Skip to main content

"नायक नहीं खलनायक हूँ मैं" - जब फ़िल्मी नायक असली ज़िन्दगी में बन गए खलनायक

चित्रशाला - 08
नायक नहीं खलनायक हूँ मैं
जब फ़िल्मी नायक असली ज़िन्दगी में बन गए खलनायक




'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। हमारे फ़िल्मी नायक हम पर गहरा छाप छोड़ते हैं। कई बार लोग अपने पसन्दीदा नायकों को असली ज़िन्दगी में भी अपना नायक और कई बार तो अपना भगवान मान बैठते हैं, लगभग उनकी पूजा करते हैं, यह सोचे बग़ैर कि क्या सचमुच वो इस लायक हैं? आज ’चित्रशाला’ में हम चर्चा करेंगे कुछ ऐसे फ़िल्मी नायकों का जो अपनी असली ज़िन्दगी में खलनायक की भूमिका निभा चुके हैं।


"नायक नहीं खलनायक हूँ मैं, ज़ुल्मी बड़ा दुखदायक हूँ मैं...", साल 1993 में फ़िल्म ’खलनायक’ के लिए जब यह गीत बना था और ख़ूब चला भी था, तब शायद किसी को इस बात का अन्दाज़ा नहीं था कि इसी साल ये बोल इस गीत के नायक संजय दत्त की असली ज़िन्दगी पर भी लागू हो जाएगा। 1993 में मुंबई में हुए सीरिअल बम धमाकों, जिनमें 257 लोगों की मौत हो गई, के साथ संजय दत्त के नाते के बारे में जब लोगों को पता चला तो सब हैरान रह गए। उनके घर से ग़ैर-कानूनी रूप से संग्रहित हथियार बरामद हुए जो उन्हें उन लोगों ने दिए थे जिन लोगों ने वो बम धमाके करवाए थे। कई सालों तक उनके ख़िलाफ़ अदालत में मुक़द्दमा चलने के बाद अन्त में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पाँच साल की सज़ा सुनाई और इस वक़्त वो पुणे के जेल में क़ैद हैं और सज़ा काट रहे हैं। संजय दत्त के जीवन में बस यही एक काला अध्याय नहीं है, अपने कॉलेज के दिनों में भी उनसे ग़लतियाँ हुई हैं। कॉलेज में रहते उनका परिचय हुआ ड्रग से और वो बन गए नशाखोर। अगले दस सालों तक वो नशे की इस काली दुनिया में धसते चले गए। हेरोइन, कोकेन से लेकर जितने भी ड्रग उन दिनों उपलब्ध थे, सबका सेवन करते। उन्होंने ख़ुद एक साक्षात्कार में बताया कि ड्रग वो हर तरीके से लेते थे - सूंघ कर, गोली के रूप में, और इन्जेक्शन के ज़रिये भी। दस साल बाद उनका इलाज शुरू हुआ और तब जाकर उन्हें इससे छुटकारा मिला।

सलमान ख़ान कहें या विवाद सम्राट, एक ही बात है। उनके अनगिनत विवादों में से कुछ विवादों का उल्लेख किया जाए! 1999 में फ़िल्म ’हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग् के दौरान अपने सह-कलाकारों (सैफ़ अली ख़ान, तब्बु, नीलम, सोनाली बेन्द्रे) के साथ मिल कर राजस्थान के जोधपुर में लुप्त-प्राय प्रजाति के चिंकारा और कृष्णमृग हिरण का शिकार किया। एक सेलिब्रिटि से इस तरह का अपराध क्षमा योग्य नहीं है। 2002 में सलमान ख़ान ने नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए फ़ूटपाथ पर सो रहे एक आदमी को कुचल कर मार डाला और तीन लोगों को ज़ख्मी कर दिया। यह मामला अभी भी चल रहा है मुंबई की अदालत में। उसी साल उन्होंने अपनी प्रेमिका ऐश्वर्या राय के साथ विवाह करने के लिए उग्र रूप धारण कर लिया और ऐश्वर्या को मानसिक रूप से पीड़ा देने लगे। उन दिनों विवेक ओबेरोय के साथ ऐश्वर्या का प्रेम-संबंध पनप रहा था और इसी बात पर सलमान ख़ान ने विवेक के साथ भी झगड़ा मोल लिया। यह 2003 की बात थी। इसके बाद कुछ सालों तक चुप बैठने के बाद 2008 में फिर एक बार सलमान ख़ान विवादों में घिर गए जब उन्होंने ख़ुद गणेश पूजा कर हिन्दू और मुसलमान, दोनों सम्प्रदायों से तिरस्कार प्राप्त की। इसी साल सलमान ख़ान ने शाहरुख़ ख़ान के साथ हाथापाई पर उतर आए, मौक़ा था कटरीना कैफ़ का जन्मदिन। 

