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Showing posts from August, 2008

आवाज़ की सिफारिश - " रॉक ऑन "

संगीत और दोस्ती पर आधारित ये नई फ़िल्म, एक बेहतरीन प्रस्तुति है और सभी संगीत कर्मियों और संगीत प्रेमियों के लिए " A must watch " है, कहानी है चार दोस्तों की जो की हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा रॉक बैंड बनाना चाहते थे, पर बहुत कोशिशों के बावजूद वो ऐसा नही कर पाते, सब की जिंदगियां अलग अलग रास्तों की तरफ़ मुड जाती है, लगभग १० साल बाद वो फ़िर मिलते हैं, और फ़िर से शुरू करते हैं एक नया सफर....और इस बार... इस बार उन्हें जीतने से कोई नही रोक सकता. अभिषेक कपूर जो इससे पहले "आर्यन" बना चुके हैं, ने पूरी कहानी को जिस अंदाज़ में प्रस्तुत किया है, वह बेमिसाल है, सभी कलकारों, अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली, फरहान अख्तर, लुक केन्नी, और प्राची देसाई (जिन्हें आप अब तक बहु के रूप में देख चुके हैं एकता कपूर के धारावाहिकों में, यहाँ एक बिल्कुल ही अलग अंदाज़ में दिखेंगी) ने बेहतरीन अभिनय किया है, शंकर-एहसान-लोय का संगीत जबरदस्त है. ज्यादा हम क्या कहें, आप ख़ुद देखें और जानें, फ़िल्म का संदेश बेहद साफ़ है, "अपने सपनों को जियो, तो जिंदगी सपनों की तरह खूबसूरत बन जाती है", यही संदेश आवाज़ का

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का दूसरा अंक

पॉडकास्ट के माध्यम से काव्य-पाठों का युग्मन मृदुल कीर्ति लीजिए हम एक बार पुनः हाज़िर हैं पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का नया अंक लेकर। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन भौगौलिक दूरियाँ कम करने का माध्यम है। पिछले महीने शुरू हुए इस आयोजन को मिली कामयाबी ने हमें दूसरी बार करने का दमखम दिया। पिछली बार के संचालन से हमारी एक श्रोता मृदुल कीर्ति बिल्कुल संतुष्ट नहीं थीं, उन्होंने हमसे संचालन करने का अवसर माँगा, हमने खुशी-खुशी उन्हें यह कार्य सौंपा और जो उत्पाद निकलकर आया, वो आपके सामने हैं। इस बार के पॉडकास्ट कवि सम्मेलन ने ग़ाज़ियाबाद से कमलप्रीत सिंह, धनवाद से पारूल, फ़रीदाबाद से शोभा महेन्द्रू, पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा, म॰प्र॰ से प्रदीप मानोरिया, पुणे से पीयूष के मिश्रा तथा अमेरिका से ही मृदुल कीर्ति को युग्मित किया है। इनके अतिरिक्त शिवानी सिंह और नीरा राजपाल की भी रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई लेकिन एम्पलीफिकेशन के बावज़ूद स्वर बहुत धीमा रहा, इसलिए हम इन्हें शामिल न कर सके, जिसका हमें दुःख है। नीचे के प्लेयरों से सुनें। (ब्रॉडबैंड वाले यह प्लेयर चलायें) (डायल-अप वाले यह प्लेयर चलायें) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन

प्रेमचंद की कहानी 'अनाथ लड़की' का पॉडकास्ट

सुनो कहानीः प्रेमचंद की कहानी 'अनाथ लड़की' का पॉडकास्ट 'सुनो कहानी' के स्तम्भ के तहत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियों का पॉडकास्ट। अभी पिछले सप्ताह आपने सुना था अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की कहानी 'अंधेर' का पॉडकास्ट। आज हम लेकर आये हैं अनुराग की ही आवाज़ में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कहानी 'अनाथ लड़की' का पॉडकास्ट। सुनें और बतायें कि कहाँ क्या कमी रह गई? आपको अच्छा लगा तो कितान और बुरा लगा तो कितना? नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis आज भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें। #Second Story, Anath Ladaki: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/03. Voice: Anuraag Sharma

