Skip to main content

'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता बने हैं....

और 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता हैं...


वाह! क्या काँटे की टक्कर रही इस महामुकाबले में प्रकाश गोविन्द और विजय कुमार व्यास के बीच! 

दूसरे और तीसरे स्थान पर पंकज मुकेश और चन्द्रकान्त दीक्षित रहे। 

क्षिति तिवारी ने महामुकाबले में भाग नहीं लिया।


आप सभी विजेताओं को हज़ारों शुभकामायें!

आइये अब आपको बतायें कि महामुकाबले के सवालों के सही जवाब क्या हैं।


महामुक़ाबले के सवालों का हल

उत्‍तर 1. गीत - श्‍याम सुन्‍दर मदन मोहन, कुंबरी संग बात कीनो........ (फिल्‍म - ट्रैप्‍ड, 1931)
*इस गीत के मुखडे में संगीतकार 'श्‍याम सुन्‍दर' तथा संगीतकार 'मदन मोहन' के नाम आते हैं अर्थात गीत के मुखडे के प्रारम्‍भ में दो संगीतकारों के नाम मौजूद हैं ।

उत्‍तर 2. फिल्‍म का नाम -  तमाशा (1952)

उत्‍तर 3. चित्र में दिखाई गई चीजों के नाम फिल्‍म 'हम आपके हैं कौन' के गीत 'दीदी तेरा देवर दीवाना'  के अन्‍तरों में आती हैं और इस गाने की धुन नुसरत फ़तेह अली ख़ान की कव्‍वाली 'सारे नबियां दां नबी तूं इमाम सोणिया' से प्रेरित (inspired) है। चित्र में दिखाये गये वस्तुओं में से 'मिर्च' शायद गीत में नहीं है। लेकिन 'मिट्टी पहाड़ी' से ज़्यादा 'मिर्ची पहाड़ी' अर्थपूर्ण लगता है क्योंकि खाने वाली वस्तुओं का ज़िक्र हो रहा है। ख़ैर, कोई बात नहीं, इस  त्रुटि के बावजूद आपने गीत पहचान ही लिया।

उत्‍तर 4. गीत - दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे........ (फिल्‍म - मदर इण्डिया, 1957)।

उत्‍तर 5. चित्र 1 - जूथिका रॉय,  चित्र 2 - सी. एच. आत्मा

उत्‍तर 6. गीत - जिन्‍दगी बदली मुहोब्‍बत का मजा आने लगा है......... (फिल्‍म - अनहोनी, 1952)

उत्‍तर 7. गीत - तुझे बिब्‍बो कहूँ के सुलोचना,  उमा शशि कहूँ के जमुना.........(फिल्‍म - गरीब का लाल, 1939)
*चित्र में जिन कलाकारों की तस्‍वीरें दी गई है, उन सभी कलाकारों के नाम इस गीत में आतें हैं।

उत्‍तर 8. गीत - मधुबन खुशबू देता है............(फिल्‍म - साजन बिना सुहागन, 1978)
 
उत्‍तर 9. चारों अभिनेताओं ने ऐसी फिल्‍मों में मुख्‍य भूमिका की है जिनके टाईटल में 'राम' शब्‍द जुडा है एवं इनकी इन सभी फिल्‍मों में इनके चरित्र के नाम में भी 'राम' शब्‍द है। त्रिलोक कपूर (राम जन्‍म,1951), अभि भट्टाचार्य (राम लीला,1961), सनी देओल (राम अवतार, 1988), शाहरुख ख़ान (राम जाने, 1995)। इसी तरह से इन चारों अभिनेताओं के साथ 'अर्जुन' भी जुड़ा हुआ है। त्रिलोक कपूर ने फ़िल्म 'वीर अर्जुन' में अर्जुन की भूमिका निभाई; अभि भट्टाचार्य ने 'श्री कृष्णार्जुन युद्ध' में अर्जुन की भूमिका निभाई; सनी देओल ने 'अर्जुन' और 'अर्जुन पंडित', दोनों फ़िल्मों में शीर्षक भूमिका निभाई, तथा शाहरुख़ ख़ान ने 'करण-अर्जुन' फ़िल्म में अर्जुन की भूमिका निभाई।


