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सभी शादी शुदा जोड़ों को अवश्य देखनी चाहिए 'शादी के साईड एफ्फेक्ट्स'

फिल्म चर्चा - शादी के साईड एफ्फेक्ट्स 


साकेत चौधरी के निर्देशन में बनी इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है फिल्म की कास्टिंग. राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित फरहान अख्तर और विध्या बालन की केमिस्ट्री ही इस फिल्म की जान है. प्यार के साईड एफ्फेक्ट्स  के सिक्युअल के तौर पर बनी इस फिल्म की कहानी बेहद दिलचस्प अंदाज़ में एक के दौर के दाम्पत्य जीवन की मिठास और कड़वाहट को दर्शाती है. सिद्धार्थ रॉय के किरदार में फरहान का अभिनय कबीले तारीफ है. वास्तव में वो परदे पर इतने सहज लगते हैं कि दर्शक खुद बा खुद उनके किरदार से जुड जाते हैं, तो वहीँ त्रिशा के किरदार में विध्या बेहद सराहनीय उपस्तिथि दर्ज कराने में कामियाब रही है. पूरी फिल्म यूँ तो इन्हीं दोनों किरदारों के इर्द गिर्द ही घूमती है, पर राम कपूर और इला अरुण भी अपनी अपनी भूमिकाओं में खासे जचे हैं. 

त्रिशा और सिद्धार्थ की शादी शुदा जिंदगी में सब कुछ बढ़िया चल रहा होता है कि अचानक एक नए मेहमान के आने की दस्तक से उथल पुथल मच जाती है. जहाँ त्रिचा अपनी प्रेगनेंसी और उसके बाद अपनी नन्हीं बच्ची के लिए नौकरी छोड़ देती है वहीँ सिद्धार्थ इस नई जिम्मेदारी को लेकर असमंजस की स्तिथि में है, त्रिशा के नौकरी छोड़ देने की स्तिथि में सिद्धार्थ पर अतिरिक्त दबाब पड़ता है और उसके संगीत एल्बम का सपना खटाई में पड़ जाता है. शादी के बाद के जीवन को काफी हलके फुल्के अंदाज़ में बुना गया है फिल्म की कहानी में. 

साकेत का निर्देशन चुस्त है और स्क्रीन प्ले फिल्म की रफ़्तार को बखूबी बनाये रखता है. संवाद छोटे, चुटीले और गुदगुदाने वाले है. संगीत पक्ष बहुत दमदार नहीं है, फिल्म का सबसे खूबसूरत गीत बावला सा सपना  कहीं संवादों का हिस्सा ही बनकर रह जाता है. कुछ गीत जबरन ठूंसे हुए लगते हैं. कुल मिलाकर फिल्म की कहानी, कास्टिंग और सभी पात्रों के अच्छे अभिनय के कारण फिल्म दिलचस्प अवश्य है. चलिए हम आपको दिखाते हैं इस फिल्म का एक ट्रेलर, पूरी फिल्म आप सिनेमा घरों में जाकर देखें और अपनी राय हमें दें. 

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