अब तक के संगीतबद्ध गीत सुनें

हिन्द-युग्म पर अब तक के रीलिज्ड सभी गीतों को आप यहाँ सुन सकते हैं। हम अलग-अलग प्लेयरों में अलग-अलग तरीके से गीत सुनने का विकल्प दे रहे हैं। नीचे के विकल्पों से अपने पसंद का नेवीगेशन चुनें सभी गीत जुलाई 2008 रीलिज अगस्त 2008 रीलिज 4 जुलाई 2008 से लेकर अब तक के रीलिज्ड गीत जुलाई 2008 के रीलिज्ड गीत अगस्त 2008 के रीलिज्ड गीत

इस बार, नज़रों के वार, आर या पार...

दूसरे सत्र के नवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. इन्टरनेट गठजोड़ का एक और ताज़ा उदाहरण है ये नया गीत, IIT खड़कपुर के छात्र ( आजकल पुणे में कार्यरत ), और हिंद युग्म के बेहद मशहूर कवि विश्व दीपक 'तनहा' ने अपना लिखा गीत भेजा, युग्म के सबसे युवा संगीतकार सुभोजित को, और जब गीत को आवाज़ दी दूर ब्रिस्टल (UK) में बैठे गायक बिस्वजीत ने, तो बना, सत्र का नवां गीत. " आवारा दिल ", सुभोजित के ये दूसरा गीत है, वहीँ " जीत के गीत " गाते, बिस्वजीत अब युग्म के चेहेते गायक बन चुके हैं, तनहा का ये पहला गीत है, इस आयोजन में, जिनका कहना है - "प्रेयसी सब को प्रिय होती है,परंतु जिसकी प्रेयसी हो हीं नहीं,उसके लिए तो प्रेयसी कुछ और हीं हो जाती है। यह गीत मुझ जैसे हीं एक अनजान प्रेमी की कहानी है,जो जानता नहीं कि उसकी प्रेयसी कहाँ है, लेकिन यह जानता है कि अगर उसकी प्रेयसी कहीं है तो वो उसका आग्रह अस्वीकार नहीं कर सकती। "सरकार" अपनी प्रजा का बुरा तो नहीं चाहेगी ना ;),वैसे भी वह दूर कैसे जा सकेगी, जबकि उस प्रेमी का हर कदम अपनी प्रेयसी की हीं ओर है।" तो दोस्तों, इस दु

अहमद फ़राज़ साहब के आखिरी ३७ दिन - आवाज़ पर 'एक्सक्लूसिव'

अब के बिछडे तो शायद ख्वाबों में मिले, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले. और वो शायर हमसे हमेशा के लिए बिछड़ गया, और अपने पीछे छोड़ गया एक ऐसा खालीपन जिसे भर पाना शायद कभी भी मुमकिन न हो. इस्मत चुगताई ने एक बार मोस्को में, उनसे मुलाकात के बाद कहा था - "अहमद फ़राज़ आम शायरों की तरह नही दिखता है, वह आधुनिक परिधान में रहता है, और उसे पार्टियों में महिलाओं संग नाचने से भी गुरेज नही है." अहमद फ़राज़ ऐसे शायर थे, जिनका हर शेर आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत सरलता से छू जाता था. वह शायर सरहदों से परे था, और मोहब्बत को खुदा का दर्जा देता था. बीते सोमवार को ७७ साल की उम्र में उन्होंने अपने चाहने वालों से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उनके अन्तिम ३७ दिनों की यह दास्ताँ आवाज़ पर आप के लिए लाये हैं, जगदीप सिंह . सुनते हैं ये विशेष पॉडकास्ट, और उर्दू अदब के उस खुर्शीद को सलाम करें एक बार फ़िर, जिसकी रोशनायी की रोशनी कभी बुझ नही सकती . अहमद फ़राज़ साहब को आवाज़ के समस्त टीम की भावभीनी श्रदांजली हिन्द-युग्म पर प्रेमचंद ने भी उन्हें याद किया। पढ़ें ।