उत्‍तर 10. फ़िल्म 'गीत गाता चल' का पोस्टर होना चाहिये क्योंकि फिल्‍मी पोस्‍टर्स की यह श्रंखला फिल्‍म 'एक दूजे के लिए' के गीत 'मेरे जीवनसाथी प्‍यार किए जा' के अन्‍तरें की एक पंक्ति से बनाई गई है।
(लडकी, मिलन, गीत गाता चल, प्‍यार का मौसम, बेशर्म.......सत्‍यम शिवम सुन्‍दरम)



महामुक़ाबले का परिणाम

और ये रहे प्रतियोगियों के परिणाम इन दस सवालों के....





विजेताओं के पुरस्कार!


तो इस तरह से 'सिने पहेली' के युग्म महाविजेता बने हैं श्री प्रकाश गोविन्द और श्री विजय कुमार व्यास। 5000 रुपये नकद इनाम आप दोनों को बहुत बहुत मुबारक़ हो! यह इनाम राशि आप दोनों में बराबर बाँटी जायेगी।

सांत्वना पुरस्कार स्वरूप श्री पंकज मुकेश, श्री चन्द्रकान्त दीक्षित और श्रीमती क्षिति तिवारी को पुस्तकें भेंट की जायेंगी। बहुत बहुत बधाई हो आप सभी को!


'सिने पहेली' का समापन

तो दोस्तों, इस तरह से 'सिने पहेली' का यह लम्बा सफ़र तो हो गया पूरा। इस सफ़र में आप सब हमारे हमसफ़र हुए, और इस सफ़र को एक बेहद सुहाना अंजाम दिया, जिसके लिए हम आप सभी के शुक्रगुज़ार हैं। 'सिने पहेली' समाप्त हो रहा है, पर पहेलियाँ सुलझाना बन्द नहीं होना चाहिये। क्योंकि हमारी ज़िन्दगी भी ख़ुद एक पहेली है, तो हर मोड़ पर आपको पहेली सुलझाते हुए निरन्तर आगे बढ़ना है। इस जीवन पथ पर अग्रसर होने और हर पड़ाव पर सफलता प्राप्त करने की शुभकामनायें देते हुए अब मुझे आप से विदा लेना होगा। 'सिने पहेली' के माध्यम से मेरा और आपका साथ यहीं होता है पूरा, पर आने वाले समय में मैं आपसे दोबारा मिलूंगा इसी मंच पर किसी अन्य स्तंभ के साथ। तब तक के लिए आप मुझे अनुमति दीजिये, पर बने रहिये 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के साथ। आप सभी को मेरा, यानी कि सुजॉय चटर्जी का बहुत सारा प्यार, ख़ुश रहिये, मस्त रहिये, नमस्कार!

Comments

Alpana Verma said…
प्रकाश गोविन्द जी और विजय कुमार व्यास जी को बहुत बहुत बधाई!
आयोजकों और श्री पंकज मुकेश, श्री चन्द्रकान्त दीक्षित ,श्रीमती क्षिति तिवारी को भी बधाई.

यूँ तो आप की इन पहेलियों का यह बहुत ही लंबा सफ़र था ,परन्तु सवालों के माध्यम से कई नयी जानकारियाँ भी मिलीं,यह भी इस आयोजन की उपलब्धि रहेगी.
मैं श्री प्रकाश गोविन्द जी एवं श्री विजय कुमार व्यास जी को महा विजेता बनने पर बहुत बहुत बधाई देता हूँ | श्री पंकज मुकेश जी तथा श्रीमती क्षिति तिवारी जी भी बधाई के पात्र हैं | इन साथियों के साथ सिने पहेली का ये सफ़र कैसे कट गया पता ही नहीं चला | पढ़कर अच्छा लगा कि सांत्वना पुरस्कार के रूप में मुझे भी पुस्तकें मिलेंगी, मुझे इस अनमोल पुरस्कार की प्रतीक्षा है |
Amit said…
बहुत बहुत बधाइयाँ प्रकाश जी और विजय जी।
पंकज मुकेश जी और चन्द्रकान्त दीक्षित जी आपको भी बहुत बहुत बधाई।
Shubham Jain said…
सभी विजेताओ को बहुत बहुत बधाई।

