Skip to main content

"सत्य" कड़वा, संगीत मधुर - सिंड्रेला

आपने देखा उनके जीवन का सत्य, हम सुनायेंगें उनके ह्रदय का संगीत
दोस्तों, आपने इन्हें देखा, आमिर खान के लोकप्रिय टी वी शो "सत्यमेव जयते" में. शो का वो एपिसोड सिन्ड्रेला प्रकाश के व्यक्तिगत जीवन पर अधिक केंद्रित था, पर कहीं न कहीं एक झलक हमें सुनाई दी, उनकी ऊर्जा से भरी, और उम्मीद को रोशनी से संवरी आवाज़ की. तो हमने सोचा कि क्यों न उनके इस पक्ष से हम अपने श्रोताओं को परिचित करवायें. एक संक्षिप बातचीत के जरिये हम जानेगें सिन्ड्रेला के गायन और संगीत के बारे में, साथ ही सुनेंगें उनके गाये हुए कुछ गीत भी....

देखिये सिंड्रेला का एपिसोड सत्यमेव जयते पर

सजीव - सिन्ड्रेला, आपका बहुत बहुत स्वागत है रेडियो प्लेबैक इंडिया पर...

सिंड्रेला - शुक्रिया सजीव

सजीव - बात शुरुआत से करते हैं, संगीत से जुड़ाव कैसे हुआ ?

सिंड्रेला - संगीत परमेश्वर का दिया हुआ तोहफा है. मैं बचपन से ही गाती हूँ, मम्मी ने मुझे वोकल और वोइलिन की शिक्षा दिलवाई. इसके बाद मैंने गिटार भी सीखा, मेरा पूरा परिवार संगीत से जुड़ा हुआ है. पापा और मम्मी दोनों गाते थे. भाई पियानो में रूचि रखता है. संगीत से भी ज्यादा हम येशु से प्यार करते हैं, बस संगीत के माध्यम से उस प्यार को दर्शाते हैं.

सजीव - अच्छा तो गाते गाते कब ये महसूस हुआ कि अब आपको अपनी खुद की अल्बम कट करनी चाहिए ?

सिंड्रेला -  ५ साल की उम्र से ही मैं चर्च में तो कहीं कन्वेंशन या गोस्पल मीटिंग आदि में गाती रही हूँ. पर वास्तव में मैं जीसस के अलावा और किसी के लिए नहीं गा सकती हूँ. मैंने आजतक येशु के अलावा किसी और के लिए एक गाना भी नहीं लिखा है. बचपन से गाने के कारण बड़ी इच्छा थी कि एक अल्बम कट करूँ और प्रभु की कृपा से मेरा पहला अल्बम २०११ में बाहर आया...ठीक महफूज़ गीत के बनने के २ साल बाद....

सजीव - तो क्यों न यहाँ हम आपका पहला गीत "महफूज़" सुनते चलें....जो व्यक्तिगत रूप से भी मुझे बहुत अधिक पसंद है...

सिंड्रेला - जी जरूर

गीत - महफूज़ - गायिका - सिंड्रेला Song - Mahfooz / Singer - Cindrella Prakash


सजीव - दोस्तों हम आपको बता दें कि जिस प्रकार भक्ति गीतों की भजन संध्याएं होती है उसी प्रकार ईसा मसीह यानी प्रभु येशु (जीसस) की स्तुति में गाये जाने वाले गीतों को गोस्पल कहा जाता है और सिंड्रेला सोफ्ट रोक गोस्पल गीत गातीं हैं... सिंड्रेला ये बताएं कि येशु मसीह के प्रति आकर्षण तो स्वाभाविक था क्योंकि आप एक क्रिशचन परिवार में पली बढ़ी...मगर क्या यही इस आकर्षण की वजह थी या कोई और भी अनुभव रहा आपके जीवन में ?

सिंड्रेला - जब हम किसी से प्यार करते हैं तब कोई न कोई काम सिर्फ और सिर्फ उसी के लिए करना चाहते हैं, ठीक उसी वजह से मैं अपने जीसस के लिए गीत लिखना और गाना चाहती हूँ, सिर्फ उन्हीं के लिए. एक जीसस लविंग परिवार में पैदा हुई इसलिए बचपन से बाईबल पढते हुए बड़ी हुई हूँ. मेरी मम्मी ११ साल तक बीमार थी. हम लोग दिन भर मम्मी को अपनी मुश्किलों से लोहा लेते हुए देखते थे. ये सिर्फ येशु का अनुग्रह है कि मम्मी ११ साल तक जी भी पायी. उनके दोनों किडनियाँ नाकाम हो चुकी थी. जीसस के प्रति मेरा स्नेह बचपन की है. उनका मुस्कुराता चेहरा हमेशा आँखों के सामने रहता है. क्या किसी ऐसे इश्वर से प्रेम करना मुश्किल है जिसने हमसे इतना प्यार किया कि अपना जीवन ही हमें दे दिया. यही एहसास मुझे क्रोस (सलीब) की तरफ खीच लाया.