मिटटी के गीत ( २ ), लोक गीतों की अनमोल धरोहर संभाले हैं - ये संगीत युगल

लोक गीतों की बात चल रही है, और हम है आसाम की हरियाली वादियों में, जुबीन की मधुर आवाज़ में हम सुन चुके हैं ये भोरगीत , आसाम के लोकगीतों को मुख्यता दो प्रकारों में बांटा जा सकता है. कमरुपिया और गुवाल्पोरिया, आज हम आपको सुनाते हैं एक कमरुपिया लोक गीत, आवाजें हैं आसाम के बेहद मशहूर लोकगीत गायक दम्पति, रामेश्वर पाठक और धनादा पाठक की, This perfect couple continued making waves with their magnificent renderings of the folk tunes in never before styles. Dhanada Pathak originally comes from a culturally enlightened family of Barpeta who owned a Jatra party in their home called "The Rowly Opera". Her elder brothers were actively associated with the opera in many ways. They acted, sang, played instruments like the dotora, flute and others and initiated the functioning of the opera. So when she got married to Sri Rameshwar Pathak, their association nourished their individual dreams that had by the time taken an united shape. Today, for the masses, Rameshwar Pathak and Dhanada Pathak are a

मैं तो दीवाना...दीवाना...दीवाना...मुकेश, एक परिचय

इससे पहले आपने पढ़ा हृदय नाथ मंगेशकर द्वारा लिखित संस्मरण 'ओ जाने वाले हो सके तो॰॰॰' और सुने मुकेश के गाये ९ हिट गीत। संजय पटेल का आलेख 'दर्द को सुरीलेपन की पराकाष्ठा पर ले जाने वाले अमर गायक मुकेश' । अब जानिए मुकेश के बारे में तपन शर्मा से। मुकेश चंद्र माथुर का जन्म दिल्ली के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में जुलाई २२, १९२३ को हुआ। उन्हें अभिनय व गायन का बचपन से ही शौक था और वे के.एल. सहगल के प्रशंसक थे। मात्र दसवीं तक पढ़ने के बावजूद उन्हें लोक निर्माण कार्य में सहायक सर्वेक्षक विभाग में नौकरी मिल गई, जहाँ पर उन्होंने सात महीने तक काम किया। पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। दिल्ली में उन्होंने चुपके से कईं गैर-फिल्मी गानों की रिकार्डिंग करी। उसके बाद तो वे भाग कर मुम्बई में फिल्म-स्टार बनने के लिये जा पहुँचे। वे अपने रिश्तेदार व प्रसिद्ध कलाकार मोतीलाल के यहाँ ठहरने लगे। मोतीलाल की मदद से वे फिल्मों में काम करने लगे। एक गायक के तौर पर उनका पहला गीत "निर्दोष" में "दिल ही बुझा हुआ..." रहा, उसके बाद उनका पहला युगल गीत फिल्म "उस पार" में गायिका कुसुम क

