स्वरगोष्ठी – 270 में आज
मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 3 : रफी और मदन की खूबसूरत ग़ज़ल
‘मैं निगाहें तेरे चेहरे से हटाऊँ कैसे...’

संगीतकार
मदन मोहन को फ़िल्म-संगीत जगत में ग़ज़लों को आम जनता में लोकप्रिय बनाने के
लिए श्रेय दिया जाता है। ग़ज़लों को मूल ग़ज़ल गायकी के रूप में न प्रस्तुत कर,
उनके फ़िल्मी संस्करण को वह इस तरह से बनाते थे कि हर आम और ख़ास, दोनों में
लोकप्रिय हो जाए। पिछले दो अंकों में हमने दो गीत पेश किए। आज के अंक में
एक राग आधारित ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है। रफ़ी साहब की आवाज़ में राग दरबारी
कान्हड़ा पर आधारित, राजा मेहन्दी अली ख़ाँ की इस ग़ज़ल को हमने फ़िल्म ’आपकी
परछाइयाँ’ से चुना है। ग़ज़ल के बोल हैं- "मैं निगाहें तेरे चेहरे से हटाऊँ कैसे, लुट गए होश तो फिर होश में आऊँ कैसे..."। ग़ज़लों की जब बात आती है तब रफ़ी साहब और मदन जी की जोड़ी का कोई सानी नहीं। "आपके पहलू में आकर रो दिये, दास्तान-ए-ग़म सुना कर रो दिये..." (मेरा साया) और "तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर लूँगा, सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा..."
(नौनिहाल) की तरह प्रस्तुत ग़ज़ल भी रफ़ी-मदन मोहन की एक लाजवाब कृति है। जब
ग़ज़लों के राग आधारित होने की बात आती है तो अधिकतर ग़ज़लें भैरवी या पहाड़ी की
छाया लिये होती हैं। राग दरबारी पर भी वैसे कई ग़ज़लें आधारित रही हैं, जैसे
कि ग़ुलाम अली की मशहूर ग़ज़ल "हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है...", या फिर मेंहदी हसन की "कु ब कु फैल गई बात शनाशाई की...", और फिर जगजीत सिंह की तो कई ग़ज़लें हैं इस राग पर जैसे कि "देने वाले मुझे मौजों की रवानी दे दे" और "सुनते हैं कि मिल जाती है"। जगजीत सिंह की ही आवाज़ में एक भक्ति रचना "जय राधा माधव जय कुंजबिहारी..." भी दरबारी पर ही आधारित है। यह राग मदन मोहन का भी पसन्दीदा राग रहा है। इसी फ़िल्म ’आपकी परछाइयाँ’ का एक अन्य गीत "अगर मुझसे मोहब्बत है तो अपने सब ग़म मुझे दे दो..." भी इसी राग को आधार बना कर उन्होंने कम्पोज़ किया था। फ़िल्म ’अनपढ़’ के मशहूर सदाबहार गीत "आपकी नज़रों ने समझा प्यार के क़ाबिल मुझे..."
में भी दरबारी कान्हड़ा की झलक मिलती है। अगर रफ़ी साहब के गाये मदन मोहन के
नगमों की बात करें तो कम से कम दो और गीत ऐसे हैं जो इस राग पर आधारित
हैं। ये हैं "बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत गाता जाए बंजारा..." (रेल्वे प्लैटफ़ॉर्म) और "मैं तेरे दर पे आया हूँ, कुछ करके जाऊँगा..." (लैला मजनूँ)।

राग दरबारी कान्हड़ा : ‘मैं निगाहें तेरे चेहरे से हटाऊँ कैसे...’ : मोहम्मद रफी : फिल्म - आपकी परछाइयाँ

राग दरबारी कान्हड़ा : आलाप और मध्य लय की रचना : पण्डित रोनू मजुमदार
संगीत पहेली
1 – गीत के इस अंश को सुन का आपको किस राग का अनुभव हो रहा है?
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप गीत के गायक को पहचान सकते हैं? इस गायक का नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 21 मई, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम
‘स्वरगोष्ठी’ के 272वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 268 की संगीत पहेली में हमने आपको मदन मोहन के संगीत निर्देशन में
बनी और 1966 में प्रदर्शित फिल्म ‘मेरा साया’ से एक राग आधारित गीत का एक
अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का
उत्तर देना था। इस पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग – भीमपलासी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है – ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का उत्तर है- गायिका – लता मंगेशकर।
इस
बार की पहेली में चार प्रतिभागियों ने सही उत्तर देकर विजेता बनने का गौरव
प्राप्त किया है। चारो प्रतभागियों ने सभी तीन प्रश्न का सही-सही उत्तर
दिया है। सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं - पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, और चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जिन्होने दो-दो अंक अर्जित किये है। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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