Taaza Sur Taal (TST) - 17/2011 - DELHI BELLY
फिल्म "खाकी" का वो खूबसूरत गीत आपको याद ही होगा – 'वादा रहा प्यार से प्यार का....". एक बेहद युवा संगीतकार राम संपत ने रचा था इस गीत को. "खाकी" की सफलता के बावजूद राम अभी उस कमियाबी को नहीं छू पाए थे जिसके कि वो निश्चित ही हकदार हैं. आमिर खान की "पीपली लाईव" के महंगाई डायन गीत को जमीनी गीत बनाने में भी उनका योगदान रहा था. शायद वहीँ से प्रभावित होकर आमिर ने अपनी महत्वकांक्षी फिल्म "डेल्ही बेल्ली" में उन्हें बतौर संगीतकार चुना. आईये आज बात करें "डेल्ही बेल्ली" में राम के संगीत की.
कहते हैं फ़िल्में समाज का आईना होते हैं. इस नयी सदी का युवा जिन परेशानियों, कुंठाओं और भावनाओं से उलझ रहा है जाहिर है यही सब आज की फिल्मों में, गीतों में दिखाई सुनाई देगा. अब जो कहते हैं कि आज संगीत बदल गया है कोई उनसे पूछे कि आज दुनिया कितनी बदल गयी है. संगीत भी तो उसके पेरेलल ही चलेगा न. बहरहाल हम आपको बता दें कि डेल्ही बेल्ली एक पूरी तरह से "एक्सपेरिमेंटल" अल्बम है, यानी एक दम कुछ नया ताज़ा, अगर आपके कान इसके लिए तैयार हों तभी इस अल्बम को सुनें. उदाहरण के लिए पहला ही गीत "भाग भाग डी के बोंस" कुछ ऐसा है जो पहली सुनवाई में ही आपको चौका देगा. खुद राम ने इसे अपनी आवाज़ दी है. प्रस्तुत गीत में वो सभी उलझनें, मुश्किलातें, कुंठाएं समाहित है जिसका कि हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं. रोक्क् शैली के इस गीत की रिदम बेहद तेज है ऐसा लगेगा जैसे आप किसी रोलर कोस्र्टर में बैठे हैं और भागे जा रहे हैं, गीत के बोल भी तो आखिर भागने की सलाह दे रहे हैं. कुल मिलाकर ये गीत एक चार्ट बस्टर है इसमें कोई शक नहीं.
डैडी मुझे बोला तू गलती है मेरी,
तुझपे जिंदगानी गिल्टी है मेरी,
साबुन की शकल में निकला तू तो झाग....
खुद पर पड़े माँ बाप की भारी भरकम उम्मीदों के बोझ को आज का युवा और किन शब्दों में व्यक्त करेगा....अल्बम की खासियत है इसकी विविधता, अगला गीत "नक्कड़ वाले डिस्को" एकदम अलग पेस का है. सड़क छाप शब्दों से बुना गया है इस गीत को, जिसे गाया है कीर्ति सगाथिया ने. संगीत संयोजन गीत की जान है. इस गीत को हास्य जोनर का कह सकते हैं. पर है कानों के लिए एक नया अनुभव. मुझे तो मज़ा आया.
चेतन शशितल आपको हैरान करते हैं जब सहगल अंदाज़ में गीत की शुरुआत करते है, गीत का नाम ही "सहगल ब्ल्यूस" है. लाउंज म्यूजिक और सहगल का रेट्रो अंदाज़. २०११ में में १९४१ का मज़ा. "इस दर्द की न है दवाई, मजनूं है या है तू कसाई..." हा हा हा...गजब का संगीत संयोजन, एकदम नया इस्टाईल है राम का.
अगर अल्बम के अब तक के गीत आपको फ्रेश लगे हों तो लीजिए पेश है नए अंदाज़ में बॉलीवुड का तडका मार के, पुरविया संगीत का जादू अगले गीत बेदर्दी राजा में जिसे आवाज़ से संवारा है सोना महापात्रा ने. हारमोनियम के स्वरों को हमने कितना मिस किया है इस नए दशक में, भरपूर आनंद देगा आपको ये गीत अगर आपको ठेठ भारतीय संगीत पसंद है तो.