दर्द को सुरीलेपन की पराकाष्ठा पर ले जाने वाले अमर गायक मुकेश

आज सुबह आपने पढ़ा हृदयनाथ मंगेशकर का संस्मरण ' वो जाने वाले हो सके तो॰॰॰॰ ' आज हम पूरे दिन मुकेश को याद कर रहे हैं, उनके गाये गीत सुनवाकर, उनसी जुड़ी यादें बाँटकर॰॰॰॰आगे पढ़िए तपन शर्मा 'चिंतक' की प्रस्तुति ' मैं तो दीवाना, दीवाना, दीवाना ' मुकेश के साथ कल्याण जी चित्र साभार- हमाराफोटोज वे परिश्रम से कभी गुरेज़ नहीं करते थे. कितनी ही बार री-टेक करो,उन्हें नाराज़ी नहीं होती.कितनी ही बार रिहर्सल के लिये कॉल करो वे तैयार..बस अभी आया.उन्हें अपने परफ़ॉरमेंस से जल्द सेटिसफ़ेक्शन नहीं होता था. बता रहे थे ख्यात संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के स्व.कल्याणजी भाई. नब्बे के दशक में जब वे लता पुरस्कार लेने इन्दौर आए तो दो दिन का डेरा था मेरे शहर. आयोजन का एंकर होने की वजह से हमेशा से कलाकारों का संगसाथ आसानी से मिलता रहा है सो कल्याणजी भाई से लम्बी बात करने का मौक़ा भी मिल ही गया. एक दिन उनके संगीत सफ़र की चर्चा होती रही, दूसरे दिन गायक-गायिकाओं पर. जब मुकेशजी पर बात आई तो कल्याणजी भाई भावुक हो उठे. मुकेशजी के घर में गुजराती परिवेश भी रहा क्योंकि पत्नी सरल गुजराती थीं (अभी

ओ जाने वाले हो सके तो ....

हृदयनाथ मंगेशकर द्वारा लिखित संस्मरण हजारों गाने गानेवाले मुकेश दा के आखिरी शब्‍द थे – ‘यह पट्टा खोल दो’ खुशमिज़ाज मुकेश तीस हजार फुट की ऊँचाई पर हमारा जहाज उड़ा जा रहा है। रूई के गुच्‍छों जैसे अनगिनत सफेद बादल चारों ओर छाए हुए हुए हैं। ऊपर फीके नीले रंग का आसमान है। इन बादलों और नीले आकाश से बनी गुलाबी क्षितिज रेखा दूर तक चली गई है। कभी-कभी कोई बड़ा सा बादल का टुकड़ा यों सामने आ जाता है, माने कोई मजबूत किला हो। हवाई जहाज की कर्कश आवाज को अपने कानों में झेलते हुए मैं उदास मन से भगवान की इस लीला को देख रहा हूँ। अभी कल-परसों ही जिस व्‍यक्ति के साथ ताश खेलते हुए और अपने अगले कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते हुए हमने विमान में सफर किया था, उसी अपने अतिप्रिय, आदरणीय मुकश दा का निर्जीव, चेतनाहीन, जड़ शरीर विमान के निचले भाग में रखकर हम लौट रहे हैं। उनकी याद में भर-भर आनेवाली ऑंखों को छिपाकर हम उनके पुत्र नितिन मुकेश को धीरज देते हुए भारत की ओर बढ़ रहे हैं। आज 29 अगस्‍त है। आज से ठीक एक महीना एक दिन पहले मुकेश दा यात्री बनकर विमान में बैठे थे। आज उसी देश को, जिसमें पिछले 25 वर्षों का एक दिन, एक घ

हिंद युग्म ने मेरे सपनों को रंग और पंख दिये...

आवाज़ पर हमारे इस हफ्ते के सितारे हैं, शायरा शिवानी सिंह और संगीतकार / गायक रुपेश ऋषि. हिंद युग्म के पहला सुर एल्बम में इस जोड़ी ने मशहूर ग़ज़ल " ये जरूरी नही " का योगदान दिया था, नए सत्र में एक बार फ़िर इनकी ताज़ी ग़ज़ल " चले जाना " को श्रोताओं का भरपूर प्यार मिला... शिवानी जी दिल्ली में रह कर सक्रिय लेखन करती है, साथ ही एक NGO, जो कैंसर पीडितों के लिए काम करती है, के लिए अपना समय निकाल कर योगदान देती है, युग्म से इनका रिश्ता बहुत पुराना है, चलिए पहले जानते हैं शिवानी जी से, कि कैसा रहा हिंद युग्म में उनका अब तक का सफर - शिवानी सिंह - नमस्कार, मेरा प्रसिद्द नाम शिखा शौकीन है, परन्तु काव्य जगत में, मैं शिवानी सिंह के नाम से जानी जाती हूँ ! अब तक मैं करीब ३७० कविताएं लिख चुकी हूँ ! मेरा ९० कविताओं का एक संग्रह `यादों के बगीचे से' नाम से छप चुका है और दूसरा `कुछ सपनो की खातिर' प्रकार्शनार्थ तैयार है ! मैंने बी.ए, एस.सी मिरांडा हाउस , दिल्ली विश्वविद्यालय से की है और बी.एड, हिन्दू कालेज सोनीपत से ! मेरी ग़ज़लों के संग्रह में से "चले जाना" मेरी पसंदीदा ग़ज़ल

