स्वरगोष्ठी – 261 में आज 
दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 9 : राग ललित 
उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ और मदन मोहन का राग ललित 
 ‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी 
श्रृंखला – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन 
मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस 
श्रृंखला में हम भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों की चर्चा कर रहे हैं, 
जिनमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। संगीत के सात स्वरों 
में ‘मध्यम’ एक महत्त्वपूर्ण स्वर होता है। हमारे संगीत में मध्यम स्वर के 
दो रूप प्रयोग किये जाते हैं। स्वर का पहला रूप शुद्ध मध्यम कहलाता है। 22 
श्रुतियों में दसवाँ श्रुति स्थान शुद्ध मध्यम का होता है। मध्यम का दूसरा 
रूप तीव्र या विकृत मध्यम कहलाता है, जिसका स्थान बारहवीं श्रुति पर होता 
है। शास्त्रकारों ने रागों के समय-निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित 
किये हैं। इन्हीं में से एक सिद्धान्त है, “अध्वदर्शक स्वर”। इस सिद्धान्त 
के अनुसार राग का मध्यम स्वर महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अध्वदर्शक स्वर 
सिद्धान्त के अनुसार राग में यदि तीव्र मध्यम स्वर की उपस्थिति हो तो वह 
राग दिन और रात्रि के पूर्वार्द्ध में गाया-बजाया जाएगा। अर्थात, तीव्र 
मध्यम स्वर वाले राग 12 बजे दिन से रात्रि 12 बजे के बीच ही गाये-बजाए जा 
सकते हैं। इसी प्रकार राग में यदि शुद्ध मध्यम स्वर हो तो वह राग रात्रि 12
 बजे से दिन के 12 बजे के बीच का अर्थात उत्तरार्द्ध का राग माना गया। कुछ 
राग ऐसे भी हैं, जिनमें दोनों मध्यम स्वर प्रयोग होते हैं। इस श्रृंखला में
 हम ऐसे ही रागों की चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की नौवीं कड़ी में आज हम 
राग ललित के स्वरूप की चर्चा करेंगे। साथ ही सबसे पहले हम आपको आगरा घराने 
के विख्यात गायक आफताब-ए-मौसिकी उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ का राग ललित में गायन 
होगा। इसके साथ ही संगीतकार मदनमोहन का संगीतबद्ध किया  फिल्म ‘चाचा 
ज़िन्दाबाद’ का इसी राग पर आधारित युगल गीत लता मंगेशकर और मन्ना डे से 
सुनेगे।
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी 
श्रृंखला – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन 
मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस 
श्रृंखला में हम भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों की चर्चा कर रहे हैं, 
जिनमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। संगीत के सात स्वरों 
में ‘मध्यम’ एक महत्त्वपूर्ण स्वर होता है। हमारे संगीत में मध्यम स्वर के 
दो रूप प्रयोग किये जाते हैं। स्वर का पहला रूप शुद्ध मध्यम कहलाता है। 22 
श्रुतियों में दसवाँ श्रुति स्थान शुद्ध मध्यम का होता है। मध्यम का दूसरा 
रूप तीव्र या विकृत मध्यम कहलाता है, जिसका स्थान बारहवीं श्रुति पर होता 
है। शास्त्रकारों ने रागों के समय-निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित 
किये हैं। इन्हीं में से एक सिद्धान्त है, “अध्वदर्शक स्वर”। इस सिद्धान्त 
के अनुसार राग का मध्यम स्वर महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अध्वदर्शक स्वर 
सिद्धान्त के अनुसार राग में यदि तीव्र मध्यम स्वर की उपस्थिति हो तो वह 
राग दिन और रात्रि के पूर्वार्द्ध में गाया-बजाया जाएगा। अर्थात, तीव्र 
मध्यम स्वर वाले राग 12 बजे दिन से रात्रि 12 बजे के बीच ही गाये-बजाए जा 
सकते हैं। इसी प्रकार राग में यदि शुद्ध मध्यम स्वर हो तो वह राग रात्रि 12
 बजे से दिन के 12 बजे के बीच का अर्थात उत्तरार्द्ध का राग माना गया। कुछ 
राग ऐसे भी हैं, जिनमें दोनों मध्यम स्वर प्रयोग होते हैं। इस श्रृंखला में
 हम ऐसे ही रागों की चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की नौवीं कड़ी में आज हम 
राग ललित के स्वरूप की चर्चा करेंगे। साथ ही सबसे पहले हम आपको आगरा घराने 
के विख्यात गायक आफताब-ए-मौसिकी उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ का राग ललित में गायन 
होगा। इसके साथ ही संगीतकार मदनमोहन का संगीतबद्ध किया  फिल्म ‘चाचा 
ज़िन्दाबाद’ का इसी राग पर आधारित युगल गीत लता मंगेशकर और मन्ना डे से 
