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मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी - इस्मत चुगताई

सुनो कहानी: मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उन्हीं की हिंदी कहानी "गरजपाल की चिट्ठी" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं इस्मत चुगताई की आत्मकथा ''कागज़ी है पैरहन'' से एक बहुत ही सुन्दर, मार्मिक प्रसंग "मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।


अनुराग वत्स के प्रयास से इस प्रसंग का टेक्स्ट सबद... पर उपलब्ध है।

कहानी का कुल प्रसारण समय 6 मिनट 15 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



चौथी के जोडे क़ा शगुन बडा नाजुक़ होता है।
~ इस्मत चुगताई (1911-1991)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी

मेरे घर शिकायत पहुंची कि मैं चाँदी के भगवान की मूर्ति चुरा रही थी। अम्मा ने सर पीट लिया और फिर मुझे भी पीटा।
(इस्मत चुगताई की "मैं एक बच्चे को प्यार कर रही थी" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)


यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#Fifty Eighth Story, Main ek bachche ko pyar kar rahi thi: Ismat Chugtai/Hindi Audio Book/2010/5. Voice: Anurag Sharma

Comments

अनुराग जी वाह बहुत बढ़िया कहानी, मैंने इस्मत जी को बहुत कम पढ़ा है, इनकी कहानियां सुनने का मज़ा कुछ और ही होता है, जब भी सुनो कहानी में आप इस्मत जी कोई कहानी लेकर आते हैं बड़ी खुशी मिलती है. और हाँ "सुनो कहानी" के ऑडियो विमोचन के लिए आपको अग्रिम बधाई....:)
आपकी साहित्य सेवा यूहीं जारी रहे
ेअनुराग जी मैने तो इस्मत जी को कहीं एकाध बार हे पढा है इस लिये मेरे लिये तो ये सौगात है धन्यवाद इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये।
सजीव जी, निर्मला जी, आप दोनों का धन्यवाद!
सजीव जी आपको भी बधाई! सुनो कहानी और गीत कास्ट दोनों की ही सफलता में आपका बहुत योगदान रहा है.
अनुराग जी, इस्मत चुगताई को मैंने भी पहली बार पढा/सुना। यह सौभाग्य हासिल करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

-विश्व दीपक
इस्मत आपा की आत्मकथा से चुना हुआ ये अंश है मुझे बहोत अच्छा लगता है | यहीं सुशी आगे बड़ी होकर उसकी शादी में इस्मत आपा को बुलाती है वो अंश भी कमाल का खूबसूरत है| मैंने हाल ही में एक छोटीसी बैठक में ये दोनों हिस्से जोड़कर पढे थे | अनुरागजी, बहोत अच्छा लगा आपकी आवाज़ में ये सुनकर|

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