अगला गीत आपको भारत से सीधे अमेरिका ले जायेगा "गन्स एंड रोसेस" और "मेटालिका" स्टाईल का हार्ड रोक्क् गीत है "जा चुड़ैल". नए दौर की लड़कियां भी नयी है. और लड़के अगर इन्हें समझने में भूल करे तो आश्चर्य क्या. ऐसे में "चुड़ैल" जैसे शब्द स्वाभाविक ही जुबान पे आते है और मुझे लगता है कि लड़कियों को भी अब इन नए संबोधनों से कोई परेशानी नहीं है(बेहद व्यक्तिगत राय है). वैसे सूरज जगन अब इस शैली में मास्टर हो गए हैं. गीत हार्ड रोक्क् से चहेतों को ही अधिक भाएगा.
अगला गीत एक सोफ्ट रोमांटिक गीत है खुद राम और तरन्नुम मालिक की युगल आवाजों में. तरन्नुम आपको याद होगा कभी आवाज़ के इसी मंच पर आई थी गीत "एक धक्का दो" लेकर जिसे आप सब श्रोताओं का भरपूर प्यार भी मिला था. हमें लगा इस गीत के बारे में क्यों न कुछ तरन्नुम से ही पूछा जाए. लीजिए पेश है ये संक्षिप्त सा इंटरव्यू-
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सजीव – राम का संगीत इस अल्बम में बेहद "एक्सपेरिमेंटल" है, कैसा रहा उनके साथ काम करना ?
तरन्नुम – मैंने उनके साथ कुछ जिंगल्स भी किये हैं और उनके साथ काम करना हमेशा ही एक रेफ्रेशिंग तजुर्बा रहा है, अब उनके साथ इस फिल्म में काम करना मेरी खुशकिस्मती रही. वो बहुत जबरदस्त संगीतकार है और एक अच्छे इंसान भी.
सजीव – अगर मै पूछूं "तेरे सिवा" के आलावा आपका पसंदीदा गीत कौन सा है फिल्म का ?
तरन्नुम – ये बेहद मुश्किल सवाल है, क्योंकि हर गीत यहाँ बेहद अलग है, "डी के बॉस" एक रोक्क् गीत है जबकि "बेदर्दी राजा" एक आइटम गीत है. जिसे सोना ने बहुत ही बढ़िया गाया है. और देखा जाए तो "तेरे सिवा" इकलौता रोमांटिक गीत है, तो मैं इस अल्बम के गीतों को एक दूसरे से कम्पेयर नहीं कर सकती, मुझे इसके सभी गीत पसंद है क्योंकि सभी बेहद यूनिक हैं.
सजीव – अच्छा इस गीत से जुडी हुई कोई बात जो याद आती हो ?
तरन्नुम – राम ने मुझे फोन किया और अपने स्टूडियो आने को कहा. सबसे बढ़िया बात ये रही कि राम ने मुझे मात्र १० मिनट में ये गीत समझा दिया सिखा दिया, और सिर्फ २५ मिनट बाद मैं डब्बिंग रूम से बाहर थी और गाना पूरा हो चुका था.
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अल्बम में २ गीत और हैं – स्वीटी तेरा प्यार और आई हेट यू लईक आई लव यू....दोनों ही गीत एक दूसरे से एकदम अलग है हैं और अल्बम की विविधता को बढाते हैं. सभी गीत अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं, शाब्दिक लिहाज से गीत और बढ़िया हो सकते थे, पर शायद फिल्म की जरुरत के हिसाब से उन्हें ऐसा रखा गया हो, बहरहाल लंबे समय बाद राम संपत कुछ ऐसे देने में कामियाब रहे हैं जिसकी उनके जैसे बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार से हमेशा ही उम्मीद रहती है. मुझे व्यक्तिगत तौर पर "डी के बॉस" "सहगल ब्ल्यूस" और "बेदर्दी राजा" बेहद पसंद आये. फिर वही बात कहूँगा ये अल्बम आपके लिए है अगर वाकई कुछ अनसुना, अनूठा सुनने की चाहत रखते हों तो.
आवाज़ रेटिंग - 8.5/10
एक और बात: इस एलबम के सारे गाने आप यहाँ पर सुन सकते हैं।
फिल्म "खाकी" का वो खूबसूरत गीत आपको याद ही होगा – 'वादा रहा प्यार से प्यार का....". एक बेहद युवा संगीतकार राम संपत ने रचा था इस गीत को. "खाकी" की सफलता के बावजूद राम अभी उस कमियाबी को नहीं छू पाए थे जिसके कि वो निश्चित ही हकदार हैं. आमिर खान की "पीपली लाईव" के महंगाई डायन गीत को जमीनी गीत बनाने में भी उनका योगदान रहा था. शायद वहीँ से प्रभावित होकर आमिर ने अपनी महत्वकांक्षी फिल्म "डेल्ही बेल्ली" में उन्हें बतौर संगीतकार चुना. आईये आज बात करें "डेल्ही बेल्ली" में राम के संगीत की.
