स्वरगोष्ठी – 269 में आज
मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 2 : लता और मदन भैया का साथ
‘नैनों में बदरा छाए बिजली सी चमके हाय ऐसे में सजन मोहे गरवा लगाए...’
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मदन
मोहन का संगीत जितना कोमल रहा है, उनकी बाहरी शख़्सियत उतनी ही कठोर थी। वो
अपने अनुशासन में इतने दृढ़ थे कि वो अपने साज़िन्दों के बजाये हुए टुकड़े को
गीत से हटवा तक देते थे अगर वो ठीक न बजाए या फिर अगर रेकॉर्डिंग पर वो
देर से पहुँचे। ऐसा ही एक क़िस्सा हुआ "नैनों में बदरा छाए..." की
रेकॉर्डिंग पर। इस गीत के रिहर्सल हो रहे थे और कुछ साज़िन्दे बार-बार एक
जगह पर ग़लत बजा रहे थे, जिस वजह से लता जी को बार-बार गीत गाना पड़ रहा था।
मदन जी के धैर्य की सीमा पार हो गई। वो इतने ज़्यादा उत्तेजित हो गए कि
स्टुडियो के कन्ट्रोल रूम से रेकॉर्डिंग रूम तक (जहाँ साज़िन्दे बैठे थे)
पहुँचने के लिए उन्होंने सामने का शीशा ही तोड़ डाला अपने हाथों से और अपने
आप को लहूलुहान कर लिया। साज़िन्दे उनके इस रूप को देख कर घबरा गए। ग़ुस्से
से तिलमिलाए हुए मदन मोहन ने हाथ पर पट्टी बाँधने से इनकार कर दिया, जब तक
गाना ठीक तरीके से रेकॉर्ड नहीं हो गया। मदन मोहन की रचनाएँ उत्कृष्ट होने
के बावजूद पुरस्कार उनसे हमेशा दूर ही रहा करते। 1964 में मदन मोहन को ’वो
कौन थी’ के संगीत के लिए फ़िल्मफ़ेयर के लिए नामांकित किया गया, पर पुरस्कार
चला गया लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल को ’दोस्ती’ के लिए। 1966 में ’मेरा साया’
के लिए फिर उनका चयन हुआ ’गाइड’ और ’सूरज’ के साथ, पर फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका से
मतभेद होने के बाद उनका नाम हटा दिया गया और उसकी जगह ’दो बदन’ फ़िल्म को
शामिल कर लिया गया। पुरस्कार शंकर जयकिशन (’सूरज’) को मिला। मदन जी बहुत
निराश हुए थे इस घटना से। फ़िल्मफ़ेयर ने भले उनके साथ नाइंसाफ़ी की हो, Cine
Music Directors Award उन्हें कई बार प्राप्त हुए जिसका चयन केवल फ़िल्मी
संगीतकार ही किया करते थे। जब अन्य संगीतकारों ने "नैनों में बदरा छाये..."
गीत के लिए यह पुरस्कार उन्हें दिया, तो उन्होंने सभी संगीतकारों को अपने
घर पर रात्रि-भोज पर बुलाया और अपने हाथों से खाना बना कर सभी को बड़े प्यार
से खिलाया। यह उनका तरीक़ा था धन्यवाद कहने का। लीजिए, पहले आप यह गीत
सुनिए।
राग भीमपलासी : नैनों में बदरा छाए...’ : लता मंगेशकर : फिल्म – मेरा साया
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राग भीमपलासी : ‘जा जा रे अपने मन्दिरवा...’ विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 269वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको राग आधारित फिल्मी गीत का एक
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 270वें अंक की
पहेली के सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
इस वर्ष की दूसरी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का आभास हो रहा है?
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप गीत के गायक की आवाज़ को पहचान रहे हैं? हमें उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 14 मई, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम
‘स्वरगोष्ठी’ के 271वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 267 की संगीत पहेली में हमने आपको वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म
‘देख कबीरा रोया’ से राग आधारित फिल्मी गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन
प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। पहेली के
पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग – रागेश्री या रागेश्वरी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का उत्तर है- पार्श्वगायक – मन्ना डे।
इस
बार की संगीत पहेली में चार प्रतिभागियों ने तीनों प्रश्नों का सही उत्तर
देकर विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया है। ये विजेता हैं - पेंसिलवेनिया,
अमेरिका से विजया राजकोटिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। इन सभी विजेताओं ने दो-दो अंक अर्जित किया है। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ में आप हमारी
नई श्रृंखला ‘मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन’ का शुभारम्भ का रसास्वादन
कर रहे हैं। इस श्रृंखला में हम फिल्म संगीतकार मदन मोहन के कुछ राग आधारित
गीतों को चुन कर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। श्रृंखला के इस अंक में
हमने आपसे राग भीमपलासी पर चर्चा की। ‘स्वरगोष्ठी’ साप्ताहिक स्तम्भ के
बारे में हमारे पाठक और श्रोता नियमित रूप से हमें पत्र लिखते है। हम उनके
सुझाव के अनुसार ही आगामी विषय निर्धारित करते है। ‘स्वरगोष्ठी’ पर आप भी
अपने सुझाव और फरमाइश हमें भेज सकते है। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर
सम्भव प्रयास करेंगे। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल अवश्य
कीजिए। अगले रविवार को एक नई श्रृंखला के नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments
क्षमा-सहित
मुकेश गर्ग