ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 555/2010/255
फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के कुछ सदाबहार युगल गीतों से सज रही है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल इन दिनों। ये वो प्यार भरे तराने हैं, जिन्हे प्यार करने वाले दिल दशकों से गुनगुनाते चले आए हैं। ये गानें इतने पुराने होते हुए भी पुराने नहीं लगते। तभी तो इन्हे हम कहते हैं 'सदाबहार नग़में'। इन प्यार भरे गीतों ने वो कदमों के निशान छोड़े हैं कि जो मिटाए नहीं मिटते। आज इस 'एक मैं और एक तू' शृंखला में हमने एक ऐसे ही गीत को चुना है जिसने भी अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की सदाबहार जोड़ी का यह सदाबहार नग़मा है फ़िल्म 'ज्वेल थीफ़' का - "आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसाके चले, क़दम के निशाँ बनाते चले"। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गीत को दादा बर्मन ने स्वरबद्ध किया था। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के शुरुआती दिनों में, बल्कि युं कहें कि कड़ी नं - ६ में हमने आपको इस फ़िल्म का "रुलाके गया सपना मेरा" सुनवाया था, और इस फ़िल्म की जानकारी भी दी थी। आज इस युगल गीत के फ़िल्मांकन की आपको ज़रा याद दिलाते हैं। हमारी फ़िल्मों में कई फ़ॊरमुला पहलुएँ हुआ करती हैं। जैसे कि एक दौर था कि जब रोमांटिक गीतों में नायक नायिका को बाग़ में, पहाड़ों में, वादियों में, भागते हुए गीत गाते हुए दिखाए जाते थे। आज वह परम्परा ख़त्म हो चुकी है, लेकिन आज के प्रस्तुत गीत में वही बाग़ बग़ीचे वाला मंज़र देखने को मिलता है। फ़िल्मांकन में कुछ कुछ हास्य रस भी डाला गया है, जैसे कि गीत के शुरु में ही देव आनंद साहब वैजयंतीमाला की टांग खींच कर उन्हे गिरा देते हैं। इसका बदला वो लेती हैं देव साहब के पाँव में अपनी पाँव जमा कर और यह गाते हुए कि "क़दम के निशाँ बनाते चले"। देव साहब के मैनरिज़्म्स को किशोर दा ने क्या ख़ूब अपनी गायकी से उभारा है इस गीत में।
सचिन देव बर्मन ने जितने भी लता-किशोर डुएट्स रचे हैं, उनका स्कोर १००% रहा है। चलिए आपको एक फ़ेहरिस्त ही पेश किए देता हूँ जिस पर नज़र दौड़ाते हुए आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा। तो ये रहे वो फ़िल्में और उनके गानें जिन्हे लता जी और किशोर दा ने दादा के लिए गाए थे।
अभिमान - "तेरे मेरे मिलन की ये रैना"
आराधना - "कोरा काग़ज़ था ये मन मेरा"
गैम्बलर - "चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है", "अपने होठों की बंसी बना ले मुझे"
गाइड - "गाता रहे मेरा दिल"
ज्वेल थीफ़ - "आसमाँ के नीचे हम आज अपने पीछे"
जुगनु - "गिर गया झुमका गिरने दो"
प्रेम नगर - "किसका महल है, किसका ये घर है"
प्रेम पुजारी - "शोख़ियों में घोला जाए फूलों का शबाब"
शर्मिली - "आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन"
तीन देवियाँ - "लिखा है तेरी आँखों में किसका फ़साना", "ऊफ़ कितनी ठण्डी है ये रात"
तेरे मेरे सपने - "हे मैंने क़सम ली", "जीवन की बगिया महकेगी"
ये गुलिस्ताँ हमारा - "गोरी गोरी गाँव की गोरी रे"
देखा दोस्तों, क्या एक से एक सुपरहिट गानें थे ये सब के सब अपने ज़माने के। ये सभी इस 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शामिल होने के हक़दार हैं। तो चलिए आज इनमें से जो गीत हमने चुना है उसे सुन लेते हैं। लता जी, किशोर दा, बर्मन दा और मजरूह साहब के साथ साथ याद करते हैं देव साहब और वैजयंतीमाला जी के प्यार भरे टकरारों की भी। और चलते चलते आप सभी को हम दे रहे हैं क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने साथ में कुल ३२७ युगल गीत गाए हैं।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 6/शृंखला 06
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - किसी अन्य सूत्र की दरकार नहीं.
