Skip to main content

आपने जिसे चुना उन गीतों को हमने सुना मशहूर फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज जी के साथ - वर्ष २०१० के टॉप गीत

दोस्तों पूरे साल "ताज़ा सुर ताल" के माध्यम से हम आपका परिचय नए फिल्म संगीत से करवाते रहे. आज साल का अंतिम दिन है. ये जानने के लिए कि इन नए गीतों में से कौन से हैं जिन्होंने हमारे श्रोताओं पर जादू चलाया, हमने आवाज़ पर एक पोल लगाया इस बार. जिसके परिणाम का खुलासा हम टी एस टी के इस वर्ष के इस सबसे अंतिम एपिसोड में आज करने जा रहे हैं. इस अवसर को खास बनाने के लिए आज हमारे बीच मौजूद हैं, हिंदी सिनेमा के जाने माने समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज जी, आईये उनसे करें कुछ बातचीत और हटाएँ इस वर्ष के आपके वोटों द्वारा चुने हुए श्रेष्ट गीतों के नामों से पर्दा.

सजीव - अजय जी, हिंदी चिट्टाजगत के आप स्टार फ़िल्मी समीक्षक हैं, आज आवाज़ के इस मंच पर आपका स्वागत करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है. स्वागत है

अजय ब्रह्मात्मज – मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है कि इस बातचीत के जरिए मैं अधिकतम पाठकों तक पहुंच पाऊंगा। आपलोग बहुत अच्‍छा काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि आप सभी नियमित और स्‍तरीय हैं।

सजीव - आवाज़ पर हमने जो पोल लगाया था उसके परिणाम मेरे पास हैं, जिनका खुलासा हम अभी इसी बातचीत में करेंगें. पर इससे पहले कि हम फिल्म संगीत की दिशा में बढ़ें, पहले बात फिल्मों की कर ली जाए....और आपसे बेहतर कैन बता सकता है हमें कि साल २०१० में बॉक्स ऑफिस का हाल कैसा रहा...

अजय ब्रह्मात्मज – हर साल लगभग पांच प्रतिशत फिल्‍में ही संतोषजनक कारोबार कर पाती हैं। 2010 में भी हमने देखा कि लगभग आधा दर्जन फिल्‍मों ने ही अच्‍छा कारोबार किया। हम कहते और लिखते हैं कि हिंदी में हर साल 400 से अधिक फिल्‍में बनती हैं। सच्‍चाई यह है कि मल्‍टीप्‍लेक्‍स विस्‍फोट के बावजूद पिछले पांच सालों में फिल्‍मों की संख्‍या 200 भी नहीं पहुंच पाई है। इधर यह देखा जा रहा है कि फिल्‍मों का बिजनेस लगातार ज्‍यादा से ज्‍यादा होता जा रहा है। पहले ‘3 इडिएट’ और फिर ‘दबंग’ इसके उदाहरण हैं। यकीन मानिए इस साल कोई न कोई फिल्‍म 500 करोड़ का आंकड़ा पार करेगी। इस बढ़ते बिजनेस को आप फिल्‍म की क्‍वालिटी से कतई न जोडि़ए।

सजीव - अजय जी, क्या परल्लेल फिल्मों का दौर खत्म हो चुका है या फिर आजकल मैन स्ट्रीम सिनेमा में उसका समावेश हो चुका है ?

अजय ब्रह्मात्मज - पैरेलल सिनेमा निजी कारणों से पहले ही दम तोड़ चुका है। आप देखें कि पैरेलल सिनेमा के पायोनियर श्‍याम बेनेगल और फॉलोअर प्रकाश झा मेनस्‍ट्रीम सिनेमा में सफल काम कर रहे हैं। फिल्‍मों का कथ्‍य और ग्रामर बदल चुका है। इधर कुछ नए हस्‍ताक्षर उभरे हैं। 2010 में सुभाष कपूर, विक्रमादित्‍य मोटवानी, अभिषेक शर्मा, अभिषेक दूबे, अनुषा रिजवी के रूप में हमें संभावनाशील निर्देशक मिले हैं। बिजनेस के लिहाज से तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन 2011 में किरण राव, अलंकृता श्रीवास्‍तव, सचिन करांदे, अनुराग कश्‍यप और डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्‍मों से हम कुछ नई उम्‍मीद रख सकते हैं।

सजीव - एक समीक्षक के नाते अजय ब्रह्मात्मज इस वर्ष हिंदी सिनेमा की उपलब्धियों और खामियों को किस तरह आंकेंगें. ?