जॉन एब्रहम अपनी बाइकिंग् के लिए मशहूर हैं। उन्हें अपने बाइकों से बहुत प्यार है और वो अक्सर सड़कों पर देखे जाते हैं अपने बाइक पर। तेज़ रफ़्तार से बाइक चलाने में जॉन को बड़ा आनन्द आता है। पर साल 2006 में वो कानून के शिकन्जे में आ गए जब तेज़ रफ़्तार से चला रहे बाइक से उन्होंने दो युवाओं को टक्कर मार कर उन्हें ज़ख्मी कर दिया। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और 15 दिन की ग़ैर-ज़मानती वारण्ट जारी किया गया उनके नाम। बाद में उन्हें ज़मानत मिल गई। रैश ड्राइविंग् और हिट-ऐण्ड-रन की श्रेणी में पहल करने वाला बॉलीवूड नायक था मशहूर अभिनेता राजकुमार के सुपुत्र पुरु राजकुमार, जिन्होंने एक रात नशे की हालत में फ़ूटपाथ पर सो रहे आठ मज़दूरों के उपर से अपनी गाड़ी उड़ा ले गए। उन आठ लोगों में से तीन लोगों की मौत हो गई थी। एक मज़दूर से उसका एक हाथ छिन गया। ताज्जुब की बात तो यह है कि इस भयानक अपराध के लिए पुरु राजकुमार को कोई सज़ा नहीं मिली। पर उपरवाले ने उन्हें सज़ा ज़रूर दी। उनकी कोई भी फ़िल्म नहीं चली और जल्दी ही फ़िल्म इंडस्ट्री ने उन्हें अल्विदा कह दिया।

सार्वजनिक स्थलों पर अय्याशी, तमाशा, हुड़दंग और हाथापाई करने में बॉलीवूड अभिनेता पीछे नहीं रहे। शाहरुख़ ख़ान, सैफ़ अली ख़ान, सलमान ख़ान, गोविन्दा जैसे बड़े-बड़े अभिनेता भी इस अपराध श्रेणी के मुख्य नायक रहे। इनमें सैफ़ अली ख़ान वाले हादसे का उल्लेख करना अत्यन्त आवश्यक है। 22 फ़रवरी 2012 की रात थी। मुंबई के ताज होटल में सैफ़ अली ख़ान के साथ पत्नी करीना कपूर, करिश्मा कपूर, मल‍इका अरोड़ा, अम्रीता अरोड़ा आदि मौजूद थे। कुछ देर पार्टी चलने के बाद जब नशा चढ़ने लगा तो सबके एक्स्प्रेशन लाउड होने लगे। और एक समय के बाद वहाँ मौजूद अन्य लोगों के लिए असहनीय हो गया। इक़बाल मीर नामक एक व्यक्ति ने जब सैफ़ अली ख़ान और उनके साथियों द्वारा हंगामा मचाने का विरोध किया तो सैफ़ और उनके दो दोस्त - बिलाल अमरोही और शक़ील लदक ने इक़बाल को पीटना शुरू कर दिया। और एक मुक्का उनके नाक पर ऐसा मारा कि वो लहूलुहान हो गया। और यह हादसा पहुँच गई पुलिस और अदालत तक।

बादशाह शाहरुख़ ख़ान के चाहनेवालों की कोई कमी नहीं है, पर बादशाह का दर्जा पा कर कई बार शाहरुख़ यह भूल गए कि देश के तमाम कानून उन पर भी उसी तरह से लागू होते हैं जैसा एक साधारण आदमी पर। सलमान ख़ान के साथ उनके झड़प का ज़िक्र तो हम उपर कर ही चुके हैं, अन्य विवादों का ज़िक्र करते हैं। अपने तीसरे संतान के जन्म से पहले शाहरुख़ ने उसका लिंग जाँच करवाया था जो ग़ैर कानूनी है। हालाँकि शाहरुख़ ने स्वीकार नहीं किया, महाराष्ट्र सरकार ने छानबीन करने की घोषणा की थी। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना ग़ैरकानूनी है। इस निर्देश का पालन साधारण लोग तभी करेंगे जब समाज के प्रसिद्ध लोग इसका पालन करेंगे। यह फ़िल्मकलाकारों का दायित्व है कि वो ऐसा कुछ ना करे जिससे समाज और ख़ास तौर से युवा वर्ग को ग़लत संदेश जाए। लेकिन शाहरुख़ को शायद इस बात का इल्म ही नहीं। कई बार वो सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीते हुए नज़र आए हैं। जब जयपुर के सवाइ मान सिंह स्टेडिअम में सिगरेट पीते देखे गए तो एक व्यक्ति ने उनकी तसवीर खींच कर उनके ख़िलाफ़ अदालत में मामला ठोक दिया। शाहरुख़ कई बार सामाजिक नेटवर्किंग् स्थलों पर भी अश्लील बातें पोस्ट करने से नहीं कतराते। एक बार एक युवती ने मज़ाक में उनसे ट्वीटर पर पूछा कि क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है? इसके जवाब में शाहरुख़ ने लिखा "मेरे टूथपेस्ट में नमक है या नहीं यह तो मुझे नहीं पता लेकिन तुम्हारे किसी अंग में मिर्च ज़रूर है।" शाहरुख़ को लेकर जो सबसे बड़ा विवाद रहा वह था मुंबई के वांखेडे स्टेडिअम में मई 2012 में KKR और Mumbai Indians के बीच IPL मैच के बाद सिक्युरिटी गार्ड और MCA के कर्मचारियों के साथ उनका झड़प। इस घटना के बाद MCA ने शाहरुख़ पर उस स्टेडिअम में पाँच साल के लिए बैन लगा दिया। हाल ही में यह बैन तीन साल बाद वापस ले लिया गया।