वाह उस्ताद वाह ( १ ) - पंडित शिव कुमार शर्मा

संतूर को हम, बनारस घराने के पंडित बड़े रामदास जी की खोज कह सकते हैं, जिनके शिष्य रहे जम्मू कश्मीर के शास्त्रीय गायक पंडित उमा दत्त शर्मा को इस वाध्य में आपर संभावनाएं नज़र आयी. इससे पहले संतूर शत तंत्री वीणा यानी सौ तारों वाली वीणा के नाम से जाना जाता था, जिसके इस्तेमाल सूफियाना संगीत में अधिक होता था. उमा दत्त जी ने इस वाध्य पर बहुत काम किया, और अपने बाद अपने इकलौते बेटे को सौंप गए, संतूर को नयी उंचाईयों पर पहुँचने का मुश्किल काम. अब आप के लिए ये अंदाजा लगना बिल्कुल भी कठिन नही होगा की वो होनहार बेटा कौन है, जिसने न सिर्फ़ अपने पिता के सपने को साकार रूप दिया , बल्कि आज ख़ुद उनका नाम ही संतूर का पर्यावाची बन गया. जी हाँ हम बात कर रहे हैं, संतूर सम्राट पंडित शिव कुमार शर्मा जी की. पंडित जी ने १०० तारों में १६ तार और जोड़े, संतूर को शास्त्रीय संगीत की ताल पर लाने के लिए.अनेकों नए प्रयोग किया, अन्य बड़े नामी उस्तादों के साथ मंत्रमुग्ध कर देने वाली जुगलबंदियां की, और इस तरह कश्मीर की वादियों से निकलकर संतूर देश विदेश में बसे संगीत प्रेमियों के मन में बस गया. पंडित जी ने बांसुरी वादक हरि प्रस

नवलेखन पुरस्कार कहानी 'स्वेटर' का पॉडकास्ट

ऑनलाइन अभिनय द्वारा सजी कहानी 'स्वेटर' का प्रसारण आज से लगभग १५ दिन पहले हमने श्रोताओं को विमल चंद्र पाण्डेय की कहानी 'स्वेटर' में ऑनलाइन अभिनय करने का मौका दिया था। हमें ४ लोगों (नीलम मिश्रा, अभिनव वाजपेयी, शिवानी सिंह और शोभा महेन्द्रू) से रिकर्डिंग प्राप्त हुई। हमारी टीम ने सभी की रिकॉर्डिंग की समीक्षा की और निर्णय लिया कि शोभा महेन्द्रू और शिवानी सिंह की आवाज़ों को मिक्स करके 'स्वेटर' का पॉडकास्ट बनाना उचित होगा। तो उसी पॉडकास्ट के साथ आपके समक्ष उपस्थित हैं। गौरतलब है कि विमल की यह कहानी इस बार के नवलेखन पुरस्कार द्वारा पुरस्कृत कथा-संग्रह 'डर' का हिस्सा है। सभी प्रतिभागियों का बहुत-बहुत शुक्रिया। अब हम इस ऑनलाइन प्रयास में कितने सफल हुए हैं, ये तो आप ही बतायेंगे। कहानी- स्वेटर कहानीकार- विमल चंद्र पाण्डेय स्वर- शोभा महेन्द्रू एवं शिवानी सिंह नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) जिनके नेट की स्पीड 256kbps से ऊपर है, वे निम्न प्लेयर चलायें (ब्रॉडबैंड) जिनके नेट की स्पीड 128kb

सुनो कहानीः प्रेमचंद की 'अंधेर'

