Skip to main content

शब्द और आवाज़ की जुगलबंदी

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 01

दोस्तों, इंतज़ार की घड़ियाँ खत्म. ब्लोग्गर चोईस के बाद रश्मि प्रभा जी जिस नए कार्यक्रम को लेकर उपस्तिथ होने वालीं थी उसका शुभारंभ आज यानी ५ जून से आपके इस प्रिय जाल स्थल प्लेबैक इंडिया में हो रहा है. इस अनूठे कार्यक्रम का नाम है - शब्दों की चाक पर. इस कार्यक्रम के निम्न चरण होंगें, कृपया समझ लें -


1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें एक कवि किसी एक खास शब्द से शुरुआत करेगा और अपनी रची कविता में से कोई एक शब्द चुनौती के रूप में आगे रखेगा जिस पर उस चुनती को स्वीकार करने वाले कवि को कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल यहाँ है.


2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश करेगें.

3. हर मंगलवार सुबह ९ से १० के बीच हम इसे अपलोड करेंगें आपके इस प्रिय जाल स्थल पर. अब शुरू होता है कार्यक्रम का दूसरा चरण. मंगलवार को इस पोडकास्ट के प्रसारण के तुरंत बाद से हमारे प्रिय श्रोता सुनी हुई कविताओं में से अपनी पसंद की कविता को वोट दे सकेंगें. सिर्फ कवियों का नाम न लिखें बल्कि ये भी बताएं कि अमुख कविता आपको क्यों सबसे बेहतर लगी. आपके वोट फैसला करेंगें इस बात का कि कौन है हमारे सप्ताह का सरताज कवि. यही सरताज कवि आने वाले सप्ताह में शब्द की नींव रखेगा पुरस्कार स्वरुप.

तो ये थी कार्यक्रम की रूपरेखा. पिछले सोमवार से गुरूवार के बीच जन्मी कविताओं का गुलदस्ता लेकर आज आपके सामने उपस्थित हैं अनुराग शर्मा और अभिषेक ओझा. कवियों से अनुरोध है कि इस सप्ताह यानी सोमवार से शुरू हुए खेल को खेलने के लिए रश्मि जी के मंच पर जाएँ तो हमारे प्रिय श्रोतागणों से निवेदन है कि अपना बहुमूल्य वोट दें और चुने इस सप्ताह का सरताज कवि. उमीद है हमारा ये नया कार्यक्रम आपको पसंद आएगा. सुनिए सुनाईये और छा जाईये...

(नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)  



आप इस प्रसारण को यहाँ से डाउनलोड कर भी सुन सकते हैं

एक गुजारिश - चूँकि ये हमारा पहला प्रयास था, हो सकता है कि इसमें कुछ कमियां रह गयी हों, हम खुद को बेहतर से बेहतर करते जायेगें ये वादा है, समय के अभाव और कुछ तकनीकी कारणों से कुछ कवियों की कवितायेँ छूट गयीं है, कृपया निराश न होयें..अगले प्रयास में आप अवश्य शामिल रहेगें 

Comments

आरम्भ की त्रुटियों के आगे यह प्रयास अति सराहनीय है .... एक बौद्धिक खेल को गंभीर आवाज़ दिया है आपलोगों ने , कवि , कवयित्रियों के साथ आप सब बधाई और शुभकामनाओं के पात्र हैं
Anonymous said…
lau lagay gee eik din
Meenakshi ji ney acha eik shabd deya hai
aasha hai iis ko aagye bhee sunaney ko miley ga

Puran Chand
Sajeev said…
rashmi ji aur unki team anurag ji aur abhishek bhai ka prayas behad shaandaar hai, par sabhi kaviyon se nivedan hai ki kuch aur behtar den apni rachnatmak abhivyakti men taaki padhne waale aur sunne waale jam kar anand le saken...kuch kavitayen behad achhi hain...mera vote rashmi ji kii kavita ke liye hai :)
सदा said…
इस कार्यक्रम की शुरूआत के लिए बहुत-बहुत बधाई इसकी सफलता के लिए आप सभी को अनंत शुभकामनाएं ...
कल 06/06/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


'' क्‍या क्‍या छूट गया ''
aASMAA said…
MY VOTE FOR NEELIMA.SAHAJ SARAL SHABD N NAI NAWELI DULHAN K MAN KI BAAT
एक सार्थक प्रयास ...प्रशंसनीय और श्रमसाध्य कार्य ...
पूरी टीम को बधाई !!

कवि /कवयित्री चुनने के लिए अभी दुबारा सुनना होगा !
vandana gupta said…
ये तो एक बेहतर आयोजन हो गया ………अपनी तरह का अनोखा प्रयास सच मे सराहनीय है………राजेश कुमारी की "आँगन" आज के सच को परिभाषित करती सुन्दर कविता है कैसे संयुक्त परिवार एकल मे तब्दील होते जा रहे हैं।ओह ! मेरी कविता भी शामिल हो गयी ……सुखद आश्चर्य :)
vandana gupta said…
हमारी पसन्द के तो सभी हैं अब किसी एक दो के लिये लिखना तो सही नही होगा सरस दरबारी जी की , विभा रानी जी की , अनुपमा जी की सभी की तो इतनी अच्छीहैं कि किसी के लिये निर्णय करना हमारे लिये तो संभव नही है …………आप ही निर्णय करियेगा हम तो सुनेंगे :)
Kailash Sharma said…
बहुत सुन्दर प्रयास...
sushila said…
अत्यंत सराहनीय प्रयास रश्मि जी ! बधाई आपको और आपकी टीम को!

अपनी कविता "कनखियों से" को सुनना सुखद आश्‍चर्य रहा!

शब्दों की चाक पर यूँ ही परवान चढ़ता रहे!आमीन !
shalini rastogi said…
रश्मि जी , निस्संदेह आपका प्रयास स्वयम में एक अनूठा प्रयोग है... इसकी सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपकी लेखनी की प्रशंसक थी .... आज तो इस कार्य को देख-सुन कर आश्चर्यचकित हूँ .... अपने नाम को सुन विशवास करने में समय लगा .... चंद शब्द जो खेल था ...उसका मान पा बहुत ख़ुशी हुई .... :D मुझे लग रहा है .... किसी एक को चुनने में सभी को परेशानी होगी अत: ये निर्णय आप पर ही रहना चाहिए और सभी को खेल का आनन्द उठाने दीजिये .... !!
Archana Chaoji said…
बहुत ही सुन्दर कार्य और रोचक भी...आपको सुनती रही हूँ ..अभीषेक को एक ही बार सुना था ..बहुत बेहतर ..संयोजन....शब्द और आवाज की जुगल बन्दी रंग लाएगी....बधाई पूरी टीम को....
Mamta Bajpai said…
अच्छा प्रयास है
Rajesh Kumari said…
वाह रश्मि जी वाह आपके अद्दभुत सौजन्य से ...आज ही श्रीनगर से आकर यह प्रोग्राम देखा ....हम सब की कविताओं को इतनी खूबसूरत आवाज देने वालों अनुराग शर्मा और अभिषेक ओझा जी को हार्दिक आभार बहुत उम्दा प्रस्तुति दी है ....सभी ने सुन्दर कवितायेँ रची हैं जश्न शब्द पर वंदना जी ने और महगाई पर अनुपमा जी .विभा जी, मिनाक्षी जी ,पतझड़ के लिए रश्मि जी किसको कहें किसको छोड़ें बहुत कठिन है कहना |

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की