असली ज़िन्दगी के खलनायकों की शृंखला में अगला नाम है फ़रदीन ख़ान का। ड्रग स्कैन्डल में दर्ज होने वाले फ़िल्मी कलाकारों में केवल संजय दत्त का नाम ही नहीं , बल्कि कई और नाम हैं। और उन नामों में एक नाम है फ़रदीन ख़ान का। वो कोकेन ख़रीदते हुए पकड़े गए और Narcotics and Psychotropic Substances (NDPS) Act के Section 27 उन पर लागू हुआ। क्योंकि वो इसे कम मात्रा में व्यक्तिगत सेवन के लिए ख़रीदा था, इसलिए उन पर कानूनी कार्यवाही नहीं हुई पर उनके द्वारा अदालत को यह आश्वस्त करने के बाद कि वो अपना नशा-मुक्ति करवाएँगे। ड्रग-परिवाद में अभियुक्त होने वाले फ़िल्मी कलाकारों में अगला नाम है अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और उनके पति विकी गोस्वामी का जो पकड़े गए थे कीनिया में ड्रग तस्करी कर रहे थे। अपूर्व अग्निहोत्री (फ़िल्म ’परदेस’ के सहनायक) और उनकी पत्नी शिल्पा 2013 में एक पार्टी में ड्रग्स लेते हुए पकड़े गए। अभिनेता विजय राज़ संयुक्त को अरब अमीरात के पुलिस ने गिरफ़्तार किया था क्योंकि उनके पास से ड्रग्स बरामद हुए थे। विक्रम भट्ट निर्देशित फ़िल्म ’दीवाने हुए पागल’ की शूटिंग् के दौरान की यह घटना थी। 

Shiney Ahuja & Inder Kumar being taken to custody
समाजिक अपराधों में एक संगीन अपराध है बलात्कार या यौन शोषण, और बॉलीवूड इससे अछूता नहीं है। इस श्रेणी में सबसे बड़ी घटना थी नायक शाइनी आहुजा द्वारा उनके नाबालिग नौकरानी का बलात्कार। शाइनी को पुलिस ने गिरफ़्तार किया और अदालत ने उन्हें सात साल के कारादंड की सज़ा सुनाई। बाद में वो ज़मानत पर बरी हो गए। फ़िल्म जगत से भी संन्यास ले लिया। नौकरानी ने यह आरोप लगाया था कि रविवार दोपहर को उन्होंने उनका बलात्कार किया और दो घंटों तक उसे रोक कर रखा और बार बार यही कहता रहा कि अगर किसी को कुछ बताया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। यह 2009 की घटना थी। हाल ही में अभिनेता इन्दर कुमार पर भी बलात्कार का आरोप लगाया 23 वर्षीय एक आकांक्षी अभिनेत्री ने। उसके अनुसार फ़िल्म में चान्स दिलाने का वादा कर उसे अपने वरसोवा के फ़्लैट पर उसके साथ रहने पर मजबूर किया और उसके साथ केवल बलात्कार ही नहीं, शारीरिक शोषण भी किया। इन्दर कुमार ने इसे सहमति के साथ किया गया शारीरिक सम्बन्ध बताया, पर मेडिकल जाँच ने यह सिद्ध किया कि लड़की पर अत्याचार हुए हैं। मुक़द्दमा अभी जारी है। बलात्कार के अन्य वारदातों में फ़िल्मकार मधुर भंडारकर और संगीतकार / पार्श्वगायक अंकित तिवारी पर भी कलंक लगाया गया है पर कुछ सिद्ध नहीं हो पाया।

