स्वरगोष्ठी – 133 में आज
रागों में भक्तिरस – 1
'भवानी दयानी महावाक्वानी सुर नर मुनि जन मानी...'
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भारतीय संगीत के कई राग हैं, जिनमें भक्तिरस खूब मुखर हो जाता है। प्रातःकाल गाये-बजाए जाने वाले राग, विशेषतः राग भैरवी, भक्तिरस की अभिव्यक्ति के लिए आदर्श होते हैं। आज के अंक में हम आपके लिए राग भैरवी में निबद्ध भक्तिरस से अभिसिंचित दो रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। वर्ष 1977 में फिल्म ‘आलाप’ प्रदर्शित हुई थी। फिल्म के संगीत निर्देशक जयदेव ने राग आधारित कई गीतों का समावेश फिल्म में किया था। फिल्म का कथानक संगीत-शिक्षा और साधना पर ही केन्द्रित था। संगीतकार जयदेव ने एक प्राचीन सरस्वती वन्दना- ‘माता सरस्वती शारदा...’ को भी फिल्म में शामिल किया। राग भैरवी में निबद्ध यह वन्दना इसलिए भी रेखांकन योग्य है कि यह युगप्रवर्तक संगीतज्ञ पण्डित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर द्वारा स्वरबद्ध परम्परागत सरस्वती वन्दना है, जिसे फिल्म में यथावत रखा गया था। प्रसंगवश यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय संगीत के इस उद्धारक की आज 140वीं जयन्ती है। पलुस्कर जी का जन्म आज के ही दिन वर्ष 1872 में हुआ था। फिल्म ‘आलाप’ में जयदेव ने इस सरस्वती वन्दना को यथावत सम्मिलित किया। आइए, सुनते हैं, राग भैरवी में निबद्ध यह वन्दना गीत। इस गीत को लता मंगेशकर, येशुदास, दिलराज कौर और मधुरानी ने स्वर दिया है।
राग भैरवी : ‘माता सरस्वती शारदा...’ : फिल्म आलाप : तीनताल
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भैरवी के कोमल स्वर मन को शान्ति प्रदान करता है, वहीं भक्तिरस का संचार करने में भी सहायक होता है। अब हम आपको राग भैरवी में निबद्ध एक बेहद लोकप्रिय सादरा सुनवाते हैं। इस रचना के माध्यम से देवी-स्तुति की गई है। इसे अनेक वरिष्ठ कलासाधक अपने-अपने स्वरों से सुसज्जित कर चुके हैं, परन्तु सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी परवीन सुलताना ने अपने पुकारयुक्त स्वरों में जिस प्रकार इसे प्रस्तुत किया है, उससे यह भक्तिरस की अभिव्यक्ति का श्रेष्ठ उदाहरण हो जाता है। यह रचना झपताल में निबद्ध है।
राग भैरवी : ‘भवानी दयानी महा वाक्वानी सुर नर मुनि जन मानी...’ : बेगम परवीन सुलताना : झपताल
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ की 133वीं संगीत पहेली में हम आपको एक द्रुत खयाल का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 140वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – खयाल के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह रचना किस राग में निबद्ध है?
2 – यह खयाल किस ताल में प्रस्तुत किया गया है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 135वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 131वीं संगीत पहेली में हमने आपको एक कजरी गीत का अन्तरा सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- स्थायी की पंक्ति- ‘बरसन लागी बदरिया रूम झूम के...’ और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- स्वर- विदुषी गिरिजा देवी। दोनों प्रश्नो के उत्तर हमारे नियमित प्रतिभागी जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी, लखनऊ के प्रकाश गोविन्द और जबलपुर की क्षिति तिवारी ने दिया है। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से आरम्भ हुई लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ के अन्तर्गत हमने आज की कड़ी में आपको राग भैरवी की दो रचनाओं का रसास्वादन कराया। अगले अंक में हम आपके लिए एक और भक्तिरस प्रधान राग चुनेंगे और उसमें निबद्ध रचनाएँ भी प्रस्तुत करेंगे। इस श्रृंखला की आगामी कड़ियों के लिए आप अपनी पसन्द के भक्तिरस प्रधान रागों या रचनाओं की फरमाइश कर सकते हैं। हम आपके सुझावों और फरमाइशों का स्वागत करते हैं। अगले अंक में रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर आप सभी संगीत-रसिकों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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