Skip to main content

मिलिए उभरती हुई पार्श्व गायिका तरन्नुम मालिक से


लगभग एक महीने पहले आवाज़ पर हमने एक नए गीत "एक धक्का दो..." का विश्वव्यापी उदघाटन किया था, जिसे जबरदस्त सराहना मिली थी. उभरते हुए निर्देशक/गीतकार अभिषेक भोला (जिनकी आने वाली फ़िल्म "कॉफी" को हिंद युग्म मीडिया सहयोग प्रदान करने जा रहा है) ने इस गीत के बोल लिखे थे, धुन और आवाज़ थी, फ़िल्म इंडस्ट्री में तेज़ी से कमियाबी की सीढियां चढ़ती गायिका तरन्नुम मालिक की. इस गीत का विडियो भी बेहद चर्चित हुआ था जिसे ख़ुद अभिषेक ने निर्देशित किया था. आज हम आपकी मुलाकात इस गीत की गायिका तरन्नुम मालिक से करवा रहे हैं. मात्र २१ वर्षीया इस युवा गायिका ने बहुत कम समय में ही इंडस्ट्री के बड़े नामों को अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया है. इससे पहले कि हम बातचीत शुरू करें, संगीतकार शंकर एहसान और लॉय के निर्देशन में उनका गाया फ़िल्म "जोंनी गद्दार" का ये दमदार गीत सुनिए -



दिल्ली में जन्मी तरन्नुम को संगीत विरासत में मिला, उनके पिता रमेश मालिक ने बचपन से ही उनके हुनर को पहचाना और उनके दिशा निर्देश में में तरन्नुम ने पार्श्व गायन को अपना कैरिअर चुना. निरंतर रियाज़ और स्टेज कार्यक्रमों ने उन्हें इस काबिल बना दिया कि अनु मालिक (शादी न.०१), मोंटी शर्मा (अपने), आनंद राज आनंद (चाहत एक नशा और नहले पे देहला), जतिन पंडित, और शंकर एहसान लॉय (जोंनी गद्दार और हाई स्कूल म्युझिकल २) जैसे बड़े संगीतकार ने न सिर्फ़ उन्हें ब्रेक दिया, बल्कि देश विदेश में हुए अपने संगीत आयोजनों में शिरकत का मौका भी दिया. कविता कृष्णमूर्ती, अनुराधा पौडवाल, नरेंदर चंचल, और स्वर्गीय महेन्दर कपूर जैसे गायकों का आशीर्वाद उन्हें मिला है. आई मिलें तरन्नुम से -

हिंद युग्म - तरन्नुम स्वागत है आपका हिंद युग्म आवाज़ पर, आपका गाना "एक धक्का दो..." ने लोगों को नींद से जगाने का काम किया है, जिसने भी सुना है पसंद किया है....कैसा लग रहा है आपको ?

तरन्नुम- मैं और मेरे टीम के साथी बहुत खुश है जो आप लोगो ने इस गाने को इतना पसंद किया सराहा और मैं ये कहना चाहूँगीं हम सब की मेहनत आख़िर रंग लायी. अभी तक जहाँ जहाँ गाना प्रसारित हुआ है वहाँ कुछ इंसान भी अगर दिन में एक बार राष्ट्र के लिए सोच लें तो हमारा गीत बनाने का उद्देश्य पूरा हो जायेगा.... और किसी प्रयास की सराहना मिलने पर खुशी तो होती ही है...

हिंद युग्म - इस गाने की मेकिंग के बारे में कुछ बताईये ?

तरन्नुम - गाने की मेकिंग के बारे में तो आप जानते ही हैं... अभिषेक ने एक एस एम् एस किया मैंने उसको धुन में गाकर सुना दिया... फ़िर एक एक करके सब लोग जुड़ते गए... ब्रिन्जी ने प्रोग्रम्मिंग का जिम्मा लिया और जुबीन ने अपने स्टूडियो में रिकॉर्ड करने की अनुमति... फ़िर संगीतकार ललित सेन जी ने मिक्सिंग और री-रिकॉर्डिंग की... फ़िर ऍफ़ एम् में लोगों से मिले तो उनको गाना प्रसारित करने के लिए इस पर किसी कम्पनी की मुहर चाहिए थी... एक कंपनी में गये तो उनको वीडियो चाहिए था... इसलिए और मित्र जुड़े और विडियो भी बन गया...

हिंद युग्म - बहुत बड़ी टीम है इस गाने में किसने और कैसे इतना सब manage हो पाया ?

तरन्नुम- यह सब केवल इसलिए सम्भव हो पाया क्योंकि देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सबमें रोष है... और सब चाहते थे की कुछ किया जाए... और इस गीत के माध्यम से सबने अपने अपने तरीके से अपनी भावनाएं व्यक्त की...

हिंद युग्म - आप अपने अब तक के संगीत सफर के बारे में कुछ बताईये ?