कहते हैं फ़िल्में समाज का आईना होते हैं. इस नयी सदी का युवा जिन परेशानियों, कुंठाओं और भावनाओं से उलझ रहा है जाहिर है यही सब आज की फिल्मों में, गीतों में दिखाई सुनाई देगा. अब जो कहते हैं कि आज संगीत बदल गया है कोई उनसे पूछे कि आज दुनिया कितनी बदल गयी है. संगीत भी तो उसके पेरेलल ही चलेगा न. बहरहाल हम आपको बता दें कि डेल्ही बेल्ली एक पूरी तरह से "एक्सपेरिमेंटल" अल्बम है, यानी एक दम कुछ नया ताज़ा, अगर आपके कान इसके लिए तैयार हों तभी इस अल्बम को सुनें. उदाहरण के लिए पहला ही गीत "भाग भाग डी के बोंस" कुछ ऐसा है जो पहली सुनवाई में ही आपको चौका देगा. खुद राम ने इसे अपनी आवाज़ दी है. प्रस्तुत गीत में वो सभी उलझनें, मुश्किलातें, कुंठाएं समाहित है जिसका कि हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं. रोक्क् शैली के इस गीत की रिदम बेहद तेज है ऐसा लगेगा जैसे आप किसी रोलर कोस्र्टर में बैठे हैं और भागे जा रहे हैं, गीत के बोल भी तो आखिर भागने की सलाह दे रहे हैं. कुल मिलाकर ये गीत एक चार्ट बस्टर है इसमें कोई शक नहीं.
डैडी मुझे बोला तू गलती है मेरी,
तुझपे जिंदगानी गिल्टी है मेरी,
साबुन की शकल में निकला तू तो झाग....
खुद पर पड़े माँ बाप की भारी भरकम उम्मीदों के बोझ को आज का युवा और किन शब्दों में व्यक्त करेगा....अल्बम की खासियत है इसकी विविधता, अगला गीत "नक्कड़ वाले डिस्को" एकदम अलग पेस का है. सड़क छाप शब्दों से बुना गया है इस गीत को, जिसे गाया है कीर्ति सगाथिया ने. संगीत संयोजन गीत की जान है. इस गीत को हास्य जोनर का कह सकते हैं. पर है कानों के लिए एक नया अनुभव. मुझे तो मज़ा आया.
चेतन शशितल आपको हैरान करते हैं जब सहगल अंदाज़ में गीत की शुरुआत करते है, गीत का नाम ही "सहगल ब्ल्यूस" है. लाउंज म्यूजिक और सहगल का रेट्रो अंदाज़. २०११ में में १९४१ का मज़ा. "इस दर्द की न है दवाई, मजनूं है या है तू कसाई..." हा हा हा...गजब का संगीत संयोजन, एकदम नया इस्टाईल है राम का.
अगर अल्बम के अब तक के गीत आपको फ्रेश लगे हों तो लीजिए पेश है नए अंदाज़ में बॉलीवुड का तडका मार के, पुरविया संगीत का जादू अगले गीत बेदर्दी राजा में जिसे आवाज़ से संवारा है सोना महापात्रा ने. हारमोनियम के स्वरों को हमने कितना मिस किया है इस नए दशक में, भरपूर आनंद देगा आपको ये गीत अगर आपको ठेठ भारतीय संगीत पसंद है तो.
अगला गीत आपको भारत से सीधे अमेरिका ले जायेगा "गन्स एंड रोसेस" और "मेटालिका" स्टाईल का हार्ड रोक्क् गीत है "जा चुड़ैल". नए दौर की लड़कियां भी नयी है. और लड़के अगर इन्हें समझने में भूल करे तो आश्चर्य क्या. ऐसे में "चुड़ैल" जैसे शब्द स्वाभाविक ही जुबान पे आते है और मुझे लगता है कि लड़कियों को भी अब इन नए संबोधनों से कोई परेशानी नहीं है(बेहद व्यक्तिगत राय है). वैसे सूरज जगन अब इस शैली में मास्टर हो गए हैं. गीत हार्ड रोक्क् से चहेतों को ही अधिक भाएगा.
