दोस्तों, गायन के क्षेत्र में हजारों प्रतिभाएँ मंच और मौके मिलने के बावजूद सिर्फ इसलिए अनसुनी अनगुनी रह जाती हैं क्योंकि उन्हें वो "बिग ब्रेक सोंग" नहीं मिल पाता जो उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित कर दे. बिग ब्रेक सोंग्स यानी वो गीत, जिसके बाद किसी गायक को फिर अपनी क़ाबलियत साबित करने की आवश्यकता नहीं पड़े, बिग ब्रेक सोंग्स यानी वो गीत जो किसी गायक को घर घर का जाना माना नाम बना दें. बिग ब्रेक सोंग्स के इस पहले सेगमेंट हम चर्चा कर रहे हैं कुमार सानु, उदित नारायण, अलका याग्निक, कविता कृष्णमूर्ति, सोनू निगम, शान, अलीशा चिनॉय, शंकर महादेवन और हरिहरण के करियर में आये बिग ब्रेक सोंग्स की -
स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’ और बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...
Comments
आपकी आवाज भी अत्यंत मनमोहक है !
आडियो क्वालिटी भी बेहतरीन !
सहेजने लायक पोस्ट !
-
आभार !!!
Pankaj Mukesh
Kish..