स्वरगोष्ठी – 288 में आज
नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 1 : सहगल ने गाया यह गीत
“जब दिल ही टूट गया, हम जी के क्या करेंगे...”
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घर
से भाग कर नौशाद बम्बई (अब मुम्बई) पहुँचे। कुछ समय तक भटकते रहे। एक दिन
न्यू पिक्चर कम्पनी में संगीत वादकों के चयन के लिए प्रकाशित विज्ञापन के
आधार पर नौशाद बड़ी उम्मीद लेकर ग्राण्ट रोड स्थित कम्पनी के कार्यालय
पहुँचे। वहाँ उस समय के जाने-माने संगीतकार उस्ताद झण्डे खाँ वादकों का
इण्टरव्यू ले रहे थे। नौशाद ने भी खाँ साहब को कुछ सुनाया। उन्होने बाद में
आने को कह कर नौशाद को रुखसत किया। उसी इण्टरव्यू में नौशाद की भेंट गुलाम
मोहम्मद से हुई, जो आगे चलकर पहले उनके सहायक बने और फिर बाद में स्वतंत्र
संगीतकार भी हुए। बहरहाल, उस्ताद झण्डे खाँ ने नौशाद को पियानो वादक के
रूप में चालीस रुपये और गुलाम मोहम्मद को तबला व ढोलक वादक के रूप में साठ
रुपये मासिक वेतन पर रख लिया। और इस तरह नौशाद का प्रवेश फिल्म संगीत के
क्षेत्र में हुआ।
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राग भैरवी : “जब दिल ही टूट गया...” : कुन्दनलाल सहगल : फिल्म – शाहजहाँ
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राग भैरवी : "जय शारदा भवानी भारती..." : उस्ताद राशिद खाँ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 288वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको सात दशक पुरानी हिन्दी फिल्म
के लोकप्रिय गीत का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन
में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 290वें
अंक के उत्तर सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
इस वर्ष की चौथी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – गीत के इस अंश में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप गायिका को पहचान सकते हैं? हमे उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 22 अक्तूबर, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम
‘स्वरगोष्ठी’ के 290वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई
जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका
इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 286 की संगीत पहेली में हमने आपको उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ और
साथियों द्वारा शहनाई पर प्रस्तुत कजरी वादन का अंश सुनवा कर आपसे तीन
प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। पहले
प्रश्न का सही उत्तर है- वाद्य – शहनाई, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल - दादरा औए कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- वादक – उस्ताद बिसमिल्लाह खाँ औए साथी।
इस बार की पहेली में हमारी नियमित प्रतिभागियों में से पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर से क्षिति तिवारी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने सही उत्तर दिये हैं। सभी पाँच प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर अपने
सैकड़ों पाठकों के अनुरोध पर आज से एक नई लघु श्रृंखला “नौशाद के गीतों में
राग-दर्शन” आरम्भ किया है। इस श्रृंखला के लिए हमने संगीतकार नौशाद के
आरम्भिक दो दशकों की फिल्मों के गीत चुने हैं। श्रृंखला के आलेख को तैयार
करने के लिए हमने फिल्म संगीत के जाने-माने इतिहासकार और हमारे सहयोगी
स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी और लेखक पंकज राग की पुस्तक ‘धुनों की यात्रा’ का
सहयोग लिया है। गीतों के चयन के लिए हमने अपने पाठकों की फरमाइश का ध्यान
रखा है। यदि आप भी किसी राग, गीत अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना
आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव
प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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