सेर भर सोने को हजार मन कण्डे में, खाक कर छोटू वैद्य रस जो बनाते हैं।
लाल उसे खाते तो यम को लजाते, और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं।
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ, खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं।
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास, और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं।
(पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की "घनाक्षरी", अप्रैल 1931 में "प्रेमा" में प्रकाशित)
'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में श्री हंसराज “सुज्ञ” की हिन्दी लघुकथा ""आसक्ति की मृगतृष्णा" का पॉडकास्ट सुना था। 18 दिसंबर को सरस्वती पत्रिका के कुशल संपादक, साहित्य वाचस्पति और ‘मास्टरजी’ के नाम से प्रसिद्ध हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की पुण्यतिथि पर रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं साहित्य वाचस्पति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ‘मास्टरजी’ की लघुकथा "झलमला", अनुराग शर्मा की आवाज़ में।
प्रस्तुत कहानी "झलमला" का पाठ उदन्ती.कॉम पर पढ़ा जा सकता है। कहानी का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
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#42nd Story, Jhalmala: Padumlal Punnalal Bakshi/Hindi Audio Book/2012/42. Voice: Anurag Sharma
लाल उसे खाते तो यम को लजाते, और बूढ़े उसे खाते देव बन जाते हैं।
रस है या स्वर्ग का विमान है या पुष्प रथ, खाने में देर नहीं, स्वर्ग ही सिधाते हैं।
सुलभ हुआ है खैरागढ़ में स्वर्गवास, और लूट घन छोटू वैद्य सुयश कमाते हैं।
(पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की "घनाक्षरी", अप्रैल 1931 में "प्रेमा" में प्रकाशित)
'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में श्री हंसराज “सुज्ञ” की हिन्दी लघुकथा ""आसक्ति की मृगतृष्णा" का पॉडकास्ट सुना था। 18 दिसंबर को सरस्वती पत्रिका के कुशल संपादक, साहित्य वाचस्पति और ‘मास्टरजी’ के नाम से प्रसिद्ध हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की पुण्यतिथि पर रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं साहित्य वाचस्पति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ‘मास्टरजी’ की लघुकथा "झलमला", अनुराग शर्मा की आवाज़ में।
प्रस्तुत कहानी "झलमला" का पाठ उदन्ती.कॉम पर पढ़ा जा सकता है। कहानी का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी जन्म: २७ मई, १८९४ राजनांदगांव, छत्तीसगढ़, भारत मृत्यु: १८ दिसंबर, १९७१ रायपुर, छत्तीसगढ़, भारत हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "'भाभी क्या तुम्हारे प्रेम के आलोक का इतना ही मूल्य है।?" (डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की लघुकथा "झलमला" से एक अंश) |
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