तरन्नुम - जब छोटी थी तो शौक के तौर पर गाती थी... मेरे पिता जी की पृष्ठभूमि ग्वालियर घराना की रही है इसलिए उनको लगा कि मैं इस क्षेत्र में कुछ कर सकती हूँ.. उन्होंने मुझे सिखाना शुरू किया फ़िर सिंह बंधू मेरे गुरु रहे और तब कई बड़ी हस्तियों के साथ गाने का अवसर मिला... जब गुरु जी और मेरे पिता को लगा की गायन में कुछ परिपक्वता आ गई है.. तो हम दिल्ली से मुंबई आ गए... यहाँ भी मैं सुरेश वाडेकर जी से सीखती रही... और पहली बार मुझे आनंद राज आनंद जी के साथ हिन्दी फ़िल्म "चाहत एक नशा" फ़िल्म में गाने का अवसर प्राप्त हुआ... फ़िर रविंदर जैन जी से भी सीखना जारी रहा और साथ साथ रिकॉर्डिंग भी... उसके बाद... धीरे धीरे मुझे कुछ बड़ी फिल्में भी मिलने लगी.. जिनमें से "अपने", "जोनी गद्दार", "हाई स्कूल म्युझिकल २", "धूम धडाका" और "नहले पे दहला" प्रमुख हैं... फिलहाल और ज्यादा सीखने और, और अच्छा गाने में प्रयास रत हूँ...

हिंद युग्म - फ़िल्म जगत में किसे आप अपना रोल मॉडल मानती हैं ?

तरन्नुम - मैं उन सभी लोगों को अपना रोल मॉडल मानती हूँ जिस जिस ने संगीत की साधना की है चाहे हो मेरे कलीग हों या फिर नामी संगीतकार.

हिंद युग्म - हिंद युग्म और आवाज़ से जुड़ कर आपको कैसा लगा ?

तरन्नुम - मुझे हिन्दयुग्म से जुड़े कुछ समय ही हुआ है लेकिन जिस उद्देश्य से इसकी स्थापना हुयी है और जिस तरह से उनकी पूर्ति के प्रयास किए जा रहे है इसका एक हिस्सा बनकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है...

हिंद युग्म - ARR को गोल्डन ग्लोब मिला है आने वाले समय में आप भारतीय संगीत किस उंचाईयों पर देख रही हैं ?

तरन्नुम- मैं मानती हूँ कि आजकल हम भारतीय विदेशी अवार्ड जैसे ऑस्कर, ग्रेम्मी, गोल्डन ग्लोब पर ज्यादा ही केंद्रित होते जा रहे हैं... जबकि भारतीय संगीत अवार्ड श्रेणी से कहीं ज्यादा उपर है... कलाकार के लिए अवार्ड एक कोम्प्लिमेंट होता है... और यह अच्छी बात है की रहमान जी को विश्व स्तर पर मिला... इस से पहले भारतीय मूल की नोरा जॉन्स और आशा जी को भी इस स्तर पर सराहना मिल चुकी है...

हिंद युग्म - हमने अपनी साईट के माध्यम से बहुत से नए फनकारों को एक मंच दिया है क्या आपने किसी को सुना हैं इनमें से ?

तरन्नुम - मुझे हिन्दयुग्म से जुड़े थोड़ा समय ही हुआ है इसलिए मैं सभी गीत तो नहीं सुन सकी लेकिन अब जब भी ऑनलाइन होती हूँ तो जरूर सुनती हूँ... कुछ गाने हर लिहाज से बहुत ही अच्छे हैं और सुनने लायक तो सभी हैं...

हिंद युग्म - चलिए संगीत से इतर कुछ अपनी व्यक्तिगत पसंद /नापसंद बताईये ?

तरन्नुम - संगीत के अलावा मुझे सामान्य नृत्य, पालतू जीव पसंद हैं और नापसंद तो मुझे कुछ भी नहीं....

हिंद युग्म - किन संगीत कारों के साथ काम करना सपना है तरन्नुम का. ?

तरन्नुम- मेरा सपना हमेशा से ही रहमानजी के साथ कम करने का है जो मैं आशा करती हूँ जल्द पूरा होगा...

हिंद युग्म - ईश्वर करे आपका हर सपना सच हो, आपको एक उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें और जाते जाते हमारे श्रोताओं के लिए क्या कहना चाहेंगी आप ?

तरन्नुम - आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैं श्रेताओ को यही कहूँगी कि सीखना बनने से अधिक महत्व रखता है और कला के किसी भी क्षेत्र में सीखने का अंत नहीं है... इसलिए जहाँ से जो भी सार्थक सीखने को मिले हमें सीख लेना चाहिए...

चलते चलते देखते जाईये लाइव परफोर्म करती तरन्नुम की ये झलक. -



Comments

तरन्नुम जी,

आपका साक्षात्कार पढ़कर हम युग्मियों को बहुत बल मिला है। ज़रूर हम सब साथ मिलकर बहुत कुछ करेंगे। वह समय बहुत नजदीक है जब आप बॉलीवुड की शीर्ष गायिकाओं में गिनी जायेंगी।

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
Soumik Karmakar said…
hi Tarannum,

Your song 'Ek dhakka do' is superb.. maine use hind-yugm par suna tha.. you have a lot potetial.. apko break mil hi gaya hai.. aur jismein talent hota hai use bas ek break milana chahiye, phir wo apna rasta khud hi bana leta hai... All the best

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की