अजय ब्रह्मात्मज – मुझे लगता है कि महानगरों की क‍हानियां इस साल ज्‍यादा सफल नहीं रही। हिंदी फिल्‍मों की कथाभूमि उत्तर भारत की तरफ जाती दिख रही है। निश्चित रूप से दृश्‍य माध्‍यमों में उत्तर भारत की जरूरी मौजूदगी बढ़ी है। मल्‍टीप्‍लेक्‍स संस्‍कृति ने हिंदी सिनेमा के पारंपरिक दर्शकों को सिनेमाघरों से विस्‍थापित कर दिया था। 2010 में उन दर्शकों के पुनर्स्‍थापन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है।

सजीव - हमारी फ़िल्में बिना गीत संगीत के मुक्कमल नहीं होती, और देखा जाए तो संगीत प्रेमियों के लिए भी फिल्म संगीत के अलावा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है....ऐसे में संगीत के लिहाज से इस साल की किस फिल्म के संगीत ने या अल्बम ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है ?

अजय ब्रह्मात्मज – मुझे व्‍यक्तिगत रूप से ‘इश्किया’, ‘दबंग’, ‘खेलें हम जी जान से’ और ‘स्‍ट्राइकर’ का संगीत पसंद आया।

सजीव - हमारे श्रोताओं ने जिस अल्बम को चुना है वो भी आपकी पसंद में से एक है...जी हमारे श्रोताओं की राय में इस साल की सर्वश्रेष्ठ अल्बम है -"दबंग". सुनते हैं इस फिल्म का शीर्षक गीत. वैसे इस गीत को खास फिल्म में डाला गया था ताकि लोग "दबंग" शब्द के मायने समझ पायें. विडम्बना देखिये कि अंग्रेजी शीर्षकों से भरे इस दौर में एक हिंदी शब्द के मायने समझाने के लिए निर्देशक को ये सब करना पड़ता है

गीत - हुड़ हुड़ दबंग


सजीव - आईटम गीत की बात करें तो इस साल इनकी भरमार रही है. मुन्नी और शीला में से आप किसी चुनेंगें :)

अजय ब्रह्मात्मज – मैं मुन्‍नी को चुनूंगा।

सजीव - जी अजय जी और हमारे श्रोताओं ने भी इसे ही चुना है. "शीला" को फिल्म के प्रदर्शन के बाद कुछ अधिक वोट मिले, पर फिर भी वो मुन्नी की स्थापित सत्ता को नहीं हिला पायी, आई सुनें साल का सबसे चर्चित आईटम गीत.

गीत - मुन्नी बदनाम


सजीव - इस साल का कोई रोमांटिक गीत जो आपको बहुत पसंद आया हो ?

अजय ब्रह्मात्मज – ‘दिल तो बच्‍चा है जी’

सजीव - हमारे श्रोताओं ने जिस रोमांटिक युगल गीत को चुना है वो है एक बार फिर "दबंग" से 'चोरी किया रे जिया' इस गीत को ५२ प्रतिशत वोट मिले. भाव प्रधान गीतों की श्रेणी में विजेता रहा "अंजना अंजानी" में विशाल शेखर का रचा गीत "तुझे भुला दिया". आईये सुनें -

गीत - चोरी किया रे जिया


गीत - तुझे भुला दिया फिर


सजीव - रियालिटी कार्यक्रमों के चलते इन दिनों नए गायक/गायिकाओं की एक पूरी फ़ौज जमा हो चुकी है. इस नए ट्रेंड के बारे में आपकी क्या राय है ?

अजय ब्रह्मात्मज - इस फौज की कोई पहचान नहीं है। मैं लगातार इस तथ्‍य को रेखांकित कर रहा हूं कि श्रेया घोषाल और सुनिधि चौहान के बाद किसी महिला स्‍वर ने अपनी पहचान नहीं बनाई। गायकों में केवल मोहित चौहान ही पहचान में आ रहे हैं। संगीत निर्देशन में तकनीक के हावी होने से साधारण आवाज किसी एक गाने में अच्‍छी लग जाती है। किंतु निजी पहचान के लिए आवश्‍यक मौके नए गायकों को नहीं मिल पा रहे हैं।