अगला गीत एक सोफ्ट रोमांटिक गीत है खुद राम और तरन्नुम मालिक की युगल आवाजों में. तरन्नुम आपको याद होगा कभी आवाज़ के इसी मंच पर आई थी गीत "एक धक्का दो" लेकर जिसे आप सब श्रोताओं का भरपूर प्यार भी मिला था. हमें लगा इस गीत के बारे में क्यों न कुछ तरन्नुम से ही पूछा जाए. लीजिए पेश है ये संक्षिप्त सा इंटरव्यू-
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सजीव – राम का संगीत इस अल्बम में बेहद "एक्सपेरिमेंटल" है, कैसा रहा उनके साथ काम करना ?
तरन्नुम – मैंने उनके साथ कुछ जिंगल्स भी किये हैं और उनके साथ काम करना हमेशा ही एक रेफ्रेशिंग तजुर्बा रहा है, अब उनके साथ इस फिल्म में काम करना मेरी खुशकिस्मती रही. वो बहुत जबरदस्त संगीतकार है और एक अच्छे इंसान भी.
सजीव – अगर मै पूछूं "तेरे सिवा" के आलावा आपका पसंदीदा गीत कौन सा है फिल्म का ?
तरन्नुम – ये बेहद मुश्किल सवाल है, क्योंकि हर गीत यहाँ बेहद अलग है, "डी के बॉस" एक रोक्क् गीत है जबकि "बेदर्दी राजा" एक आइटम गीत है. जिसे सोना ने बहुत ही बढ़िया गाया है. और देखा जाए तो "तेरे सिवा" इकलौता रोमांटिक गीत है, तो मैं इस अल्बम के गीतों को एक दूसरे से कम्पेयर नहीं कर सकती, मुझे इसके सभी गीत पसंद है क्योंकि सभी बेहद यूनिक हैं.
सजीव – अच्छा इस गीत से जुडी हुई कोई बात जो याद आती हो ?
तरन्नुम – राम ने मुझे फोन किया और अपने स्टूडियो आने को कहा. सबसे बढ़िया बात ये रही कि राम ने मुझे मात्र १० मिनट में ये गीत समझा दिया सिखा दिया, और सिर्फ २५ मिनट बाद मैं डब्बिंग रूम से बाहर थी और गाना पूरा हो चुका था.
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अल्बम में २ गीत और हैं – स्वीटी तेरा प्यार और आई हेट यू लईक आई लव यू....दोनों ही गीत एक दूसरे से एकदम अलग है हैं और अल्बम की विविधता को बढाते हैं. सभी गीत अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं, शाब्दिक लिहाज से गीत और बढ़िया हो सकते थे, पर शायद फिल्म की जरुरत के हिसाब से उन्हें ऐसा रखा गया हो, बहरहाल लंबे समय बाद राम संपत कुछ ऐसे देने में कामियाब रहे हैं जिसकी उनके जैसे बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार से हमेशा ही उम्मीद रहती है. मुझे व्यक्तिगत तौर पर "डी के बॉस" "सहगल ब्ल्यूस" और "बेदर्दी राजा" बेहद पसंद आये. फिर वही बात कहूँगा ये अल्बम आपके लिए है अगर वाकई कुछ अनसुना, अनूठा सुनने की चाहत रखते हों तो.
आवाज़ रेटिंग - 8.5/10
एक और बात: इस एलबम के सारे गाने आप यहाँ पर सुन सकते हैं।
अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं। "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है। आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रूरत है उन्हें ज़रा खंगालने की। हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं।
Comments
सारी इंडस्ट्री इस तरह के गीतों के बारे में एक मत नहीं है। शंकर महादेवन ने कहा है फिल्म की सिचुएशन जो भी हो वो कम से कम ऐसा गीत नहीं बनाएँगे। डी के बोस, पी के बोस भी हो सकता था और तब बाकी बोल वही रहने से गीत का प्रभाव कम नहीं होता था।
ख़ैर राम संपत प्रतिभाशाली हैं, अमिताभ के लिखने की क्षमता को 'आमिर' में ही समझ चुका हूँ, आमिर अलग हटके फिल्में बनाते हैं और यही तिकड़ी ऐसे गीतों के प्रचार प्रसार के लिए जिम्मेदार है सोचकर दुख होता है।