Skip to main content

'बेबी डौल' की मादक अदाएं और 'गुलछर्रे' उडाती मस्तियाँ

ताज़ा सुर ताल 2014 -10 

ताज़ा सुर ताल में आज चर्चा इस माह के सबसे हिट गीत की. पोर्न स्टार सनी लियोनि अब तक के सबसे बोल्ड अवतार में अवतरित होने वाली हैं फिल्म रागिनी एम् एम् एस २  में. फिल्म में मुक्तलिफ़ संगीतकारों ने योगदान दिया है. सबसे अधिक चर्चा में है बेबी डौल  गीत जो इन दिनों हर पार्टी में धूम मचा रहा है. मीत बंधुओं और अनजान की तिकड़ी ने इस गीत के लिए एक अनूठी रिदम का चयन किया है, जिसे सुनकर कदम बरबस ही थिरक उठते हैं. कुमार के शब्द भी पूरी तरह मेल खाते हैं गीत के थीम से. जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि मीत बंधू अपने रचित हर गीत में अपनी आवाज़ का तडका अवश्य लगाते हैं, लेकिन गीत की प्रमुख गायिका है कनिका कपूर जिनकी आवाज़ और अदायगी में एक अंतरास्ट्रीय अपील है, शायद ये बॉलीवुड में उनका पहला गीत है पर उन्होंने बेहद ऊर्जा के साथ गीत को अंजाम दिया है. तो लीजिए सुनिए और झूमिए बेबी डोल  के संग 
आज का दूसरा गीत भी कुछ थिरकता मचलता ही है. नुपुर अस्थाना निर्देशित बेवकूफियां  की कहानी लिखी है हबीब फैज़ल ने. फिल्म के संगीतकार हैं रघु दीक्षित, जो एक बेहद प्रतिभाशाली गायक-संगीतकार हैं जो दक्षिण भारतीय फिल्मों में काफी सफल फ़िल्में कर चुके हैं. हिंदी फिल्म जगत में उन्होंने कदम रखा मुझसे फ्रेंडशिप करोगे  से वर्ष २०११ में, कह सकते हैं कि प्रस्तुत फिल्म उनका दूसरा प्रोजेक्ट है हिंदी में. फिल्म के ये गीत गुल्चर्रे  इन दिनों युवा श्रोताओं को पसंद आ रहा है. बेनी दयाल की जोशीली आवाज़ की मोहर इस गीत पर पूरी तरह हावी है. बेनी दिन बा दिन निखारते जा रहे हैं. लीजिए सुनिए ये गीत भी जिसे लिखा है अन्विता दत्त ने. 
.   

Comments

Arvind Pandey said…
आज से ५ साल पहले जब डीपीएस दिल्ली की छात्रा का MMS आया था तो इतना बवाल हुआ की उसे भारत छोड़ के बाहर जाना पड़ा, और आज एक पोर्न स्टार २४ घंटे हमारे टीवी सेट्स पर इतरा रही है ,गज़ब की anarchy है

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...