सुनिए 'सुनो कहानी' अभियान की पहली कड़ी- प्रेमचंद की कहानी 'अंधेर' का पॉडकास्ट अभी २ दिन पहले ही हमने वादा किया था कि हम हिन्दी साहित्य के ऑडियो बुक पर काम करेंगे। लीजिए हम हाज़िर है एक कहानी लेकर। इससे पहले हम ५ कहानियों का पॉडकास्ट प्रासरित भी कर चुके हैं। नियमित कहानी प्रासरण की शृंखला की पहली कड़ी के तहत हम उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कहानी 'अंधेर' लेकर उपस्थित हैं। इस कहानी को वाचा है अनुराग शर्मा उर्फ़ स्मार्ट इंडियन ने। नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis आज भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें। #First Story, Andher: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/01. Voice: An

चले जाना कि रात अभी बाकी है...

दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, " पहला सुर " में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि , पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह . शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे". तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें. इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें- The team of "ye zaroori nahi" from " pahla sur " is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shi

सूफ़ी संगीत: भाग दो - नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब की दिव्य आवाज़

कहा जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा. भारत में इसके पहुंचने की सही सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ग़रीबनवाज़ ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में रत थे. चिश्तिया समुदाय के संस्थापक ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ़ में क़याम करते थे. उनकी मज़ार अब भारत में सूफ़ीवाद और सूफ़ी संगीत का सबसे बड़ा आस्ताना बन चुकी है. महान सूफ़ी गायक मरहूम बाबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने अपने वालिद के इन्तकाल के बाद हुए परामानवीय अनुभवों को अपने एक साक्षात्कार में याद करते हुए कहा था कि उन्हें बार-बार किसी जगह का ख़्वाब आया करता था. उन दिनों उनके वालिद फ़तेह अली ख़ान साहब का चालीसवां भी नहीं हुआ था. इस बाबत उन्होंने अपने चाचा से बात की. उनके चाचा ने उन्हें बताया कि असल में उन्हें ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह दिखाई पड़ती है. पिता के चालीसवें के तुरन्त बाद वे अजमेर आए और ग़रीबनवाज़ के दर पर मत्था टेका. यह नुसरत के नुसरत बन चुकने से बहुत पहले की बात है. उसके बाद नुसरत ने सूफ़

साहित्यिक हिन्दी ऑडियो बुक का हिस्सा बनिए

अपनी पसंद की कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों का पॉडकास्ट बनाने में हमारी मदद करें हिन्द-युग्म ने अपने आवाज़ प्रोजेक्ट के तहत एक नई योजना बनाई है, जिसके सूत्रधार अनुराग शर्मा यानी स्मार्ट इंडियन हैं, जिन्हें इसका संचालक भी बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत हम ऑडियो बुक पर काम करेंगे। हिन्दी के सभी प्रसिद्ध कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों, झलकियों इत्यादि का पॉडाकास्ट तैयार किया जायेगा। फिर उन्हें एल्बम की शक्ल दिया जायेगा। इस प्रोजेक्ट में कोई भी अपना हाथ बँटा सकता है। अपने पसंद की कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों, झलकियों इत्यादि को रिकॉर्ड करके हमें podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। जिस रिकॉर्डिंग की क्वालिटी (गुणवत्ता) अच्छी होगी, हम उसे इसी पृष्ठ (मंच) से प्रसारित करेंगे। लोगों की जो प्रतिक्रियाएँ आयेंगी, उनपर गौर करते हुए आप अपनी रिकॉर्डिंग में सुधार ला सकते हैं, अभिनय में सुधार ला सकते हैं, सुधार करके दुबारा की गई रिकॉर्डिंग को हम पुरानी रिकॉर्डिंग से बदलते रहेंगे। अनुराग मानते हैं कि विदेशों में साहित्यिक ऑडियो बुकों का बहुत प्रचल

गा के जियो तो गीत है जिंदगी...

