स्वरगोष्ठी – 122 में आज
भूले-बिसरे संगीतकार की अमर कृति- 2
सरस्वती राणे ने गाया ‘रामराज्य’ का गीत- ‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु
श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की अमर कृति’ के दूसरे अंक में
मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का अभिनन्दन करता हूँ। आज के
अंक में हम आपको राग भीमपलासी पर आधारित फिल्म 'रामराज्य' एक ऐसा गीत सुनवाएँगे जो सात दशक
बाद भी प्रायः हम सुनते रहते हैं। परन्तु इसके संगीतकार पण्डित शंकरराव व्यास के बारे में हम
अनभिज्ञ हैं।
महात्मा गाँधी ने अपने जीवनकाल में एकमात्र फिल्म ‘रामराज्य’ देखी थी। 1943 में प्रदर्शित इस फिल्म का निर्माण प्रकाश पिक्चर्स ने किया था। फिल्म के संगीत निर्देशक अपने समय के जाने-माने संगीतज्ञ पण्डित शंकरराव व्यास थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, व्यासजी की कुशलता केवल फिल्म संगीत निर्देशन के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय गायन, संगीत शिक्षण और ग्रन्थकार के रूप में भी सुरभित हुई थी। फिल्म ‘रामराज्य’ के साथ कई उल्लेखनीय तथ्य जुड़े हुए हैं, जिनमें एक यह भी तथ्य है कि पण्डित शंकरराव व्यास ने पार्श्वगायक मन्ना डे से पहली बार इस फिल्म में दो गीत गवाए थे। इसी फिल्म में पण्डित जी ने राग भीमपलासी के स्वरों में गीत- ‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ भी संगीतबद्ध किया था। आज हमारी गोष्ठी में यही गीत, राग और इसके रचनाकार, चर्चा के विषय होंगे।
शंकरराव व्यास |
सरस्वती राणे |
राग भीमपलासी : फिल्म रामराज्य : ‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ : संगीत – शंकरराव व्यास
अश्विनी भिड़े देशपाण्डे |
राग भीमपलासी : ‘जा जा रे अपने मन्दिरवा...’ विदुषी अश्विनी भिड़े
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 122वें अंक की पहेली में आज हम आपको पाँचवें दशक के उत्तरार्द्ध में बनी एक फिल्म के राग आधारित एक गीत का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 130वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 – यह गीत किस ताल में निबद्ध किया गया है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 123वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से या swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली और श्रृंखला के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 120वें अंक की पहेली में हमने आपको 1942 में प्रदर्शित फिल्म ‘भक्त सूरदास’ से लिये गए गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल कहरवा। दोनों प्रश्नो के सही उत्तर लखनऊ के प्रकाश गोविन्द ने ही दिया है। प्रकाश जी को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 120वें अंक की पहेली की समाप्ति पर इस श्रृंखला (सेगमेंट) के प्रथम चार प्रतिभागियों के प्राप्तांक निम्नवत रहे-
1. श्रीमती क्षिति तिवारी, जबलपुर – 16 अंक
2. श्री प्रकाश गोविन्द, लखनऊ – 15 अंक
3. डॉ. पी.के. त्रिपाठी, जौनपुर – 12 अंक
4. श्री पंकज मुकेश, बैंगलुरु – 8 अंक
2. श्री प्रकाश गोविन्द, लखनऊ – 15 अंक
3. डॉ. पी.के. त्रिपाठी, जौनपुर – 12 अंक
4. श्री पंकज मुकेश, बैंगलुरु – 8 अंक
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर
जारी लघु श्रृंखला ‘एक कालजयी गीत, जिसने संगीतकार को अमर बना दिया’ के अब
तक के दो अंकों में हमने आपसे देश की आज़ादी से पूर्व के राग आधारित फिल्म
संगीत पर चर्चा की है। अगले अंक में हम आज़ादी के तत्काल बाद के फिल्म संगीत
की जानकारी आपसे बाँटेंगे। अगले अंक में एक और विस्मृत संगीतकार के राग
आधारित चर्चित गीत के साथ रविवार को प्रातः 9-30 ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच
पर आप सभी संगीत-रसिकों की हम प्रतीक्षा करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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