमेश ने गीत को सँभालने के लिए अपने पुराने हिट गीत की एक पंक्ति को भी उठा लिया है (तेरी याद साथ है). शब्द साधारण है.
‘बलमा’ गीत कहने को विरह का गीत है जिसमें पंचम की झलक साफ़ सुनी ओर महसूस की जा सकती है (महबूबा महबूबा). श्रेया ने हालाँकि गीत में काफी उर्जा भरी है जिनके सामने श्रीराम फीके लगे हैं. पर ये गीत भी दिल में नहीं उतर पाता अफ़सोस.
‘लॉन्ग ड्राईव’ अल्बम के लिए फिर से कुछ उम्मीद जगाता है. गायक के रूप में मिका का चुनाव बहतरीन है जिनकी गायकी ने इस गीत में जबरदस्त उठान दिया है. धुन भी बढ़िया है. रिदम हल्का और मधुर है, और शब्द ठीक ठाक है. अब देखना ये है कि गीत अक्षय पर जचता है या नहीं क्योंकि सुनने में ये रणबीर या शाहिद जैसे किसी स्टार के लिए बना लगता है.
‘सारी सारी रात’ यक़ीनन हिमेश सरीखा गीत है, वोयलीन के पीस से दर्द को उभारा गया है. नयेपन के अभाव में भी ये गीत अल्बम के अन्य गीतों से कुछ बेहतर अवश्य है.
खुद हिमेश अगले गीत में अपने दो पसंदीदा शिष्यों विनीत और अमन थिरका के साथ पार्टी मूड में उतरते हैं जिसको नाम दिया गया है ‘हुक्का बार’. अब किसी का प्यार हुक्का बार कैसे बन जाता है ये अपनी समझ से तो बाहर है. न शब्द न धुन न गायिकी कुछ भी दिल के करीब से भी होकर नहीं गुजरती.
दबंग और सिंघम में जैसे नायक के किरदार को स्थापित किया गया था शीर्षक गीतों से, ठीक वैसे ही यहाँ के शीर्षक गीत में ‘खिलाडी भैया’ को स्थापित किया गया है. पिछले सभी गीतों में इस खिलाडी को जिस रूप में दर्शाया गया था, यहाँ उसका विष्लेषण बिल्कुल उल्टा है. बेस गिटार रह रह कर ‘हुड हुड दबंग’ की याद दिलाता रहता है. यहाँ गीत के शब्दों में कुछ मूड रचने की कोशिश अवश्य की गयी है.
‘तू हूर परी’ में बहतरीन गायक, गायिकाओं की फ़ौज है जो इस साधारण से गीत को सुनने लायक बना ही देते हैं. अल्बम के सभी गीतों का निर्माण स्तर बेहतरीन है पर काश कि यही बात गीतों के स्तर के बारे में भी कही जा सकती. मेरी राय में हिमेश आज के दौर के बेहतरीन संगीतकारों में से एक हैं, मगर उनसे अच्छा काम निकलवाने के लिए निर्माता निर्देशक को सूझ बूझ दिखानी पड़ती है. अब इस फिल्म में तो कहानी भी उनकी है और निर्माता भी वो खुद है. यानी रोक टोक की गुन्जायिश एकदम बारीक. हो सकता है कि उनके जबरदस्त चाहने वालों को मेरी बात बुरी लगे, पर मुझे तो खिलाडी ७८६ के संगीत ने बेहद निराश किया है. रेडियो प्लेबैक दे रहा है इस अल्बम को १.९ की रेटिंग.
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