"जीत के गीत" गाने वाले बिस्वजीत हैं, आवाज़ पर इस हफ्ते के उभरते सितारे. यह संयोग ही है कि उनका लघु नाम (nick name) भी जीत है, और जो पहला गीत उन्होंने गाया हिंद युग्म ले लिए, उसका भी शीर्षक "जीत" ही है. जैसा कि हम अपने हर फीचर्ड आर्टिस्ट से आग्रह करते हैं कि वो अपने बारे में हिन्दी में लिखें, हमने जीत से भी यही आग्रह किया, और आश्चर्य कि जीत ने न सिर्फ़ लिखा बल्कि बहुत खूब लिखा, टंकण की गलतियाँ भी लगभग न के बराबर रहीं, तो पढ़ें कि क्या कहते हैं बिस्वजीत अपने बारे में - मैं उड़ीसा राज्य के एक छोटे शहर कटक से वास्ता रखता हूँ. मेरा जन्म यहीं हुआ और बचपन इसी शहर में बीता. मैं हमेशा से ही पढ़ाई में उच्च रहा और मुझे कभी नहीं पता था कि मुझ में गायन प्रतिभा है. एक बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैंने बिना सोचे अपने स्कूल के गायन प्रतियोगिता में भाग लिया और अपने सभी अध्यापको से सराहा गया. तभी से मुझ में गायन की जैसे मानो लहर सी चल गई. और जब में अपने कॉलेज के दौरान ड्रामाटिक सेक्रेटरी चुना गया तो मुझे अलग अलग तरह के कार्यक्रमों में गाने का अवसर प्राप्त हुआ और तभी मैं कॉलेज का चहे

सुनो कहानी- बेज़ुबान दोस्त

सुनिए विश्व प्रसिद्ध कहानीकार एस आर हरनोट की कहानी 'बेज़ुबान दोस्त' भारत में हिन्दी कहानियों के वाचन पर काम बहुत कम हुआ है। कहानियों, उपन्यासों का नाट्य रूपांतरण करके रेडियो पर तो बहुत पहले से सुनाया जाता रहा है, लेकिन कहानियों को किसी एक या दो आवाज़ों द्वारा पढ़कर ऑडियो-बुक का रूप देने का काम बहुत कम दिखलाई पड़ता है। आवाज़ का प्रयास है कि हिन्दी साहित्य की हर विधा को हर तरह से समृद्ध करे। इसी कड़ी में हम आज 'सुनो कहानी' के अंतर्गत अनुराग शर्मा की आवाज़ में विश्व प्रसिद्ध कथाकार एस आर हरनोट की कहानी 'बेज़ुबान दोस्त' लेकर उपस्थित हैं। अब हम इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं, यह तो आप श्रोता ही बतायेंगे। नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis #First Story: Bezuban Dost; Author: S. R. Hrnot;

आसाम के लोक संगीत का जादू, सुनिए जुबेन की रूहानी आवाज़ में

आवाज़ पर हम आज से शुरू कर रहे हैं, लोक संगीत पर एक श्रृंखला, हिंद के अनमोल लोक संगीत के खजाने से कुछ अनमोल मोती चुन कर लायेंगे आपके लिए, ये वो संगीत है जिसमें मिटटी की महक है, ये वो संगीत है जो हमारी आत्मा में स्वाभाविक रूप से बसा हुआ सा है, तभी तो हम इन्हे जब भी सुनते हैं लगता है जैसे हमारे ही मन के स्वर हैं. जितनी विवधता हमारे देश के हर प्रान्त के लोक संगीत में है, उतनी शायद पूरी दुनिया के संगीत को मिलाकर भी नही होगी. चलिए शुरुवात करते हैं, वहां से, जहाँ से निकलता है सूरज, पूर्वोत्तर राज्यों के हर छोटे छोटे प्रान्तों में लोक संगीत के इतने प्रकार प्रचार में हैं कि इनकी गिनती सम्भव नही है. आवाज़ के एक रसिया सत्यजित बारो ह ने हमें ये रिकॉर्डिंग उपलब्ध करायी है. यह एक आधुनिक वर्जन है जिसे जुबेन ( वही जिन्होंने "गेंगस्टर" फ़िल्म का मशहूर 'या अली...' गीत गाया है ) ने गाया है. इन्हे भोर गीत कहा जाता है, जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि यह गीत सुबह यानी भोर के समय गाये जाते हैं, और इसमे सुबह के सुंदर दृश्य का वर्णन होता है, अधिकतर भोरगीत वैष्णव धरम के स्तम्भ माने जाने वाले श्रीम

