शब्दों की चाक पर - एपिसोड 11
शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -
1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल यहाँ है.
2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश करेगें.
3. हमारी टीम अपने विवेक से सभी प्रतिभागी कवियों में से किसी एक कवि को उनकी किसी खास कविता के लिए सरताज कवि चुनेगें. आपने अपनी टिप्पणियों के माध्यम से ये बताना है कि क्या आपको हमारा निर्णय सटीक लगा, अगर नहीं तो वो कौन सी कविता जिसके कवि को आप सरताज कवि चुनते.
(नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)
सूचना - इस हफ्ते हम कवितायेँ स्वीकार करेंगें "मैं और मेरा देश" विषय पर. अपनी रचनाएँ आप उपर दिए रश्मि जी के पते पर भेज सकते हैं. गुरूवार शाम तक प्राप्त कवितायेँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
8 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति बेहतरीन ,खूबसूरत आवाजों में| लेखकों और प्रस्तुतकर्ताओं के इस सुन्दर प्रयास से यदि कुछ लोगो के भी बुजुर्गों के प्रति अपने भाव अपने विचार बदलते हैं तो यह प्रयास सार्थक समझेंगे | आज की पीढ़ी को सही दिशा निर्देश देना हम माता पिता का फर्ज बनता है आज की पीढ़ी रास्ते से भटक रही है ------हम अपने बुजुर्गों को प्यार देंगे तो हमारे बच्चे भी हमे प्यार देंगे | हार्दिक बधाई इस प्रोग्राम से जुड़े हर एक सदस्य को |
सुशीला शिवराण जी को हार्दिक बधाई ………शैफ़ाली गुप्ता, अभिषेक ओझा , विश्वदीपक जी, सजीव सारथी और अनुराग ओझा जी सहित सारी टीम बधाई की पात्र है। ये सफ़र यूं ही चलता रहे।
मेरी पहली टिपण्णी जाने कहाँ गायब हो गई ------खूबसूरत ,बेहतरीन आवाजों और शब्दों उन्नत भावों ,और उत्कृष्ट विषय का संगम एक खूबसूरत इंद्र धनुष बनाता हुआ .सार्थक प्रस्तुति ------लेखकों और प्रस्तुत कर्ताओं के इस प्रयास से यदि कुछ लोगों का भी बुजुर्गों के प्रति ह्रदय परिवर्तन होता है तो यह प्रयास सार्थक समझूँगी |इस एपिसोड से जुड़े हर व्यक्ति को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
DR Saraswati Mathur SAYS----------
शैफ़ाली गुप्ता, अभिषेक ओझा , विश्वदीपक जी, सजीव सारथी और अनुराग ओझा जी ,रश्मि जी और हाँ वंदना जी की भागीदारी भी सराहनीय है
सारी टीम बधाई की पात्र है। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
सुशीला जी को भी हार्दिक बधाई !
DR SARASWATI MATHUR
rajesh kumari ji ne jo bujurgon ke dard ka mann ko choo ne wale jo vichaar prakat kiye hain iss ke liye voh badhayi ki haq dar hain. ati sundar
honhaar birwaan ke chikne paat .... saari sambhawnayen dikhaai deti hain
एक संवेदनशील मुद्दे की ओर आकर्षित किये जाने के लिए पूरी टीम को बहुत शुभकामनायें !
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार२१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/2012/08/977.html पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
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