सजीव - वाह, यानी कि ये आपका पक्का फैसला है कि आप सिर्फ और सिर्फ गोस्पल ही गाना चाहती हैं ?

सिंड्रेला - जी हाँ, मैं सिर्फ और सिर्फ अपने येशु के लिए ही लिखना और गाना चाहती हूँ...

सजीव - चलिए एक विराम और लेते हैं आपके गीत "सुकून" को सुनकर

गीत - सुकून, गायन - सिंड्रेला Song - Sukoon / Singer - Cindrella Prakash


सजीव - सिंड्रेला, आपने महफूज़ गाने का एक विडियो भी बनाया. कैसे संभव हो पाया ये सब, और प्रोडक्शन, वितरण आदि आप कैसे कर पायीं ?

सिंड्रेला - जी मेरे ऐसे बहुत से दोस्त हैं जिन्होंने मेरे गानों के द्वारा आशीष पाया है. उन्होंने ही विडियो बनाया और अपलोड किया. महफूज़ की २००० प्रतियाँ बनी थी जो ३ महीने में भी खतम भी हो गयी. मेरी दूसरी अल्बम "महफूज़ वाणी" की ३००० प्रतियाँ बनी है. जिसका वितरण अभी प्रोसेस में है. मेरी दोनों अल्बम्स मुफ्त वितरण के लिए उपलब्ध है. सबसे बड़ी कीमत येशु ने सूली पर चढकर चूका दी है. मैं उससे अधिक कुछ भी कीमत नहीं मांग सकती हूँ.

मेरी दोनों अल्बम्स ने बहुत से लोगों को उम्मीदें दी है, उनके दिलों को छुआ है, अब वो कितने हैं ये तो न्याय के दिन ही पता चलेगा.

सजीव - आप एक जबरदस्त आवाज़ की मालकिन हैं...संगीत की दिशा में कुछ सपने ....

सिंड्रेला - मालकिन ? बिलकुल नहीं...मैं सिर्फ एक सेविका हूँ. येशु ने आवाज़ दी है और मैं उसका इस्तेमाल उन्हीं के लिए कर रही हूँ....मैं अपने आपको बस इसी रूप में देखना चाहती हूँ, लोगों की सेवा करना चाहती हूँ..बस

सजीव - नयी अल्बम "महफूज़ वाणी" के बारे में कुछ बताईये ?

सिंड्रेला - Mehfuz was acoustic But Mehfuz Vani is full throttle music. महफूज़ में ४ गाने थे पर महफूज़ वाणी में ८ गाने हैं, इस अल्बम में एक तमिल गीत भी है, जो मेरी मम्मी का सबसे पसंदीदा गीत था. उन्होंने ही मुझे सिखाया था...इन सभी गीतों में भी मैंने अपनी जिंदगी के कुछ हिस्सों को पेश किया है. अल्बम फ्री डाउनलोड के लिए नेट पर उपलब्ध है.




सजीव - वैसे तो हम जानते हैं कि आप फ़िल्मी गीतों में दिलचस्पी नहीं रखती हैं, पर कोई एक गायिका बॉलीवुड की जिनसे आपको कभी प्रेरणा मिली हो...


सिंड्रेला - जी मेरी प्रेरणा तो "पवित्र आत्मा" से है...वैसे मुझे श्रेया घोषाल और सुनिधि चौहान पसंद हैं...


सजीव - शुक्रिया सिंड्रेला, रेडियो प्लेबैक परिवार की और से तमाम शुभकामनाएँ आपको...


सिंड्रेला - शुक्रिया सजीव जी, और सभी श्रोताओं को भी नमस्कार....


सजीव - चलिए हम अपने श्रोताओं को छोड़ते हैं आपके गीत "ख्वाब" के साथ....


गीत - ख्वाब, गायिका - सिंड्रेला Song - Khwaab/ Singer - Cindrella Prakash   


विडियो ऑफ महफूज़

Comments

Sajeev said…
An amazing voice Cindrella, Mahfooz is my all time fav....keep rocking...thanks for visiting redio playback family
प्यारी सिंड्रेला !प्यार. पूरा इंटरव्यू पढ़ा और गोस्पेल्स भी सुने.इलाहबाद में हम खूब जाते थे चर्च.यीशु को इतना प्यार करती हो!!! वो तुम्हारे दिल,दिमाग,रगों और साँसों में बसे है .........वरना इतनी टेलेंटेड हो इतनी प्यारी आवाज़ पाई है और इस भौतिक युग में खुद को व्यावसायिकता से दूर रखना आसान नही. जियो खूब खुश रहो. यीशु की लाडली बेटी बनकर हमेशा उसके करीब रहो. प्यार

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की