मोरा गोरा अंग लेई ले....- गुलज़ार, एक परिचय

गुलज़ार बस एक कवि हैं और कुछ नही, एक हरफनमौला कवि, जो फिल्में भी लिखता है, निर्देशन भी करता है, और गीत भी रचता है, मगर वो जो भी करता है सब कुछ एक कविता सा एहसास देता है. फ़िल्म इंडस्ट्री में केवल कुछ ही ऐसे फनकार हैं, जिनकी हर अभिव्यक्ति संवेदनाओं को इतनी गहराई से छूने की कुव्वत रखती है, और गुलज़ार उन चुनिन्दा नामों में से एक हैं, जो इंडस्ट्री की गलाकाट प्रतियोगी वातावरण में भी अपना क्लास, अपना स्तर कभी गिरने नही देते. गुलज़ार का जन्म १९३६ में, एक छोटे से शहर दीना (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ, शायरी, साहित्य और कविता से जुडाव बचपन से ही जुड़ गया था, संगीत में भी गहरी रूचि थी, पंडित रवि शंकर और अली अकबर खान जैसे उस्तादों को सुनने का मौका वो कभी नही छोड़ते थे. ( चित्र में हैं सम्पूरण सिंह यानी आज के गुलज़ार ) गुलज़ार और उनके परिवार ने भी भारत -पाकिस्तान बँटवारे का दर्द बहुत करीब से महसूस किया, जो बाद में उनकी कविताओं में बहुत शिद्दत के साथ उभर कर आया. एक तरफ़ जहाँ उनका परिवार अमृतसर (पंजाब , भारत) आकर बस गया, वहीँ गुलज़ार साब चले आए मुंबई, अपने सपनों के साथ. वोर्ली के एक गेरेज में, ब

समीक्षा के महासंग्राम में, पहले चरण की आखिरी टक्कर

आज हम समीक्षा के पहले चरण के अन्तिम पड़ाव पर हैं, तीसरे समीक्षक की रेटिंग के साथ जुलाई के जादूगरों को प्राप्त अब तक के कुल अंकों को लेकर ये गीत आगे बढेंगें अन्तिम चरण की समीक्षा के लिए, जो होगा सत्र के अंत में यानी जनवरी २००९ में, जिसके बाद हमें मिलेगा, हमारे इस सत्र का सरताज गीत. तो दोस्तों चलते हैं पहले चरण की समीक्षा में, अपने तीसरे और अन्तिम समीक्षक के पास और जानते हैं उनसे, कि उन्होंने कैसे आँका हमारे जुलाई के जादूगर गीतों को - (पहले दो समीक्षकों के राय आप यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं) गीत समीक्षा Stage 01, Third review संगीत दिलों का उत्सव है .... पहला गीत है - संगीत दिलों का उत्सव है... इस गाने की उपलब्धि है मुखड़ा --'संगीत दिलों का उत्सव है- बहुत सुंदर है ये गीत । हालांकि मुझे लगता है कि इस गीत में भी गेय तत्व मुश्किल हो गए हैं । रचना के दौरान कई पंक्तियां लंबी और कठिन बन गयी हैं । पर कुल मिलाकर इन कमियों को इसकी धुन और गायकी में ढक लिया गया है । गायकों की आवाज़ें बढि़या लगीं । और धुन भी । आलाप सुंदर जगह पर रखे गए हैं । गाने का इंट्रोडक्‍शन म्यूजिक बहुत लंबा है पर मधुर है । गि