अपराधों में एक अपराध है किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए जाने या अनजाने में उकसाना। और
Aditya & Sooraj - Like Father Like Son
इस अपराध के दायरे में आए अभिनेता आदित्य पंचोली व अभिनेत्री ज़रीना वहाब के सुपुत्र सूरज पंचोली, जिन्होंने अभी हाल ही में सुभाष घई की फ़िल्म ’हीरो’ से फ़िल्म जगत में क़दम रखा है। वैसे पिता आदित्य पंचोली का दामन भी कोई साफ़ सुथरा दामन नहीं था। कुछ समय पहले आदित्य को जुहु बीच के एक पब में एक बाउन्सर के साथ मारपीट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। ज़मानत पर वो रिहा हुए अगले दिन। बस इतना ही नहीं, आदित्य पंचोली की पूर्व-प्रेमिका थीं पूजा बेदी। पूजा बेदी के साथ सम्बन्ध के दौरान एक बार पूजा के घर पर उसकी नाबालिग नौकरानी से बलात्कार करने की घटना सामने आई थी। इस घटना के बाद पूजा ने आदित्य से किनारा कर लिया था। आदित्य ने संघर्षरत अभिनेत्री कंगना रनौत से भी सम्बन्ध कायम करने की कोशिशें की थी पर नाकामयाब रहे। पिता का यह गुण पुत्र में भी अब दिखाई दे रहा है। सूरज पंचोली ने अभिनेत्री जिया ख़ान से दोस्ती बढ़ाई, नज़दीक़ियाँ बढ़ीं, जिया गर्भवती भी हुईं और मजबूरी में उन्हें गर्भपात भी करवाना पड़ा। पर सूरज ने कभी जिया को गम्भीरता से नहीं लिया जाकि जिया उससे सच्चे दिल से प्यार करने लगी थी। मानसिक पीड़ा इतनी बढ़ गई कि अन्त में जिया ने इस दुनिया से किनारा कर लेने में ही अपनी भलाई समझी। सूरज गिरफ़्तार हुआ, जिया की माँ राबिया ख़ान ने मामला ठोक दिया, मामले का अंजाम अभी जारी है।
शोषण केवल महिलाओं का ही हो यह ज़रूरी नहीं। पुरुषों का भी शोषण होता चला आया है, ख़ास तौर से
Sonu Nigam & Yuvraaj Parashar
समलैंगिक शोषण। इसके दो प्रमुख उदाहरण हैं गायक/अभिनेता सोनू निगम और वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार सुभाष के. झा वाला क़िस्सा, और दूसरा अभिनेता युवराज पराशर और फ़िल्मकार ओनिर के बीच का क़िस्सा। कुछ साल पहले सोनू निगम ने मीडिया को यह स्कूप दिया कि सुभाष झा उन पर यौन उत्पीड़न कर रहे हैं, उन्हे अश्लील संदेश भेज रहे हैं मोबाइल पर, और उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए अनुनय विनय कर रहे हैं। सोनू के बार बार यह कहने पर भी कि उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है, सुभाष ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और जब कुछ ना हो पाया तो सोनू के बारे में बुरी बातें अपने लेखों में लिखने लगा। इस आरोप के उत्तर में सुभाष झा ने यह सफ़ाई दी कि पहली बात तो यह कि सोनू को अगर मैंने सचमुच कोई पीड़ा पहुँचाई है तो वो पुलिस और अदालत का दरवाज़ा ना खटखटा कर मीडिया में क्यों चले गए? इसी से पता चलता है कि सोनू ने ये सब पब्लिसिटी या मेरे साथ किसी दुश्मनी की वजह से किया। जब मैं उनके बारे में अच्छी बातें लिखता था, तब उन्हें मेरे साथ सम्बन्ध रखने में कोई परेशानी नहीं थी। ऐसा ही क़िस्सा था युवराज पराशर और ओनिर के बीच का। युवराज ने मीडिया को बताया कि ओनिर ने उनका बलात्कार किया अपने घर बुला कर। ओनिर ने साफ़-साफ़ कहा कि युवराज कोई बेबस लाचार बच्चा नहीं है जिसका वो बलात्कार कर सके। युवराज उच्चता और शारीरिक गठन में उनसे बड़े हैं, ताक़तवर हैं। जो कुछ भी हुआ था दोनों की सहमति से हुआ था, युवराज को मेरे फ़िल्म में काम मिलने की उम्मीद थी, इसलिए उन्हें तब कोई परेशानी नहीं थी। किसी वजह से मेरी फ़िल्म में उसे चान्स नहीं मिला तो अब मीडिया को ये सब बातें बता रहा है।

खोज, आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी  

Comments

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...