बोलती कहानियां के नए संस्करण में आज प्रस्तुत है पंकज सुबीर की कालजयी रचना "लव जिहाद उर्फ़ उदास आँखों वाला लड़का". प्रमुख स्वर है अनुज श्रीवास्तव का, और संयोजन है संज्ञा टंडन का. सुनिए और महसूस कीजिये इस कहानी के मर्म को, जो बहुत हद तक आज के राजनितिक माहौल की सच्चाई को दर्शाता है.
"लड़का बहुत कुछ भूल चुका है। बहुत कुछ। उसके मोबाइल में अब कोई गाने नहीं हैं। न सज्जाद अली, न रामलीला, न आशिक़ी 2। जाने क्या क्या सुनता रहता है अब वो। दिन भर दुकान पर बैठा रहता है। मोटर साइकिल अक्सर दिन दिन भर धूल खाती है। कहीं नहीं जाता। आप जब भी उधर से निकलोगे तो उसे दुकान पर ही बैठा देखोगे। अब उसके गले में काले सफेद चौखाने का गमछा परमानेंट डला रहता है और सिर पर गोल जालीदार टोपी भी। दाढ़ी बढ़ गई है। बढ़ी ही रहती है।" - इसी कहानी से
पंकज सुबीर उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 2009 का ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार । उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को इंडिपेंडेंट मीडिया सोसायटी (पाखी पत्रिका) द्वारा वर्ष 2011 का स्व. जे. सी. जोशी शब्द साधक जनप्रिय सम्मान । उपन्यास ये वो सहर तो नहीं को मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वागीश्वरी पुरस्कार। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी वर्ष 2008 में भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार हेतु अनुशंसित। कहानी संग्रह महुआ घटवारिन को कथा यूके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान। समग्र लेखन हेतु वर्ष 2014 में वनमाली कथा सम्मान। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित तीन कहानी संकलनों लोकरंगी प्रेम कथाएँ, नौ लम्बी कहानियाँ तथा युवा पीढ़ी की प्रेम कथाएँ में प्रतिनिधि कहानियाँ सम्मिलित। कहानी शायद जोशी कथादेश अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत । पाकिस्तान की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका आज ने भारत की कहानी पर केन्द्रित विशेषांक में चार कहानियों का उर्दू अनुवाद प्रकाशित किया। कहानियाँ, व्यंग्य लेख एवं कविताएँ नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, हँस, लमही, प्रगतिशील वसुधा, हिंदी चेतना, परिकथा, सुख़नवर, सेतु, वागर्थ, कथाक्रम, कथादेश, समर लोक, संवेद वराणसी, जज्बात, आधारशिला, समर शेष है, लफ्ज़, अभिनव मीमांसा, अन्यथा जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। इसके अलावा समाचार पत्रों के सहित्यिक पृष्ठों पर भी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दैनिक भास्कर, नव भारत, नई दुनिया, लोकमत आदि हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र शामिल हैं। कई कहानियों का तेलगू , पंजाबी, उर्दू में अनुवाद। कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शोध कार्य । सह संपादक : हिंदी चेतना, वेब संपादक : परिकथा, वेब संपादक : लमही, वेब संपादक : दूसरी परंपरा समन्वयक (भारत) : हिन्दी प्रचारिणी सभा (हिन्दी चेतना), कैनेडा प्रकाशित पुस्तकेंः ईस्ट इंडिया कम्पनी (कहानी संग्रह), महुआ घटवारिन (कहानी संग्रह ), ये वो सहर तो नहीं (उपन्यास), युवा पीढ़ी की प्रेम कथाएँ (कहानी संकलन), नौ लम्बी कहानियाँ (कहानी संकलन), लोकरंगी प्रेमकथाएँ (कहानी संकलन), एक सच यह भी (कहानी संकलन), हिन्दी कहानी का युवा परिदृश्य (संपादन श्री सुशील सिद्धार्थ)
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