सजीव - सही है अजय जी, हम आपको बता दें कि हमें इस पोल में भारत से ही नहीं बल्कि अमेरिका, स्वीडन, कनाडा और पोलेंड से भी वोट मिले. जिनके आधार पर सर्वश्रेष्ठ गायक चुने जा रहे हैं, रहत फ़तेह अली खान साहब और गायिका हैं सुनिधि चौहान. राहत साहब और के के के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ, के के को ३८ प्रतिशत वोट मिले तो रहत साहब को बाज़ी मार गए ४२ प्रतिशत वोट लेकर. सुनिधि को ३५ प्रतिशत वोट मिले. सुनते हैं इन दों फनकारों को बैक टू बैक

गीत: दिल तो बच्चा है जी


सजीव - वैसे सुनिधि "उडी" के लिए नामांकित हुई थी, पर वो जरा बाद में, फिलहाल उनकी आवाज़ में ये चर्चित गीत भी सुन लीजिए

शीला की जवानी... Sunidhi Chauhan


सजीव - निर्देशक संजय लीला बंसाली संगीतकार बन कर आये इस साल, तो वहीं विशाल भारद्वाज जिनकी शुरूआत एक संगीतकार के रूप में हुई थी, आज के एक कामियाब निर्देशक हैं, आपके हिसाब से ऐसा क्या है जो एक फिल्मकार को संगीतकार बनने पर मजबूर कर देता है, वो भी तब जबकि ढेरों सफल संगीतकार इंडस्ट्री में मौजूद हों ?

अजय ब्रह्मात्मज – विशाल भारद्वाज ने एक इंटरव्यू में मुझे कहा था कि फिल्‍म इंडस्‍ट्री से जुड़े हर व्‍यक्ति की ख्‍वाहिश निर्देशक बनने की होती है। रही बात संजय के संगीतकार बनने की तो मैं बता दूं कि संजय संगीत की गहरी जानकारी रखते हैं और उनकी पिछली फिल्‍मों का संगीत भी उनकी सोच से प्रभावित रहा है।

सजीव - जी लेकिन हमारे श्रोताओं ने बंसाली के पहले प्रयास को २९ प्रतिशत वोट दिया मगर वो ए आर रहमान जिन्हें ३३ प्रतिशत वोट मिले उनसे पीछे रहे. तो आवाज़ के श्रोताओं की राय है कि वर्ष २०१० के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का खिताब है ए आर रहमान के नाम, सुनिए फिल्म "रावण" का ये गीत.

गीत: रांझा रांझा


सजीव - आप खुद हिंदी भाषा के एक बड़े पहरूवा हैं, शब्दों की गुणवत्ता के लिहाज से कोई ऐसा गीत जो आपको खूब भाया हो इस साल ?

अजय ब्रह्मात्मज - भाषा की बानगी गीतों में खत्‍म होती जा रही है। फिर भी गुलजार, प्रसून जोशी, जावेद अख्‍तर और स्‍वानं‍द किरकिरे शब्‍दों के खेल से चमत्‍कृत करते रहते हैं। मैं स्‍वानंद किरकिरे को एक बड़ी और ठोस संभावना के रूप में देखता हूं।

सजीव - जी, स्वनद का कोई गीत इस वर्ष मैदान में नहीं था, लिहाजा यहाँ हमारे श्रोताओं ने भारी मत से चुना गुलज़ार साहब को, जी हाँ गुलज़ार साहब को सबसे अधिक ८२ प्रतिशत वोट मिले हैं, यानी सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ताज है एक बार फिर गुलज़ार साहब के सर, बधाई हो गुलज़ार साहब. अब चूँकि हम "दिल तो बच्चा है जी" पहले हीं सुन चुके हैं, इसलिए गुलज़ार साहब के लिए हम उनका लिखा "वीर" फिल्म से "कान्हा" सुन लेते हैं।

गीत - कान्हा बैरन हुई बांसुरी.. Gulzar


सजीव - फिल्म निर्माण में गीतों का फिल्मांकन एक मुश्किल प्रक्रिया होती है, पर यही फिल्मांकन प्रदर्शन से पहले फिल्म को लोकप्रिय बनने में बेहद सहायक भी होता है. आपके हिसाब से ऐसा कौन से गीत आया है इस साल जिसका फिल्मांकन शानदार हुआ हो ?