सुनेगे। आज के अंक में हम आपसे राग ललित की संरचना पर कुछ चर्चा कर रहे हैं। राग ललित पूर्वी थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इस राग में कोमल ऋषभ, कोमल धैवत तथा दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। आरोह और अवरोह दोनों में पंचम स्वर पूर्णतः वर्जित होता है। इसीलिए इस राग की जाति षाड़व-षाड़व होती है। अर्थात, राग के आरोह और अवरोह में 6-6 स्वरों का प्रयोग होता है। भातखण्डे जी ने राग ललित में शुद्ध धैवत के प्रयोग को माना है। उनके अनुसार यह राग मारवा थाट के अन्तर्गत माना जाता है। राग ललित की जो स्वर-संरचना है उसके अनुसार यह राग किसी भी थाट के अनुकूल नहीं है। मारवा थाट के स्वरों से राग ललित के स्वर बिलकुल मेल नहीं खाते। राग ललित में शुद्ध मध्यम स्वर बहुत प्रबल है और राग का वादी स्वर भी है। इसके विपरीत मारवा में शुद्ध मध्यम सर्वथा वर्जित होता है। राग का वादी स्वर शुद्ध मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। आपको राग ललित का उदाहरण सुनवाने के लिए हमने आगरा घराने के सिरमौर गवैये उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ की गायकी को चुना है।
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| उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ | 
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| मदन मोहन और मन्ना डे | 
राग ललित : ‘प्रीतम दरश दिखाओ...’ : मन्ना डे और लता मंगेशकर : फिल्म – चाचा ज़िन्दाबाद 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 261वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको राग आधारित फिल्मी गीत का एक
 अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो 
प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 270वें अंक की पहेली के 
सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष 
की दूसरी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि यह किस राग पर आधारित गीत है? 
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए। 
3 – क्या आप गीत की गायिका की आवाज़ को पहचान रहे हैं? हमें उनका नाम बताइए। 
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com  या  radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 19 मार्च, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर 
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम 
‘स्वरगोष्ठी’ के 263वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और 
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 259 की संगीत पहेली में हमने आपको 1985 में प्रदर्शित फिल्म ‘सुर 
संगम’ के राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको
 इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। इस पहेली के पहले प्रश्न का 
सही उत्तर है, राग – भटियार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है, ताल – सितारखानी और तीसरे प्रश्न का उत्तर है, गायक-गायिका – पण्डित राजन मिश्र और एस. जानकी। 
इस बार की संगीत पहेली में पाँच प्रतिभागी सही उत्तर देकर विजेता बने हैं। ये विजेता हैं - जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और चेरीहिल, न्यूजर्सी से  प्रफुल्ल पटेल। सभी पाँच प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात 
 
मित्रो,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ में आप हमारी 
श्रृंखला ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ का रसास्वादन कर रहे हैं। श्रृंखला 
के नौवें अंक में हमने आपसे राग ललित पर चर्चा की। ‘स्वरगोष्ठी’ साप्ताहिक 
स्तम्भ के बारे में हमारे पास हर सप्ताह आपकी फरमाइशे आती हैं। हमारे कई 
पाठकों ने ‘स्वरगोष्ठी’ में दी जाने वाली रागों के विवरण के प्रामाणिकता की
 जानकारी माँगी है। उन सभी पाठकों की जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि 
रागों का जो परिचय इस स्तम्भ में दिया जाता है, वह प्रामाणिक पुस्तकों से 
पुष्टि करने का बाद ही लिखा जाता है। यह पुस्तकें है; संगीत कार्यालय, 
हाथरस द्वारा प्रकाशित और श्री वसन्त द्वारा संकलित और श्री लक्ष्मीनारायण 
गर्ग द्वारा सम्पादित ‘राग-कोष’, संगीत सदन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित और 
श्री हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक ‘राग परिचय’ तथा आवश्यकता
 पड़ने पर पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे के ग्रन्थ ‘क्रमिक पुस्तक मालिका’।
 हम इन ग्रन्थों से साभार पुष्टि करके ही आप तक रागों का परिचय पहुँचाते 
हैं। आप भी अपने विचार, सुझाव और फरमाइश हमें भेज सकते हैं। हम आपकी फरमाइश
 पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी 
लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 
बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत 
करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
  
 
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