पहेली के सफल सञ्चालन के लिए आयोजककर्ताओं को मेरी शुभकामनाये।
सभी प्रतियोगियों को बधाई।
प्रकाश गोविन्द और विजय व्यास को 'सिने-पहेली' के संयुक्त विजेता बनने पर हार्दिक बधाई। पंकज मुकेश, चन्द्रकान्त दीक्षित और क्षिति तिवारी को भी 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की ओर से शुभकामनाएँ। सभी पाँच प्रतियोगी अपना डाक का पूरा पता 'सिने-पहेली' के ई-मेल आईडी पर शीघ्र भेज दें।
Pankaj Mukesh said…
Sabhi mahavjetaon ko bahut-bahut baadhai aur Cinepaheli ke aayojakmaandaal ka bahut-bahut dhanyawaad !!!
Himanshu said…
Bahut hi kathin questions the but fir bhi Vijay Ji aur prakash Ji ne sabhi ke jawab de diye. Kamaal kiya aapne. Bahut hi badhai.
समस्त विजेताओं और प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं !

इस पहेली प्रतियोगिता ने बहुत ही लंबा सफ़र तय किया ... सम्भवतः यह अंतरजाल की दुनिया में एक रिकार्ड ही है :-) ... इसके लिए आयोजक भी सराहना के पात्र हैं ... विशेष रूप से सुजॉय जी ने तरह-तरह की पहेलियों का सृजन करके इस आयोजन को अत्यंत दिलचस्प बनाया !

व्यक्तिगत तौर पर मैंने इस पहेली आयोजन को खूब इंज्वाय किया साथ ही अनेकानेक अनूठी जानकारियां भी मिलीं !

बस एक कमी महसूस हुयी कि पहेलियाँ कठिन होने के कारण ज्यादा प्रतियोगी सम्मिलित नहीं हो सके ! आशा है पहेलियों का सफ़र थमेगा नहीं और आगे भी कभी हम लोग ऐसे ही आयोजन का आनंद लेंगे !

एक बार पुनः सभी प्रतियोगियों और आयोजकों को बधाई / शुभ कामनाएं
Vijay Vyas said…
प्रणाम, नमस्‍कार और हार्दिक आभार।

सिने पहेली का यह सफर बहुत ही दिलचस्‍प और रोचक रहा। पहेली आयोजकों तथा साथी प्रतियोगियों को हार्दिक बधाई एवं आभार जिन्‍होनें अनवरत इस पहेली में भाग लेकर इसके रोमांच को बनाए रखा। भारतीय सिने इतिहास को जानने का शौक तो था ही परन्‍तु इस पहेली में भाग लेने के बाद वह और बढ गया, बहुत सारी नई जानकारियॉं मिली।

सुजॉय जी को विशेष बधाई जिनकी कठिन मेहनत के कारण यह पहेली निरन्‍तर और रोमांच भरी रही। कुछ दिन प्रत्‍येक शनिवार यह कमी खलती रहेगी।
पुन: सभी का आभार।

विजय कुमार व्‍यास, बीकानेर
Vijay Vyas said…
नमस्‍कार कृष्‍णमोहन जी,
डाक का पूरा पता 'सिने-पहेली' के ई-मेल आईडी पर भेज दिया है।
आभार ।
Sajeev said…
excellent prakash ji and vijay vyas ji...and sujoy hats off man :)
Smart Indian said…
सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं। इस सफल आयोजन के लिए रेडियो प्लेबैक इंडिया टीम भी धन्यवाद की पात्र है।

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की