अजय ब्रह्मात्मज – ‘गुजारिश’ का ‘उड़ी उड़ी...’ गीत। यह किरदार के भावनाओं को बहुत सुंदर तरीके से अभिव्‍यक्‍त करता है।

सजीव - बिल्कुल अजय जी यहाँ आपकी पसंद हमारे श्रोताओं से शत प्रतिशत मिल गयी है, ४२ प्रतिशत वोटों से गुज़ारिश का "उडी" गीत है साल का सर्वश्रेष्ट फिल्मांकित गीत. सुनिए-

गीत - उड़ी


सजीव - आने वाले साल में किन फिल्मों से आपको उम्मीदें हैं, आपकी खुद की क्या योजनाएं हैं और फेसबुक अपने प्रशंसकों से मिलना आपको कैसा लग रहा है ?

अजय ब्रह्मात्मज – मुझे अनुराग कश्‍यप, अनुराग बसु, इम्तियाज अली, अनुभव सिन्‍हा की फिल्‍मों से उम्‍मीदें हैं। इस साल मैं अपने ब्‍लॉग चवन्‍नीचैप को बेबसाइट का रूप देने की कोशिश करूंगा। कुछ पुस्‍तकों की योजनाएं हैं, जो प्रकाशकों की तलाश में हैं। फेसबुक अत्‍यंत कारगर माध्‍यम है। मैं इसके अधिकतम उपयोग की कोशिश करता हूं। पाठक बताएं कि और किन पहलुओं से इसका इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

सजीव - अजय जी अब अंत में हम आपसे जानेंगें कि कि निम्न गीतों में से जिन्हें हमारी टीम ने नामांकित किया है, अजय ब्रह्मात्मज किस गीत को श्रेष्ठ मानते हैं, उसके बाद हम आपको बतायेंगें और सुन्वायेंगें वो गीत जिसे हमारे श्रोताओं से सर्वश्रेष्ठ माना है, देखते हैं आपकी राय क्या हमारे श्रोताओं की राय से मिलती है या नहीं : )

तेरे मस्त मस्त दो नैन (दबंग)
महंगाई डायन (पीपली लाइव)
बस इतनी सी तुमसे गुज़ारिश है (गुज़रिश)
सजदा (माई नेम इस खान)
नैना लागे तोसे (माधोलाल कीप वाकिंग)
रांझा रांझा (रावण)

अजय ब्रह्मात्मज - नैना लागे तोसे (माधोलाल कीप वाकिंग)

सजीव - अजय जी मैं आपको बता दूँ, विदेशों से आये वोटों में सजदा काफी पसंद किया गया है, महगाई डायन दूसरे स्थान पर रही, मगर सबसे अधिक ३३ प्रतिशत वोटों से हमारे श्रोताओं से जिसे गीत को सर्वश्रेष्ठ चुना है वो ये है -

गीत - तेरे मस्त मस्त दो नैन


सजीव - अजय जी इस बातचीत में हमारे साथ जुड़ने के लिए बहुत बहुत आभार, नयी फिल्मों की समीक्षा के लिए हमारे श्रोता अजय जी कि वेब साईट "चवन्नी चैप" में अवश्य जाएँ, चलते चलते इन तस्वीरों में देखिये कि हमारे अजय जी किन किन से मिले साल २०१० में....आप सब को नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ. आवाज़ पर आपका ये साथी, सजीव सारथी, अपने सहयोगी सुजॉय चट्टर्जी और विश्व दीपक के साथ आपको दे रहा है इस वर्ष का अंतिम सलाम. मिलते हैं फिर अगले साल में.

Comments

Archana said…
बधाई...........पूरे वर्ष सफ़लता पूर्वक कठिन कार्य को अंजाम तक पहुँचाने के लिए....
वर्ष २०११ के लिए आवाज हिन्दयुग्म की पूरी टीम को शुभकामनाएं............
आवाज़ परिवार को गोस्वामी परिवार वालों की ओर से नव वर्ष शुभ हो.ईश्वर आपके सारे सपने पूरे करे.
यूँही हंसते मुस्कराते रहे और........हमारा ये परिवार बढता जाये.अपने -से लगते हैं अब आप सब.किसी खास दिन का होना ही मेरे लिए जरूरी नही शुभ कामनाये देने के लिए.मेरी शुभ कामनाएं सदा आपके साथ है और रहेगी.प्यार.
आपके जीवन में संगीत हो और संगीत के लिए आपका जीवन हो.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट