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मैंने देखी पहली फिल्म - रंजना भाटिया का संस्मरण


रंजना भाटिया ने देखी 'अमर अकबर एंथनी' 
मैंने देखी पहली फिल्म : वो यादें जो दिल में कस्तूरी-गन्ध सी बसी हैं 

भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का चौथा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में आप श्री प्रेमचंद सहजवाला की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज अपनी देखी पहली फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ का संस्मरण सुश्री रंजना भाटिया प्रस्तुत कर रही हैं। यह प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्टि है।

जीवन में पहली बार घटने वाला हर प्रसंग रोमांचकारी होता है। पहला पत्र, पहला दोस्त, पहली कविता, पहला प्रेम आदि कुछ ऐसे प्रसंग हैं, जो जीवन भर याद रहते हैं। ऐसे में एक सवाल उठा- पहली देखी पिक्चर का संस्मरण......। सोचने वाली बात है की इनमें किसको पहली पिक्चर कहें...। बचपन में जब बहुत छोटे हों तो माता-पिता के साथ और उन्हीं के शौक पर निर्भर करता है कि आपने कौन सी पिक्चर देखी होगी। मेरे माता-पिता दोनों को पिक्चर देखने का बहुत शौक रहा है। पापा के अनुसार, मैं बहुत छोटी थी, और उन दोनों के साथ ‘संगम’ पिक्चर देखने गई थी। आज भी पापा याद करते हुए बताते हैं कि उस फिल्म का गाना- ‘मैं का करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया...’ वे नहीं देख देख पाए थे, क्यों कि मैंने एक सुर में रोना शुरू कर दिया था। परन्तु यह सब कुछ मेरी यादों में नहीं है।

होश संभालने पर मेरी यादों में जो पिक्चर है, वह अमिताभ बच्चन की ‘अमर अकबर एंथनी’ है। यह पिक्चर मेरे दसवीं के बोर्ड एग्जाम के बाद मैं परिवार के साथ देखने गई थी। फिल्म नारायणा में पायल सिनेमा हॉल में लगी थी। इस हॉल में जाना बहुत स्वाभाविक लगा था, क्योंकि इस हॉल में पहले भी कई बार आना हुआ था। परन्तु पहले पिक्चर में रुचि कम और वहाँ मिलने वाले पोपकार्न और कोला में अधिक होती थी। उस वक्त की कोई पिक्चर याद नहीं है, पर माहौल से अवश्य परिचित रही हूँ। ‘अमर अकबर एंथनी’ पिक्चर मेरी यादों में आज भी बसा हुआ है, क्योंकि इसे देखने के बाद ही पिक्चर देखने का अर्थ पता चला। पिक्चर में अमिताभ बच्चन की एक्टिंग से हम दोनों बहनों का हँस-हँस कर जो बुरा हाल हुआ था, वह बोर्ड के पेपर खत्म होने के उत्साह सा ही रोमांचित कर गया था। तब कहानी भी पूरी समझ में आई। माँ से बिछुड़ने का दर्द भी महसूस हुआ और यह देख कर पहली बार आँसू भी आए। हीरो ऋषि कपूर तभी से ड्रीम हीरो बने और पिक्चर में गाये गए गाने खुद के लिए गाये हुए महसूस हुए। क्या करें, वह उम्र ही ऐसी होती है..., सपनों की..., ख्वाबों की...। तब लगता था कि अमिताभ बच्चन की तरह कोई हीरो मेरी लाइफ में भी आएगा, यूँ ही गुण्डों से ढिशुम-ढिशुम लड़ेगा, गाना गाएगा और इसी तरह से खूब हँसाएगा। इस पिक्चर एक गाना, जो आज भी मुझे बहुत पसन्द है, वो है- ‘देख के तुमको दिल डोला है, खुदा गवाह हम सच बोला है...’। तब हम खुद को परवीन बाबी से कम कहाँ समझते थे, (वैसे तो आज भी नहीं समझते)। परवीन बाबी ने पिक्चर में जैसी ड्रेस पहनी थी वैसी ही ड्रेस मैंने भी बनवाई। आज भी जब यह पिक्चर टी.वी. पर आती है तो वो सिनेमा हॉल, वो माहौल और पिक्चर देखने के बाद वो ड्रेस पहन कर इतराना याद आ जाता है। पर जब इस पिक्चर की यादों को लिखने को कहा गया तो बरबस ही लिखते हुए मुस्कान आ गई। वाकई, पहली याद कोई भी हो, वह दिल में कस्तूरी-गन्ध सी होती है। हम बहुत सी यादें दोहरा लेते हैं, पर पहली पिक्चर की यादों को इस तरह शब्दों में पिरोना सचमुच बहुत अनूठा अनुभव है।

अब हम आपको रंजना जी की देखी पहली फिल्म- ‘अमर अकबर एंथनी’ का वह गीत सुनवाते हैं, जो उन्हें सर्वाधिक पसन्द है।

फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ : ‘देख के तुमको दिल डोला है...’ : किशोर कुमार, लता मंगेशकर मोहम्मद रफी और मुकेश



आपको रंजना जी की देखी पहली फिल्म का संस्मरण कैसा लगा? हमें अवश्य लिखिएगा। आप अपनी प्रतिक्रिया radioplaybackindia@live.com पर भेज सकते हैं। आप भी हमारे इस आयोजन- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ में भाग ले सकते हैं। आपका संस्मरण हम रेडियो प्लेबैक इण्डिया के इस अनुष्ठान में सम्मिलित तो करेंगे ही, यदि हमारे निर्णायकों को पसन्द आया तो हम आपको पुरस्कृत भी करेंगे। आज ही अपना आलेख और एक चित्र हमे radioplaybackindia@live.com पर मेल करें। जिन्होने आलेख पहले भेजा है, उन प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपना एक चित्र भी भेज दें।

प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र

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