सवाल १ - किन युगल आवाजों में है ये गीत - १ अंक
सवाल २ - गीतकार कौन हैं - २ अंक
सवाल ३ - संगीतकार बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
शृंखला के मध्यांतर तक शरद जी आगे हैं श्याम जी से, इंदु जी भी इस शृंखला में कुछ सक्रिय हैं. कल का कमेन्ट ऑफ द डे रहा सुमित चक्रवर्ति जी के नाम, बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के कुछ सदाबहार युगल गीतों से सज रही है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल इन दिनों। ये वो प्यार भरे तराने हैं, जिन्हे प्यार करने वाले दिल दशकों से गुनगुनाते चले आए हैं। ये गानें इतने पुराने होते हुए भी पुराने नहीं लगते। तभी तो इन्हे हम कहते हैं 'सदाबहार नग़में'। इन प्यार भरे गीतों ने वो कदमों के निशान छोड़े हैं कि जो मिटाए नहीं मिटते। आज इस 'एक मैं और एक तू' शृंखला में हमने एक ऐसे ही गीत को चुना है जिसने भी अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की सदाबहार जोड़ी का यह सदाबहार नग़मा है फ़िल्म 'ज्वेल थीफ़' का - "आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसाके चले, क़दम के निशाँ बनाते चले"। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गीत को दादा बर्मन ने स्वरबद्ध किया था। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के शुरुआती दिनों में, बल्कि युं कहें कि कड़ी नं - ६ में हमने आपको इस फ़िल्म का "रुलाके गया सपना मेरा" सुनवाया था, और इस फ़िल्म की जानकारी भी दी थी। आज इस युगल गीत के फ़िल्मांकन की आपको ज़रा याद दिलाते हैं। हमारी फ़िल्मों में कई फ़ॊरमुला पहलुएँ हुआ करती हैं। जैसे कि एक दौर था कि जब रोमांटिक गीतों में नायक नायिका को बाग़ में, पहाड़ों में, वादियों में, भागते हुए गीत गाते हुए दिखाए जाते थे। आज वह परम्परा ख़त्म हो चुकी है, लेकिन आज के प्रस्तुत गीत में वही बाग़ बग़ीचे वाला मंज़र देखने को मिलता है। फ़िल्मांकन में कुछ कुछ हास्य रस भी डाला गया है, जैसे कि गीत के शुरु में ही देव आनंद साहब वैजयंतीमाला की टांग खींच कर उन्हे गिरा देते हैं। इसका बदला वो लेती हैं देव साहब के पाँव में अपनी पाँव जमा कर और यह गाते हुए कि "क़दम के निशाँ बनाते चले"। देव साहब के मैनरिज़्म्स को किशोर दा ने क्या ख़ूब अपनी गायकी से उभारा है इस गीत में।
सचिन देव बर्मन ने जितने भी लता-किशोर डुएट्स रचे हैं, उनका स्कोर १००% रहा है। चलिए आपको एक फ़ेहरिस्त ही पेश किए देता हूँ जिस पर नज़र दौड़ाते हुए आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा। तो ये रहे वो फ़िल्में और उनके गानें जिन्हे लता जी और किशोर दा ने दादा के लिए गाए थे।
अभिमान - "तेरे मेरे मिलन की ये रैना"
आराधना - "कोरा काग़ज़ था ये मन मेरा"
गैम्बलर - "चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है", "अपने होठों की बंसी बना ले मुझे"
गाइड - "गाता रहे मेरा दिल"
ज्वेल थीफ़ - "आसमाँ के नीचे हम आज अपने पीछे"
जुगनु - "गिर गया झुमका गिरने दो"
प्रेम नगर - "किसका महल है, किसका ये घर है"
प्रेम पुजारी - "शोख़ियों में घोला जाए फूलों का शबाब"
शर्मिली - "आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन"
तीन देवियाँ - "लिखा है तेरी आँखों में किसका फ़साना", "ऊफ़ कितनी ठण्डी है ये रात"
तेरे मेरे सपने - "हे मैंने क़सम ली", "जीवन की बगिया महकेगी"
ये गुलिस्ताँ हमारा - "गोरी गोरी गाँव की गोरी रे"
देखा दोस्तों, क्या एक से एक सुपरहिट गानें थे ये सब के सब अपने ज़माने के। ये सभी इस 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शामिल होने के हक़दार हैं। तो चलिए आज इनमें से जो गीत हमने चुना है उसे सुन लेते हैं। लता जी, किशोर दा, बर्मन दा और मजरूह साहब के साथ साथ याद करते हैं देव साहब और वैजयंतीमाला जी के प्यार भरे टकरारों की भी। और चलते चलते आप सभी को हम दे रहे हैं क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने साथ में कुल ३२७ युगल गीत गाए हैं।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 6/शृंखला 06
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - किसी अन्य सूत्र की दरकार नहीं.
सवाल १ - किन युगल आवाजों में है ये गीत - १ अंक
सवाल २ - गीतकार कौन हैं - २ अंक
सवाल ३ - संगीतकार बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
शृंखला के मध्यांतर तक शरद जी आगे हैं श्याम जी से, इंदु जी भी इस शृंखला में कुछ सक्रिय हैं. कल का कमेन्ट ऑफ द डे रहा सुमित चक्रवर्ति जी के नाम, बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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