संगीत समीक्षा - एक था टाइगर
और अंत में आपकी बात- अमित तिवारी के साथ
जहाँ यश राज फिल्म्स का बैनर हो और सलमान खान हो टाईगर की तरह दहाड़ते हुए परदे पर तो फिल्म से उम्मीदें आसमां छुवेंगीं ही.
सटीक ही था कि फिल्म ने प्रदर्शन के लिए १५ अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस का दिन चुना. बहरहाल आज हम चर्चा करेंगें फिल्म के संगीत की, जिसे रचा है सोहेल सेन ने और अतिथि संगीतकार की भूमिका में हैं साजिद वाजिद.
साजिद वाजिद के बारे में बात करें तो कह सकते हैं कि एक दौर था जब इस संगीतकार जोड़ी पर केवल सलमान खान को ही अटूट विश्वास था, मगर आज साजिद वाजिद एक के बाद एक हिट संगीत रचकर प्रीतम और रहमान को कड़ी टक्कर देने की स्तिथि में है, मगर आज भी जब वो अपने सल्लू भाई की फिल्म के लिए संगीत रचते हैं तो अपना सबकुछ झोंक देते हैं.
वो सलमान ही थे जिन्होंने हिमेश को संगीत जगत में उतरा था, बाद में कुछ मतभेदों के चलते ये जोड़ी टूट सी गयी थी, जिसका फायदा साजिद वाजिद को मिला. हालाँकि सल्लू मियाँ ने हिमेश को वापसी का मौका दिया “बॉडीगार्ड” में जहाँ एक बार फिर हिमेश खरे उतरे थे....
अल्बम में साजिद वाजिद अतिथि संगीतकार के रूप में हैं, पर आश्चर्य कि उन्हीं के गीत को सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त हो रही है. अरेबिक धुन और नृत्य शैलियों की तर्ज पर है “माशाल्लाह”...जिसमें आवाज़ है खुद वाजिद और सुरीली श्रेया की. थिरका देने वाली धुन, कटरीना का बैले नृत्य और सलमान खान की उपस्तिथि सुनिश्चित करती है कि ये गीत साल के सबसे सफलतम गीतों में अवश्य ही शुमार होगा. पारंपरिक वाध्यों जैसे दरबुका, तार ड्रूम, एकतारा और तम्बूरे का सुन्दर इस्तेमाल है पार्श्व में जो इस गीत को एक अलग मुकाम देता है. साजिद वाजिद की गेस्ट भूमिका अल्बम में चार चाँद लगाने के लिए काफी है.
इसके बाद के गीतों का जिम्मा फिल्म के प्रमुख संगीतकार सोहेल सेन उठाते हैं. एक बात गौर करने लायक है. पुराने गीतों में कभी गीतों के नाम नहीं सोचे जाते थे, अमूमन ऑडियो सी डी या कैसट्स में गीत की पहली पंक्ति को ही लिखा जाता था, पर नयी सदी में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि हर गीत का एक नाम हो, जिससे उस गीत की पहचान बने. इन्हीं नामों के लिए गीतकार एक कैच लाईन, शब्द या शब्द युग्म सोचते हैं, इस अल्बम में भी इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है, माशाल्लाह के बाद अगले गीत का नाम है –“लापता”. सालसा अंदाज़ का ये गीत के के और पलक की आवाजों में है. कोरस जबरदस्त है और रिदम गिटार थिरका देने वाला है.
बंजारा गीत से सोहेल अपनी विविधता का दिलचस्प परिचय देते हैं. यहाँ भी पार्श्व वाध्य एक अलग ही मौहौल रच देते हैं. सुखविंदर की जबरदस्त आवाज़ और नीलेश के असरदार शब्द गीत को कामियाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.
कौसर मुनीर के सुन्दर शब्दों से महका है अगला गीत “सय्यारा”, सभी नृत्य प्रधान गीतों से अलग इस गीत की मेलोडी श्रोताओं को खूब भा सकती है. मोहित चौहान की जादू भरी आवाज़ और तरन्नुम मल्लिक के अच्छे साथ ने गीत को बेहद खास बना दिया है.
कुल मिलकर “एक था टाईगर” के गीतों दुनिया भर के संगीत का असर है, देखा जाए तो श्रोताओं को एक ही अल्बम अलग अलग किस्म के संगीत का जायका मिल जाता है. प्लेबैक इंडिया की टीम दे रही है अल्बम को ३.९ की रेटिंग.
अल्बम में साजिद वाजिद अतिथि संगीतकार के रूप में हैं, पर आश्चर्य कि उन्हीं के गीत को सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त हो रही है. अरेबिक धुन और नृत्य शैलियों की तर्ज पर है “माशाल्लाह”...जिसमें आवाज़ है खुद वाजिद और सुरीली श्रेया की. थिरका देने वाली धुन, कटरीना का बैले नृत्य और सलमान खान की उपस्तिथि सुनिश्चित करती है कि ये गीत साल के सबसे सफलतम गीतों में अवश्य ही शुमार होगा. पारंपरिक वाध्यों जैसे दरबुका, तार ड्रूम, एकतारा और तम्बूरे का सुन्दर इस्तेमाल है पार्श्व में जो इस गीत को एक अलग मुकाम देता है. साजिद वाजिद की गेस्ट भूमिका अल्बम में चार चाँद लगाने के लिए काफी है.
इसके बाद के गीतों का जिम्मा फिल्म के प्रमुख संगीतकार सोहेल सेन उठाते हैं. एक बात गौर करने लायक है. पुराने गीतों में कभी गीतों के नाम नहीं सोचे जाते थे, अमूमन ऑडियो सी डी या कैसट्स में गीत की पहली पंक्ति को ही लिखा जाता था, पर नयी सदी में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि हर गीत का एक नाम हो, जिससे उस गीत की पहचान बने. इन्हीं नामों के लिए गीतकार एक कैच लाईन, शब्द या शब्द युग्म सोचते हैं, इस अल्बम में भी इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है, माशाल्लाह के बाद अगले गीत का नाम है –“लापता”. सालसा अंदाज़ का ये गीत के के और पलक की आवाजों में है. कोरस जबरदस्त है और रिदम गिटार थिरका देने वाला है.
बंजारा गीत से सोहेल अपनी विविधता का दिलचस्प परिचय देते हैं. यहाँ भी पार्श्व वाध्य एक अलग ही मौहौल रच देते हैं. सुखविंदर की जबरदस्त आवाज़ और नीलेश के असरदार शब्द गीत को कामियाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.
कौसर मुनीर के सुन्दर शब्दों से महका है अगला गीत “सय्यारा”, सभी नृत्य प्रधान गीतों से अलग इस गीत की मेलोडी श्रोताओं को खूब भा सकती है. मोहित चौहान की जादू भरी आवाज़ और तरन्नुम मल्लिक के अच्छे साथ ने गीत को बेहद खास बना दिया है.
कुल मिलकर “एक था टाईगर” के गीतों दुनिया भर के संगीत का असर है, देखा जाए तो श्रोताओं को एक ही अल्बम अलग अलग किस्म के संगीत का जायका मिल जाता है. प्लेबैक इंडिया की टीम दे रही है अल्बम को ३.९ की रेटिंग.
Comments